13.हमारा आदित्य- Chapter Notes

परिचय

इस पाठ में हम सूर्य के बारे में एक रोचक कक्षा की बातचीत पढ़ेंगे। यह बातचीत एक अध्यापक और चौथी कक्षा के विद्यार्थियों के बीच होती है। बच्चे सूर्य के बारे में अपनी-अपनी बातें बताते हैं, और अध्यापक उन्हें सूर्य के वैज्ञानिक रहस्य समझाते हैं। इस अध्याय में हम भारत के अंतरिक्ष यान आदित्य-एल 1 के बारे में भी जानेंगे, जो सूर्य का अध्ययन करता है। यह कहानी हमें सूर्य की खासियत और वैज्ञानिक खोजों के बारे में सिखाती है।

प्रमुख बातें

  • सूर्य एक तारा है, जो बहुत गरम है और हाइड्रोजन व हीलियम गैसों से बना है।
  • बच्चे सूर्य को अलग-अलग तरह से देखते हैं, जैसे आग का गोला, ग्रह, या सात घोड़ों का रथ।
  • सूर्य पृथ्वी से बहुत दूर है, फिर भी यह हमें गर्मी और रोशनी देता है।
  • भारत के वैज्ञानिकों ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य-एल 1 अंतरिक्ष यान बनाया।
  • आदित्य-एल 1 सूर्य के चित्र लेता है और उसके रहस्यों को जानने में मदद करता है।
  • यह यान लगरांज 1 (एल 1) बिंदु पर है, जहाँ सूर्य और पृथ्वी की शक्तियाँ संतुलित होती हैं।
  • सूर्य पर गैसों की टक्कर से विस्फोट और ऊर्जा निकलती है, जिसका असर पृथ्वी पर पड़ता है।
  • बच्चे सूर्य के चित्र देखकर उत्साहित होते हैं और वैज्ञानिक बनने का सपना देखते हैं।

कहानी का सारांश

कहानी की शुरुआत एक कक्षा से होती है, जहाँ अध्यापक बच्चों से सूर्य के बारे में बात करते हैं। बच्चे सूर्य को अलग-अलग तरह से समझते हैं। वाणी कहती है कि सूर्य सात घोड़ों के रथ पर आकाश में यात्रा करता है। गौरव भी कुछ ऐसा ही कहता है। राहुल कहता है कि सूर्य आग का गोला है, सुमन उसे ग्रह मानती है, और रवि बताता है कि यह एक तारा है, और वही सही निकलता है। अध्यापक बच्चों को समझाते हैं कि सूर्य एक तारा है, जो हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का बहुत गरम गोला है। इसे लोग आग का गोला भी कहते हैं, क्योंकि यह बहुत गर्म होता है।

बच्चे आश्चर्य करते हैं कि सूर्य इतना दूर होने पर भी इतनी गर्मी कैसे देता है। ज्योति कहती है कि सर्दियों में सूर्य की गर्मी अच्छी लगती है, लेकिन भास्कर को गर्मी के मौसम में सूर्य पसंद नहीं आता। सुमन कहती है कि उसकी नानी को ठंड लगती है, इसलिए वे धूप में बैठती हैं। अध्यापक बच्चों से पूछते हैं कि सूर्य इतना गरम क्यों है। दिनेश कहता है कि सूर्य पर आग जलती रहती है। रवि पूछता है कि वह आग किसने जलाई होगी। धरा बताती है कि सूर्य की गर्मी आग से नहीं, बल्कि गरम गैसों से आती है। अध्यापक बताते हैं कि सूर्य हाइड्रोजन और हीलियम गैसों से बना है।

साहिल को इन गैसों के नाम बोलने में मज़ा आता है, और वह हँसते हुए “हाई… ड्रजन… हेलम…” कहता है। रवि पूछता है कि क्या हम चाँद की तरह सूर्य पर जा सकते हैं। सुमन कहती है कि वहाँ कोई नहीं जा सकता, क्योंकि वहाँ जाने वाला जल जाएगा। दिनेश कहता है कि सूर्य की गर्मी ही उसे चमकदार बनाती है। अध्यापक समझाते हैं कि सूर्य बहुत दूर है और वहाँ पहुँचना आसान नहीं है। सूर्य के भीतर हर समय गैसें टकराती रहती हैं, जिससे आग जैसी ऊर्जा निकलती रहती है। सूर्य के रहस्यों को जानने के लिए भारत के वैज्ञानिकों ने आदित्य-एल 1 नाम का एक अंतरिक्ष यान भेजा है।

बच्चे उत्साह से “आदित्य-एल 1” का नाम दोहराते हैं। भास्कर पूछता है कि यह क्या है। अध्यापक मुस्कुराते हुए बताते हैं कि आदित्य का मतलब सूर्य है, और कक्षा में भास्कर, दिनेश और रवि भी “आदित्य” हैं, क्योंकि ये सूर्य के अन्य नाम हैं। अध्यापक बताते हैं कि आदित्य-एल 1 एक अंतरिक्ष यान है, जो सूर्य के बारे में जानकारी इकट्ठा करता है — जैसे सूर्य का तापमान, उसकी ऊर्जा का प्रभाव, और पृथ्वी पर उसका असर। पूरवा पूछती है कि क्या यह यान सूर्य पर पहुँच गया है। अध्यापक बताते हैं कि यह सूर्य पर नहीं गया, बल्कि सूर्य से सुरक्षित दूरी पर रुककर चित्र भेजता है। सुमन पूछती है कि इतनी गर्मी में यह जलता क्यों नहीं। अध्यापक बताते हैं कि यान एक सुरक्षित दूरी पर है, इसलिए उसे नुकसान नहीं होता।

भास्कर कहता है कि यह यान कमाल का है, जो इतने गरम सूर्य के चित्र लेता है। ज्योति पूछती है कि “एल 1” का क्या मतलब है। अध्यापक बताते हैं कि “एल 1” यानी लगरांज 1 — एक खास जगह, जहाँ सूर्य और पृथ्वी की गुरुत्व शक्तियाँ संतुलन में होती हैं। यहाँ आदित्य-एल 1 सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हुए चित्र लेता है। दीपक पूछता है कि “लगरांज” क्या है। अध्यापक बताते हैं कि लगरांज 18वीं सदी के एक इतालवी गणितज्ञ थे, जिन्होंने ऐसे पाँच खास बिंदुओं की खोज की, जिन्हें एल 1, एल 2, एल 3, एल 4 और एल 5 कहते हैं।

सुमन पूछती है कि आदित्य-एल 1 को कब भेजा गया था। अध्यापक बताते हैं कि इसे 2 सितंबर 2023 को इसरो ने लॉन्च किया था। यह यान पाँच साल तक सूर्य के चित्र लेगा और उसके रहस्यों को उजागर करेगा। दीपक कहता है कि उसे सूर्य के चित्र देखने की उत्सुकता है। बाकी बच्चे भी कहते हैं कि उन्होंने कभी सूर्य का चित्र नहीं देखा। रफत मज़ाक में कहता है कि उसने चाँद, पृथ्वी और अपने बचपन के चित्र तो देखे हैं, लेकिन सूर्य का नहीं। दिनेश बताता है कि उसके पिताजी ने कहा है कि सूर्य को सीधे नहीं देखना चाहिए।

अध्यापक बताते हैं कि सूर्य को सीधे देखना आँखों के लिए हानिकारक है, लेकिन आदित्य-एल 1 ने सूर्य के ग्यारह रंगों के सुंदर चित्र भेजे हैं। वे टैब या मोबाइल पर ये चित्र बच्चों को दिखाते हैं। सिल्विया कहती है कि ये चित्र अद्भुत हैं और यान का काम चमत्कार जैसा है। वह पूछती है कि चित्र लेने के अलावा यान और क्या करता है। अध्यापक बताते हैं कि सूर्य पर गैसों की टक्कर से बड़े विस्फोट होते हैं, जिनसे ऊर्जा निकलती है। ये विस्फोट सूर्य पर आँधियों की तरह होते हैं, और आदित्य-एल 1 इनका पृथ्वी पर क्या असर पड़ता है, यह समझने में मदद करता है।

