परिचय
यह अध्याय संस्कृत कक्षा ९ का प्रथम पाठ है, जो ‘भारतीवसन्तगीतिः’ नामक काव्य पर आधारित है। यह आधुनिक संस्कृत-साहित्य के प्रख्यात कवि पण्डित जानकीवल्लभ शास्त्री द्वारा रचित ‘काकली’ नामक गीत-संग्रह से लिया गया है। काव्य में वसन्त ऋतु के सौन्दर्य का चित्रण करते हुए सरस्वती देवी से प्रार्थना की गई है कि नवीन वीणा बजाकर मधुर गीत गाया जाए, जो प्रकृति के विविध रूपों से प्रेरित हो तथा राष्ट्रीय जागरण की भावना को प्रफुल्लित करे। यह रचना स्वाधीनता प्राप्ति की पृष्ठभूमि में लिखी गई है, जो लोकों को प्रेरित करने वाली है।
प्रार्थना
श्लोकः १
या भूमिर् महानद्यः सरितः सरोवरोत्सवानि (सागरः सरोवर आदि) विद्यमानानि । यस्मिन् बहवः प्रकाराः खाद्यपदार्थाः उत्पादन्ति च कृषि व्यापार आदि करोन्तः पुरुषाः सामाजिकसंगठनं कृत्वा वसन्ति (भारतीवसन्तगीतिः) । यस्याम् एते चरन्ति (प्रचरन्ति) प्राणिनः संचरन्ति भ्रमरन्ति । सा पृथ्वी नः प्रथम खाद्यपदार्थान् (अन्नजल) प्रदातु ॥१॥
हिंदी अर्थः जिस भूमि में बड़े नदियाँ, झीलें तथा तालाब (समुद्र, सरोवर आदि) विद्यमान हैं, जिसमें अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ उत्पन्न होते हैं तथा कृषि, व्यापार आदि करने वाले लोग सामाजिक संगठन बनाकर रहते हैं (भारतीवसन्तगीतिः), जिसमें ये चरते (प्रचरन्ति) प्राणी संचरते-भ्रमरते हैं, वह पृथ्वी हमें प्रथम खाद्य पदार्थ (अन्न-जल) प्रदान करे ॥१॥
श्लोकः २
चतुरः दिशः च ऊर्ध्वाः बहवः प्रकाराः खाद्यपदार्थाः (फलं दधि आदि) उत्पाद्यमानाः । तत्र कृषिकर्म करोन्तः सामाजिक संगठनं कृत्वा वसन्ति (भारतीवसन्तगीतिः) । सा (भूमिः) बहवः प्रकाराः प्राणिनां (घास चरितारः च संचरितभ्रमरितारः जीवः) आश्रयान् पोषयति, सा पृथ्वी नः सौख्य आदि लाभान् भोजन पदार्थानां विषयं लीनं कुरु ॥२॥
हिंदी अर्थः जिस भूमि में चार दिशाएँ तथा ऊर्ध्व दिशाएँ अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ (फल, दही आदि) उत्पन्न करती हैं, जहाँ कृषि-कार्य करने वाले सामाजिक संगठन बनाकर रहते हैं (भारतीवसन्तगीतिः), जो (भूमि) अनेक प्रकार के प्राणियों (घास चरने वालों तथा संचरण-भ्रमरण करने वालों जीवों) को पोषण देती है, वह पृथ्वी हमें सुख आदि लाभों तथा भोजन पदार्थों के विषय में लीन बनाए ॥२॥
श्लोकः ३
बहवः प्रकारैः भिन्नाः भाषाः वाचयन्तः च बहवः देवताः ग्रहणन्तः जनसमूहः, एकस्मिन् गृहे वसन्तः पुरुषाः यथा, पोषयित्री च कदापि शून्यं न करोति (भरतभारतीवसन्तगीतिः) इयं गीतिः नः मातुः सहायिका पथिका तद्वत् कश्चित् सौख्यं विना कश्चन बाधा ददाति ॥३॥
हिंदी अर्थःअनेक प्रकार से भिन्न भाषाओं को बोलने वाले तथा अनेक देवताओं को ग्रहण करने वाले जनसमूह को, एक ही गृह में वसन्तः पुरुषाः यथा, पोषयित्री च कदापि शून्यं न करोति (भरतभारतीवसन्तगीतिः) ऐसी यह गीतिः हमारे लिए मातुः सहायिका पथिका का तद्वत् कार्य करे जैसे कोई सुखं विना किसी बाधा के भोजन देती हो ॥३॥
