10. मीरा के पद अध्याय समाधान 

पाठ से

मेरी समझ से

(क) नीचे दिए  गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए। कुछ प्रश् नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) “बसो मेरे नैनन में नंदलाल” पद में मीरा किनसे विनती कर रही है?

  • संतों से
  • भक्तों से
  • वैजंती से
  • श्रीकृष्ण से(*)

उत्तर: श्रीकृष्ण से
विश्लेषण: इस पद में मीरा श्रीकृष्ण से विनती कर रही हैं कि वे उनके नैनों (आँखों) में बस जाएँ। यह उनकी भक्ति और प्रेम की अभिव्यक्ति है।

(2) “बसो मेरे नैनन में नंदलाल” पद का मुख्य विषय क्या है?

  • प्रेम और भक्ति   (*)
  • प्रकृति की सुंदरता
  • युद्ध और शांति
  • ज्ञान और शिक्षा

उत्तर: प्रेम और भक्ति
विश्लेषण: इस पद में मीरा श्रीकृष्ण के प्रति अपनी गहरी भक्ति और प्रेम को व्यक्त करती हैं, जो इसका मुख्य विषय है।

(3) “बरसे बदरिया सावन की” पद में कौन-सी ऋतु का वर्णन किया गया है?

  • सर्दी
  • गर्मी
  • वर्षा (*)
  • बसंत

उत्तर: वर्षा  
विश्लेषण: इस पद में सावन के महीने और वर्षा ऋतु का सुंदर वर्णन है, जिसमें बादल, बारिश, और शीतल हवा का चित्रण किया गया है।

(4) “बरसे बदरिया सावन की” पद को पढ़कर ऐसा लगता है, जैसे मीरा—

  • प्रसन्न है (*)
  • दुखी है
  • उदास है
  • चिंतित है

उत्तर: प्रसन्न है 
विश्लेषण: इस पद में मीरा सावन के आगमन और श्रीकृष्ण के आने की भनक से प्रसन्न और उत्साहित हैं, जो उनके आनंदमय भाव को दर्शाता है।

(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर: मैंने ये उत्तर इसलिए चुने क्योंकि इन पदों को पढ़ने के बाद उनके भावों और शब्दों से यह स्पष्ट होता है कि मीरा का भाव भक्ति और प्रेम से भरा हुआ है।

  • पहले पद “बसो मेरे नैनन में नंदलाल” में मीरा सीधे श्रीकृष्ण से विनती करती हैं, इसलिए इसका सही उत्तर श्रीकृष्ण है।
  • इस पद का भाव बहुत प्रेमपूर्ण और भक्ति से भरा हुआ है, इसलिए इसका मुख्य विषय प्रेम और भक्ति ही हो सकता है।
  • “बरसे बदरिया सावन की” पद में सावन का मौसम, बादल, वर्षा, और ठंडी हवा का वर्णन किया गया है, इसलिए यह वर्षा ऋतु का चित्रण करता है।
  • इस पद को पढ़कर ऐसा लगता है कि मीरा बहुत प्रसन्न हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि श्रीकृष्ण आने वाले हैं, इसलिए उनके भाव प्रसन्नता को दर्शाते हैं।

मेरे समूह के साथी भी जब इन पदों को ध्यान से पढ़ेंगे और उनके भावों को समझेंगे, तो वे भी इस बात से सहमत होंगे। अगर उन्होंने अलग उत्तर चुने हैं, तो हम मिलकर पद के शब्दों और उनके अर्थों पर चर्चा करके सही उत्तर तक पहुँच सकते हैं।

मिलकर करें मिलान

पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें सही अर्थ या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर:
पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें पढ़कर आपको क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।

(क) “नहीं नहीं बुदंन मोह बासे, शीतल पवन सोहबन की।”
उत्तर: अर्थ: इस पंक्ति में मीरा कहती हैं कि उन्हें बादल और ठंडी हवा बहुत अच्छे लगते हैं। ‘नहीं नहीं बुदंन’ का मतलब है – बादल इधर-उधर घूम रहे हैं और ‘शीतल पवन’ यानी ठंडी हवा चल रही है। ये सब सावन के मौसम की सुंदरता को दर्शाता है। मीरा इन प्राकृतिक चीजों को देखकर आनंदित हो रही हैं।
विचार: इससे हमें समझ में आता है कि मीरा प्रकृति से बहुत जुड़ी हुई थीं और उन्होंने प्रकृति की सुंदरता को भी अपने भक्ति भाव से जोड़ा है।

(ख) “मीरा के प्रभु संत सुखदाई, भक्त वल्लभ गोपाला।”
उत्तर: अर्थ: इस पंक्ति में मीरा अपने प्रभु श्रीकृष्ण की महिमा बता रही हैं। वे कहती हैं कि श्रीकृष्ण संतों को सुख देने वाले हैं और भक्तों के प्यारे हैं।
विचार: इससे हमें पता चलता है कि मीरा को अपने प्रभु पर बहुत विश्वास और प्रेम है। वह उन्हें सभी भक्तों और संतों के लिए सबसे प्रिय और सुख देने वाला मानती हैं।

सोच-विचार के लिए

पाठ को एक बार फिर से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए—

(क) पहले पद में श्रीकृष्ण के बारे में क्या-क्या बताया गया है?
उत्तर: 

  • श्रीकृष्ण की मोहनी मूर्ति (आकर्षक रूप) और साँवली सूरत का वर्णन।
  • उनकी विशाल आँखें (नैना बने विशाल) जो मन को मोह लेती हैं।
  • उनके होठों पर मुरली और सीने पर वैजंती माला की शोभा।
  • कमर पर छोटी घंटिकाएँ और पैरों में नूपुर, जो मधुर ध्वनि उत्पन्न करते हैं।
  • वे संतों को सुख देने वाले और भक्तों के प्रिय हैं।

(ख) दूसरे पद में सावन के बारे में क्या-क्या बताया गया है?
उत्तर:

  • सावन के बादल बरस रहे हैं, जो मन को भाते हैं।
  • मीरा का मन श्रीकृष्ण के आने की भनक से उमंग से भर गया है।
  • चारों दिशाओं से बादल उमड़-घुमड़ कर आ रहे हैं।
  • बिजली चमक रही है और छोटी-छोटी बूँदें बरस रही हैं।
  • शीतल हवा बह रही है, जो मन को सुकून देती है।
  • मीरा आनंद और मंगल गीत गा रही हैं।

कविता की रचना

“मीरा के प्रभु संत सुखदाई”
“मीरा के प्रभु गिरधरनार”

इन दोनों पंक्तियों पर ध्यान दीजिए इन पंक्तियों में मीरा ने अपने नाम का उल्लेख किया है। मीरा के समय के अन्य काव्य रचनाओं के अंत में अपने नाम को समर्पित कर दिया करते थे। आज भी कुछ कवि अपना नाम कविता में जोड़ देते हैं।
आप ध्यान देंगे तो इस कविता में आपको ऐसी अनेक विशेषताएँ दिखाई देंगी (जैसे— कविता में छोटी-छोटी पंक्तियाँ हैं। श्रीकृष्ण के लिए अलग-अलग नामों का प्रयोग किया गया है आदि।)

(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस पाठ की विशेषताओं की सूची बनाइए।
उत्तर: कविता की विशेषताएँ:

  • छोटी-छोटी पंक्तियाँ, जो गेय और सरल हैं।
  • श्रीकृष्ण के लिए विभिन्न नामों का प्रयोग (नंदलाल, गिरधर, गोपाल)।
  • भक्ति और प्रेम का गहरा भाव।
  • प्रकृति का सुंदर चित्रण (सावन, बादल, बिजली)।
  • मीरा का अपने नाम का उल्लेख (कविता में हस्ताक्षर)।
  • मधुर शब्दों और ध्वनियों का उपयोग (जैसे नूपुर, मुरली)।
  • सरल और बोलचाल की भाषा (भोजपुरी प्रभाव)।

(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर:  हमारे समूह ने पाठ “बसो मेरे नैनन में नंदलाल” को ध्यान से पढ़ा और उसमें पाई गई विशेषताओं की यह सूची बनाई है, जिसे हम कक्षा में साझा कर रहे हैं:

  • छोटी-छोटी पंक्तियाँ: कविता की सभी पंक्तियाँ छोटी हैं, जिससे कविता गाने या याद करने में सरल बनती है।
  • भक्ति और प्रेम की भावना: पूरी कविता में मीरा का श्रीकृष्ण के प्रति अटूट प्रेम और भक्ति दिखाई देती है।
  • श्रीकृष्ण के अलग-अलग नाम: कविता में श्रीकृष्ण को नंदलाल, गिरधर, गोपाला जैसे नामों से पुकारा गया है।
  • प्राकृतिक दृश्य का वर्णन: सावन, बादल, ठंडी हवा और बिजली जैसे शब्दों से सुंदर प्रकृति का चित्रण किया गया है।
  • कवयित्री का आत्म-उल्लेख: मीरा ने अपने नाम का उल्लेख करते हुए इसे कविता में जोड़ा है, जो उनके समय की एक विशेष शैली थी।
  • मधुर और भावपूर्ण शब्द: कविता में नूपुर, मुरली जैसे मधुर शब्दों का प्रयोग हुआ है, जो संगीत और नृत्य का वातावरण बनाते हैं।
  • सरल भाषा: कविता की भाषा सरल है और बोलचाल के शब्दों का उपयोग किया गया है, जिससे इसे समझना आसान होता है।

निष्कर्ष: यह कविता भक्ति, संगीत, प्रकृति और आत्म-समर्पण की सुंदर अभिव्यक्ति है, जिसे मीरा ने बहुत भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया है।

अनुमान और कल्पना से

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए—

(क) मान लीजिए कि बादलों ने मीरा को श्रीकृष्ण के आने का संदेश सुनाया। आपको क्या लगता है कि उन्होंने क्या कहा होगा? कैसे कहा होगा?
उत्तर:

  • संभावित संदेश: बादलों ने गरजते हुए कहा होगा, “हे मीरा, गोपाल आ रहे हैं! सावन की बूँदों में उनकी मुरली की तान सुनाई देगी। तैयार हो जाओ, गिरधर तुम्हारे नैनों में बसने वाले हैं!”
  • कैसे कहा होगा: बादल मधुर और गहरी आवाज में, बिजली की चमक और हवा की सनसनाहट के साथ यह संदेश दे सकते थे, जो मीरा के मन को आनंद से भर दे।

(ख) यदि आपको मीरा से बात करने का अवसर मिल जाए तो आप उनसे क्या-क्या कहेंगे और क्या-क्या सुनेंगे?
उत्तर:
क्या कहेंगे: मैं मीरा से कहूँगा, “आपकी भक्ति और कविताएँ आज भी लोगों के दिलों को छूती हैं। आपका श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम प्रेरणादायक है।”
क्या पूछेंगे:

  • श्रीकृष्ण की भक्ति में डूबने की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली?
  • राजकुमारी होने के बावजूद आपने साधु जीवन क्यों चुना?
  • सावन के महीने में आपको श्रीकृष्ण की याद कैसे आती थी?

शब्दों के रूप

अगले पृष्ठ पर शब्दों से जुड़ी कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। इन्हें करने के लिए आप शब्दकोश, अपने शिक्षकों और साथियों की सहायता भी ले सकते हैं।

(क) “मोहिन मूरति सँवारि सूरति, नैना बने विशाल!”
इस पंक्ति में “सँवारि” शब्द आया है। इसके स्थान पर अधिकतर “साँवली” शब्द का प्रयोग किया जाता है। इस पद में ऐसे कुछ और शब्द हैं, जिन्हें आप कुछ अलग रूप में लिखते और बोलते होंगे। नीचे ऐसे ही कुछ अन्य शब्द दिए गए हैं, जिन्हें आप जिस रूप में बोलते-लिखते हैं, उस तरह से लिखिए।

उत्तर:

शब्द से जुड़े शब्द

नीचे दिए गए स्थानों में जुड़े शब्द पाठ में से चुनकर लिखिए—

उत्तर:

पंक्ति से पंक्ति

नीचे स्तंभ 1 और स्तंभ 2 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। मिलती-जुलती पंक्तियों को रेखांकित करके मिलाइए—
उत्तर:

कविता का सौंदर्य

बसरे बदरिया सावन की”

इस पंक्ति में लिखित शब्दों पर ध्यान दीजिए क्या आपको कोई विशेष बात दिखाई दी?
इस पंक्ति में “बसरे” और “बदरिया” दोनों शब्द साथ-साथ आए हैं और दोनों “ब” से शुरू हो रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो इस पंक्ति में “ब” वर्ण की आवृत्ति हो रही है। इस कारण यह पंक्ति और भी अधिक सुंदर बन गई है। पाठ में से इस प्रकार के अन्य उदाहरण ढूंढकर लिखिए।

उत्तर: कविता का सौंदर्य: ‘ब’ वर्ण की आवृत्ति ‘बरसे बदरिया सावन की’ पंक्ति में ‘बरसे’ और ‘बदरिया’ दोनों शब्दों में ‘ब’ वर्ण की आवृत्ति हो रही है। यह आवृत्ति कविता में ध्वनि की मधुरता और लयात्मकता को बढ़ाती है।
पाठ में से अन्य उदाहरण: “नन्हीं नन्हीं बूँदन मेहा बरसे”
यहाँ ‘न’ वर्ण की आवृत्ति हो रही है, जो नन्हीं बूंदों के गिरने की ध्वनि को दर्शाती है।
“उमड़ घुमड़ चहुँ दिश से आया”
इस पंक्ति में ‘म’ और ‘ड़’ वर्ण की आवृत्ति हो रही है, जो बादलों के उमड़ने और गरजने का आभास कराती है।
“शीतल पवन सोहावन की”
यहाँ ‘स’ वर्ण की आवृत्ति हो रही है, जो शीतल हवा के प्रवाह का संकेत देती है।
“दामिन दमकै झर लावन की”
इस पंक्ति में ‘द’ वर्ण की आवृत्ति है, जो बिजली की चमक और झरने की ध्वनि को दर्शाती है।
विशेषता: कविता में वर्णों की आवृत्ति का प्रयोग काव्यात्मक सौंदर्य और संगीतात्मकता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इससे कविता में ताल, लय और ध्वनि का प्रभाव गहराई से उभरकर सामने आता है।
मीरा बाई की कविता में ‘ब’, ‘न’, ‘म’, और ‘स’ जैसे वर्णों की आवृत्ति से कविता में एक मधुर ध्वनि उत्पन्न होती है, जो पाठक के मन में सावन ऋतु का जीवंत चित्र प्रस्तुत करती है।