बच्चे इस यंत्र की तारीफ़ करते हैं। दीपक कहता है कि उसे ये बातें सुनकर बहुत मज़ा आ रहा है, और वह बड़ा होकर अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनेगा। सुमन भी वैज्ञानिक बनने का सपना देखती है और कहती है कि वह ऐसा यान बनाएगी, जिसमें बैठकर सूर्य को करीब से देख सके। बाकी बच्चे भी यही कहते हैं। अध्यापक बच्चों की मेधा की सराहना करते हैं और हँसते हुए कहते हैं कि जब वे अपना अंतरिक्ष यान बनाएँ, तो उन्हें भी उसमें ज़रूर ले जाएँ।

कहानी से शिक्षा

  • जिज्ञासा: हमें नई चीजें जानने की उत्सुकता रखनी चाहिए, जैसे बच्चों ने सूर्य और आदित्य-एल 1 के बारे में सवाल पूछे।
  • वैज्ञानिक सोच: सूर्य जैसे रहस्यों को समझने के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाने चाहिए।
  • सपने: बड़े सपने देखने चाहिए, जैसे बच्चे अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनना चाहते हैं।
  • टीम वर्क: आदित्य-एल 1 को वैज्ञानिकों ने मिलकर बनाया, जो हमें एकजुट होकर बड़े लक्ष्य हासिल करने की प्रेरणा देता है।
  • सुरक्षा: सूर्य को सीधे देखना आँखों के लिए हानिकारक है, इसलिए वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग करना चाहिए।

शब्दार्थ

  • सूर्य: एक तारा जो गर्मी और रोशनी देता है।
  • तारा: आकाश में चमकने वाला बड़ा गोला, जो अपनी रोशनी देता है।
  • हाइड्रोजन: एक गैस जो सूर्य का मुख्य हिस्सा है।
  • हीलियम: एक गैस जो सूर्य में पाई जाती है।
  • आदित्य: सूर्य का दूसरा नाम।
  • लगरांज: एक खास जगह जहाँ सूर्य और पृथ्वी की शक्तियाँ संतुलित होती हैं।
  • अंतरिक्ष यान: एक मशीन जो अंतरिक्ष में जाती है।
  • विस्फोट: गैसों की टक्कर से होने वाला बड़ा धमाका।
  • ऊर्जा: शक्ति जो सूर्य से निकलती है।
  • इसरो: भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन।
  • कौतूहल: उत्सुकता या जानने की इच्छा।
  • प्रक्षेपण: अंतरिक्ष में यान भेजने की प्रक्रिया।
  • अनन्य: अनोखा या अद्वितीय।
  • मेधावी: बहुत बुद्धिमान या प्रतिभाशाली।

12.शतरंज में मात- Chapter Notes

परिचय

इस पाठ में हम तेनालीरामन की एक मजेदार और चतुराई भरी कहानी पढ़ेंगे। तेनालीरामन विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में विदूषक और सलाहकार थे। वे अपनी तेज बुद्धि और हास्य के लिए मशहूर थे। इस कहानी में, दरबारी तेनालीरामन से जलन के कारण उन्हें नीचा दिखाने की योजना बनाते हैं। वे राजा को यह विश्वास दिलाते हैं कि तेनालीरामन शतरंज का शानदार खिलाड़ी है, जबकि तेनालीरामन को शतरंज का कोई ज्ञान नहीं होता। फिर भी, तेनालीरामन अपनी चतुराई से न केवल स्वयं को अपमान से बचाते हैं, बल्कि राजा को प्रसन्न भी करते हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि बुद्धि और हास्य से मुश्किल स्थिति को भी हल किया जा सकता है।

प्रमुख बातें

  • तेनालीरामन विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में विदूषक और सलाहकार हैं।
  • दरबारी तेनालीरामन से जलते हैं, क्योंकि राजा उनकी बहुत तारीफ करते हैं।
  • दरबारी तेनालीरामन को नीचा दिखाने के लिए झूठ बोलते हैं कि तेनालीरामन शतरंज के माहिर खिलाड़ी हैं।
  • तेनालीरामन को शतरंज का कोई ज्ञान नहीं है, लेकिन राजा उनसे शतरंज खेलने की जिद करते हैं।
  • खेल के दौरान तेनालीरामन गलत चालें चलते हैं, जिससे राजा क्रोधित होकर उनका सिर मुंडवाने का दंड देते हैं।
  • तेनालीरामन अपनी चतुराई से सिर मुंडवाने से बच जाते हैं और पाँच हजार अशर्फियाँ भी प्राप्त करते हैं।
  • अंत में, राजा तेनालीरामन की बुद्धि से प्रसन्न होकर दंड वापस ले लेते हैं।

मुख्य पात्र

  • तेनालीरामन: चतुर, शांत और बुद्धिमान दरबारी।
  • राजा कृष्णदेव राय: न्यायप्रिय लेकिन कभी-कभी भावुक हो जाते हैं।
  • दरबारीगण: ईर्ष्यालु, तेनाली से जलते हैं और उसे फँसाने की योजना बनाते हैं।
  • सेवक और नाई: छोटे पात्र जो आदेशों का पालन करते हैं।

कहानी का सारांश

पहला दृश्य: दरबार में साजिश

कहानी की शुरुआत विजयनगर राज्य के राजा कृष्णदेव राय के दरबार से होती है। उस दिन तेनालीरामन दरबार में नहीं आए होते। राजा के कुछ दरबारी, जो तेनालीरामन से जलते थे क्योंकि राजा उन्हें बहुत पसंद करते थे, इस बात का फायदा उठाते हैं।

वे तेनालीरामन की बुराई करते हैं और राजा से झूठ बोलते हैं कि तेनालीरामन बहुत अच्छे शतरंज खिलाड़ी हैं, लेकिन वे यह बात इसलिए छिपाते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि राजा उन्हें हरा न दें।

राजा को यह सुनकर हैरानी होती है और वे सोचते हैं कि तेनालीरामन से शतरंज खेलना अच्छा मनोरंजन और एक मजेदार चुनौती होगी। दरबारी बहुत खुश होते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अब तेनालीरामन दरबार में सबके सामने शर्मिंदा होंगे।

दूसरा दृश्य: शतरंज का खेल

राजा जब तेनालीरामन को दरबार में बुलाते हैं, तो उनसे पूछते हैं कि उन्होंने अपनी शतरंज की कला क्यों छिपाई। तेनालीरामन विनम्रतापूर्वक कहते हैं कि उन्हें शतरंज खेलना ही नहीं आता, लेकिन राजा उनकी बात पर विश्वास नहीं करते। दरबारी भी राजा का साथ देते हुए तेनालीरामन को खेल खेलने के लिए मजबूर करते हैं।

खेल आरंभ होता है। तेनालीरामन शतरंज की चादर (बिसात) पर गलत चालें चलते हैं — कभी प्यादे को सीधा राजा के सामने कर देते हैं, कभी घोड़े को बेमतलब घुमाते हैं, तो कभी मंत्री को व्यर्थ में बलिदान कर देते हैं। राजा को लगता है कि तेनाली जानबूझकर हार रहे हैं, जिससे वे बहुत क्रोधित हो जाते हैं। दरबारी भी तेनाली का मजाक उड़ाते हैं।

आखिरकार, तेनाली की गलत चालों की वजह से उनका “राजा” मोहरा पकड़ लिया जाता है और खेल खत्म हो जाता है। राजा को लगता है कि तेनाली ने उनका अपमान किया है, इसलिए वे गुस्से में आकर शतरंज की बिसात उलट देते हैं और तेनालीरामन को आदेश देते हैं कि अगली सुबह दरबार में उनके सिर के बाल मुंडवा दिए जाएँ।

तीसरा दृश्य: तेनालीरामन की चतुराई

अगले दिन दरबार में तेनालीरामन को सिर मुंडवाने के लिए बुलाया जाता है। नाई भी तैयार होता है। लेकिन तेनालीरामन अपनी बुद्धिमानी का प्रदर्शन करते हुए एक नहीं, बल्कि दो चालें चलते हैं:

  • पहली चाल: तेनालीरामन कहते हैं कि उन्होंने अपने बालों पर पाँच अशर्फियाँ (सिक्के) उधार लिए हैं। जब तक वे यह कर्ज नहीं चुकाते, तब तक वे बाल नहीं कटवा सकते। राजा बिना ज्यादा सोचे समझे कोषागार (राजकोष) से पाँच हजार अशर्फियाँ तेनालीरामन को देने का आदेश दे देते हैं।
  • दूसरी चाल: जैसे ही नाई उस्तरा लेकर आगे बढ़ता है, तेनालीरामन मंत्र पढ़ने लगते हैं और कहते हैं कि उनके घर में परंपरा है कि सिर तभी मुंडवाया जाता है जब माता-पिता इस दुनिया से चले जाते हैं। वे राजा से कहते हैं कि वे उन्हें माता-पिता जैसा मानते हैं। इसलिए अगर राजा उनके सिर के बाल कटवाएँगे, तो यह बहुत अपशगुन (बुरा संकेत) होगा।

