3. मनुष्यता – Short Questions answer

अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न. 1. सरस्वती किसकी कथा कहती हैं?
उत्तर:
 सरस्वती उदार व्यक्ति की कथा कहती हैं।

प्रश्न. 2. उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?
उत्तर: 
उदार व्यक्ति की पहचान उसके कार्यों से हो सकती है।

प्रश्न. 3. मनुष्यता कविता के अनुसार अनर्थ क्या है?
उत्तर:
 मनुष्यता कविता के अनुसार अनर्थ एक भाई का दूसरे भाई के कष्टों का हरण न करना है।

प्रश्न. 4. मनुष्यता कविता के अनुसार मनुष्य कौन है?
उत्तर:
 मनुष्यता कविता के अनुसार मनुष्य वह है जो मनुष्य के लिए मरता है।

मनुष्यता कवि – मैथिलीशरण गुप्तलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ‘मनुष्यता’ कविता में कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा गया है और क्यों ?
अथवा
कवि ने कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है ?

उत्तर: मनुष्यता कविता में कवि ने उस मृत्यु को सुमृत्यु कहा है जो व्यक्ति के मरने के बाद भी उसके काम आती है और उसके संसार में याद रखी जाती है। जब भी उस व्यक्ति की स्मृति ताजगी से याद आती है, उसे उसकी मौत के बाद भी जीवित महसूस करने का अनुभव होता है। इसीलिए कवि ने उस मृत्यु को सुमृत्यु कहा है।

प्रश्न 2. ‘मनुष्यता’ कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि पशु-प्रवृत्ति किसे कहा गया है और मनुष्य किसे माना गया है ?
उत्तर:
 कवि के अनुसार जो मनुष्य स्वयं अपने लिए ही नहीं जीता, बल्कि समाज के लिए जीता है, वह कभी नहीं मरा करता। ऐसा मनुष्य संसार में अमर हो जाता है, स्वयं अपने लिए खाना, कमाना और जीना तो पशु का स्वभाव है। सच्चा मनुष्य वह है जो सम्पूर्ण मनुष्यता के लिए जीता और मरता है।

प्रश्न 3. कवि ने उदार व्यक्ति की क्या पहचान बताई है?
उत्तर:
 मनुष्यता कविता में कवि ने उदार व्यक्ति की पहचान स्पष्ट करते हुए कहा है कि जो मनुष्य दूसरों के प्रति दया भाव, सहानुभूति, परोपकार की भावना, करुणा भाव, समानता, दानशीलता, विवेकशीलता, धैर्य, साहस, गुणों से परिपूर्ण होता है वह व्यक्ति उदार कहलाता है। ऐसे व्यक्ति की प्रशंसा समाज के लोगों द्वारा की जाती है तथा जो यश कीर्ति द्वारा समाज में आदर पाता है।

प्रश्न 4. कवि ने किन पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए?
उत्तर:
 कवि ने निम्न पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए-
रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।

प्रश्न 5. मैथिलीशरण गुप्त ने गर्व रहित जीवन बिताने के लिए क्या तर्क दिए हैं ?
उत्तर:
 मैथिलीशरण गुप्त ने गर्व रहित जीवन बिताने के लिए तर्क देते हुए कहा है कि संसार में रहने वालों को यह समझ लेना चाहिए कि धन सपत्ति तुच्छ वस्तु है और हम सबके साथ सदैव ईश्वर है। हम अनाथ न होकर सनाथ हैं।

प्रश्न 6. ‘मनुष्य मात्र बंधु है’ से आप क्या समझते हैं ? 
उत्तर: ‘मनुष्य मात्र बंधु है’ से हम यह समझते हैं पृथ्वी पर निवास करने वाले, समस्त मानव प्राणी मनुष्य हैं जो बंधुत्व (भाई) भावना से युक्त हैं। यही सबसे बड़ा ज्ञान है। उदाहरणार्थ-संकट से ग्रस्त, आपदा से युक्त होने पर हम परिचित-अपरिचित व्यक्ति की सहायता करते हैं। यही मनुष्य मात्र के प्रति बंधुत्व भाव है।

प्रश्न 7. इतिहास में कैसे व्यक्तियों की चर्चा होती है और क्यों ? ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर: इतिहास में उन व्यक्तियों की चर्चा होती है जो इस संसार के प्राणियों के साथ एकता और आत्मीयता का भाव रखता हो। ऐसे उदार व्यक्ति की प्रशंसा उसे हमेशा सजीव बनाए रखती है। उसी की प्रशंसा चारों ओर सुनाई देती है सारा संसार भी उसी उदार व्यक्ति की पूजा करता है। उदार व्यक्ति सारे संसार में अखंडता का भाव भरता है।

प्रश्न 8. कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है ?
उत्तर:
 इस कविता में कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा दी है क्योंकि हम सभी एक ही परिवार के हैं और एक ही माँ की गोद में पले हैं। इससे हमें एक दूसरे के साथ मिलजुलकर रहना चाहिए और एक दूसरे की मदद करना चाहिए। हमें एकता की शक्ति से लगाव करना चाहिए ताकि हम दुनिया में अच्छाई फैला सकें।

प्रश्न 9. व्यक्ति को किस प्रकार का जीवन व्यतीत करना चाहिए? इस कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर: 
जीवन व्यतीत करते समय व्यक्ति को निडर और मनुष्यता से युक्त होना चाहिए। वह महापुरुषों से प्रेरणा लेकर उदार और परोपकारी व्यक्ति बनना चाहिए। वह अभिमान रहित होकर सभी मनुष्यों को अपना बंधु मानते हुए सद्कर्म करते हुए जीवन व्यतीत करना चाहिए।