रूप बदलकर

पाठ के किसी एक पद को एक अन्य रूप में लिखिए उदाहरण के लिए— ‘सावन के बादल बरस रहे हैं..’ या ‘सावन की बदरिया  बरसती है…’ आदि ।
उत्तर: अनुच्छेद: सावन की बदरिया 
सावन का महीना आते ही आसमान में काले-काले बादल उमड़-घुमड़ कर छा जाते हैं। चारों दिशाओं से बादलों का आगमन होता है और बिजली की चमक के साथ वर्षा की झड़ी लग जाती है। हल्की-हल्की बूंदें ठंडी हवाओं के साथ धरती पर गिरती हैं, जिससे वातावरण में ठंडक और ताजगी आ जाती है। सावन के इन मेघों के बरसने से मन प्रसन्न हो उठता है। मीरा के मन में भी खुशी का संचार हो जाता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह वर्षा श्रीकृष्ण के आगमन का संदेश लेकर आई है। बादलों की गर्जना, ठंडी पवन और बूंदों की रिमझिम ध्वनि से जैसे पूरा वातावरण गूँज उठता है। ऐसा प्रतीत होता है कि पूरी प्रकृति श्रीकृष्ण के स्वागत में आनंद-गान कर रही है। सावन का यह सुहाना मौसम मीरा के मन को आनंदित कर देता है और वे प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा में मगन हो जाती हैं।

मुहावरे

“बसरे मेरे नैमिन में ‘नंदलाला'”
नैनों या आँखों में बस जाना एक मुहावरा है, जब हमें कोई व्यिक्त या वस्तु इतनी अधिक प्रिय लगने लगती है कि उसका ध्यान हर समय मन में बना रहने लगता है तब हम इस मुहावरे का प्रयोग करते हैं, जैसे — उसकी छवि  मेरी आँखों में बस गई है। ऐसा ही एक अन्य मुहावरा है— आँखों में घर करना।
नीचे आँखों से जुड़े कुछ और मुहावरे दिए  गए हैं। अपने परिजनों , साथियों, शिक्षकों , पुस्तकालय और इंटरनेट की सहायता से इनके अर्थ समिझए और इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिये।

  1. आँखों का तारा
  2. आँखों पर पढ़ना
  3. आँखों से आकाश ओढ़ना
  4. आँखों से खिलना
  5. आँखें फटना
  6. आँखों पर आना
  7. आँखों से सूरज
  8. आँखों से उठाना
  9. आँखों से झलकना
  10. आँखों में चमकना

उत्तर: आँखों से जुड़े मुहावरों के अर्थ और वाक्य:

  1. आँखों का तारा: बहुत प्रिय व्यक्ति।
    वाक्य: मेरा छोटा भाई मेरे लिए आँखों का तारा है।
  2. आँखों पर पड़ना: किसी का ध्यान आकर्षित करना।
    वाक्य: उसकी सुंदर पोशाक मेरी आँखों पर पड़ गई।
  3. आँखों के आगे अँधेरा छाना: निराशा या चिंता में डूब जाना।
    वाक्य: परीक्षा में कम अंक आने से मेरी आँखों के आगे अँधेरा छा गया।
  4. आँख दिखाना: डराना या धमकाना।
    वाक्य: उसने मुझे आँख दिखाकर चुप कराने की कोशिश की।
  5. आँखें फटना: बहुत आश्चर्य होना।
    वाक्य: उसकी नई कार देखकर मेरी आँखें फट गईं।
  6. आँख भर आना: भावुक होकर रोना।
    वाक्य: उसकी दुखभरी कहानी सुनकर मेरी आँखें भर आईं।
  7. आँखें चुराना: शर्मिंदगी या अपराधबोध में नजरें नहीं मिलाना।
    वाक्य: गलती करने के बाद उसने मुझसे आँखें चुराईं।
  8. आँखों से उतारना: बहुत प्यार से देखना।
    वाक्य: माँ अपने बच्चे को आँखों से उतारती है।
  9. आँखों में खटकना: कुछ बुरा या परेशान करने वाला लगना।
    वाक्य: उसका व्यवहार मुझे आँखों में खटक रहा है।
  10. आँखों में चमकना: उत्साह या खुशी दिखना।
    वाक्य: नया खिलौना पाकर उसकी आँखों में चमक आ गई।

सबकी प्रस्तुति

पाठ के किसी एक पद को चुनकर अपने समूह के साथ मिलकर अलग-अलग तरीके से पाठ के सामने प्रस्तुत कीजिए, उदाहरण के लिए—

  • गान करना
  • भाव-नृत्य प्रस्तुति करना
  • कविता पाठ करना आदि

उत्तर: हमने पाठ “बसो मेरे नैनन में नंदलाल” का पहला पद चुना है—
“बसो मेरे नैनन में नंदलाल, बसो मेरे नैनन में…”
इस पद को हमने निम्नलिखित तरीकों से प्रस्तुत किया:

  • गान करना: समूह के कुछ सदस्यों ने राग में इस पद को गाया। उन्होंने मीरा की भक्ति और भाव को स्वर और लय में पिरोकर प्रस्तुत किया। यह प्रस्तुति शांति और श्रद्धा का अनुभव कराती है।
  • भाव-नृत्य प्रस्तुति: कुछ छात्रों ने इस पद पर भाव-नृत्य किया। उन्होंने श्रीकृष्ण के प्रति मीरा की प्रेम-भक्ति को हाव-भाव, मुद्राओं और गतियों के माध्यम से दर्शाया।
  • कविता पाठ करना: अन्य छात्रों ने इस पद का भावपूर्ण कविता-पाठ किया। उन्होंने उच्चारण, ठहराव और भाव-प्रदर्शन का ध्यान रखते हुए इसे प्रस्तुत किया।

इस तरह हम सभी ने मिलकर मीरा की भक्ति-भावना को अलग-अलग रूपों में प्रस्तुत किया और श्रीकृष्ण के प्रति उनकी श्रद्धा को समझा और महसूस किया।

पाठ से आगे

आपकी बात

(क) “बरसे बदरिया सावन की”

1. इस पद में सावन का सुंदर चित्रण किया गया है। जब आपको गाँव या नगर में सावन आता है तो मौसम में क्या परिवर्तन आता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर: सावन के महीने में मेरे गाँव में मौसम पूरी तरह से बदल जाता है। काले-काले बादल आसमान में छा जाते हैं और हल्की-हल्की बारिश शुरू हो जाती है। चारों ओर हरियाली फैल जाती है। पेड़-पौधे ताजगी से भर जाते हैं। ठंडी हवाएँ चलने लगती हैं और वातावरण में एक नई स्फूर्ति आ जाती है। नदी-नाले और तालाब पानी से भर जाते हैं। खेतों में धान की फसलें लहलहाने लगती हैं। हवा में मिट्टी की सोंधी खुशबू हर किसी का मन मोह लेती है। सावन में गाँव का दृश्य अत्यंत मनमोहक और सुंदर हो जाता है।

2. सावन की ऋतु में किस-किस प्रकार की ध्वनियाँ सुनाई देती हैं? इन ध्वनियों को सुनकर आपके मन में कौन-कौन सी भावनाएँ उठती हैं? आप कैसा अनुभव करते हैं? अपने अनुभवों के आधार पर बताइए (उदाहरण के लिए – बिजली के कड़कने या बूंदों के टपकने की ध्वनियाँ)।
उत्तर: सावन में कई तरह की मधुर ध्वनियाँ सुनाई देती हैं।

  • बिजली की कड़कन: यह ध्वनि कभी-कभी डराती है, लेकिन बारिश के संकेत के रूप में रोमांच भी पैदा करती है।
  • बूँदों की रिमझिम: जब बूँदें टिन की छत पर गिरती हैं, तो एक मधुर संगीत जैसा लगता है।
  • नदी और नालों की कल-कल: बारिश से जलधारा का प्रवाह बढ़ जाता है और कल-कल की ध्वनि आनंदित कर देती है।
  • मेंढकों की टर्र-टर्र: तालाब के किनारे मेंढक टर्राते हैं, जो सावन की पहचान बन जाती है।
  • कोयल की कूक: सावन में कोयल की मधुर कूक वातावरण को संगीतमय बना देती है।

इन ध्वनियों को सुनकर मन में आनंद, ताजगी और उल्लास का अनुभव होता है। ऐसा लगता है कि पूरी प्रकृति खुशी मना रही है। मन में उत्साह और स्फूर्ति का संचार हो जाता है।

3. वर्षा ऋतु में आपको कौन-कौन सी गतिविधियाँ करने या खेल खेलने में आनंद आता है?
उत्तर: वर्षा ऋतु में मुझे कई गतिविधियाँ करने में आनंद आता है, जैसे:

  • कागज की नाव बनाना: बरसाती पानी में नाव को बहते देखना बहुत सुखद लगता है।
  • बारिश में भीगना: दोस्तों के साथ बारिश में नाचना और गाना।
  • कीचड़ में फुटबॉल खेलना: कीचड़ में खेलना थोड़ा कठिन होता है, लेकिन बहुत मजेदार भी।
  • तालाब में तैरना: सावन में तालाब भर जाते हैं, और तैरने में बहुत मजा आता है।
  • पतंगबाजी: हल्की बारिश के बीच रंग-बिरंगी पतंग उड़ाना एक अद्भुत अनुभव है।

4. सावन के महीने में हमारे देश में अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। आपके घर, परिवार या गाँव में सावन में कौन-कौन से त्योहार मनाए जाते हैं? किसी एक के विषय में अपने अनुभव बताइए।
उत्तर: मेरे गाँव में सावन के महीने में रक्षा बंधन प्रमुख रूप से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधती हैं और उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई बहन को उपहार देते हैं और जीवनभर उनकी रक्षा का वचन देते हैं।
सावन की फुहारों के बीच रक्षा बंधन का त्योहार मनाना बहुत खास लगता है। सुबह से ही बहनें राखी की तैयारी में जुट जाती हैं। मिठाइयों की खुशबू और त्योहार का उल्लास पूरे घर में फैल जाता है। भाई-बहन की हँसी-खुशी और प्यार का यह पर्व सावन की हरियाली के बीच मन में नई ऊर्जा और उमंग का संचार करता है।

(ख) बसो मेरे नैनन में नंदलाल
इस पद में मीरा श्रीकृष्ण को ‘संतों को सुख देने वाला’ और ‘भक्तों का पालन करने वाला’ कहती हैं।

1. क्या आपके जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति है जो सदैव आपकी सहायता करता है और आपको आनंदित करता है?  विस्तार से बताइए।  
उत्तर: मेरे जीवन में मेरी माँ वह व्यक्ति हैं जो सदैव मेरी सहायता करती हैं और मुझे आनंदित करती हैं। चाहे कितनी भी कठिन परिस्थिति क्यों न हो, माँ हमेशा मेरी ढाल बनकर खड़ी रहती हैं।

  • सहायता और समर्थन: जब भी मैं किसी समस्या में होता हूँ, माँ अपनी समझदारी और अनुभव से मुझे सही राह दिखाती हैं। परीक्षा के समय मुझे प्रोत्साहित करती हैं और आत्मविश्वास बढ़ाती हैं।
  • खुशियाँ और स्नेह: माँ का प्यार और दुलार मुझे हर परिस्थिति में सुकून देता है। उनके हाथ का बना खाना और सुबह की दुलार भरी मुस्कान मेरे लिए दुनिया की सबसे बड़ी खुशी है।
  • संस्कार और सिखावन: माँ ने मुझे सच्चाई और ईमानदारी का पाठ सिखाया है। कठिन समय में धैर्य बनाए रखने की सीख भी माँ से ही मिली है।

माँ मेरे लिए न केवल एक मार्गदर्शक हैं, बल्कि मेरी सबसे अच्छी मित्र भी हैं। उनके बिना मेरा जीवन अधूरा है। उनके स्नेह और देखभाल से मैं सदैव आनंदित और सुरक्षित महसूस करता हूँ।

2. कवयित्री ने पद में ‘नूपुर’ और ‘ध्रुव तारा’ जैसे उदाहरणों का प्रयोग किया है। किसी का वर्णन करने के लिए हम केवल बड़ी-बड़ी ही नहीं, बल्कि उससे जुड़ी छोटी-छोटी बातें भी बता सकते हैं। आप भी अपने आस-पास के किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करते हुए उससे जुड़ी छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दीजिए और उन्हें लिखिए।
उत्तर: मैं अपने दादा जी का वर्णन करना चाहूँगा। दादा जी मेरे परिवार के सबसे स्नेही और अनुभवी सदस्य हैं।

  • व्यक्तित्व: दादा जी का चेहरा हमेशा मुस्कुराता रहता है। उनका सफेद धोती-कुर्ता और माथे पर लाल तिलक उनकी पहचान है।
  • आदतें और व्यवहार: सुबह जल्दी उठकर पूजा-पाठ करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा है। वे हर शाम बगीचे में पौधों को पानी देते हैं और बच्चों को कहानियाँ सुनाते हैं।
  • खास बातें: उनकी कहानी सुनाते समय चेहरे की चमक और हाथों के इशारे बच्चों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। जब भी कोई बात समझानी होती है, वे हमेशा कहानी के माध्यम से सीख देते हैं।
  • उनका हौसला: दादा जी हमेशा कहते हैं, “कभी हार मत मानो, कोशिश करते रहो।” वे मेरे जीवन में प्रेरणा का स्रोत हैं।

दादा जी की छोटी-छोटी बातें जैसे प्यार से पुकारना, बच्चों के सिर पर हाथ फेरना और आशीर्वाद देना, मेरे दिल को खुशी और सुकून देती हैं। उनके साथ समय बिताना मेरे लिए सबसे आनंददायक क्षण होता है।

विशेषताएँ

“मोहिन मूर्ति साँवली सूरति, नैना बने विशाला”

(क) इस पंक्ति में कवियित्री ने श्रीकृष्ण की मोहिनी मूर्ति, साँवली सूरति और विशाल नैनों की बात की है। आपको श्रीकृष्ण की कौन-कौन सी बातें सबसे अधिक आकर्षित किया ?
उत्तर: श्रीकृष्ण की कई विशेषताएँ मुझे अत्यधिक आकर्षित करती हैं:

  • मोहिनी मूरत: श्रीकृष्ण की सुंदर और मोहक छवि, जिनके साँवले स्वरूप में गजब की आकर्षण है। उनकी बाँसुरी की मधुर ध्वनि जो मन को मोह लेती है।
  • साँवरी सूरत: सांवले रंग के बावजूद उनका आकर्षण अनोखा है। उनके व्यक्तित्व में सहजता और सादगी का मेल है।
  • भक्तवत्सलता: श्रीकृष्ण का अपने भक्तों के प्रति स्नेह, जो उन्हें हर परिस्थिति में सहारा देता है। उनका गोपियों के प्रति अपनत्व और प्रेम मुझे अत्यधिक प्रभावित करता है।

(ख) किसी व्यक्ति या वस्तु का कौन-सा गुण आपको सबसे अधिक आकर्षित करता है ?  अपने जीवन से जुड़े कसी व्यक्ति या वस्तु के उदाहरण से बताइए।
उत्तर: मुझे किसी व्यक्ति का ईमानदारी का गुण सबसे अधिक आकर्षित करता है।
क्यों: ईमानदार व्यक्ति सच्चाई के मार्ग पर चलता है और दूसरों का विश्वास जीतता है।
ऐसे लोग निडर और सशक्त होते हैं क्योंकि उन्हें अपने कर्मों पर गर्व होता है।
उदाहरण: मेरे पिताजी का ईमानदारी से जीवन जीना मुझे सबसे अधिक प्रेरित करता है।
एक बार जब दुकान में गलती से ज्यादा पैसे लौटाए गए, तो उन्होंने तुरंत लौटाकर सही पैसे ले लिए।
इस घटना से मैंने सीखा कि चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
उनके इस गुण ने मुझे सिखाया कि सच्चाई में ही सच्चा सुख है।