राजा यह सुनकर डर जाते हैं और सिर मुंडवाने का आदेश तुरंत रद्द कर देते हैं। वे तेनालीरामन की इस अनोखी बुद्धिमत्ता और विनम्रता से बहुत प्रभावित होते हैं। राजा तेनालीरामन की बुद्धिमत्ता से प्रसन्न होकर उन्हें सम्मानित करते हैं।

अंतिम दृश्य: दरबारियों की हार

तेनालीरामन न केवल अपमान से बच जाते हैं, बल्कि पाँच हजार अशर्फियाँ भी हासिल कर लेते हैं। दूसरी ओर, षड्यंत्र रचने वाले दरबारी अपना सिर पीटते हैं और तेनाली की चतुराई की तारीफ करने पर मजबूर हो जाते हैं।

कहानी से शिक्षा

  • चतुराई: मुश्किल स्थिति में भी चतुराई से काम लेने से रास्ता निकल सकता है, जैसे तेनालीरामन ने अपनी बुद्धि से अपमान से बचा।
  • साहस: तेनालीरामन ने शतरंज न जानते हुए भी हार नहीं मानी और अंत तक कोशिश की।
  • हास्य: हास्य और हल्के-फुल्के अंदाज से बड़ी समस्याएँ भी हल हो सकती हैं।
  • ईमानदारी: तेनालीरामन ने सच कहा कि उन्हें शतरंज नहीं आता, जो उनकी सच्चाई दिखाता है।
  • सम्मान: दूसरों की जलन को नजरअंदाज कर अपनी मेहनत और बुद्धि से सम्मान कमाया जा सकता है।

शब्दार्थ

  • विदूषक: दरबार में हास्य और मनोरंजन करने वाला व्यक्ति।
  • परामर्शदाता: सलाह देने वाला व्यक्ति।
  • कुशाग्र बुद्धि: बहुत तेज दिमाग।
  • दरबारी: राजा के दरबार में काम करने वाले लोग।
  • प्रशंसा: किसी की तारीफ करना।
  • युक्ति: समस्या सुलझाने के लिए अपनाया गया उपाय या चाल।
  • शतरंज: एक बुद्धि वाला खेल, जिसमें दो खिलाड़ी मोहरों को चलते हैं।
  • माहिर: किसी काम में बहुत कुशल।
  • मात: शतरंज में हारना।
  • अशर्फियाँ: पुराने समय में उपयोग में आने वाले सोने के सिक्के।
  • मुंडन: सिर के बाल कटवाना।
  • विपत्ति: मुसीबत या परेशानी।
  • दीर्घायु: लंबी उम्र।
  • घाघ: अधिकतर नकारात्मक अर्थ में प्रयोग होता है, इसलिए “चालाक” कहना बेहतर होगा।
  • अनाड़ी: जिसे किसी काम का अनुभव या ज्ञान न हो।
  • दाँव: खेल में चाल या रणनीति।
  • ढोंग: दिखावा या बनावटी व्यवहार।

11.कविता का कमाल- Chapter Notes

परिचय

इस पाठ में हम एक गरीब लड़के मदन की कहानी पढ़ेंगे, जो अपनी माँ के साथ एक गाँव में रहता था। मदन को कविता लिखने का कोई अनुभव नहीं था, लेकिन वह एक कवि-सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए राजमहल जाता है। रास्ते में वह प्रकृति और अपने आसपास की चीजों से प्रेरणा लेकर एक अनोखी कविता बनाता है। यह कविता न केवल उसे पुरस्कार दिलाती है, बल्कि राजा के खजाने को चोरों से बचाने में भी मदद करती है। यह कहानी हमें सिखाती है कि साधारण चीजों से भी बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की जा सकती हैं।

प्रमुख बातें

  • मदन और उसकी माँ बहुत गरीब थे, और उनके पास कमाई का कोई साधन नहीं था।
  • मदन को उसकी माँ पैसे कमाने के लिए घर से निकलने को कहती है।
  • मदन को राजमहल में होने वाले कवि-सम्मेलन के बारे में पता चलता है, जहाँ सबसे अच्छी कविता के लिए सौ अशर्फियाँ मिलेंगी।
  • रास्ते में मदन एक कुत्ते, भैंस, चिड़िया, साँप और एक आदमी (धन्नू शाह) से प्रेरणा लेकर कविता बनाता है।
  • मदन की कविता राजमहल में सभी को हैरान करती है, और राजा को यह पहेली जैसी लगती है।
  • रात में राजा मदन की कविता को दोहराते हैं, जिससे चोर डर जाते हैं और खजाना बच जाता है।
  • मदन को उसकी कविता के लिए सोने-चाँदी से पुरस्कृत किया जाता है, और वह खुशी-खुशी गाँव लौटता है।

कहानी का सारांश

कहानी की शुरुआत एक गाँव से होती है, जहाँ मदन अपनी माँ के साथ रहता था। दोनों बहुत गरीब थे, और उनके पास कमाई का कोई साधन नहीं था। मदन दिनभर खेल-कूद में समय बिताता था, जिससे उसकी माँ परेशान होकर उसे पैसे कमाने के लिए घर से निकलने को कहती है। मदन घर से निकलता है और सोचता है कि पैसे कैसे कमाए। तभी उसे ढिंढोरा सुनाई देता है कि राजमहल में कवि-सम्मेलन हो रहा है, और सबसे अच्छी कविता सुनाने वाले को सौ अशर्फियाँ मिलेंगी। मदन इसे एक मौका समझकर राजमहल की ओर चल पड़ता है।

रास्ते में मदन को कविता लिखने का कोई अनुभव नहीं था, लेकिन वह सोचता है कि कुछ न कुछ रास्ते में सूझ जाएगा। सबसे पहले उसे एक कुत्ता दिखता है, जो जमीन खोद रहा था। मदन तुरंत बोल पड़ता है, “खुदुर-खुदुर का खोदत है?” यह पंक्ति उसे इतनी पसंद आती है कि वह इसे दोहराते हुए आगे बढ़ता है।

 फिर वह एक तालाब के पास पहुँचता है, जहाँ एक भैंस पानी पी रही थी। मदन कहता है, “सुरुर-सुरुर का पीबत है?” इसके बाद वह एक चिड़िया को पेड़ पर इधर-उधर झाँकते देखता है और बोलता है, “ताक-झाँक का खोजत है?” इन पंक्तियों को दोहराते हुए वह सोचता है, “हम जानत का ढूँढत है!”

आगे चलते हुए मदन को एक साँप रेंगता दिखता है, और वह कहता है, “सरक-सरक कहाँ भागत है? जानत हो हम देखत हैं। हमसे न बच सकत है।” अब उसकी कविता में केवल एक पंक्ति की कमी रह जाती थी। राजमहल का रास्ता पूछने के लिए वह एक आदमी से बात करता है, जो अपना नाम धन्नू शाह बताता था। मदन को यह नाम इतना पसंद आता है कि वह अपनी कविता को पूरा करता है: “धन्नू शाह, भाई धन्नू शाह!” इस तरह उसकी पूरी कविता बन जाती है।

राजमहल पहुँचकर मदन ने अपनी कविता सुनाई। सभी लोग उसकी विचित्र कविता सुनकर हैरान हो जाते हैं, लेकिन कोई यह नहीं कहता कि उन्हें कविता समझ नहीं आई, क्योंकि वे राजा के सामने मूर्ख नहीं दिखना चाहते थे। राजा को यह कविता पहेली जैसी लगती है। उसी रात, राजा अपनी छत पर खड़े होकर मदन की कविता दोहराते हैं। संयोग से उस समय कुछ चोर, जिनमें धन्नू शाह भी शामिल था, राजा के खजाने में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे थे। जब वे राजा को “खुदुर-खुदुर का खोदत है?” बोलते सुनते हैं, तो डर जाते हैं और सोचते हैं कि उन्हें देख लिया गया है।

