03. गोदोहन्म् – Summary         

यह नाटयांश कृष्णचंद्र त्रिपाठी महोदय द्वारा रचित ‘चतुर्म्यहम्’ पुस्तक से सम्पादित करके लिया गया है। इस नाटक में ऐसे व्यक्ति की कथा है जो धनी और सुखी होने की इच्छा से प्रेरित होकर एक महीने के लिए गाय का दूध निकालना बंद कर देता है ताकि गाय के शरीर में इकट्ठा पर्याप्त दूध एक ही बार में बेचकर सम्पत्ति कमाने में समर्थ हो सके।

परन्तु मास के अन्त में जब वह दूध दुहने का प्रयत्न करता है तब वह दूध की बूंद भी प्राप्त नहीं कर पाता है। दूध प्राप्त करने के स्थान पर वह गाय के प्रहारों द्वारा खून से लथपथ हो जाता है और जान जाता है कि प्रतिदिन का कार्य यदि मास भर के लिए इकट्ठा किया जाता है तब लाभ के स्थान पर हानि ही होती है।