(ग) हम सबकी कुछ विशेषताएँ बाह्य तो कुछ आंतरिक होती हैं। बाह्य विशेषताएँ तो हमें दिखाई दे जाती हैं, लेकिन आंतरिक विशेषताएँ व्यक्ति के व्यवहार से पता चलती हैं। आप अपनी दोनों प्रकार की विशेषताओं के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर: बाह्य और आंतरिक विशेषताएँ:
1. बाह्य विशेषताएँ (दिखने वाली):

  • रंग और कद: मैं साँवला हूँ और मेरी कद मध्यम है।
  • पहनावा: मुझे हल्के रंग के कपड़े पहनना पसंद है, जो मेरी सादगी को दर्शाते हैं।

2. आंतरिक विशेषताएँ (व्यवहार से प्रकट):

  • सहनशीलता: कठिन परिस्थिति में भी मैं धैर्य नहीं खोता और शांतिपूर्वक सोचता हूँ।
    जब परीक्षा में कम अंक आए, तो मैंने मेहनत जारी रखी और अगले बार अच्छे अंक लाए।
  • सहृदयता: दूसरों की सहायता करना मुझे सुख देता है।
    एक बार एक घायल पक्षी को मैंने पानी और दाना देकर उसकी देखभाल की।

मधुर ध्वनियाँ

“अधर सुधा रस मुरली राजति, उर वैजंती माल।। 
क्षुद्र घंटिका कटितट सोभित, नूपुर शब्द रसाल।।”
इन पंक्तियों में तीन ऐसी वस्तुओं के नाम आए हैं, जिनसे मधुर ध्वनियाँ उत्पन्न होती हैं। उन वस्तुओं के नाम पहचानिए और उनके नीचे रेखा खींचिए।
आगे मधुर ध्वनियाँ उत्पन्न करने वाले कुछ वाद्ययंत्रों के विषय में पहेलियाँ दी गई हैं। इन्हें पहचानकर सही चित्रों के साथ रेखा खींचकर मिलाइए-

उत्तर: 

चित्र करते हैं बातें

नीचे दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए-

यह मीरा का काँगड़ा शैली में बना चित्र है। इस चित्र के आधार पर मीरा के संबंध में एक अनुच्छेद लिखिए।

उत्तर: मीरा का काँगड़ा शैली में बना चित्र उनकी भक्ति और सादगी को दर्शाता है। चित्र में मीरा को साधारण वस्त्रों में, हाथ में तानपुरा लिए हुए दिखाया गया है, जो उनकी संगीतमय भक्ति को व्यक्त करता है। उनके चेहरे पर शांति और श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम का भाव है। पृष्ठभूमि में रंगीन फूल और प्रकृति का चित्रण सावन के महीने की सुंदरता को दर्शाता है। यह चित्र मीरा की भक्ति, संगीत, और प्रकृति प्रेम को जीवंत करता है।

सावन से जुड़े गीत 

अपने परिजनों, मित्रों, शिक्षकों, पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता से सावन में गाए जाने वाले गीतों को ढूँढिए और किसी एक गीत को अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए। आप सावन से जुड़ा कोई भी लोकगीत, खेलगीत, कविता आदि लिख सकते हैं। कक्षा के सभी सदस्य द्वारा एकत्रित गीतों को जोड़कर एक पुस्तिका बनाइए और कक्षा के पुस्तकालय में उसे सम्मिलित कीजिए।
उत्तर: सावन के महीने में गाए जाने वाले गीतों का भारतीय लोकसंस्कृति में विशेष महत्व है। सावन का मौसम हरियाली, वर्षा और उमंग का प्रतीक है। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में पारंपरिक लोकगीत, खेलगीत और भक्ति गीत गाए जाते हैं।
सावन का प्रसिद्ध लोकगीत:
“सावन का महीना, पवन करे सोर,
झूला पड़े तरु पर, रिमझिम बरसे घनघोर।
काहे को सजनी, रोवत है,
तेरा मन घबराए, सावन का महीना, पवन करे सोर।”
भावार्थ: यह गीत सावन के महीने में प्रेम और मिलन की आस से भरा हुआ है। झूला झूलने की परंपरा और सावन की फुहारें इसमें जीवंत रूप से व्यक्त होती हैं। यह गीत विशेषकर उत्तर भारत में गाया जाता है और इसका भाव प्रिय के विरह में तड़प और मिलने की आस को दर्शाता है।
प्रस्ताव: कक्षा के सभी छात्र-छात्राओं से अनुरोध है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों के सावन गीत एकत्र करें। सभी गीतों को संकलित कर एक पुस्तिका तैयार की जाएगी, जिसे कक्षा के पुस्तकालय में रखा जाएगा। इससे न केवल सांस्कृतिक विविधता का पता चलेगा बल्कि हमारी लोकसंस्कृति से भी परिचय होगा।

खोजबीन 

आपने पढ़ा कि मीरा श्रीकृष्ण की आराधना करती थीं। आपने कक्षा 6 की पुस्तक भरत में पढ़ा था कि सूरदास भी श्रीकृष्ण के भक्त थे। अपने समूह के साथ मिलकर सूरदास की कुछ रचनाएँ ढूँढ़कर कक्षा में सुनाइए। इसके लिए आप पुस्तकालय और इंटरनेट की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर: सूरदास: श्रीकृष्ण भक्ति के महान कवि
सूरदास हिंदी साहित्य के भक्तिकाल के प्रमुख कवि थे। वे श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त माने जाते हैं। सूरदास की रचनाओं में बालकृष्ण की बाल-लीलाओं और राधा-कृष्ण के प्रेम प्रसंगों का सजीव चित्रण मिलता है।
सूरदास की प्रसिद्ध रचना:
कृष्ण की बाल-लीला
“मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो।
ख्याल परायो नंदकिसोर, ननदी संग कन्हैया।
मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो।”
भावार्थ: इस पद में सूरदास ने बालकृष्ण की मासूमियत और शरारत का वर्णन किया है। जब माता यशोदा श्रीकृष्ण को माखन चोरी का दोष देती हैं, तो कृष्ण अपनी मासूमियत भरे अंदाज में कहते हैं कि उन्होंने माखन नहीं खाया।
साहित्यिक विशेषताएँ:

  • भक्ति रस: रचनाओं में भगवान कृष्ण के प्रति गहरी भक्ति और प्रेमभाव।
  • सरल भाषा: ब्रज भाषा में रचित, जिसमें सहजता और कोमलता है।
  • बाल-लीला वर्णन: कृष्ण के बाल रूप का अत्यंत मोहक चित्रण।
  • सजीव चित्रण: पाठक के समक्ष दृश्य को जीवंत करने की क्षमता।

आज की पहेली

पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। इसकी अंतिम ध्वनि से मिलती-जुलती ध्वनि वाले शब्दों में से खोजिए और लिखिए—
उत्तर:

खोजबीन के लिए

नीचे दी गई इंटरनेट कड़ियों का प्रयोग करके आप कवयित्री मीरा के बारे में और जान-समझ सकते हैं-

  • मीरा
    https://www.youtube.com/watch?v=KWKtPMSc-PA&ab_channel=NCERTOFFICIAL
  • मीरा के भजन
    https://www.youtube.com/watch?v=86Z-AA2vBQM&ab_channel=NCERTOFFICIAL
  • मीराबाई
    https://www.youtube.com/watch?v=O2GsmVi37sA&ab_channel=NCERTOFFICIAL
  • मीरा के भजन – एम एस सुब्बु लक्ष्मी
    https://www.youtube.com/watch?v=EhhOcNJXJel&ab_channel=Prasar Bharati Archives
  • मीरा फिल्म 1945 भाग एक
    https://www.youtube.com/watch?v=O05QUww2u7Q&ab_channel=Prasar BharatiArchives
  • मेरे तो गिरधर गोपाल
    https://www.youtube.com/watch?v=P8q9-cJK0dg&ab_channel=NCERTOFFICIAL

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं वीडियो देखे और इसकी खोजबीन करे।

09. चिड़िया अध्याय समाधान   

पाठ से

मेरी समझ से

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।

(1) कविता के आधार पर बताइए कि इनमें से कौन-सा गुण पक्षियों के जीवन में नहीं पाया जाता है?

  • प्रेम-प्रीति  
  • मिल-जुलकर रहना  
  • लोभ और पाप (★)  
  • निर्भय विचरण

उत्तर: लोभ और पाप
विश्लेषण: कविता में कहा गया है कि पक्षियों के मन में लोभ और पाप नहीं होता। वे अपने श्रम से प्राप्त संसाधनों से संतुष्ट रहते हैं और अतिरिक्त संसाधन दूसरों के लिए छोड़ देते हैं। इसलिए सही उत्तर “लोभ और पाप” है।

(2) “सब मिल-जुलकर रहते हैं ये, सब मिल-जुलकर खाते हैं।” कविता की यह पंक्ति किन भावों की ओर संकेत करती है?

  • असमानता और विभाजन  
  • प्रतिस्पर्धा और संघर्ष  
  • समानता और एकता (★)  
  • स्वार्थ और ईर्ष्या

उत्तर: समानता और एकता
विश्लेषण: यह पंक्ति दर्शाती है कि पक्षी एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहते और खाते हैं, जो समानता और एकता का प्रतीक है। इसलिए सही उत्तर “समानता और एकता” है।

(3) “वे कहते हैं, मानव! सीखो, तुम हमसे जीना जग में” कविता में पक्षी मनुष्य से कैसा जीवन जीने के लिए कहते हैं?

  • आकाश में उड़ते रहना  
  • बंधन में रहना  
  • स्वच्छंद रहना (★)  
  • संचय करना

उत्तर: स्वतंत्र रहना
विश्लेषण: कविता में पक्षी मनुष्य को स्वतंत्र और निर्भय जीवन जीने की सीख देते हैं। वे कहते हैं कि मनुष्य को बंधनों (जैसे लोभ, स्वार्थ) से मुक्त होकर स्वच्छंद जीवन जीना चाहिए। इसलिए सही उत्तर “स्वतंत्र रहना” है।

(ख) अब अपने मित्रों के साथ मिलकर चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने।
उत्तर: हमने इन उत्तरों को इसलिए चुना क्योंकि वे कविता के मुख्य संदेश—स्वतंत्रता, एकता, और लोभ से मुक्ति—को सबसे अच्छे से व्यक्त करते हैं। कविता पक्षियों के सरल, स्वच्छंद, और सहयोगी जीवन से मनुष्य को प्रेरणा लेने की बात कहती है।

मिलकर करें मिलान

कविता में से चुनकर कुछ संदर्भ नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर बातचीत कीजिए और इन्हें इनके सही भावों से मिलाइए। इनके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने परिजनों और शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर:
पंक्तियों पर चर्चा

कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं, इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार  कक्षा में अपने समूह में साझा कीजिए  और लिखिए।

(क) “चिड़िया बैठी प्रेम-प्रीति की 
रीति हमें सिखलाती है।”
उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि चिड़िया हमें प्रेम और आपसी सहयोग से जीने की सीख देती है। पक्षी एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहते हैं और सभी के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करते हैं। यह हमें सिखाता है कि हमें भी अपने जीवन में प्रेम और एकता को अपनाना चाहिए।  

(ख) “उनके मन में लोभ नहीं है, 
पाप नहीं, प्रताड़न नहीं।”

उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि पक्षियों का मन शुद्ध और निष्कपट होता है। उनके मन में न तो लोभ होता है, न पाप और न ही दूसरों को कष्ट देने की भावना। यह हमें सिखाता है कि हमें भी लोभ और बुरे विचारों से दूर रहकर साधारण और संतोषी जीवन जीना चाहिए।  

(ग) “सीमा-हीन गगन में उड़ते, 
निर्भय विचरण करते हैं।”

उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि पक्षी बिना किसी डर के खुले आकाश में स्वतंत्र रूप से उड़ते हैं। यह उनकी स्वतंत्रता और निर्भयता को दर्शाता है। यह हमें सिखाता है कि हमें भी अपने जीवन में डर और बंधनों से मुक्त होकर स्वतंत्रता का आनंद लेना चाहिए।  

सोच-विचार के लिए

नीचे कविता की कुछ पंक्तियाँ और उनसे संबंधित प्रश्न दिए गए हैं। कविता पढ़ने के बाद अपनी समझ के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

(क) “सब मिल-जुलकर रहते हैं वे, सब मिल-जुलकर खाते हैं” पक्षियों के आपसी सहयोग की यह भावना हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी है?
उत्तर: पक्षियों का आपसी सहयोग हमें सिखाता है कि हमें भी समाज में एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहना चाहिए। जब हम सहयोग करते हैं, तो कार्य आसान हो जाते हैं और समाज में शांति बनी रहती है। उदाहरण के लिए, यदि हम अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर काम करें, तो हम बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। यह भावना हमें स्वार्थ और अकेलेपन से बचाती है।

(ख) “जो मिलता है, अपने श्रम से उतना भर ले लेते हैं” पक्षी अपनी आवश्यकताओं भर ही संचय करते हैं। मनुष्य का स्वभाव इससे भिन्न कैसे है?
उत्तर: पक्षी केवल अपनी जरूरत के अनुसार संसाधन लेते हैं और बाकी दूसरों के लिए छोड़ देते हैं। लेकिन मनुष्य का स्वभाव अक्सर लालची होता है। मनुष्य अपनी जरूरत से ज्यादा संचय करने की कोशिश करता है, जैसे अधिक धन, संपत्ति या संसाधन इकट्ठा करना। यह लोभ मनुष्य को स्वार्थी बनाता है और समाज में असमानता को बढ़ाता है।

(ग) “हम स्वच्छंद और क्यों तुमने, डाली है बेड़ी पग में?” पक्षी को स्वच्छंद और मनुष्य को बेड़ियों में क्यों बताया गया है?
उत्तर: पक्षी स्वच्छंद हैं क्योंकि वे बिना किसी लोभ, स्वार्थ या डर के खुले आकाश में उड़ते हैं। उनके जीवन में कोई बंधन नहीं है। लेकिन मनुष्य ने अपने पैरों में बेड़ियाँ डाल ली हैं, जैसे लोभ, स्वार्थ, ईर्ष्या और सामाजिक बंधन। ये बेड़ियाँ मनुष्य को स्वतंत्रता से वंचित करती हैं और उसे मानसिक रूप से बंधन में रखती हैं।