जैसे-जैसे राजा कविता की अगली पंक्तियाँ दोहराते हैं—“सुरुर-सुरुर का पीबत है?, “ताक-झाँक का खोजत है?”, “सरक-सरक कहाँ भागत है?”—चोर और डर जाते हैं। जब राजा “धन्नू शाह, भाई धन्नू शाह!” कहते हैं, तो धन्नू शाह की साँस रुक जाती है। वह समझता है कि अब बचना मुश्किल है। वह राजा के पास जाकर माफी माँगता है और कहता है कि उन्होंने खजाना नहीं लूटा। राजा ने सिपाहियों से छानबीन करवाई और पता चलता है कि खजाना सुरक्षित है।

राजा मदन को बुलाते हैं और उसकी कविता की तारीफ करते हुए कहते हैं, “यह सब तुम्हारी कविता का कमाल है।” मदन को सोने-चाँदी से पुरस्कृत किया जाता है, और वह खुशी-खुशी अपने गाँव लौटता है। अब उसके पास अपनी और अपनी माँ की जरूरतों के लिए पर्याप्त धन था।

कहानी से शिक्षा

  • सृजनात्मकता: साधारण चीजों से भी कुछ नया बनाया जा सकता है, जैसे मदन ने अपने आसपास की चीजों से कविता रची।
  • साहस: बिना अनुभव के भी मदन ने कवि-सम्मेलन में हिस्सा लिया, जो हमें नए काम करने की हिम्मत सिखाता है।
  • प्रकृति से प्रेरणा: कुत्ते, भैंस, चिड़िया और साँप जैसी साधारण चीजों से मदन ने कविता बनाई, जो हमें प्रकृति से सीखने और रचनात्मक होने की प्रेरणा देता है।
  • ईमानदारी: चोरों का डर और धन्नू शाह का सच बोलना हमें सिखाता है कि गलत काम छिप नहीं सकता।
  • पुरस्कार: मेहनत और सृजनात्मकता का फल हमेशा मिलता है, जैसे मदन को उसकी कविता के लिए धन और सम्मान मिला।

शब्दार्थ

  • अशर्फियाँ: सोने के सिक्के जो पुराने समय में पैसे के रूप में इस्तेमाल होते थे।
  • कवि-सम्मेलन: एक कार्यक्रम जहाँ कवि अपनी कविताएँ सुनाते हैं।
  • ढिंढोरा: पुराने समय में गाँव में खबर फैलाने के लिए ड्रम बजाकर की जाने वाली घोषणा।
  • खुदुर-खुदुर: कुत्ते के जमीन खोदने की आवाज।
  • सुरुर-सुरुर: पानी पीने की आवाज।
  • ताक-झाँक: इधर-उधर देखना या छिपकर झाँकना।
  • सरक-सरक: साँप के रेंगने की आवाज।
  • धन्नू शाह: एक व्यक्ति का नाम, जिसे मदन ने अपनी कविता में शामिल किया।
  • पहेली: एक ऐसी बात या कविता जो समझने में मुश्किल हो।
  • खजाना: राजा का धन और कीमती चीजों का भंडार।
  • चौकन्ना: सतर्क या जागरूक।
  • निश्चिंत: बिना चिंता के, निश्चित।
  • हक्के-बक्के: बहुत हैरान या स्तब्ध।
  • मालामाल: बहुत धनवान या समृद्ध।

10.कैमरा- Chapter Notes

परिचय

इस कविता ‘कैमरा’ के रचयिता प्रकाश मनु जी हैं। यह कविता हमें कैमरे के बारे में मजेदार तरीके से बताती है। कविता में छोटू और उसके चाचा की बातचीत के जरिए कैमरे की खासियतें समझाई गई हैं। यह हमें सिखाता है कि कैमरा हमारी जिंदगी के पल को कैसे खूबसूरत तस्वीरों में बदल देता है।

कविता की व्याख्यापहला प्रसंग

नया कैमरा चाचा लाए, 
दरवाजे से ही चिल्लाए–
कहाँ गया, जल्दी आ छोटू, 
बैठ यहाँ, खींचूँगा फोटू!

व्याख्या: चाचा एक नया कैमरा लाते हैं और दरवाज़े से ही खुशी-खुशी छोटू को बुलाते हैं। वे छोटू की फोटो खींचना चाहते हैं। इससे पता चलता है कि कैमरा लोगों को उत्साहित करने वाली मज़ेदार चीज़ है।

दूसरा प्रसंग

मैं बोला – यह क्या है चक्कर, 
छिपा हुआ क्या इसमें पेंटर?
चित्र बनाता बिलकुल वैसा,
मोटा-पतला जो है जैसा।

व्याख्या: छोटू को समझ नहीं आता कि कैमरा कैसे काम करता है। उसे लगता है कि इसमें कोई चित्र बनाने वाला पेंटर छिपा है। यह दिखाता है कि बच्चे नई चीज़ों को अपनी कल्पना से समझते हैं।

तीसरा प्रसंग

हँसकर बोले चाचा – छोटू, 
वही रहा बुद्धू का बुद्धू!
है प्रकाश-छाया का खेल, 
बना उसी से सुंदर मेल।

व्याख्या: चाचा हँसते हुए छोटू को समझाते हैं कि कैमरा कोई जादू नहीं है। यह रोशनी और छाया का उपयोग करके तस्वीरें बनाता है, जो एक सुंदर मेल से तैयार होती हैं।

चौथा प्रसंग

कागज पर आ जाता रूप, 
मन कह उठता – क्या ही खूब!
फूलों की सुंदर फुलवारी, 
हँसती खिल-खिल क्यारी-क्यारी।

व्याख्या: कैमरा किसी भी चीज़ की तस्वीर कागज़ पर उतार देता है। फूलों की बगिया की तस्वीर इतनी सुंदर लगती है कि मानो असली हो। इससे पता चलता है कि कैमरा प्रकृति की सुंदरता को पकड़ सकता है।

पाँचवाँ प्रसंग

कोयल, कौआ या गौरैया, 
दादी, अम्मा, बड़के भैया।
क्लिक करते ही खिंच आएँगे, 
अपनी छाप दिखा जाएँगे।

व्याख्या: कैमरा पक्षियों, दादी, अम्मा और भैया जैसे हर किसी की तस्वीर एक क्लिक में खींच सकता है। यह दिखाता है कि कैमरा हमारे हर पल को यादगार बना सकता है।

छठा प्रसंग

खोटा-खरा जहाँ भी जैसा, 
चित्र आएगा बिलकुल वैसा।
चाहे कह लो इसको नकली, 
मात करेगा लेकिन असली।

व्याख्या: कैमरा जो देखता है, वैसी ही तस्वीर बनाता है, चाहे वह अच्छा हो या बुरा। तस्वीर नकली होती है, लेकिन इतनी सच्ची लगती है कि असली जैसी दिखती है।

सातवाँ प्रसंग

जैसी शक्ल, हू-ब-हू चित्र, 
समझो इसको अपना मित्र!

व्याख्या: कैमरा बिलकुल वैसी तस्वीर बनाता है, जैसा कोई दिखता है। कवि कहते हैं कि कैमरा हमारा दोस्त है, जो हमारे खास पलों को संभालकर रखता है।

कविता से शिक्षा

  • यादों का दोस्त: कैमरा हमारे खास पलों को तस्वीरों में संजोकर रखता है, जैसे एक सच्चा दोस्त।
  • प्रकृति की सुंदरता: कैमरा हमें फूलों, पक्षियों, और प्रकृति की सुंदरता को करीब से देखने का मौका देता है।
  • नई चीजें सीखना: छोटू की तरह हमें नई चीजों के बारे में जानने और समझने की कोशिश करनी चाहिए।
  • सच्चाई: कैमरा जैसा देखता है, वैसा ही दिखाता है। हमें भी अपने काम और व्यवहार में सच्चे रहना चाहिए।

शब्दार्थ

  • कैमरा: एक यंत्र, जो तस्वीरें खींचता है।
  • फोटू: तस्वीर।
  • चक्कर: रहस्य या बात।
  • पेंटर: चित्रकार।
  • प्रकाश-छाया: रोशनी और अंधेरा।
  • रूप: आकार या शक्ल।
  • फुलवारी: फूलों का बगीचा।
  • क्यारी: बगीचे में फूलों या पौधों के लिए बनाई गई छोटी जमीन की पट्टी।
  • गौरैया: एक छोटा पक्षी।
  • खोटा-खरा: अच्छा या बुरा।
  • हू-ब-हू: बिलकुल वैसा ही, जैसे कोई चीज या व्यक्ति दिखता है; एकदम सटीक नकल।
  • खिल-खिल: हँसने या जीवंत होने की आवाज़ या भाव।
  • छाप: तस्वीर या प्रभाव।
  • मात करना: किसी को हराना या उससे बेहतर करना।

