Chapter 09 maiya main nahin maakhan khaayo notes
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November 6, 2024Chapter Notes: परीक्षा
परिचय
यह कहानी प्रसिद्ध लेखक प्रेमचंद द्वारा लिखी गई है, जिसमें एक रियासत के दीवान सुजानसिंह की सेवा निवृत्ति के बाद के घटनाक्रम को दर्शाया गया है। कहानी में निष्ठा, दया, और सेवा के महत्त्व को उजागर किया गया है।
कहानी का सार
जब रियासत देवगढ़ के दीवान सरदार सुजानसिंह बूढ़े हो गए, तो उन्होंने महाराज से विनय की कि वे अब राज-काज सँभालने में असमर्थ हैं और सेवानिवृत्ति चाहते हैं। महाराज ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली लेकिन शर्त रखी कि नए दीवान की खोज उन्हें ही करनी पड़ेगी। इसके लिए अखबारों में विज्ञापन दिया गया।
विज्ञापन ने पूरे देश में हलचल मचा दी और सैकड़ों उम्मीदवार देवगढ़ पहुँच गए। उम्मीदवारों के रहन-सहन और आचार-विचार की जांच की जा रही थी। सभी उम्मीदवार एक महीने तक अपना सर्वश्रेष्ठ दिखाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन सुजानसिंह के लिए एक किसान की मदद करने वाला युवक ही सच्चा उम्मीदवार साबित हुआ। उसने अपनी दया और आत्मबल से एक किसान की गाड़ी कीचड़ से निकालने में मदद की।
चुनाव के दिन राजा साहब ने दरबार में सबके सामने घोषणा की कि दीवान के पद के लिए सबसे योग्य व्यक्ति वह है जिसने साहस, आत्मबल और दया का परिचय दिया। इस प्रकार, पंडित जानकीनाथ को दीवान चुना गया।
कहानी की मुख्य घटनाएं:
दीवान सरदार सुजानसिंह की सेवा निवृत्ति की प्रार्थना।
नए दीवान के लिए विज्ञापन का प्रकाशन।
सैकड़ों उम्मीदवारों का देवगढ़ में आना।
उम्मीदवारों की जांच और रहन-सहन।
किसान की गाड़ी कीचड़ में फंसना।
एक युवक द्वारा किसान की मदद।
उम्मीदवारों का चुनाव और पंडित जानकीनाथ का चयन।
कहानी से शिक्षा
कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्चा नेतृत्व वही है जिसमें दया, साहस और आत्मबल हो। बाहरी दिखावा महत्वहीन होता है, जबकि इंसान का आचरण और व्यवहार ही उसकी वास्तविक पहचान होती है। निःस्वार्थ सेवा और परोपकार ही सच्ची मानवता है।
शब्दावली
- दीवान – राज्य का प्रमुख मंत्री
- विनय – निवेदन
- रहन-सहन – जीवन शैली
- आत्मबल – आत्मा की शक्ति
- उदारता – दानशीलता
- नसीब – भाग्य
- संकल्प – दृढ़ निश्चय
निष्कर्ष
इस कहानी का निष्कर्ष यह है कि समाज में ऐसे लोगों की आवश्यकता है जो निःस्वार्थ सेवा, दया, और साहस के साथ कार्य करें। बाहरी दिखावा और नकली आदर्शों से कुछ नहीं होता, बल्कि सच्चे आदर्शों और नैतिक मूल्यों का पालन करना ही महत्वपूर्ण है। प्रेमचंद ने इस कहानी के माध्यम से यही संदेश देने का प्रयास किया है कि दयालु और साहसी व्यक्ति ही समाज का सच्चा नेता होता है।