अनुमान और कल्पना से

अपने समूह में मिलाकर संवाद कीजिए—

1. चिड़िया मनुष्य को स्वतंत्रता का संदेश देती है, आपके अनुसार मनुष्य के पास किन कार्यों को करने की स्वतंत्रता है और किन कार्यों को करने की स्वतंत्रता नहीं है?
उत्तर: स्वतंत्रता है: मनुष्य को अपनी पसंद का भोजन खाने, अपनी शिक्षा प्राप्त करने, अपने विचार व्यक्त करने, और अपनी इच्छाओं को पूरा करने की स्वतंत्रता है। वह अपनी जिंदगी के निर्णय स्वयं ले सकता है और अपनी इच्छाओं के अनुसार जीवन जी सकता है।
स्वतंत्रता नहीं है: मनुष्य को दूसरों को नुकसान पहुँचाने, किसी के अधिकारों का उल्लंघन करने, समाज की नैतिकता और नियमों को तोड़ने, या पर्यावरण को नष्ट करने की स्वतंत्रता नहीं है। समाज और कानून ने कुछ प्रतिबंध लगाए हैं ताकि समाज में शांति और व्यवस्था बनी रहे।

2. चिड़िया और मनुष्य का जीवन एक-दूसरे से कैसे भिन्न है?
उत्तर: चिड़िया का जीवन: चिड़िया स्वतंत्र और संतोषी होती है। वह अपनी जरूरत के हिसाब से भोजन लेती है और कहीं भी अपना घर बना सकती है। वह बिना किसी चिंता के अपने दिन बिताती है और हमेशा आकाश में उड़ती रहती है। वह किसी तरह के बंधन या लोभ से मुक्त होती है।
मनुष्य का जीवन: मनुष्य का जीवन जटिल और बंधनों से भरा होता है। वह अपने समाज और परिवार के नियमों का पालन करता है। मनुष्य को भविष्य की चिंता, धन और प्रतिष्ठा के लिए संघर्ष, और समाज के दबावों का सामना करना पड़ता है। उसका जीवन अधिक संरचित और जिम्मेदारियों से भरा हुआ होता है।

3. चिड़िया कहीं भी अपना घर बना सकती है, यदि आपके पास चिड़िया जैसी सुविधा हो तो आप अपना घर कहाँ बनाना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर: मैं अपना घर समुद्र के किनारे बनाना चाहूँगा, जहाँ शांति और प्राकृतिक सुंदरता हो। वहाँ हवा ताजगी से भरी होती है और मैं वहाँ एक सरल, खुशहाल जीवन जी सकता हूँ। वहाँ मुझे प्राकृतिक सौंदर्य, ताजगी और शांति का अनुभव होगा, जो मुझे मानसिक शांति दे सकेगा।

4. यदि आप चिड़िया की भाषा समझ सकते तो आप चिड़िया से क्या बातें करते?
उत्तर: अगर मैं चिड़िया की भाषा समझ सकता, तो मैं उससे पूछता कि वह आकाश में उड़ते समय किस तरह का अनुभव करती है। मैं यह भी जानना चाहता कि वह स्वतंत्र रूप से उड़ते हुए दुनिया को कैसे देखती है और क्या उसे कभी डर लगता है। मैं उससे यह भी पूछता कि वह दुनिया के बारे में क्या सोचती है और क्यों वह इतनी स्वतंत्र और खुश रहती है।

कविता की रचना

“सब मिल-जुलकर रहते हैं वे
सब मिल-जुलकर खाते हैं।”

रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए ये शब्द लिखने-बोलने में एक जैसे हैं। इस तरह की शैली प्रायः कविता में आती है। अब आप सब मिल-जुलकर नीचे दी गई कविता को आगे बढ़ाइए—
संकेत— सब मिल-जुलकर हँसते हैं वे 
सब मिल-जुलकर गाते हैं……………
……………………………….
………………………………..

उत्तर: 
संकेत— सब मिल-जुलकर हँसते हैं वे
सब मिल-जुलकर गाते हैं
सब मिल-जुलकर उड़ते हैं वे
खुले गगन में नाचते हैं।
सब मिल-जुलकर जीते हैं वे
प्रेम-प्रीति में बंधते हैं।

भाषा की बात

पीपल की ऊँची डालि पर
बैठी चिड़िया गाती है!
तुम्हें याद क्या अपनी
बोली में संदेश सुनाती है?

रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। ‘गाती’ और ‘सुनाती’ रेखांकित शब्दों से चिड़िया के गाने और सुनाने के कार्य का बोध होता है। वे शब्द जिनसे कार्य करने का होने का बोध होता है, उन्हें क्रिया कहते हैं। कविता में ऐसे क्रिया शब्दों को ढूँढ़कर लिखिए और उनसे नए वाक्य बनाइए।
उत्तर: 
​कविता से लिए गए क्रिया शब्द:

  • बैठी
  • गाती
  • सुनाती
  • सीखो
  • रहते
  • खाते
  • लेते
  • उड़ते
  • करते

क्रिया शब्दों से बने नए वाक्य:

  • बैठी: रीमा बगीचे में पेड़ के नीचे बैठी है।
  • गाती: वह रोज़ सुबह मधुर भजन गाती है।
  • सुनाती: दादी रोज़ रात को हमें कहानी सुनाती हैं।
  • सीखो: हमें अपने अनुभवों से कुछ नया सीखो।
  • रहते: हम सब एक ही कॉलोनी में रहते हैं।
  • खाते: पक्षी दाने चुगते हैं और खुशी से खाते हैं।
  • लेते: बच्चे दुकान से टॉफी लेते हैं।
  • उड़ते: पतंगे आकाश में ऊँचाई तक उड़ते हैं।
  • करते: हम हर काम पूरे मन से करते।

पाठ से आगे

भावों की बात

(क) जब आप नीचे दिए गए दृश्य देखते हैं तो आपको कैसा महसूस होता है? अपने उत्तर के कारण भी लिखिए और बताइए। आप नीचे दिए गए भावों में से शब्द चुन सकते हैं। आप किसी भी दृश्य के लिए एक से अधिक शब्द भी चुन सकते हैं।

उत्तर: 


(ख) उपर्युक्त भावों में से आप कौन-से भाव कब-कब अनुभव करते हैं? भावों के नाम लिखकर उन स्थितियों के लिए एक-एक वाक्य लिखिए।
(संकेत— आत्मविश्वास— जब मैं अकेले पड़ोस की दुकान से कुछ खरीदकर ले आता हूँ।)

उत्तर:  

  • आत्मविश्वास: जब मैं अकेले मंच पर कविता सुनाता हूँ।
    वाक्य: मैं मंच पर निडर होकर कविता सुनाता हूँ, जिससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • प्रेम: जब मैं अपने छोटे भाई को कहानी सुनाता हूँ।
    वाक्य: मैं अपने भाई से बहुत प्रेम करता हूँ, इसलिए हर रात उसे कहानी सुनाता हूँ।
  • आनंद: जब मैं अपने दोस्तों के साथ खेलता हूँ।
    वाक्य: दोस्तों के साथ खेलने में मुझे बहुत आनंद आता है।
  • करुणा: जब मैं घायल जानवर को देखकर उसकी मदद करता हूँ।
    वाक्य: घायल कुत्ते को देखकर मेरे मन में करुणा जागी और मैंने उसे पानी दिया।
  • गर्व: जब मेरी चित्रकला स्कूल में प्रदर्शित की जाती है।
    वाक्य: मेरी पेंटिंग स्कूल की दीवार पर लगी देख मुझे बहुत गर्व हुआ।
  • शांति: जब मैं पेड़ के नीचे बैठकर किताब पढ़ता हूँ।
    वाक्य: हरियाली में बैठकर पढ़ाई करने से मन को बहुत शांति मिलती है।
  • उत्साह: जब हमें स्कूल पिकनिक पर ले जाया जाता है।
    वाक्य: स्कूल पिकनिक की खबर सुनते ही मैं उत्साह से भर गया।
  • दया: जब मैं किसी गरीब को खाना देता हूँ।
    वाक्य: भूखे बच्चे को खाना देते समय मेरे मन में दया का भाव आया।
  • चिंता: जब मेरा दोस्त बीमार होता है।
    वाक्य: जब राहुल स्कूल नहीं आया, तो मुझे उसकी तबीयत की चिंता हुई।
  • हँसी: जब कोई मजेदार कहानी सुनाता है।
    वाक्य: दादी की मजेदार कहानी सुनकर मेरी हँसी नहीं रुकी।

आज की पहेली

कविता में आपने कई पक्षियों के नाम पढ़े। अब आपके सामने पक्षियों से जुड़ी कुछ पहेलियाँ दी गई हैं। पक्षियों को पहचानकर सही चित्रों के साथ रेखा खींचकर जोड़िए-

1. दिखने में हूँ हरा-हरा 
कहता हूँ सब खरा-खरा 
खाता हूँ मैं मिर्ची लाल 
कहते सब मुझे मिडूलाल।
उत्तर: 
तोता

2. सुंदर काले मेरे नैन 
श्वेत श्याम है मेरे डैन 
उड़ता रहता हूँ दिन-रैन 
खेलूँ पानी में तो आए चैन।
उत्तर: 
चकवा

3. संदेश पहुँचाना मेरा काम 
देता हूँ शांति का पैगाम 
करता हूँ मैं गूटर-गूँ 
आओगे पास तो हो जाऊँगा छू।
उत्तर: 
कबूतर

4. पीता हूँ बारिश की बूँदें 
रखता हूँ फिर आँखें मूँदे 
देखो चकोर है मेरी साथी 
बिन उसके घूमें ऊँधें ऊँधें।
उत्तर: 
चातक

5. रहता है घर के आस-पास 
रंग है उसका काला खास 
जो भी दोगे खाता है वो 
झुंड में आ जाता है वो।
उत्तर: 
कौवा

6. कुहू कुहू मधुर आवाज सुनाती 
घर अपना मैं कहाँ बनाती 
काली हूँ पर काक नहीं 
बतलाओ मैं क्या कहलाती।
उत्तर: 
कोयल

7. तन मेरा सफेद 
गर्दन मेरी लंबी 
नाम बताओ सच्ची-सच्ची 
कहलाता हूँ मैं जलपक्षी।
उत्तर: 
हंस

चित्र की बात

इन तीनों चित्रों को ध्यान से देखिए और बताइए–
आप पक्षियों को इनमें से कहाँ देखना पसंद करेंगे और क्यों?

उत्तर: मैं पक्षियों को तीसरे चित्र में यानी हरे-भरे पेड़ों पर बने प्राकृतिक घोंसले में देखना पसंद करूंगा/करूंगी। क्योंकि वहाँ वे स्वतंत्र और सुरक्षित रहते हैं। वे अपनी मर्जी से उड़ सकते हैं, चहचहा सकते हैं और अपने घर खुद बना सकते हैं। यह उनका प्राकृतिक वातावरण है, जहाँ वे खुश रहते हैं। पिंजरे में बंद होना या ऊँची इमारतों के बीच रहना उनके लिए उचित नहीं, क्योंकि वहाँ उन्हें आज़ादी और सुकून नहीं मिलता।

निर्भय विचरण

“सीमा-हीन गगन में उड़ते, निर्भय विचरण करते हैं”
कविता की इन पंक्तियों को पढ़िए और इन चित्रों को देखिए। इन चित्रों को देखकर आपके मन में क्या विचार आ रहे हैं?
(संकेत- जैसे इन चित्रों में कौन निर्भय विचरण कर रहा है?)
उत्तर:
 इन चित्रों को देखकर निम्नलिखित विचार मन में आते हैं:

  • पहला चित्र (सफारी का दृश्य): इस चित्र में एक बस है जिसमें लोग बैठे हुए हैं और बस के चारों ओर जंगल का दृश्य है। बाहर एक शेर और एक भालू निर्भयता से विचरण कर रहे हैं। यहाँ जानवर स्वतंत्रता का आनंद ले रहे हैं, वे खुले में घूम रहे हैं। यह दृश्य जंगल सफारी का प्रतीक है, जहाँ जानवर स्वाभाविक रूप से निर्भय होकर रहते हैं।
  • दूसरा चित्र (चिड़ियाघर का दृश्य): इसमें जानवर पिंजरों में बंद हैं और लोग उन्हें देखने आ रहे हैं। शेर और बंदर दोनों पिंजरों में कैद हैं, जबकि लोग स्वतंत्र रूप से घूम रहे हैं। यहाँ जानवरों की स्वतंत्रता छिन गई है और वे सीमित दायरे में बंधे हुए हैं।

कविता के संदर्भ में विचार: कविता की पंक्तियाँ “सीमा-हीन गगन में उड़ते, निर्भय विचरण करते हैं” हमें स्वतंत्रता का एहसास कराती हैं। पहले चित्र में शेर और भालू की स्वतंत्रता निर्भय विचरण का प्रतीक है, जबकि दूसरे चित्र में उनकी स्वतंत्रता छीन ली गई है।

साथ-साथ

“वन में जितने पंछी हैं, खंजन, 
कपोत, चातक, कोकिल;
काक, हंस, शुक आदि वास
करते सब आपस में हिलमिल!”

1. वन में सारे पक्षी एक साथ रह रहे हैं, हमारे परिवेश में भी पशु-पक्षी साथ रहते हैं। आप विचार कीजिए कि हमारे परिवेश में उनका रहना क्यों आवश्यक है? 
उत्तर:
 पशु-पक्षी हमारे पर्यावरण का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखते हैं। उदाहरण के लिए, पक्षी कीटों को खाकर फसलों की रक्षा करते हैं, और उनके बीज फैलाने से पेड़-पौधे उगते हैं। पशु जैसे गाय और भैंस हमें दूध और खाद प्रदान करते हैं। इनके बिना पर्यावरण असंतुलित हो जाएगा, और हमारी खाद्य श्रृंखला प्रभावित होगी।

2. हम अपने आस-पास रहने वाले पशु-पक्षियों की सहायता कैसे कर सकते हैं?
उत्तर: हम अपने परिवेश में रहने वाले पशु-पक्षियों की सहायता निम्नलिखित तरीकों से कर सकते हैं:

  • पक्षियों के लिए पानी और दाना रख सकते हैं।
  • पेड़-पौधे लगाकर उनके लिए आवास बना सकते हैं।
  • कूड़ा-कचरा न फैलाकर उनके पर्यावरण को स्वच्छ रख सकते हैं।
  • पशुओं को भोजन और पानी देकर उनकी देखभाल कर सकते हैं।
  • जंगलों की कटाई रोकने के लिए जागरूकता फैला सकते हैं।

शब्द एक अर्थ अनेक

“उनके मन में लोभ नहीं है”, है”, इस पंक्ति में ‘मन’ का अर्थ ‘चित्त’ (बुद्धि) है, किंतु ‘मन’ शब्द के अन्य अर्थ भी हो सकते हैं। अब नीचे कुछ और पंक्तियों दी गई हैं, उन्हें भी पढ़िए-(क) आज मेरा मन पहाड़ों पर जाने का कर रहा है।
(ख) व्यापारी ने किसान से 10 मन अनाज खरीदा।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘मन’ शब्द का प्रयोग अलग-अलग अर्थों/संदर्भों में किया गया है। इस प्रकार हम देखते हैं कि एक ही शब्द दूसरे संदर्भ में अलग-अलग अर्थ दे रहा है। आइए, इससे संबंधित एक और रोचक उदाहरण देखते हैं-
“मंगल ने मंगल से कहा कि मंगल को मंगल पर मंगल होगा।”
(संकेत – इस वाक्य में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से दिन, ग्रह और शुभ कार्य की चर्चा कर रहा है।)
आगे कुछ और ऐसे ही शब्द दिए गए हैं। दिए गए शब्दों का अलग-अलग अर्थों या संदर्भों में प्रयोग कीजिए-
(क) कर ________________________________________________________
(ख) जल ________________________________________________________
(ग) अर्थ ________________________________________________________
(घ) फल ________________________________________________________
(ङ) आम ________________________________________________________