09.मिठाइयों का सम्मेलन- Chapter Notes

परिचय

इस पाठ में हम एक मजेदार कहानी पढ़ेंगे, जिसमें मिठाइयाँ एक सम्मेलन करती हैं। यह कहानी हमें बताती है कि मिठाइयाँ कितनी खास हैं, लेकिन हमें इन्हें ज्यादा नहीं खाना चाहिए। कहानी में मिठाइयाँ आपस में बात करती हैं और अपने बारे में सोचती हैं। यह हमें सिखाता है कि हर चीज को संतुलन में रखना जरूरी है।

प्रमुख बातें

  • छगनलाल हलवाई अपनी दुकान बंद करके घर चले जाते हैं।
  • दुकान में मिठाइयाँ एक सम्मेलन करती हैं और लड्डू दादा को अध्यक्ष बनाती हैं।
  • सम्मेलन में इमरती जी, पेड़ा, बरफ़ी बहन, रसगुल्ला, जलेबी बहन, रबड़ी जी, गुलाबजामुन, मैसूरपाक, रस मलाई, सोनपापड़ी, बालूसाही, कलाकंद भाई, गुझिया, काजू कतली और शक्करपारा शामिल हैं।
  • कलाकंद भाई बताते हैं कि डॉक्टर कुछ लोगों को मिठाइयाँ खाने से मना करते हैं।
  • रसगुल्ला कहता है कि ज्यादा मिठास की वजह से लोग मिठाइयों को कम पसंद करने लगे हैं।
  • गुझिया बताती है कि कुछ लोगों के शरीर में शक्कर की मात्रा बढ़ रही है।
  • रबड़ी जी कहती हैं, “जहाँ अति होती है, वहाँ क्षति होती है,” यानी ज्यादा मिठाई खाने से नुकसान होता है।
  • लड्डू दादा सुझाव देते हैं कि मिठाइयों में शक्कर कम करनी चाहिए और लोगों को अपनी जीभ पर नियंत्रण रखना चाहिए।
  • सम्मेलन यह निर्णय लेता है कि लोग मिठाइयाँ खाएँ, लेकिन ज्यादा नहीं, और शारीरिक श्रम करके स्वस्थ रहें।

कहानी का सारांश

कहानी शुरू होती है छगनलाल हलवाई की दुकान से, जो रात को दुकान बंद करके घर चले जाते हैं। दुकान बंद होने के बाद वहाँ रखी मिठाइयाँ एक सम्मेलन करती हैं, जिसमें लड्डू दादा को अध्यक्ष चुना जाता है। सम्मेलन में कई मिठाइयाँ शामिल होती हैं, जैसे इमरती जी, पेड़ा, बरफ़ी बहन, रसगुल्ला, जलेबी बहन, रबड़ी जी, गुलाबजामुन, मैसूरपाक, रस मलाई, सोनपापड़ी, बालूसाही, कलाकंद भाई, गुझिया, काजू कतली और शक्करपारा।

सम्मेलन में मिठाइयाँ अपने बारे में बात करती हैं। कलाकंद भाई कहते हैं कि आजकल डॉक्टर कुछ लोगों को मिठाइयाँ खाने से मना करते हैं। सोनपापड़ी पूछती है कि ऐसा क्यों हो रहा है। जलेबी बहन, बरफ़ी बहन से जवाब माँगती है, लेकिन बरफ़ी बहन मजाक में टाल देती हैं। मैसूरपाक दोनों को शांत करते हुए कहता है कि मिठाइयों का स्वाद मीठा है और हमें मीठे बोल बोलकर मिठास फैलानी चाहिए।

रसगुल्ला बताता है कि उनकी ज्यादा मिठास ही लोगों के लिए परेशानी का कारण है। गुलाबजामुन कहता है कि लोग चटोरी जीभ की वजह से बार-बार मिठाइयाँ माँगते हैं, लेकिन ज्यादा खाने से बोर हो जाते हैं। गुझिया बताती है कि कुछ लोगों के शरीर में शक्कर की मात्रा बढ़ रही है, जिससे परेशानी होती है। रबड़ी जी कहती हैं कि ज्यादा मिठाई खाने से नुकसान होता है, क्योंकि “जहाँ अति होती है, वहाँ क्षति होती है।”

लड्डू दादा सुझाव देते हैं कि मिठाइयों में शक्कर की मात्रा कम करनी चाहिए, ताकि लोग उन्हें खा सकें और स्वस्थ रहें। गुलाबजामुन पूछता है कि अगर शक्कर कम होगी, तो उन्हें मिठाई कौन कहेगा? लड्डू दादा जवाब देते हैं कि कम शक्कर से लोगों के मन में मिठास बढ़ेगी। पेड़ा कहता है कि शुभ अवसरों पर मिठाइयाँ बाँटने की परंपरा कोई नहीं बदल सकता।

अंत में, लड्डू दादा कहते हैं कि लोगों को अपनी जीभ पर नियंत्रण रखना चाहिए। मिठाइयाँ खानी चाहिए, लेकिन ज्यादा नहीं। साथ ही, शारीरिक श्रम करके स्वस्थ रहना चाहिए। इस निर्णय के साथ लड्डू दादा सभी को धन्यवाद देते हैं और सम्मेलन खत्म करते हैं।

कहानी से शिक्षा

  • संतुलन और नियंत्रण: मिठाइयाँ संतुलित मात्रा में खानी चाहिए, और जीभ पर नियंत्रण रखना जरूरी है।
  • स्वास्थ्य: शारीरिक श्रम और संतुलित खान-पान से स्वस्थ रहा जा सकता है।
  • मिठास फैलाना: मीठे बोल और अच्छे व्यवहार से दूसरों के मन में खुशी लाई जा सकती है।
  • बुद्धिमानी: मिठाइयों की तरह हमें समझदारी से निर्णय लेने चाहिए, जैसे शक्कर कम करना।

शब्दार्थ

  • सम्मेलन: कई लोगों का एक जगह इकट्ठा होना और बात करना।
  • अध्यक्ष: मीटिंग या सम्मेलन का संचालक।
  • मिठास: मीठा स्वाद या मीठी बात।
  • शक्कर: चीनी, जो मिठाइयों को मीठा बनाती है।
  • अति: बहुत ज्यादा।
  • क्षति: नुकसान।
  • जीभ: मुँह का वह हिस्सा, जिससे हम स्वाद चखते हैं।
  • शारीरिक श्रम: शरीर से किया गया काम, जैसे खेलना या व्यायाम करना।
  • चटोरी: जो ज्यादा खाने की इच्छा रखता हो।
  • उपेक्षा: ध्यान न देना या कम पसंद करना।

08.ओणम के रंग- Chapter Notes

परिचय

इस पाठ में हम केरल के प्रसिद्ध त्योहार ओणम के बारे में पढ़ेंगे। यह त्योहार राजा महाबली की याद में मनाया जाता है, जो अपनी प्रजा से बहुत प्रेम करते थे। ओणम के दौरान लोग फूलों की रंगोली बनाते हैं, स्वादिष्ट भोजन खाते हैं, नाच-गाना करते हैं और नौका-दौड़ का आनंद लेते हैं। यह कहानी हमें केरल की सुंदर प्रकृति, संस्कृति और ओणम की खुशियों के बारे में बताती है।

प्रमुख बातें

  • ओणम केरल का प्रमुख त्योहार है, जो श्रावण महीने में मनाया जाता है।
  • यह त्योहार राजा महाबली की याद में मनाया जाता है, जो अपनी प्रजा से बहुत प्यार करते थे।
  • बच्चे सुबह-सुबह फूल इकट्ठा करते हैं और आँगन में पक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाते हैं।
  • लोग नए कपड़े पहनते हैं, विष्णु और महाबली की मूर्तियाँ सजाते हैं, और स्वादिष्ट भोजन बनाते हैं।
  • ओणम में नौका-दौड़, कथकली नृत्य, और खेल जैसे तलपंतुकली और कैकोट्टिकली खेले जाते हैं।
  • एक लोकगीत में महाबली के शासन की अच्छाइयों का बखान किया जाता है।
  • तिरुवोणम के तीसरे दिन महाबली के पाताल लोक लौटने के बाद आँगन की कलाकृतियाँ हटा ली जाती हैं।