काव्यांश
श्लोकः १
निनादय नवीनामये वाणि! वीणाम् । मृदुं गाय गीतिं ललित-नीति-लीनाम् । मधुर-मञ्जरी-पिञ्जरी-भूत-माला: वसन्ते लसन्तीह सरसा रसाला: कलापा: ललित-कोकिला-काकलीनाम् ॥१॥
हिंदी अर्थः हे सरस्वती (वाणी)! आप अपनी नवीन वीणा को बजाओ। आप सुंदर नीति से युक्त (लीन) मीठे गीत गाओ। फूलों की पीले रंग की पंक्तियों से वसंत ऋतु में मीठे आम के कोयलों की सुंदर ध्वनिवाले मधुर आम के पेड़ों के समूह शोभा पाते हैं।
श्लोकः २
निनादय…॥ वहति मन्दमन्दं सनीरे समीरे कलिन्दात्मजायास्सवानीरतीरे नतां पङ्क्तिमालोक्य मधुमाधवीनाम् ॥२॥
हिंदी अर्थःहे वाणी (सरस्वती)! तुम नई वीणा बजाओ। यमुना नदी के बेंत की लता से युक्त तट पर जल से पूर्ण हवा धीरे-धीरे बहती हुई फूलों से झुकी हुई मधुमाधव की लताओं की पंक्ति को देखकर हे वाणी (सरस्वती)! तुम नई वीणा बजाओ।
श्लोकः ३
निनादय…॥ ललित-पल्लवे पादपे पुष्पपुञ्जे मलयमारुतोच्चुम्बिते मञ्जुकुञ्जे, स्वनन्तीन्ततिम्प्रेक्ष्य मलिनामलीनाम् ॥३॥
हिंदी अर्थः हे वाणी (सरस्वती)! तुम नई वीणा बजाओ। सुन्दर पत्तोंवाले वृक्ष (पौधे), फूलों के गुच्छों तथा सुन्दर कुंजों (बगीचों) पर चंदन के वृक्ष की सुगंधित हवा से स्पर्श किए गए। गुंजायमान करते हुए भौरों की काले रंग की पंक्ति को देखकर हे वाणी! तुम नई वीणा बजाओ।
श्लोकः ४
निनादय…॥ लतानां नितान्तं सुमं शान्तिशीलम् चलेदुच्छलेत्कान्तसलिलं सलीलम्, तवाकर्ण्य वीणामदीनां नदीनाम् ॥४॥
हिंदी अर्थः हे वाणी (सरस्वती)! तुम नई वीणा बजाओ। ऐसी वीणा बजाओ कि तुम्हारी तेजस्विनी वाणी को सुनकर लताओं (बेलों) के पूर्ण शांत रहने वाले फूल हिलने लगें नदियों का सुंदर जल क्रीडा (खेल) करता हुआ उछलने लगे।
शब्दार्थःसंस्कृत शब्दःहिंदी अर्थःनिनादयबजाओ (संगीत की ध्वनि उत्पन्न करो)नवीनामयेनवीन वीणा मेंवाणिवाणी (सरस्वती)वीणाम्वीणामृदुं गायमधुर गाओगीतिंगीतललित-नीति-लीनाम्सुन्दर नीति से युक्तमधुर-मञ्जरीमधुर फूलपिञ्जरी-भूत-माला:पंक्तियों के रूप मेंवसन्तेवसन्त मेंलसन्तीहशोभायमानसरसारसीलेरसाला:आम के पेड़कलापा:समूहललित-कोकिलासुन्दर कोयलकाकलीनाम्कूजन वालीवहतिबहती हैमन्दमन्दंधीरे-धीरेसनीरे समीरेहवा मेंकलिन्दात्मजायमुनासवानीरतीरेबांस से युक्त तट परनतांझुकी हुईपङ्क्तिम्पंक्तिमधुमाधवीनाम्मधुमालती कीललित-पल्लवेसुन्दर पत्तों वालीपादपेवृक्षपुष्पपुञ्जेफूलों के गुच्छमलयमारुतचन्दन की हवाउच्चुम्बितेचुम्बित (स्पर्शित)मञ्जुकुञ्जेसुन्दर बगीचेस्वनन्तीम्ध्वनि करने वालीततिम्पंक्तिमलिनाम्काले रंग कीअलीनाम्भौंरों कीलतानांलताओं कीनितान्तंपूर्णतःसुमंफूलशान्तिशीलम्शांत स्वभाव वालेचलेद्चलने लगेंउच्चलेत्उछलने लगेकान्तसलिलंसुन्दर जलसलीलम्क्रीडा युक्ततवाकर्ण्यतुम्हें सुनकरवीणाम्वीणाअदीनाम्नदियों का