उत्तर:
(क) कर

  1. अर्थ (टैक्स): सरकार को हर साल आयकर देना पड़ता है।
  2. अर्थ (हाथ): उसने अपने कर से सुंदर चित्र बनाया।

(ख) जल

  1. अर्थ (पानी): हमें प्रतिदिन शुद्ध जल पीना चाहिए।
  2. अर्थ (चमक): उसका चेहरा खुशी से जल उठा।

(ग) अर्थ

  1. अर्थ (मतलब): इस कविता का गहरा अर्थ है।
  2. अर्थ (धन): उसने बहुत सारा अर्थ कमाया।

(घ) फल

  1. अर्थ (फल): मुझे आम खाना पसंद है।
  2. अर्थ (परिणाम): मेहनत का फल मीठा होता है।

(ङ) आम

  1. अर्थ (फल): आम फलों का राजा है।
  2. अर्थ (सामान्य): यह एक आम बात है।

रचनात्मकता

(क) खुले आसमान में, पेड़ों की टहनियों, छतों और भवनों आदि पर बैठे या उड़ते पक्षी बहुत मनमोहक लगते हैं। अपनी पसंद के ऐसे कुछ दृश्यों का कोलाज बनाकर कक्षा में प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर: 


(ख) ‘स्वतंत्रता और प्रेम’ का संदेश देने वाला एक पोस्टर बनाइए। इसमें इस कविता की कोई पंक्ति या संदेश भी शामिल कीजिए।
उत्तर:

हमारा पर्यावरण

मनुष्य बिना सोचे-समझे जंगलों की लगातार कटाई कर रहा है, जिससे पशु-पक्षियों का जीवन प्रभावित हो रहा है। मनुष्य द्वारा किए जा रहे ऐसे कार्यों की एक सूची बनाइए, जिनसे पर्यावरण व हमारे परिवेश के पशु-पक्षियों के लिए संकट की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इस संकट की स्थिति से बचने के लिए क्या-क्या के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं? लिखिए। आप इस कार्य में शिक्षक, इंटरनेट और पुस्तकालय की सहायता भी ले सकते हैं।
(संकेत- जैसे ऊँचे भवनों का निर्माण…….)

उत्तर:
पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले कार्य:

  1. जंगलों की कटाई।
  2. प्लास्टिक और कूड़े का अंधाधुंध उपयोग।
  3. प्रदूषण (वायु, जल, ध्वनि)।
  4. अवैध शिकार।
  5. बड़े-बड़े भवनों और सड़कों का निर्माण।

उपाय:

  1. अधिक से अधिक पेड़ लगाना।
  2. प्लास्टिक का उपयोग कम करना और रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देना।
  3. प्रदूषण कम करने के लिए साफ ऊर्जा (सौर, पवन) का उपयोग करना।
  4. शिकार पर रोक लगाना और वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र बनाना।
  5. पर्यावरण जागरूकता अभियान चलाना।

परियोजना कार्य

(क) पर्यावरण संरक्षण के लिए हम अपने स्तर पर कुछ प्रयास कर सकते हैं। आप अपने विद्यालय, आस-पास और घरों में देखिए कि किन-किन कार्यों में प्लास्टिक के थैले का प्रयोग किया जाता है? उन कार्यों की सूची बनाइए। अब इनमें प्रयोग किए जा रहे प्लास्टिक के थैलों के विकल्पों पर विचार कीजिए और लिखिए। 
(संकेत- जैसे- हम प्लास्टिक के थैले की जगह कागज या कपड़े के थैले का प्रयोग किन-किन कार्यों में कर सकते हैं।)

उत्तर: पर्यावरण संरक्षण के लिए प्लास्टिक थैलों के प्रयोग और उनके विकल्पों की सूची:
प्लास्टिक थैलों के प्रयोग वाले कार्य:
हम अपने विद्यालय, आस-पास और घरों में निम्नलिखित कार्यों में प्लास्टिक के थैलों का प्रयोग होते देखते हैं:

  • सब्ज़ी और फल लाने में
  • किराने का सामान लाने में
  • टिफिन या खाना ले जाने में
  • स्कूल के प्रोजेक्ट मटेरियल रखने में
  • दूध या ब्रेड जैसी पैक वस्तुएँ लाने में
  • गीले कपड़े या जूते रखने में
  • कूड़ा फेंकने के लिए

इन कार्यों में प्लास्टिक के थैलों के विकल्प:
निष्कर्ष: अगर हम इन दैनिक कार्यों में प्लास्टिक थैलों की जगह कागज़, कपड़े या जूट के थैले अपनाएं, तो हम पर्यावरण को बहुत हद तक प्रदूषण से बचा सकते हैं। हमें बार-बार इस्तेमाल किए जा सकने वाले थैले रखने की आदत डालनी चाहिए।

(ख) सभी विद्यार्थी ‘पर्यावरण बचाओ’ विषय पर एक नुक्कड़ नाटक तैयार करें और उसकी प्रस्तुति विद्यालय प्रांगण में करें।
उत्तर: 
​​​​
नुक्कड़ नाटक: “पर्यावरण बचाओ”
स्थान: विद्यालय प्रांगण
समय: 5–7 मिनट
पात्र:

  1. सूत्रधार (Narrator)
  2. पेड़ (1 या 2 छात्र)
  3. जानवर (जैसे गाय, पक्षी, कुत्ता आदि)
  4. मनुष्य 1 (प्लास्टिक फेंकने वाला)
  5. मनुष्य 2 (सिगरेट पीने वाला)
  6. मनुष्य 3 (पर्यावरण रक्षक)
  7. बच्चे (जागरूकता फैलाने वाले)
  8. सभी पात्र मिलकर गीत या नारा लगाते हैं

नाटक की शुरुआत
सूत्रधार:
(लाउड वॉइस में)
“हमारे चारों ओर का वातावरण यानी पर्यावरण, हमें जीवन देता है – पेड़, पानी, हवा, जानवर – सब कुछ। पर आज इंसान खुद अपने हाथों से इसे नष्ट कर रहा है। देखिए यह दृश्य…”

दृश्य 1: प्रदूषण का प्रभाव
(एक मनुष्य कूड़ा फैला रहा है, पेड़ पर प्लास्टिक लिपटा है, जानवर खाने के लिए कुछ ढूँढ रहा है)
जानवर: (दुखी होकर) “मुझे खाने को कुछ नहीं मिलता, सब जगह कूड़ा और प्लास्टिक है।”
पेड़: “मेरी साँसे घुट रही हैं। धुएं और प्लास्टिक से मैं बीमार हो गया हूँ।”
पक्षी: “मुझे अब उड़ने के लिए साफ आसमान नहीं मिलता।”

दृश्य 2: चेतावनी
सूत्रधार: “अगर ऐसे ही चलता रहा, तो एक दिन धरती पर जीवन नहीं बचेगा। अब समय है कुछ करने का!”

दृश्य 3: बदलाव की शुरुआत
मनुष्य 3 (पर्यावरण रक्षक): “हमें अब समझदारी दिखानी होगी – पेड़ लगाओ, प्लास्टिक हटाओ, कचरा डस्टबिन में डालो, और जल बचाओ!”
बच्चे मिलकर:
“हम सब मिलकर करेंगे ये काम,
धरती माँ को देंगे आराम।
प्लास्टिक नहीं – कपड़े के थैले,
पेड़ लगाएँ हर इक गली-मोहल्ले!”

अंत में नारा (सभी मिलकर):
“पेड़ लगाओ, पर्यावरण बचाओ!”
“प्लास्टिक हटाओ, धरती बचाओ!”
“हर बच्चा अब ये माने,
धरती को स्वच्छ बनाएँ!”
(इच्छानुसार एक छोटा गीत या स्लोगन पर नृत्य भी जोड़ा जा सकता है)

संदेश: “अगर हम आज नहीं जागे, तो कल बहुत देर हो जाएगी। पर्यावरण बचाना, हम सबकी जिम्मेदारी है!”

साझी समझ

आप इंटरनेट या किसी अन्य माध्यम की सहायता से अन्य प्रवासी पक्षियों के बारे में रोचक जानकारी एकत्रित कीजिए और प्रवासी पक्षियों पर लेख लिखिए।
उत्तर: प्रवासी पक्षियों पर लेख
प्रवासी पक्षी क्या होते हैं
प्रवासी पक्षी वे पक्षी होते हैं जो एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं। यह यात्रा वे भोजन की तलाश में, सर्दी से बचने या प्रजनन के लिए करते हैं। हर साल कुछ पक्षी हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके भारत आते हैं।
भारत में आने वाले कुछ प्रमुख प्रवासी पक्षी

  • साइबेरियन क्रेन: यह पक्षी साइबेरिया से उड़कर राजस्थान के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में सर्दियों में आता है।
  • ग्रेटर फ्लेमिंगो: यह पक्षी गुजरात के कच्छ के रण में हर साल बड़ी संख्या में आता है।
  • अमूर फाल्कन: यह पक्षी मणिपुर और ओडिशा से होते हुए चीन तक जाता है और हजारों किलोमीटर की यात्रा करता है।
  • बार हेडेड गूज: यह पक्षी तिब्बत से उड़कर हिमाचल प्रदेश की पोंग झील में आता है। यह बहुत ऊंचाई पर उड़ने वाला पक्षी है।
  • ब्लू टेल्ड बी ईटर: यह गर्मियों में भारत आता है और छोटे कीड़ों को खाता है।

भारत में प्रवासी पक्षियों के प्रमुख स्थल

  • चिल्का झील ओडिशा में स्थित है जहां हजारों प्रवासी पक्षी हर साल आते हैं।
  • पोंग झील हिमाचल प्रदेश में स्थित है और बार हेडेड गूज का मुख्य ठिकाना है।
  • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान में स्थित है जहां साइबेरियन क्रेन हर साल आता है।

प्रवासी पक्षियों की समस्याएं
इन पक्षियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जैसे इनके रहने की जगहें नष्ट हो रही हैं। मौसम में बदलाव से इन्हें परेशानी होती है। कुछ जगहों पर इनका शिकार भी किया जाता है।

हम क्या कर सकते हैं
हमें इन पक्षियों के रहने के स्थानों को सुरक्षित रखना चाहिए। लोगों को इनके बारे में जानकारी देनी चाहिए। इनका शिकार रोकने के लिए सख्त कानूनों का पालन करना चाहिए।

निष्कर्ष: प्रवासी पक्षी हमारे पर्यावरण के लिए बहुत जरूरी हैं। हमें मिलकर इनकी रक्षा करनी चाहिए ताकि ये पक्षी हर साल भारत आते रहें और हमारी प्रकृति को सुंदर बनाते रहें।

खोजबीन के लिए

नीचे दी गई इंटरनेट कड़ियों का प्रयोग करके आप जीव-जगत के बारे में और भी जान-समझ सकते हैं-

  • हमारा पर्यावरण
    https://youtu.be/gKvAoGtZY1I?si=3Z9zHAxMzeosnm7L
  • वह चिड़िया जो
    https://youtu.be/T93aUA1jHkI?feature=shared

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं वीडियो देखे और इसकी खोजबीन करे।

08. बिरजू महाराज से साक्षात्कार अध्याय समाधान 

पाठ से

मेरी समझ से

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सबसे सही उत्तर कौन-सा है? उनके सामने तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।

(1) बिरजू महाराज ने गंडा बाँधने की परंपरा में परिवर्तन क्यों किया होगा?

  • वे गुरु के प्रति शिष्य की निष्ठा को परखना चाहते थे।
  • वे नृत्य शिक्षण के लिए इस परंपरा को महत्वपूर्ण नहीं मानते थे।
  • वे नृत्य के प्रति शिष्य की लगन व समर्पण को जांचना चाहते थे। (★)
  • वे शिष्य की भेंट देने की सामर्थ्य को परखना चाहते थे।

उत्तर: वे नृत्य के प्रति शिष्य की लगन व समर्पण को जांचना चाहते थे।
स्पष्टीकरण: बिरजू महाराज ने कहा कि वे कई वर्षों तक नृत्य सिखाने के बाद शिष्य की सच्ची लगन देखकर ही गंडा बाँधते हैं। इससे पता चलता है कि वे शिष्य के समर्पण और लगन को महत्व देते थे, न कि भेंट की सामर्थ्य या परंपरा की औपचारिकता को।

(2) “जीवन में उतार-चढ़ाव तो होते ही हैं।” बिरजू महाराज के जीवन में किस तरह के उतार-चढ़ाव आए?

  • पिता के देहांत के बाद आर्थिक अभावों का सामना करना पड़ा।  (★)
  • कोई भी संस्था नृत्य प्रस्तुतियों के लिए आमंत्रित नहीं करती थी।
  • किसी विशेष समय में घर में सुख-समृद्धि थी।    (★)
  • नृत्य के औपचारिक प्रशिक्षण के अवसर बहुत ही सीमित हो गए थे।

उत्तर: पिता के देहांत के बाद आर्थिक अभावों का सामना करना पड़ा।
किसी विशेष समय में घर में सुख-समृद्धि थी।
स्पष्टीकरण: बिरजू महाराज ने बताया कि उनके पिता के देहांत के बाद आर्थिक तंगी आई, जिससे परिवार को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। साथ ही, शुरुआती जीवन में हवेली और सिपाहियों के साथ सुख-समृद्धि भी थी। अन्य विकल्पों का पाठ में स्पष्ट उल्लेख नहीं है।

(3) बिरजू महाराज के अनुसार बच्चों को लय के साथ खेलने की अनुशंसा क्यों की जानी चाहिए?