कहानी का सारांश

कहानी की शुरुआत केरल के खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों से होती है। वर्षा के बादल छँटते हैं, ठंडी हवाएँ बहती हैं, और सूरज की रोशनी में समुद्र की लहरें चमकती हैं। नारियल के पेड़ लहलहाते हैं, और रंग-बिरंगी तितलियाँ फूलों पर मँडराती हैं। ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ओणम के स्वागत की तैयारी कर रही है। किसान अपनी फसल काट चुके हैं, और खलिहान धान से भरे हैं।

ओणम का त्योहार एक पौराणिक कथा से जुड़ा है। प्राचीन काल में महाबली नाम के एक दयालु राजा थे, जिनका राज्य पृथ्वी, स्वर्ग और पाताल लोक तक फैला था। उनकी प्रजा बहुत खुश थी। एक दिन महाविष्णु ने वामन का रूप धारण करके महाबली से तीन पग भूमि माँगी। महाबली ने तुरंत हाँ कर दी। महाविष्णु ने अपना वामन रूप छोड़कर विशाल त्रिविक्रम रूप लिया और दो पगों में स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल नाप लिया। तीसरे पग के लिए जगह न होने पर महाबली ने अपना सिर झुका दिया। महाविष्णु इस व्यवहार से खुश हुए और महाबली को पाताल लोक का राजा बना दिया। महाबली ने एक इच्छा जताई कि वे साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आएँ। तब से ओणम का त्योहार महाबली के स्वागत में मनाया जाता है।

श्रावण महीने के श्रावण नक्षत्र में ओणम शुरू होता है। सुबह-सुबह बच्चे नहा-धोकर लाल, पीले, सफेद फूल इकट्ठा करते हैं और आँगन में गोबर से लीपकर पक्कलम बनाते हैं। लोग नए कपड़े पहनते हैं और विष्णु व महाबली की मूर्तियों को चावल के आटे और सफेद द्रोण-पुष्पों से सजाते हैं। ऊँचे दीपदान जलाए जाते हैं। ओणम का भोजन बहुत स्वादिष्ट होता है, जिसमें चावल, सब्जियाँ, खीर, पापड़ और फल शामिल होते हैं। लोग प्रीतिभोज का आयोजन करते हैं और फिर खेल-कूद, कविता, संगीत और नृत्य में हिस्सा लेते हैं।

केरल के पुरुष तलपंतुकली और किलिंतट्टुकली जैसे खेल खेलते हैं, जबकि महिलाएँ और लड़कियाँ तुम्बितुल्लल, कैकोट्टिकली और झूला झूलने का आनंद लेती हैं। आरन्मुला में नौका-दौड़ होती है, जहाँ हजारों लोग नावों की प्रतियोगिता देखने आते हैं। कथकली नृत्य भी ओणम का खास आकर्षण है। एक लोकगीत में महाबली के शासन की तारीफ की जाती है, जिसमें बताया जाता है कि उनके राज में कोई दुख, धोखा या छल-कपट नहीं था।

तिरुवोणम के तीसरे दिन लोग मानते हैं कि महाबली पाताल लोक लौट जाते हैं। इसलिए आँगन की कलाकृतियाँ हटा ली जाती हैं। केरलवासी ओणम की मधुर यादों को संजोकर अगले ओणम की प्रतीक्षा करते हैं और अपने काम में लग जाते हैं।

कहानी से शिक्षा

  • एकता: ओणम हमें सिखाता है कि त्योहार मिल-जुलकर मनाने से खुशी बढ़ती है।
  • प्रेम और दया: महाबली की तरह हमें अपनी प्रजा या लोगों से प्यार करना चाहिए।
  • उत्साह: हमें ओणम की तरह हर पल को उत्साह और खुशी से जीना चाहिए।
  • प्रकृति का सम्मान: केरल की सुंदर प्रकृति हमें सिखाती है कि हमें प्रकृति की देखभाल करनी चाहिए।
  • सच्चाई और नम्रता: महाबली की नम्रता हमें सिखाती है कि सच्चाई और अच्छे व्यवहार से सम्मान मिलता है।

शब्दार्थ

  • ओणम: केरल का प्रमुख त्योहार, जो महाबली के स्वागत में मनाया जाता है।
  • पक्कलम: फूलों से बनी रंगोली।
  • महाबली: एक दयालु राजा, जिनकी याद में ओणम मनाया जाता है।
  • वामन: भगवान विष्णु का छोटा रूप।
  • त्रिविक्रम: विष्णु का विशाल रूप।
  • पाताल लोक: धरती के नीचे का संसार।
  • नौका-दौड़: नावों की रेस, जो आरन्मुला में होती है।
  • कथकली: केरल का प्रसिद्ध नृत्य।
  • प्रीतिभोज: सभी के लिए बनाया गया बड़ा भोजन।
  • द्रोण-पुष्प: छोटे सफेद फूल, जो सजावट के लिए इस्तेमाल होते हैं।
  • तलपंतुकली: नारियल के पत्तों से बनी गेंद का खेल।
  • कैकोट्टिकली: महिलाओं का एक नृत्य और खेल।

07.नकली हीरे- Chapter Notes

परिचय

इस पाठ में हम काननपुर के एक बुद्धिमान और वृद्ध राजा की कहानी पढ़ेंगे। राजा अपने बेटे के लिए एक ईमानदार सलाहकार चुनना चाहता है। वह अपने दरबारियों की परीक्षा लेता है और उन्हें नकली हीरे देता है। कहानी हमें सच्चाई और ईमानदारी की महत्ता सिखाती है। यह एक रोचक चित्रकथा है जो हमें सोचने और समझने के लिए प्रेरित करती है।

प्रमुख बातें

  • काननपुर का राजा बुद्धिमान और वृद्ध है, और उसका एक ही बेटा है।
  • राजा अपने बेटे के लिए एक सलाहकार चुनना चाहता है।
  • राजा दरबारियों से पूछता है कि क्या वह बुद्धिमान और ईमानदार राजा है।
  • सभी दरबारी राजा की तारीफ करते हैं, सिवाय एक युवा दरबारी के।
  • राजा सभी को एक-एक हीरा देता है, लेकिन एक दरबारी चुपचाप खड़ा रहता है।
  • बाद में पता चलता है कि सारे हीरे नकली थे, सिवाय उस युवा दरबारी को दिए गए हीरे के।
  • राजा उस युवा दरबारी को अपने बेटे का सलाहकार चुनता है।

कहानी का सारांश

कहानी की शुरुआत काननपुर के एक बुद्धिमान और वृद्ध राजा से होती है, जिसका एक ही बेटा है। राजा जानता है कि वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रहेगा, इसलिए वह अपने बेटे के लिए एक ईमानदार और समझदार सलाहकार चुनना चाहता है। इसके लिए वह अपने दरबारियों की परीक्षा लेने का निर्णय करता है।

एक सुबह, राजा सभी दरबारियों को बुलाता है और उनसे एक सवाल पूछता है: “क्या मैं बुद्धिमान और ईमानदार राजा हूँ?” सभी दरबारी राजा को खुश करने के लिए एक जैसे जवाब देते हैं कि वह दुनिया के सबसे बुद्धिमान और ईमानदार राजा हैं। राजा प्रत्येक दरबारी को एक-एक हीरा देता है, और वे खुशी-खुशी दरबार से चले जाते हैं।

लेकिन एक युवा दरबारी चुपचाप एक कोने में खड़ा रहता है। जब राजा उससे उसका उत्तर पूछता है, तो वह कहता है कि राजा निश्चित रूप से बुद्धिमान और ईमानदार हैं, लेकिन पहले भी उनसे बेहतर राजा हो चुके हैं। यह उत्तर सुनकर राजा प्रसन्न होता है और उसे भी एक हीरा देता है।

अगली सुबह, दरबारी वापस आते हैं और शिकायत करते हैं कि उनके हीरे नकली हैं। जब उन्होंने बाजार में जाकर हीरों की जांच करवाई, तो उन्हें असलियत का पता चला। राजा समझाता है कि उसने जानबूझकर नकली हीरे दिए थे, ताकि वह दरबारियों की सच्चाई परख सके। सभी दरबारियों ने चापलूसी भरे झूठे उत्तर दिए थे, इसलिए उन्हें नकली हीरे मिले। केवल युवा दरबारी ने सच्चा और निर्भीक उत्तर दिया था, इसलिए उसे असली हीरा मिला। अंत में राजा उसी को अपने बेटे का सलाहकार चुनता है।

