11.कविता का कमाल- Chapter Notes

परिचय

इस पाठ में हम एक गरीब लड़के मदन की कहानी पढ़ेंगे, जो अपनी माँ के साथ एक गाँव में रहता था। मदन को कविता लिखने का कोई अनुभव नहीं था, लेकिन वह एक कवि-सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए राजमहल जाता है। रास्ते में वह प्रकृति और अपने आसपास की चीजों से प्रेरणा लेकर एक अनोखी कविता बनाता है। यह कविता न केवल उसे पुरस्कार दिलाती है, बल्कि राजा के खजाने को चोरों से बचाने में भी मदद करती है। यह कहानी हमें सिखाती है कि साधारण चीजों से भी बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की जा सकती हैं।

प्रमुख बातें

  • मदन और उसकी माँ बहुत गरीब थे, और उनके पास कमाई का कोई साधन नहीं था।
  • मदन को उसकी माँ पैसे कमाने के लिए घर से निकलने को कहती है।
  • मदन को राजमहल में होने वाले कवि-सम्मेलन के बारे में पता चलता है, जहाँ सबसे अच्छी कविता के लिए सौ अशर्फियाँ मिलेंगी।
  • रास्ते में मदन एक कुत्ते, भैंस, चिड़िया, साँप और एक आदमी (धन्नू शाह) से प्रेरणा लेकर कविता बनाता है।
  • मदन की कविता राजमहल में सभी को हैरान करती है, और राजा को यह पहेली जैसी लगती है।
  • रात में राजा मदन की कविता को दोहराते हैं, जिससे चोर डर जाते हैं और खजाना बच जाता है।
  • मदन को उसकी कविता के लिए सोने-चाँदी से पुरस्कृत किया जाता है, और वह खुशी-खुशी गाँव लौटता है।

कहानी का सारांश

कहानी की शुरुआत एक गाँव से होती है, जहाँ मदन अपनी माँ के साथ रहता था। दोनों बहुत गरीब थे, और उनके पास कमाई का कोई साधन नहीं था। मदन दिनभर खेल-कूद में समय बिताता था, जिससे उसकी माँ परेशान होकर उसे पैसे कमाने के लिए घर से निकलने को कहती है। मदन घर से निकलता है और सोचता है कि पैसे कैसे कमाए। तभी उसे ढिंढोरा सुनाई देता है कि राजमहल में कवि-सम्मेलन हो रहा है, और सबसे अच्छी कविता सुनाने वाले को सौ अशर्फियाँ मिलेंगी। मदन इसे एक मौका समझकर राजमहल की ओर चल पड़ता है।

रास्ते में मदन को कविता लिखने का कोई अनुभव नहीं था, लेकिन वह सोचता है कि कुछ न कुछ रास्ते में सूझ जाएगा। सबसे पहले उसे एक कुत्ता दिखता है, जो जमीन खोद रहा था। मदन तुरंत बोल पड़ता है, “खुदुर-खुदुर का खोदत है?” यह पंक्ति उसे इतनी पसंद आती है कि वह इसे दोहराते हुए आगे बढ़ता है।

 फिर वह एक तालाब के पास पहुँचता है, जहाँ एक भैंस पानी पी रही थी। मदन कहता है, “सुरुर-सुरुर का पीबत है?” इसके बाद वह एक चिड़िया को पेड़ पर इधर-उधर झाँकते देखता है और बोलता है, “ताक-झाँक का खोजत है?” इन पंक्तियों को दोहराते हुए वह सोचता है, “हम जानत का ढूँढत है!”

आगे चलते हुए मदन को एक साँप रेंगता दिखता है, और वह कहता है, “सरक-सरक कहाँ भागत है? जानत हो हम देखत हैं। हमसे न बच सकत है।” अब उसकी कविता में केवल एक पंक्ति की कमी रह जाती थी। राजमहल का रास्ता पूछने के लिए वह एक आदमी से बात करता है, जो अपना नाम धन्नू शाह बताता था। मदन को यह नाम इतना पसंद आता है कि वह अपनी कविता को पूरा करता है: “धन्नू शाह, भाई धन्नू शाह!” इस तरह उसकी पूरी कविता बन जाती है।