  • संगीत, नृत्य, नाटक और अन्य कलाएँ बच्चों में मानवीय मूल्यों का विकास नहीं करती हैं।
  • कला संबंधी विषयों से जुड़ाव बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।  (★)
  •  कला भी एक खेल है, जिसमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।  (★)
  • वर्तमान समय में कला एक सफल माध्यम नहीं है।

उत्तर: कला संबंधी विषयों से जुड़ाव बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 
कला भी एक खेल है, जिसमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। 
स्पष्टीकरण: बिरजू महाराज ने कहा कि लय के साथ खेलना बच्चों को अनुशासन और संतुलन सिखाता है, और यह उनके बौद्धिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कला को एक खेल के रूप में भी देखा, जिसमें सीखने के कई अवसर हैं।

(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर: मैंने ये उत्तर इसलिए चुने क्योंकि:

  1. बिरजू महाराज ने गंडा बाँधने की परंपरा को शिष्य की लगन पर आधारित किया, जो उनकी शिक्षण शैली की गहराई को दर्शाता है।
  2. उनके जीवन में सुख-समृद्धि और आर्थिक तंगी दोनों का उल्लेख है, जो उनके उतार-चढ़ाव को स्पष्ट करता है।
  3. कला को खेल मानकर और इसके बौद्धिक लाभों को देखकर मैंने ये विकल्प चुने।

मिलकर करें मिलान

पाठ से चुनकर कुछ शब्द एवं शब्द समूह नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें उनके सही संदर्भ या अवधारणाओं से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।

उत्तर: 

शीर्षक

इस पाठ का शीर्षक ‘बिरजू महाराज से साक्षात्कार’ है। यदि आप इस साक्षात्कार को कोई अन्य नाम देना चाहते हैं, तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों चुना? लिखिए।
उत्तर: नया शीर्षक: “कथक के महाराज: बिरजू महाराज की कहानी”
कारण: यह शीर्षक बिरजू महाराज की कथक में महारत और उनके जीवन की प्रेरणादायक कहानी को दर्शाता है। यह आकर्षक और प्रासंगिक है, जो पाठकों का ध्यान खींचेगा।

पंक्तियों पर चर्चा

साक्षात्कार में से चुनकर कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और इन पर विचार करें। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार लिखिए।

  • “तुम नौकरी में बँट जाओगे। तुम्हारे अंदर का नर्तक पूरी तरह पनप नहीं पाएगा।”

उत्तर: अर्थ: बिरजू महाराज के चाचा ने उनसे कहा कि नौकरी करने से उनका ध्यान नृत्य से हट जाएगा, और वे कथक में पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाएँगे।
विचार: यह वाक्य दर्शाता है कि कला के लिए पूर्ण समर्पण चाहिए। नौकरी जैसे अन्य कार्य कला की साधना में बाधा बन सकते हैं।

  • “लय हम नर्तकों के लिए देवता है।”

उत्तर: अर्थ: लय को नर्तक के लिए सबसे महत्वपूर्ण और पूजनीय माना गया है, जैसे कोई देवता।
विचार: यह वाक्य लय की महत्ता को दर्शाता है, जो नृत्य को सुंदर और संतुलित बनाती है। लय के बिना नृत्य अधूरा है।

  • “नृत्य में शरीर, ध्यान और तपस्या का साधन होता है।”

उत्तर: अर्थ: नृत्य केवल शारीरिक गतिविधि नहीं है; इसमें मन का ध्यान और तपस्या जैसी मेहनत भी शामिल है।
विचार: यह वाक्य नृत्य को एक आध्यात्मिक और समर्पित कला के रूप में प्रस्तुत करता है, जो साधना की तरह है।

  • “कथक में गर्दन को हल्के से हिलाया जाता है, चिराग की लौ के समान।”

उत्तर: अर्थ: कथक में गर्दन की हल्की और कोमल गति को चिराग की लौ की तरह सुंदर और नाजुक बताया गया है।
विचार: यह वाक्य कथक की कोमलता और सौंदर्य को दर्शाता है, जो इसे अन्य नृत्यों से अलग बनाता है।

सोच-विचार के लिए

1. साक्षात्कार को एक बार पुन: पढ़ें और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

(क) बिरजू महाराज नृत्य का औपचारिक प्रशिक्षण आरंभ होने से पहले ही कथक कैसे सीख गए थे?
उत्तर: बिरजू महाराज ने औपचारिक प्रशिक्षण से पहले घर के कथक माहौल में देख-देखकर कथक सीखा। उनके पिता, चाचा और परिवार में कथक का अभ्यास होता था, जिससे वे छोटी उम्र में ही नवाब के दरबार में नाचने लगे थे।

(ख) नृत्य सीखने के लिए संगीत की समझ होना क्यों अनिवार्य है?
उत्तर: संगीत की समझ नृत्य के लिए जरूरी है क्योंकि नृत्य में लय और ताल का विशेष महत्व है। बिरजू महाराज ने कहा कि लय नृत्य को सुंदरता और संतुलन देती है। अगर नर्तक को सुर-ताल की समझ हो, तो वह गलत लय को पहचान सकता है और नृत्य को बेहतर बना सकता है।

(ग) नृत्य के अतिरिक्त बिरजू महाराज को और किन-किन कार्यों में रुचि थी?
उत्तर: बिरजू महाराज को मशीनों और यंत्रों में रुचि थी। वे पेचकस और छोटे औजार रखते थे और पंखा, फ्रिज जैसी मशीनें ठीक करते थे। उन्हें चित्रकला में भी रुचि थी, और उन्होंने लगभग सत्तर चित्र बनाए।

(घ) बिरजू महाराज ने बच्चों की शिक्षा और रुचियों के बारे में अभिभावकों से क्या कहा है?
उत्तर: बिरजू महाराज ने अभिभावकों से कहा कि अगर बच्चे को संगीत या नृत्य में रुचि है, तो उसे लय के साथ खेलने दें। कला एक खेल की तरह है, जो अनुशासन, संतुलन और बौद्धिक विकास सिखाती है। उन्होंने बच्चों को संगीत सीखने की सलाह दी, क्योंकि यह मन की शांति के लिए जरूरी है।

2. पाठ में से उन प्रसंगों की पहचान करें और उन पर चर्चा करें, जिनसे पता चलता है कि—

(क) बिरजू महाराज बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।
उत्तर:
प्रसंग: उन्होंने कथक में नवाचार किए, जैसे भाव-भंगिमाओं को शामिल करना और आधुनिक कवियों की रचनाओं पर नृत्य रचना।
वे तबला, हारमोनियम बजाते थे और गाना भी गाते थे।
मशीनों को ठीक करने और चित्रकला में उनकी रुचि थी।
चर्चा: ये प्रसंग दर्शाते हैं कि बिरजू महाराज केवल नर्तक नहीं थे, बल्कि संगीत, चित्रकला और तकनीकी कार्यों में भी निपुण थे।

(ख) बिरजू महाराज को नृत्य की ऊँचाइयों तक पहुँचाने में उनकी माँ का बहुत योगदान रहा।
उत्तर:
प्रसंग: उनकी माँ ने आर्थिक तंगी में भी उन्हें अभ्यास जारी रखने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने पुरानी साड़ियों के सोने-चाँदी के तार बेचकर परिवार का गुजारा किया और बिरजू की तालीम के लिए भेंट दी।
चर्चा: माँ की प्रेरणा और त्याग ने बिरजू को कठिन समय में भी कथक की साधना करने की शक्ति दी।

(ग) बिरजू महाराज महिलाओं के लिए समानता के पक्षधर थे।
उत्तर:
प्रसंग: उन्होंने अपनी बेटियों को कथक सिखाया, जबकि उनकी बहनों को नहीं सिखाया गया था।
वे मानते थे कि लड़कियों को शिक्षा और हुनर सीखना चाहिए ताकि वे आत्मनिर्भर बनें।

चर्चा: ये प्रसंग दिखाते हैं कि बिरजू महाराज ने लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया और महिलाओं की शिक्षा को महत्व दिया।

शब्दों की बात

(क) पाठ में आए कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें—
आपने इन शब्दों पर ध्यान दिया होगा कि मूल शब्द के आगे या पीछे कोई शब्दांश जोड़कर नया शब्द बना है। इससे शब्द के अर्थ में परिवर्तन आ गया है। शब्द के आगे जुड़ने वाले शब्दांश उपसर्ग कहलाते हैं, जैसे—
अदृश्य → अ + दृश्य
आवरण → आ + वरण
प्रशिक्षण → प्र + प्रशिक्षण
यहाँ पर ‘अ’, ‘आ’ और ‘प्र’ उपसर्ग हैं।
शब्द के पीछे जुड़ने वाले शब्दांश प्रत्यय कहलाते हैं और मूल शब्द के अर्थ में नवीनता, परिवर्तन या विशेष प्रभाव उत्पन्न करते हैं, जैसे—
सीमित → सीमा + इत
सुंदरता → सुंदर + ता
भारतीय → भारत + ईय
सामूहिक → समूह + इक
यहाँ पर ‘इत’, ‘ता’, ‘ईय’ और ‘इक’ प्रत्यय हैं।

उत्तर: पाठ में दिए गए शब्दों में उपसर्ग और प्रत्यय का उपयोग हुआ है:

  • आजीविका: आ + जीविका (उपसर्ग: आ)
  • प्रशिक्षण: प्र + शिक्षण (उपसर्ग: प्र)
  • आधुनिक: आ + धुनिक (उपसर्ग: आ)
  • पारंपरिक: परंपरा + इक (प्रत्यय: इक)
  • शास्त्रीय: शास्त्र + ईय (प्रत्यय: ईय)

(ख) नीचे दो तबले दी गई हैं—एक में कुछ शब्दांश (उपसर्ग व प्रत्यय) हैं, और दूसरे तबले में मूल शब्द हैं। इनकी सहायता से नए शब्द बनाइए।
उत्तर: 

(ग) इस पाठ में से उपसर्ग व प्रत्यय की सहायता से बने कुछ और शब्द छाँटकर उनसे वाक्य बनाइए।
उत्तर:

  • अद्भुत (उपसर्ग अद् + भुत)।
    वाक्य: बिरजू महाराज का नृत्य अद्भुत होता था।
  • कलाकार (मूल शब्द कला + प्रत्यय कार)।
    वाक्य: वे एक महान कलाकार के रूप में प्रसिद्ध हुए।
  • नृत्यांगना (मूल शब्द नृत्य + प्रत्यय अंगा)।
    वाक्य: उन्होंने कई नृत्यांगनाओं को प्रशिक्षित किया।
  • मंचन (मूल शब्द मंच + प्रत्यय न)।
    वाक्य: उनका कथक नृत्य मंचन दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता था।
  • प्रेरणा (मूल शब्द प्रेरण + प्रत्यय आ)।
    वाक्य: उन्हें अपनी माँ से प्रेरणा मिली।
  • अभिनय (उपसर्ग अभि + नय)।
    वाक्य: उनके नृत्य में अभिनय की अद्भुत झलक होती थी।
  • सांस्कृतिक (मूल शब्द संस्कृति + प्रत्यय क)।
    वाक्य: बिरजू महाराज ने भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को विश्वभर में पहुँचाया।

शब्दों का प्रभाव

पाठ में आए नीचे दिए गए वाक्य पढ़ें—
1. “कुछ कथिक डर गए किंतु उन कथिकों की कला में इतना दम था कि डाकू सब कुछ भूलकर उन कथिकों के कथक में मग्न हो गए।”
इस वाक्य में रेखांकित शब्द ‘इतना’ हटाकर वाक्य पिढ़ए और पहचािनए कि क्या परिवर्तन आया है?

उत्तर: इस वाक्य में रेखांकित शब्द ‘इतना’ हटाने पर वाक्य का प्रभाव बदल जाता है। ‘इतना’ शब्द कला की विशिष्टता और प्रभाव को अधिक गहराई से व्यक्त करता है। इसे हटाने से वाक्य का प्रभाव हल्का हो जाता है और कथिकों की कला की महत्ता कम प्रतीत होती है।

पाठ में आए अन्य वाक्यों में ऐसे शब्द खोजें और उन्हें रेखांकित करें, जिनके प्रयोग से वाक्य में विशेष प्रभाव उत्पन्न होता है।
अन्य वाक्य और शब्द:

  • वाक्य: “लय एक तरह का आवरण है, जो नृत्य को सुंदरता प्रदान करती है।”
  • शब्द: ‘आवरण’ – यह शब्द लय को एक विशेष गुण के रूप में दर्शाता है।
  • वाक्य: “नृत्य करना एक तरह से अदृश्य शक्ति को निमंत्रण देना है।”
  • शब्द: ‘अदृश्य’ – यह नृत्य को आध्यात्मिक बनाता है।

पाठ से आगे 

कला का संसार

(क) बिरजू महाराज— “कथक की पुरानी परंपरा को तो कायम रखा है। हाँ, उसके प्रस्तुतीकरण में बदलाव किए हैं।” इस कथन को ध्यान में रखते हुए लिखें कि कथक की प्रस्तुतियों में किस प्रकार के परिवर्तन आए हैं?
उत्तर: कथक की प्रस्तुतियों में आए परिवर्तन इस प्रकार हैं:

  • मंचीय रूप में विकास: पहले कथक दरबारों और मंदिरों में प्रस्तुत किया जाता था, लेकिन अब यह मंच पर नाट्य रूप में प्रस्तुत किया जाने लगा है।
  • कथावाचन का समावेश: बिरजू महाराज ने कथक में भाव और अभिनय के साथ कथावाचन जोड़ा, जिससे नृत्य की प्रस्तुति और अधिक प्रभावशाली और संवादपूर्ण बन गई।
  • नई विषयवस्तु का चयन: परंपरागत धार्मिक कथाओं के साथ-साथ सामाजिक, ऐतिहासिक और समकालीन विषयों को भी कथक में शामिल किया गया।
  • लाइटिंग और संगीत में प्रयोग: मंच पर रौशनी, बैकग्राउंड संगीत और तकनीकी प्रभावों का उपयोग कर कथक को और आकर्षक बनाया गया।
  • दर्शकों से संवाद: बिरजू महाराज ने कथक को केवल देखने की कला न बनाकर, दर्शकों से जुड़ने की कला बना दिया वे दर्शकों को समझाते, मुस्कुराते और भावों से जोड़ते थे।

(ख) लोकनृत्य और शास्त्रीय नृत्य में क्या अंतर है? लिखिए। 
(इस प्रश्न के उत्तर के लिए आप अपने सहपाठियों, अभिभावकों, शिक्षकों, पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।)
उत्तर:


(ग) “बैरगिया नाला जुलुम जोर,
नौ कथिक नचावें तीन चोर।
जब तबला बोले धीन–धीन,
तब एक-एक पर तीन-तीन।”
इस पाठ में हरिया गाँव में गाए जाने वाले उपर्युक्त पद का उल्लेख है। आप अपने क्षेत्र में गाए जाने वाले किसी लोकगीत को कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर: लोकगीत:
सावन की आई बहार रे,
बदरिया बरसे झमाझम रे।
मोर नाचे, कोयल गाए,
हरियाली छाए चारों धाए रे।

साक्षात्कार की रचना

प्रस्तुत ‘साक्षात्कार’ के आधार पर बताइए—

(क) साक्षात्कार से पहले क्या-क्या तैयारियाँ की गई होंगी?
उत्तर: साक्षात्कार से पहले निम्नलिखित तैयारियां की गई होंगी:

  • बिरजू महाराज के जीवन, कथक करियर, और उपलब्धियों पर शोध किया गया होगा।
  • उनके कथक घराने और योगदान के बारे में जानकारी एकत्र की गई होगी।
  • बच्चों के लिए सरल और प्रासंगिक प्रश्न तैयार किए गए होंगे।
  • साक्षात्कार का समय और स्थान निश्चित किया गया होगा।

(ख) आप इस साक्षात्कार में और क्या-क्या प्रश्न जोड़ना चाहेंगे?
उत्तर: इस साक्षात्कार में निम्लिखित प्रश्न जोड़ना चाहेंगे: 

  • कथक सीखने की शुरुआत करने वाले बच्चों को आप क्या सलाह देंगे?
  • विदेशों में कथक की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए आपने क्या प्रयास किए?
  • कथक के भविष्य को आप कैसे देखते हैं?