कहानी से शिक्षा

  • ईमानदारी: हमें हमेशा सच बोलना चाहिए, भले ही वह सुनने में कठिन हो।
  • साहस: सच बोलने के लिए हिम्मत चाहिए, जैसे युवा दरबारी ने दिखाया।
  • बुद्धिमानी: सही निर्णय लेने के लिए समझदारी जरूरी है, जैसा राजा ने किया।
  • विश्वास: सच्चाई और ईमानदारी से ही विश्वास जीता जा सकता है।

शब्दार्थ

  • बुद्धिमान: समझदार, जो सही निर्णय ले सके।
  • वृद्ध: उम्र में बड़ा, बूढ़ा।
  • दरबारी: राजा के दरबार में काम करने वाले लोग।
  • सलाहकार: जो सलाह देता है।
  • ईमानदार: जो सच बोलता हो और सही काम करता हो।
  • नकली: जो असली न हो, बनावटी।
  • हीरा: एक कीमती पत्थर।
  • प्रसन्न: खुश, संतुष्ट।
  • जौहरी: हीरे-जवाहरात की जाँच करने वाला।
  • विश्वसनीय: जिस पर भरोसा किया जा सके।

06.जयपुर से पत्र- Chapter Notes

परिचय

इस पाठ में हम एक पत्र पढ़ेंगे, जो अमर ने अपने पिताजी को जयपुर से लिखा है। अमर अपनी स्कूल की सैर के बारे में बता रहा है, जिसमें वह जयपुर के दर्शनीय स्थलों को देखने गया। पत्र में वह अपनी यात्रा, जयपुर के स्थानों, और राजस्थान के खाने और नृत्य के बारे में लिखता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि नई जगहों को देखना और उनके बारे में लिखना कितना मजेदार हो सकता है।

प्रमुख बातें

  • अमर अपने पिताजी को जयपुर से पत्र लिखता है और अपनी स्कूल की सैर के बारे में बताता है।
  • वह जयपुर में हवामहल, जंतर-मंतर, रामनिवास बाग, और कला-संग्रहालय देखता है।
  • अमर आमेर के दुर्ग में शीशमहल और शिला देवी का मंदिर देखता है।
  • रात को वह राजस्थान के लोकनृत्य देखता है और दाल-बाटी चूरमा खाता है।
  • अमर अगले दिन उदयपुर जाने वाला है और वहाँ से अगला पत्र लिखेगा।
  • वह अपनी माँ को प्रणाम और बहन लता को प्यार भेजता है।

कहानी का सारांश

अमर अपने पिताजी को पत्र लिखता है और बताता है कि वह परसों रात को जयपुर पहुँच गया। उसकी यात्रा बहुत अच्छी रही और अध्यापकों ने उसका बहुत ध्यान रखा। जयपुर का मौसम भी अच्छा है।

अगले दिन सुबह नाश्ता करने के बाद अमर और उसके साथी जयपुर की सैर के लिए निकले। सबसे पहले उन्होंने हवामहल देखा, जो बहुत सुंदर है। इसके पास ही जंतर-मंतर है, जो एक वेधशाला है। इसे राजा सवाई जयसिंह ने बनवाया था। अमर ने जंतर-मंतर को घूम-घूमकर देखा। इसके बाद वे रामनिवास बाग गए, जहाँ एक कला-संग्रहालय है। इस संग्रहालय में जयपुर के राजा-महाराजाओं के कपड़े, हथियार, और चित्र रखे हैं, जो देखने लायक हैं।

जयपुर से 14 किलोमीटर दूर आमेर का दुर्ग है, जो बहुत पुराना और बड़ा है। वहाँ अमर ने शीशमहल देखा, जो बहुत सुंदर है। शीशमहल के पास शिला देवी का मंदिर है, जहाँ अमर ने दर्शन किए। इसके बाद वे जयपुर वापस आए।

रात को अमर ने राजस्थान के लोकनृत्य देखे, जो बहुत रंग-बिरंगे और मजेदार थे। फिर उन्होंने राजस्थान का प्रसिद्ध खाना दाल-बाटी चूरमा खाया। अमर बताता है कि अगले दिन वह उदयपुर जाएगा, जिसे झीलों का नगर कहते हैं। वह अगला पत्र उदयपुर से लिखेगा।

अमर पत्र के अंत में अपनी माँ को प्रणाम और अपनी बहन लता को प्यार भेजता है। वह अपने पिताजी को पत्र लिखने का वादा करता है।

कहानी से शिक्षा

  • नई जगहें देखना: नई जगहों पर जाना और उनके बारे में सीखना बहुत मजेदार और शिक्षाप्रद होता है, जैसे अमर ने जयपुर में किया।
  • अपनों से बात करना: पत्र लिखकर हम अपने परिवार को अपनी बातें बता सकते हैं और उनसे जुड़े रह सकते हैं।
  • संस्कृति की समझ: अलग-अलग जगहों के नृत्य, खाना, और स्थल हमें उनकी संस्कृति के बारे में सिखाते हैं।
  • खुशी साझा करना: अपनी खुशियाँ और अनुभव दूसरों के साथ बाँटने से रिश्ते मज़बूत होते हैं।

शब्दार्थ

  • हवामहल: जयपुर में एक सुंदर महल, जिसके बहुत सारे छोटे-छोटे झरोखे हैं।
  • जंतर-मंतर: एक वेधशाला, जहाँ ग्रहों और तारों को देखने के यंत्र हैं।
  • वेधशाला: वह जगह जहाँ तारे और ग्रह देखे जाते हैं।
  • रामनिवास बाग: जयपुर में एक सुंदर बगीचा।
  • कला-संग्रहालय: वह जगह जहाँ पुरानी और खास चीजें रखी जाती हैं।
  • आमेर का दुर्ग: जयपुर के पास एक पुराना और बड़ा किला।
  • शीशमहल: एक महल, जिसकी दीवारों पर शीशे लगे हैं।
  • शिला देवी का मंदिर: आमेर में एक मंदिर, जहाँ शिला देवी की पूजा होती है।
  • लोकनृत्य: किसी जगह के पारंपरिक नृत्य।
  • दाल-बाटी चूरमा: राजस्थान का खास खाना, जिसमें दाल, गेहूँ की बाटियाँ और मीठा चूरमा होता है।
  • उदयपुर: एक शहर, जिसे झीलों का नगर कहते हैं।

05.आसमान गिरा- Chapter Notes

परिचय

इस पाठ में हम एक मज़ेदार कहानी पढ़ेंगे, जो एक खरगोश के डर से शुरू होती है। कहानी में खरगोश को लगता है कि आसमान गिर रहा है, और वह डरकर भागने लगता है। उसके साथ दूसरे जानवर भी डरकर भागने लगते हैं। आखिर में शेर इस गलतफहमी को सुलझाता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि डरने से पहले सच्चाई को समझना ज़रूरी है।

प्रमुख बातें

  • खरगोश फल गिरने की आवाज़ से डरकर सोचता था कि आसमान गिर रहा है।
  • लोमड़ी, भालू, और हाथी भी खरगोश की बात मानकर भागने लगते हैं।
  • शेर सभी को रोककर सच्चाई का पता लगाता था।
  • पता चलता है कि आसमान नहीं, बल्कि एक फल गिरा था।
  • सभी जानवर अपनी गलती पर हँसते हैं।

कहानी का सारांश

शुरुआत: एक खरगोश पेड़ के नीचे सो रहा था। अचानक एक ज़ोर की आवाज़ हुई — धम्म! खरगोश डर गया और उसे लगा कि आसमान गिर रहा है। उसने इधर-उधर देखा, लेकिन कुछ समझ नहीं आया। डर की वजह से वह भागने लगा।

लोमड़ी का मिलना: खरगोश भागते-भागते लोमड़ी से मिला। लोमड़ी ने पूछा कि वह क्यों भाग रहा था। खरगोश ने कहा, “आसमान गिर रहा है, भागो!” लोमड़ी भी बिना सोचे उसके साथ भागने लगी।

भालू का मिलना: आगे जाकर खरगोश और लोमड़ी को भालू मिला। भालू ने पूछा कि वे क्यों भाग रहे थे। दोनों ने कहा, “आसमान गिर रहा है, तुम भी भागो!” भालू भी डर गया और उनके साथ भागने लगा।

हाथी का मिलना: खरगोश, लोमड़ी और भालू भागते-भागते हाथी के पास पहुँचे। हाथी ने पूछा कि वे सब क्यों भाग रहे थे। भालू ने कहा, “आसमान गिर रहा है, तुम भी भागो!” और हाथी भी बिना सोचे उनके साथ भागने लगा।