राजमहल पहुँचकर मदन ने अपनी कविता सुनाई। सभी लोग उसकी विचित्र कविता सुनकर हैरान हो जाते हैं, लेकिन कोई यह नहीं कहता कि उन्हें कविता समझ नहीं आई, क्योंकि वे राजा के सामने मूर्ख नहीं दिखना चाहते थे। राजा को यह कविता पहेली जैसी लगती है। उसी रात, राजा अपनी छत पर खड़े होकर मदन की कविता दोहराते हैं। संयोग से उस समय कुछ चोर, जिनमें धन्नू शाह भी शामिल था, राजा के खजाने में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे थे। जब वे राजा को “खुदुर-खुदुर का खोदत है?” बोलते सुनते हैं, तो डर जाते हैं और सोचते हैं कि उन्हें देख लिया गया है।

जैसे-जैसे राजा कविता की अगली पंक्तियाँ दोहराते हैं—“सुरुर-सुरुर का पीबत है?, “ताक-झाँक का खोजत है?”, “सरक-सरक कहाँ भागत है?”—चोर और डर जाते हैं। जब राजा “धन्नू शाह, भाई धन्नू शाह!” कहते हैं, तो धन्नू शाह की साँस रुक जाती है। वह समझता है कि अब बचना मुश्किल है। वह राजा के पास जाकर माफी माँगता है और कहता है कि उन्होंने खजाना नहीं लूटा। राजा ने सिपाहियों से छानबीन करवाई और पता चलता है कि खजाना सुरक्षित है।

राजा मदन को बुलाते हैं और उसकी कविता की तारीफ करते हुए कहते हैं, “यह सब तुम्हारी कविता का कमाल है।” मदन को सोने-चाँदी से पुरस्कृत किया जाता है, और वह खुशी-खुशी अपने गाँव लौटता है। अब उसके पास अपनी और अपनी माँ की जरूरतों के लिए पर्याप्त धन था।

कहानी से शिक्षा

  • सृजनात्मकता: साधारण चीजों से भी कुछ नया बनाया जा सकता है, जैसे मदन ने अपने आसपास की चीजों से कविता रची।
  • साहस: बिना अनुभव के भी मदन ने कवि-सम्मेलन में हिस्सा लिया, जो हमें नए काम करने की हिम्मत सिखाता है।
  • प्रकृति से प्रेरणा: कुत्ते, भैंस, चिड़िया और साँप जैसी साधारण चीजों से मदन ने कविता बनाई, जो हमें प्रकृति से सीखने और रचनात्मक होने की प्रेरणा देता है।
  • ईमानदारी: चोरों का डर और धन्नू शाह का सच बोलना हमें सिखाता है कि गलत काम छिप नहीं सकता।
  • पुरस्कार: मेहनत और सृजनात्मकता का फल हमेशा मिलता है, जैसे मदन को उसकी कविता के लिए धन और सम्मान मिला।

शब्दार्थ

  • अशर्फियाँ: सोने के सिक्के जो पुराने समय में पैसे के रूप में इस्तेमाल होते थे।
  • कवि-सम्मेलन: एक कार्यक्रम जहाँ कवि अपनी कविताएँ सुनाते हैं।
  • ढिंढोरा: पुराने समय में गाँव में खबर फैलाने के लिए ड्रम बजाकर की जाने वाली घोषणा।
  • खुदुर-खुदुर: कुत्ते के जमीन खोदने की आवाज।
  • सुरुर-सुरुर: पानी पीने की आवाज।
  • ताक-झाँक: इधर-उधर देखना या छिपकर झाँकना।
  • सरक-सरक: साँप के रेंगने की आवाज।
  • धन्नू शाह: एक व्यक्ति का नाम, जिसे मदन ने अपनी कविता में शामिल किया।
  • पहेली: एक ऐसी बात या कविता जो समझने में मुश्किल हो।
  • खजाना: राजा का धन और कीमती चीजों का भंडार।
  • चौकन्ना: सतर्क या जागरूक।
  • निश्चिंत: बिना चिंता के, निश्चित।
  • हक्के-बक्के: बहुत हैरान या स्तब्ध।
  • मालामाल: बहुत धनवान या समृद्ध।