(ग) यह साक्षात्कार एक सुप्रसिद्ध कलाकार का है। यदि आपको किसी सब्जी विक्रेता, रिक्शा चालक, घरेलू सहायक या सहायिका का साक्षात्कार लेना हो तो आपके प्रश्न किस प्रकार के होंगे?
उत्तर: यदि मुझे सब्जी विक्रेता, रिक्शा चालक, या घरेलू सहायक का साक्षात्कार लेना हो, तो प्रश्न इस प्रकार होंगे:

  • आपने यह काम क्यों और कब शुरू किया?
  • आपके काम में सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
  • दिनभर के काम के बाद आप अपने परिवार के साथ समय कैसे बिताते हैं?
  • आपके सपने और भविष्य की योजनाएँ क्या हैं?

सृजन

आपके विद्यालय में कथक नृत्य का आयोजन होने जा रहा है।

(क) आप दर्शकों को कथक नृत्यकला के बारे में क्या-क्या बताएँगे? लिखिए।
उत्तर: कथक भारत का एक प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है जिसकी उत्पत्ति उत्तर भारत में हुई। यह नृत्यकला “कथक” शब्द से बनी है, जिसका अर्थ है – “कहानी कहने वाला”। कथक की विशेषता इसकी सुंदर मुद्राएँ, भावपूर्ण अभिनय (अभिनय), घुंघरूओं की लयबद्ध झंकार, तथा ताल की सटीकता में निहित होती है। इसमें कलाकार तालबद्ध घूमनों, तेज़ पैर की थापों और आँखों के भावों से कथा को प्रस्तुत करता है। प्रसिद्ध कथक नर्तक बिरजू महाराज जी ने इस नृत्य को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। यह नृत्य सिर्फ कला नहीं, भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी है। इस नृत्य के माध्यम से रामायण, महाभारत जैसी कथाएँ भी प्रस्तुत की जाती हैं।

(ख) इस कार्यक्रम की सूचना देने के लिए एक विज्ञापन तैयार करें।
उत्तर: सूचना/विज्ञापन
विद्यालय में कथक नृत्य कार्यक्रम
सभी विद्यार्थियों, अभिभावकों एवं शिक्षकों को सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय में एक विशेष कथक नृत्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में विद्यालय के प्रतिभाशाली छात्र-छात्राएँ अपनी नृत्य प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे।
तिथि: 15 मई 2025
समय: प्रातः 10:30 बजे
स्थान: विद्यालय सभागार
विशेष आकर्षण: बिरजू महाराज शैली में कथक प्रस्तुति
सभी से अनुरोध है कि समय पर उपस्थित होकर कलाकारों का उत्साहवर्धन करें।
— प्रधानाचार्य,
सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज

(ग) यदि इस नृत्य कार्यक्रम में कोई दृष्टिबाधित दर्शक है और वह नृत्य का आनंद लेना चाहे तो इसके लिए विद्यालय की ओर से क्या व्यवस्था की जानी चाहिए?
उत्तर: यदि कार्यक्रम में कोई दृष्टिबाधित दर्शक है, तो विद्यालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह भी नृत्य का आनंद ले सके। इसके लिए एक प्रशिक्षित स्वयंसेवक या टिप्पणीकार को नियुक्त किया जाना चाहिए जो उन्हें कार्यक्रम के दौरान मुँहज़ुबानी रूप में नृत्य की प्रत्येक गतिविधि, भाव-भंगिमा, वेशभूषा, मंच सजावट और कथा की जानकारी दे। यह विवरण धीमी आवाज़ में या हेडफोन के माध्यम से दिया जा सकता है ताकि अन्य दर्शकों को असुविधा न हो। इसके साथ-साथ कथक के संगीत, ताल और घुंघरुओं की आवाज़ से वह दर्शक नृत्य के भावों को अनुभव कर सकता है। इस प्रकार की व्यवस्था उन्हें भी सम्मानपूर्वक सांस्कृतिक अनुभव का अवसर प्रदान करेगी और समावेशी वातावरण को बढ़ावा देगी।

आज की पहेली

“अगर नर्तक को सुर-ताल की समझ है तो वह जान पाएगा कि यह लहरा ठीक नहीं है, इसके माध्यम से नृत्य अंगों में प्रवेश नहीं करेगा।” संगीत में लय को प्रदर्शित करने के लिए ताल का सहारा लिया जाता है। किसी भी गीत की पंक्तियों में लगने वाले समय को मात्राओं द्वारा ठीक उसी प्रकार मापा जाता है, जैसे दैनिक जीवन में समय को सेकंड के द्वारा मापा जाता है। ताल कई मात्रा समूहों का संयुक्त रूप होता है। संगीत के समय को मापने की सबसे छोटी इकाई ‘मात्रा’ होती है और ताल कई मात्राओं का संयुक्त रूप होता है। जिस तरह घंटे में मिनट और मिनट में सेकंड होते हैं, उसी तरह ताल में मात्रा होती है। आज हम आपके लिए ताल से जुड़ी एक अनोखी पहेली लाए हैं।
एक विद्यार्थी ने अपनी डायरी में अपने विद्यालय के किसी एक दिन का उल्लेख किया है। उस उल्लेख में संगीत की कुछ तालों के नाम आए हैं। आप उन तालों के नाम ढूँढिए—

अब नीचे दी गई शब्द पहेली में से संगीत की उन तालों के नाम ढूँढकर लिखें।

उत्तर: शब्द पहेली और डायरी के उल्लेख से तालों के नाम:

07. वर्षा-बहार अध्याय समाधान 

पाठ से

मेरी समझ से

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) इस कविता में वर्षा ऋतु का कौन-सा भाव मुख्य रूप से उभर कर आता है?

  • दुख और निराशा
  • आनंद और प्रसन्नता  (*)
  • भय और चिंता
  • क्रोध और विरोध

उत्तर: आनंद और प्रसन्नता
विश्लेषण: कविता में वर्षा को खुशी, उत्साह और प्रकृति की सुंदरता के साथ दर्शाया गया है। मोर नृत्य करते हैं, मेंढक गीत गाते हैं, और किसान प्रसन्न होकर गीत गाते हैं। यह सब आनंद और प्रसन्नता का भाव दिखाता है।

(2) “नभ में छटा अनूठी” और “घनघोर छा रही है” पंक्तियों का उपयोग वर्षा ऋतु के किस दृश्य को व्यक्त करने के लिए किया गया है?

  • बादलों के घिरने का दृश्य ​  (*)
  • बिजली के गिरने का दृश्य
  • ठंडी हवा के बहने का दृश्य
  • आमोद छा जाने का दृश्य

उत्तर: बादलों के घिरने का दृश्य
विश्लेषण: इन पंक्तियों में आकाश में बादलों की अनूठी छटा और घने बादलों का छा जाना दर्शाया गया है, जो वर्षा से पहले बादलों के घिरने का दृश्य है।

(3) कविता में वर्षा को ‘अनोखी बहार’ कहा गया है क्योंकि—

  • कवि वर्षा को विशेष ऋतु मानता है। 
  • वर्षा में सभी जीव-जंतु सक्रिय हो जाते हैं। (*)
  • वर्षा सबके लिए सुख और संतोष लाती है। (*)
  • वर्षा एक अद्भुत अनोखी प्राकृतिक घटना है। (*)

उत्तर: वर्षा में सभी जीव-जंतु सक्रिय हो जाते हैं।
वर्षा सबके लिए सुख और संतोष लाती है।
वर्षा एक अद्भुत अनोखी प्राकृतिक घटना है।
विश्लेषण: कवि वर्षा को विशेष मानता है क्योंकि जीव-जंतु सक्रिय हो जाते हैं, सुख लाती है, और यह एक अनोखी प्राकृतिक घटना है।

(4) “सारे जगत की शोभा, निर्भर है इसके ऊपर” इस पंक्ति का क्या अर्थ है?

  • प्रकृति में सभी जीव-जंतु एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
  • वर्षा पृथ्वी पर हरियाली और जीवन का मुख्य स्रोत है।
  • बादलों की सुंदरता से ही पृथ्वी की शोभा बढ़ती है।
  • हमें वर्षा ऋतु से जगत की भलाई की प्रेरणा लेनी चाहिए।

उत्तर: वर्षा पृथ्वी पर हरियाली और जीवन का मुख्य स्रोत है।
विश्लेषण: यह पंक्ति बताती है कि वर्षा के बिना हरियाली, फसलें, और जीवन संभव नहीं है। यह पृथ्वी के जीवन और सुंदरता का आधार है।

(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें?
उत्तर: मैंने ये उत्तर इसलिए चुने क्योंकिः

  1. मैंने “आनंद और प्रसन्नता” को वर्षा ऋतु का मुख्य भाव इसलिए चुना, क्योंकि पूरी कविता में चारों ओर खुशियाँ, नृत्य, गीत, हरियाली और प्रसन्नता का वर्णन किया गया है। कहीं भी दुख या डर जैसा भाव नहीं है।
  2. “बादलों के घिरने का दृश्य” मैंने इसलिए चुना क्योंकि “नभ में छटा अनूठी” और “घनघोर छा रही है” पंक्तियाँ साफ़ तौर पर आकाश में काले बादलों के जमने को दर्शाती हैं।
  3. वर्षा में सभी जीव-जंतु सक्रिय हो जाते हैं।, “वर्षा सबके लिए सुख और संतोष लाती है” और “वर्षा एक अद्भुत अनोखी प्राकृतिक घटना है”, ये दोनों उत्तर मुझे सही लगे, क्योंकि कविता में दिखाया गया है कि वर्षा से सभी जीव-जंतु और मानव आनंदित होते हैं और यह दृश्य बहुत ही विशेष व सुंदर होता है।
  4. “वर्षा पृथ्वी पर हरियाली और जीवन का मुख्य स्रोत है”- यह उत्तर मैंने इसलिए चुना, क्योंकि कविता के अंत में कहा गया है कि “सारे जगत की शोभा, निर्भर है इसके ऊपर”, जो यह स्पष्ट करता है कि वर्षा से ही धरती हरी-भरी और सुंदर बनती है।

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और विचार करें। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए—

(क) “फिरते लाखों पपीहे, हैं ग्रीष्म ताप खोते
करते हैं नृत्य वन में, देखो ये मोर सारे।”
उत्तरअर्थः गर्मी की ऋतु में जो पपीहे तपन से व्याकुल थे, वे अब वर्षा के आगमन से राहत महसूस कर रहे हैं और उड़ते-फिरते दिखाई देते हैं। वहीं, मोर वर्षा के स्वागत में वन में नृत्य कर रहे हैं।
मेरे विचारः वर्षा ऋतु का आगमन केवल मौसम का बदलाव नहीं लाता, बल्कि यह जीव-जंतुओं के जीवन में भी खुशियाँ और उत्साह भर देता है। यह पंक्ति हमें यह समझाती है कि प्रकृति के प्राणी भी ऋतुओं के परिवर्तन से प्रभावित होते हैं और अपनी खुशी का सुंदर ढंग से प्रदर्शन करते हैं।

(ख) “चलते हैं हंस कहीं पर, बाँधे कतार सुंदर, गाते हैं गीत कैसे, लेते किसान मनहर।”
उत्तरअर्थः हंस एक सीधी और अनुशासित कतार में चलते हैं, जो देखने में बहुत सुंदर लगता है। किसान भी वर्षा के समय प्रसन्न होकर मन लगाकर गीत गाते हुए खेतों में काम करते हैं।
मेरे विचारः इस पंक्ति में प्राकृतिक सौंदर्य और मानव जीवन में वर्षा के सकारात्मक प्रभाव का चित्रण है। जैसे हंसों की कतार सुंदरता और अनुशासन का प्रतीक है, वैसे ही किसान भी वर्षा से प्रसन्न होकर अपने कार्य में आनंद पाते हैं। यह दिखाता है कि वर्षा केवल प्रकृति ही नहीं, बल्कि मानव समाज में भी उल्लास का कारण बनती है।

मिलकर करें मिलान

कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ स्तंभ 1 में दी गई हैं, उनके भावार्थ स्तंभ 2 में दिए गए हैं। स्तंभ 1 की पंक्तियों का स्तंभ 2 की उपयुक्त पंक्तियों से मिलान करें—
उत्तर

सोच-विचार के लिए

कविता को एक बार पुनः ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए—
(क) कविता में कौन-कौन गीत गा रहे हैं और क्यों?
उत्तर: कविता में मालिनें (बाग की देखभाल करने वाली स्त्रियाँ) और किसान गीत गा रहे हैं।

  • मालिनें बागों में सुंदर गीत गा रही हैं क्योंकि वर्षा से बागों में हरियाली और सुंदरता लौट आई है।
  • किसान खेतों में काम करते हुए मनमोहक गीत गा रहे हैं क्योंकि वर्षा ने उनकी फसलों की उम्मीदें जगा दी हैं और वे प्रसन्न हैं।

(ख) “बिजली चमक रही है, बादल गरज रहे हैं” 
 “तालों में जीव जलचर, अति हैं प्रसन्न होते”
दी गई दोनों पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए। इनमें वर्षा के दो अलग-अलग दृश्य दर्शाए गए हैं। इन दोनों में क्या कोई अंतर है? क्या कोई संबंध है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
अंतर:

  • पहली पंक्ति में वर्षा से पहले का दृश्य है, जहाँ बिजली चमकती और बादल गरजते हैं। यह प्रकृति की शक्ति और उथल-पुथल को दर्शाता है।
  • दूसरी पंक्ति में वर्षा के बाद का दृश्य है, जहाँ तालाबों में पानी भरने से जलचर जीव प्रसन्न होते हैं। यह शांति और खुशी का दृश्य है।

संबंध:

  • दोनों पंक्तियाँ वर्षा के अलग-अलग पहलुओं को दिखाती हैं। बिजली और बादलों की गर्जना वर्षा की शुरुआत है, जो तालाबों में पानी लाती है। यह पानी जलचर जीवों की प्रसन्नता का कारण बनता है।
  • दोनों दृश्य वर्षा के चक्र का हिस्सा हैं: पहले बादल और बिजली, फिर पानी और जीवन का उत्सव।

(ग) कविता में मुख्य रूप से कौन-सी बात कही गई है? उसे पहचानिए, समझिए और अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: कविता “वर्षा-बहार” में मुख्य रूप से वर्षा ऋतु की सुंदरता और इसके महत्व को दर्शाया गया है। यह बताती है कि वर्षा प्रकृति को ताजगी, हरियाली, और खुशी देती है। सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, और मनुष्य वर्षा से आनंदित होते हैं। कविता यह भी कहती है कि वर्षा पृथ्वी की शोभा और जीवन का आधार है।

(घ) “खिलता गुलाब कैसा, सौरभ उड़ा रहा है” इस पंक्ति को पढ़कर एक खिलते हुए गुलाब का सुंदर चित्र मस्तिष्क में बन जाता है। इस पंक्ति का उद्देश्य केवल गुलाब की सुंदरता को बताना है या इसका कोई अन्य अर्थ भी हो सकता है?
उत्तर: इस पंक्ति का उद्देश्य सिर्फ गुलाब की सुंदरता नहीं, बल्कि वर्षा ऋतु में प्रकृति की ताजगी, सुगंध और सजीवता को दर्शाना है। यह पंक्ति वर्षा से आए परिवर्तन और वातावरण में फैली प्रसन्नता और जीवन के उत्सव का प्रतीक भी है।