शेर का मिलना: सब जानवर भागते-भागते शेर से मिले। शेर ने पूछा, “तुम सब क्यों भाग रहे हो?” हाथी ने कहा, “आसमान गिर रहा है!” शेर ने दहाड़कर कहा, “रुको! आसमान कहाँ गिर रहा है?” सभी जानवर रुक गए।

सच्चाई का पता लगाना: शेर ने पूछा कि किसने कहा कि आसमान गिर रहा है। हाथी ने भालू को, भालू ने लोमड़ी को, और लोमड़ी ने खरगोश को ज़िम्मेदार ठहराया। खरगोश ने बताया कि वह पेड़ के नीचे सो रहा था, तभी ‘धम्म’ की आवाज़ आई। शेर ने कहा, “चलो, चलकर देखें।”

सच्चाई सामने आना: सब जानवर पेड़ के नीचे गए। वहाँ एक बड़ा फल ज़मीन पर गिरा हुआ था। तभी एक और फल गिरा — धम्म! शेर ने हँसते हुए कहा, “तो यही तुम्हारा आसमान था! लो, फिर आसमान गिरा, भागो!” सभी जानवर हँसने लगे।

कहानी से शिक्षा

  • सच्चाई जानना और बिना सोचे विश्वास न करना: डरने से पहले सच्चाई का पता लगाना चाहिए।
  • गलतफहमी से बचना: जल्दबाजी में गलत निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए।
  • हँसना और गलती सुधारना: गलती समझकर उसका हँसकर सुधार करना चाहिए।

शब्दार्थ

  • खरगोश: एक छोटा जानवर, जो तेज़ भागता है।
  • लोमड़ी: एक चालाक जानवर, जो जंगल में रहता है।
  • भालू: एक बड़ा और ताकतवर जंगली जानवर।
  • हाथी: जंगल का सबसे बड़ा जानवर, जिसकी सूंड होती है।
  • शेर: जंगल का राजा, जो बहुत ताकतवर होता है।
  • धम्म: ज़ोर की आवाज़, जैसे कुछ भारी चीज़ गिरने की।
  • आसमान: ऊपर का नीला हिस्सा, जहाँ बादल और तारे दिखते हैं।
  • दहाड़: शेर की ज़ोरदार आवाज़।
  • फल: पेड़ पर उगने वाली चीज़, जैसे आम या नारियल।

04.हमारा आहार- Chapter Notes

परिचय

इस कविता में हमें बताया गया है कि हमें अपने खाने में क्या-क्या खाना चाहिए और स्वस्थ रहने के लिए कैसे खाना चाहिए। कविता हमें सिखाती है कि सही और ताजा खाना खाने से हम बीमार नहीं पड़ते और हमारा शरीर चुस्त और फुर्तीला रहता है। यह कविता आसान शब्दों में बच्चों को स्वस्थ आहार की महत्त्वपूर्ण बातें समझाती है।

कविता की व्याख्यापहला प्रसंग

कैसा हो अपना आहार, 
आओ मिलकर करें विचार।
चावल, दाल और सब्जी खाओ, 
तन में चुस्ती-फुर्ती लाओ।

व्याख्या: कविता की शुरुआत में कवि कहते हैं कि हमें सोचना चाहिए कि हमारा खाना कैसा होना चाहिए। चावल, दाल और सब्जियाँ खाने से हमारा शरीर ताकतवर, चुस्त और फुर्तीला बनता है। यह हमें सिखाता है कि हमें अच्छा और सेहतमंद खाना खाना चाहिए।

दूसरा प्रसंग

केवल आलू तुम मत लाना, 
भिंडी, परवल, नेनुआ भी खाना।
दूध-दही तुम छककर खाओ, 
फल-फूलों के बाग लगाओ।

व्याख्या: कवि कहते हैं कि हमें सिर्फ़ आलू नहीं खाना चाहिए, बल्कि भिंडी, परवल और नेनुआ जैसी दूसरी सब्जियाँ भी खानी चाहिए। साथ ही, दूध और दही खाने से हमें ताकत मिलती है। हमें फल खाने और अपने आसपास फल के पेड़ लगाने चाहिए।

तीसरा प्रसंग

आम-अमरूद, पपीता खाओ, 
केला, बेल भी घर ले आओ।
खरबूज, तरबूज, ककड़ी, खीरा, 
गर्मी की हरते हैं पीड़ा।

व्याख्या: कवि बताते हैं कि हमें आम, अमरूद, पपीता, केला और बेल जैसे फल खाने चाहिए। गर्मी के मौसम में खरबूज, तरबूज, ककड़ी और खीरा खाने से गर्मी की परेशानी कम होती है। यह हमें मौसम के हिसाब से खाना खाने की सलाह देता है।

चौथा प्रसंग

खूब करो पानी का व्यवहार,
इसकी महिमा अपरंपार।
भोजन में हो खूब सलाद,
इसका है अपना अंदाज।

व्याख्या: कवि कहते हैं कि हमें खूब पानी पीना चाहिए, क्योंकि पानी हमारे शरीर के लिए बहुत ज़रूरी है और इसकी महत्ता अनमोल है। खाने में सलाद शामिल करना चाहिए, क्योंकि यह स्वादिष्ट और सेहतमंद होता है।

पाँचवाँ प्रसंग

मूली, टमाटर, गाजर खाना, 
पालक को भी भूल न जाना।
भूँजा-सत्तू नियमित खाएँ, 
वैद्य-हकीम घर न आएँ।

व्याख्या: कवि सलाह देते हैं कि हमें मूली, टमाटर, गाजर और पालक जैसी सब्जियाँ खानी चाहिए। भूँजा-सत्तू जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थ रोज़ खाने से हम स्वस्थ रहते हैं और हमें डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती।

छठा प्रसंग

पेट से ज्यादा जब कोई खाए, 
खाकर वह पीछे पछताए।
ताजा खाना हरदम खाओ, 
नहीं बहाना कभी बनाओ।

व्याख्या: कवि कहते हैं कि हमें ज़रूरत से ज्यादा खाना नहीं खाना चाहिए, वरना बाद में पछताना पड़ता है। हमें हमेशा ताजा खाना खाना चाहिए और खाने में कोई बहाना नहीं बनाना चाहिए।

सातवाँ प्रसंग

जब खाते हैं ढंग से खाना, 
व्याधि को ना मिले बहाना।
ऐसा हो अपना आहार, 
खाकर हम ना पड़ें बीमार।

व्याख्या: कवि कहते हैं कि अगर हम सही तरीके से और सही खाना खाते हैं, तो बीमारियाँ हमें परेशान नहीं करतीं। हमें ऐसा खाना खाना चाहिए, जिससे हम स्वस्थ रहें और बीमार न पड़ें।

कविता से शिक्षा

  • पौष्टिक और ताजा आहार: चावल, दाल, सब्जियाँ, फल, और दही जैसे ताजा और पौष्टिक खाना खाने से हम स्वस्थ रहते हैं और बीमारियाँ दूर रहती हैं।
  • मौसम के हिसाब से खाना: गर्मी में खरबूज, तरबूज, ककड़ी और खीरा खाने से गर्मी से राहत मिलती है।
  • पानी का महत्त्व: खूब पानी पीना चाहिए, क्योंकि यह शरीर को स्वस्थ रखता है।
  • संयमित खाना: ज़रूरत से ज्यादा खाना नहीं खाना चाहिए, ताकि पेट खराब न हो।
  • सलाद का महत्त्व: खाने में सलाद शामिल करना चाहिए, क्योंकि यह सेहत के लिए अच्छा होता है।

शब्दार्थ

  • आहार: खाना
  • चुस्ती-फुर्ती: ताकत और तेज़ी
  • नेनुआ: एक प्रकार की सब्जी (दौरी)
  • छककर: पूरी मात्रा में, भरपूर रूप से
  • अपरंपार: बहुत ज्यादा
  • भुंजा-सत्तू: भुना हुआ अनाज और उसका पाउडर
  • वैद्य-हकीम: डॉक्टर
  • व्याधि: बीमारी
  • अंदाज: तरीका
  • परवल: एक हल्की हरी सब्जी, जिसे उबालकर या तलकर खाया जाता है
  • बेल: एक गोल फल, जिसका रस या गूदा खाया जाता है
  • पछताए: बाद में अफसोस करना
  • ढंग: सही तरीका या विधि