(ङ) कविता में से उन पंक्तियों को चुनकर लिखिए जिनमें सकारात्मक गतिविधियों का उल्लेख किया गया है, जैसे— ‘गीत गाना’, ‘नृत्य करना’ और ‘सुगंध फैलाना’। इन गतिविधियों के आधार पर बताइए कि इस कविता का शीर्षक ‘वर्षा-बहार’ क्यों रखा गया है।
उत्तर:
सकारात्मक गतिविधियों वाली पंक्तियाँ:

  • “बागों में गीत सुंदर, गाती हैं मालिनें अब” (गीत गाना)
  • “करते हैं नृत्य वन में, देखो ये मोर सारे” (नृत्य करना)
  • “मेंढक लुभा रहे हैं, गाकर सुगीत प्यारे” (गीत गाना)
  • “खिलता गुलाब कैसा, सौरभ उड़ा रहा है” (सुगंध फैलाना)
  • “गाते हैं गीत कैसे, लेते किसान मनहर” (गीत गाना)

शीर्षक ‘वर्षा-बहार’ क्यों?:

  • “वर्षा-बहार” शीर्षक वर्षा के साथ आने वाली खुशी और उत्सव को दर्शाता है। ये सकारात्मक गतिविधियाँ जैसे गीत गाना, नृत्य करना, और सुगंध फैलाना दिखाती हैं कि वर्षा प्रकृति और मनुष्यों में नई ऊर्जा और आनंद भर देती है।
  • “बहार” शब्द वसंत या खुशी का प्रतीक है, और वर्षा इस खुशी को लाती है, जिससे यह शीर्षक उपयुक्त है।

अनुमान और कल्पना से

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए—

(क) “सारे जगत की शोभा, निर्भर है इसके ऊपर” कविता में कहा गया है कि वर्षा पर सारे संसार की शोभा निर्भर है। वर्षा के अभाव में मानव जीवन और पशु-पक्षियों पर क्या-क्या प्रभाव पड़ सकता है?
उत्तर:
मानव जीवन पर प्रभाव:

  • कृषि पर असर: बिना वर्षा के फसलें नहीं उगेंगी, जिससे भोजन की कमी हो सकती है।
  • पानी की कमी: नदियाँ, तालाब, और कुएँ सूख जाएँगे, जिससे पीने और सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलेगा।
  • आर्थिक नुकसान: किसानों की आय कम होगी, और खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ेंगी।

पशु-पक्षियों पर प्रभाव:

  • खाद्य और पानी की कमी: जंगल सूख जाएँगे, जिससे पशु-पक्षियों को भोजन और पानी नहीं मिलेगा।
  • प्रजनन पर असर: पानी की कमी से कई प्रजातियों का जीवन चक्र प्रभावित होगा।
  • आवास का नुकसान: सूखे के कारण जंगल और तालाब सूख जाएँगे, जिससे पशु-पक्षियों के रहने की जगह कम होगी।

(ख) “बिजली चमक रही है, बादल गरज रहे हैं” बिजली चमकना और बादल का गरजना प्राकृतिक घटनाएँ हैं। इन घटनाओं का लोगों के जीवन पर क्या-क्या प्रभाव हो सकता है?
(संकेत – आप सकारात्मक और नकारात्मक यानी अच्छे और बुरे, दोनों प्रकार के प्रभावों के बारे में सोच सकते हैं।)
उत्तर:
सकारात्मक प्रभाव:

  • वर्षा की शुरुआत: बिजली और बादल वर्षा का संकेत देते हैं, जो फसलों और पानी की उपलब्धता के लिए अच्छा है।
  • प्रकृति की सुंदरता: बिजली की चमक और बादलों की गर्जना प्रकृति की शक्ति और सुंदरता को दर्शाती हैं, जो लोगों को आनंद देती हैं।

नकारात्मक प्रभाव:

  • भय और खतरा: बिजली गिरने से लोगों, पशुओं, और संपत्ति को नुकसान हो सकता है।
  • बाढ़ का खतरा: तेज गर्जना के साथ भारी वर्षा से बाढ़ आ सकती है, जो फसलों और घरों को नष्ट कर सकती है।
  • यातायात में रुकावट: बिजली और गर्जना के साथ तेज वर्षा सड़कों को बंद कर सकती है।

(ग) “करते हैं नृत्य वन में, देखो ये मोर सारे” इस पंक्ति को ध्यान में रखते हुए वर्षा आने पर पक्षियों और जीवों की खुशी का वर्णन कीजिए। वे अपनी प्रसन्नता कैसे व्यक्त करते होंगे?
उत्तर: वर्षा आने पर पक्षी और जीव अपनी खुशी को विभिन्न तरीकों से व्यक्त करते हैं। जैसे:

  • मोर: वर्षा शुरू होते ही मोर अपने रंग-बिरंगे पंख फैलाकर नृत्य करते हैं, जैसे वे प्रकृति के साथ उत्सव मना रहे हों।
  • पपीहे: वे मधुर स्वर में गीत गाते हैं, जो उनकी खुशी और गर्मी से राहत को दर्शाता है।
  • मेंढक: तालाबों में पानी भरने पर मेंढक टर्र-टर्र की आवाज करते हैं, जो उनके लिए गीत की तरह है।
  • हंस: वे सुंदर कतारों में तैरते या उड़ते हैं, जो उनकी प्रसन्नता और अनुशासन को दिखाता है।
  • अन्य पक्षी: कोयल, तोते, और अन्य पक्षी चहचहाकर अपनी खुशी व्यक्त करते हैं।

आपकी रचनाएँ

(क) कविता में वर्णन है कि मोर नृत्य कर रहे हैं और मेंढक सुगीत गा रहे हैं। इस दृश्य को अपने शब्दों में चित्रित कीजिए।
उत्तर: जब वर्षा की पहली बूँदें धरती पर गिरती हैं, तो जंगल में एक उत्सव सा शुरू हो जाता है। मोर अपने सुंदर नीले-हरे पंख फैलाकर धीरे-धीरे नाचने लगते हैं। उनकी हरकतें ऐसी हैं जैसे वे बादलों का स्वागत कर रहे हों। पास के तालाब में मेंढक टर्र-टर्र की मधुर आवाज में गीत गा रहे हैं। पानी की बूँदों के साथ तालाब में छोटी-छोटी लहरें बन रही हैं, और मेंढक उछल-उछलकर अपनी खुशी जाहिर कर रहे हैं। पेड़ों की पत्तियाँ हवा में हिल रही हैं, और चारों तरफ ठंडक और ताजगी फैल रही है। यह दृश्य ऐसा है जैसे प्रकृति एक रंगीन मंच पर नृत्य और संगीत का प्रदर्शन कर रही हो।

(ख) वर्षा से जुड़ी किसी प्राचीन कथा या लोककथा को इस कविता से जोड़कर एक कहानी तैयार कीजिए।
उत्तरकहानी: इंद्रदेव और जंगल की खुशी
एक बार एक छोटे से गाँव के पास एक घना जंगल था। उस जंगल में मोर, मेंढक, हंस, और कई पेड़-पौधे थे। लेकिन उस साल गर्मी बहुत तेज थी, और जंगल सूख रहा था। मोर के पंख मुरझा गए, मेंढकों के तालाब सूख गए, और किसानों के खेत बंजर हो गए। सभी ने इंद्रदेव से वर्षा की प्रार्थना की।  
एक रात, जंगल के सबसे बूढ़े बरगद के पेड़ ने सभी जीवों को बुलाया और कहा, “हमें इंद्रदेव को अपनी खुशी दिखानी होगी।” मोर ने कहा, “मैं नाचूँगा!” मेंढकों ने कहा, “हम गीत गाएँगे!” और हंसों ने कहा, “हम सुंदर कतार में उड़ेंगे!” अगले दिन, जैसे ही सूरज उगा, मोर ने अपने पंख फैलाए और नाचने लगा। मेंढक तालाब के किनारे गाने लगे, और हंस कतार बनाकर आकाश में उड़ने लगे। उनकी खुशी देखकर इंद्रदेव प्रसन्न हो गए। उन्होंने घने बादल भेजे, बिजली चमकी, और मूसलाधार वर्षा शुरू हो गई।  जंगल फिर से हरा-भरा हो गया। गुलाब खिलने लगे, और उनकी सुगंध चारों तरफ फैल गई। किसान खेतों में गीत गाने लगे। यह सब देखकर बरगद का पेड़ मुस्कुराया और बोला, “वर्षा-बहार हमारी एकता और खुशी की देन है।”  
कविता से संबंध: यह कहानी कविता की पंक्तियों जैसे “करते हैं नृत्य वन में”, “मेंढक लुभा रहे हैं”, और “गाते हैं गीत कैसे” से प्रेरित है, जो वर्षा की खुशी को दर्शाती हैं।

(ग) इस कविता से प्रेरणा लेकर एक चित्र बनाइए। उसमें आपने क्या-क्या बनाया है और क्यों?
उत्तर: मैंने चित्र में घने बादल, बिजली चमकती हुई, बरसती हुई बारिश, हरे-भरे पेड़ और खेत बनाए हैं। बीच में रंग-बिरंगे मोर नृत्य करते हुए दिखाए हैं। तालाब के किनारे मेंढक ‘टर्र-टर्र’ करते हुए गा रहे हैं। साथ ही कुछ किसान खेत में काम करते हुए गीत गा रहे हैं। इस चित्र में मैंने वर्षा ऋतु की खुशियों, प्रकृति की ताजगी और सभी जीव-जंतुओं की प्रसन्नता को दर्शाने की कोशिश की है, जैसा कि कविता में वर्णित है।

शब्द से जुड़े शब्द

अपने समूह में चर्चा करके ‘वर्षा’ से जुड़े शब्द नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में लिखिए—

उत्तर:

कविता की रचना

वर्षा-बहार सब के, मन को लुभा रही है”
इस पंक्ति में रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। ‘वर्षा’ एक ऋतु का नाम है। ‘बहार’ ‘वसंत’ का दूसरा नाम है। यहाँ ‘वर्षा’ और ‘बहार’ को एक साथ दिया गया है जिससे वर्षा ऋतु की सुंदरता को स्पष्ट किया जा सके।
इस कविता में ऐसी ही अन्य विशेषताएँ छिपी हैं, जैसे— कविता की कुछ पंक्तियाँ सरल वाक्य के रूप में हैं, तो कुछ में वाक्य संरचना सरल नहीं है।
अपने समूह के साथ मिलकर इस कविता की अन्य विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।

उत्तर: कविता “वर्षा-बहार” की विशेषताएँ:

  • वर्षा और बहार का मिलन: कविता में “वर्षा” और “बहार” दो शब्दों को एक साथ जोड़ा गया है। “वर्षा” का मतलब है बारिश, और “बहार” का मतलब है वसंत या सुंदरता का समय। यह शब्द हमें वर्षा के दौरान प्रकृति की सुंदरता और ताजगी का अहसास कराते हैं।
  • प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण: कविता में वर्षा से जुड़ी खूबसूरत प्राकृतिक घटनाओं का वर्णन है। जैसे, “बिजली चमक रही है”, “झरने बह रहे हैं”, और “पानी बरस रहा है”। ये पंक्तियाँ हमें वर्षा के समय के दृश्य को महसूस कराती हैं।
  • जीवों की खुशी: कविता में यह भी दिखाया गया है कि वर्षा के समय जीव-जंतु जैसे मोर, मेंढक, और पपीहे खुशी से नाचते और गाते हैं। ये सभी प्रकृति की खुशी को व्यक्त करते हैं।
  • सकारात्मकता और ऊर्जा: कविता में कई बार सकारात्मक शब्दों का उपयोग हुआ है, जैसे “सौरभ उड़ा रहा है”, “नृत्य करना”, और “गीत गाना”। यह कविता जीवन में खुशियाँ और ऊर्जा फैलाने का काम करती है।
  • गहरे अर्थ वाले शब्द: कविता में कुछ शब्द और वाक्य ऐसे हैं जो गहरे अर्थ रखते हैं। जैसे “सारे जगत की शोभा, निर्भर है इसके ऊपर” का मतलब है कि पूरी दुनिया की सुंदरता बारिश पर निर्भर करती है।
  • सहज और सरल भाषा: कविता की भाषा बहुत सरल है, जैसे “पानी बरस रहा है”। लेकिन कुछ जगहों पर भाषा थोड़ी गहरी और भावनात्मक भी होती है, जैसे “वर्षा एक अद्भुत प्राकृतिक घटना है”।
  • प्राकृतिक घटनाओं का चित्रण: कविता में वर्षा के दौरान जो भी प्राकृतिक घटनाएँ होती हैं, जैसे बादल गरजना या झरने बहना, उनका सुंदर चित्रण किया गया है।
  • भावनाएँ और आनंद: कविता सिर्फ दृश्य नहीं दिखाती, बल्कि इसमें खुशी, उल्लास और आनंद जैसी भावनाएँ भी हैं। जैसे मोर का नृत्य और मेंढक का गाना।
  • रूपक और अलंकार का प्रयोग: कविता में रूपक (जैसे, “वर्षा-बहार”) और अलंकार का इस्तेमाल किया गया है, जिससे कविता और भी सुंदर और आकर्षक बनती है।

कविता का सौंदर्य

(क) नीचे कविता की कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। इनमें कुछ शब्द हटा दिए गए हैं और साथ में मिलते-जुलते अर्थ वाले शब्द भी दिए गए हैं। इनमें से प्रत्येक शब्द से वह पंक्ति पूरी करके देखिए। जो शब्द उस पंक्ति में जँच रहे हैं, उन पर घेरा बनाइए।

उत्तर:


(ख) अपने समूह में विमर्श करके पता लगाइए कि कौन-से शब्द रिक्त स्थानों में सबसे अधिक साथियों को जँच रहे हैं और क्यों?
उत्तर: ऊपर दिए गए शब्द (बरखा, गगन, मेघ, जल) सबसे अधिक जँचते हैं क्योंकि:

  • ये शब्द काव्यात्मक और सरल हैं, जो कविता की लय और भाव के साथ मेल खाते हैं।
  • ये शब्द बच्चों के लिए परिचित हैं और कविता को और सुंदर बनाते हैं।
  • अन्य शब्द जैसे “वृष्टि” या “व्योम” थोड़े जटिल हैं, जो कविता की सरलता को कम कर सकते हैं।

विशेषण

“बागों में गीत सुंदर, गाती हैं मालिनें अब”
इस पंक्ति में ‘सुंदर’ शब्द ‘गीत’ की विशेषता बता रहा है, अर्थात यह ‘विशेषण’ है। ‘गीत’ एक संज्ञा शब्द है जिसकी विशेषता बताई जा रही है, अर्थात यह ‘विशेष्य’ शब्द है।

(क) नीचे दी गई पंक्तियों में विशेषण और विशेष्य शब्दों की पहचान करके लिखिए—

उत्तर:


(ख) नीचे दिए गए विशेष्यों के लिए अपने मन से विशेषण सोचकर लिखिए—
उत्तर:

ऋतु और शब्द

“फिरते लखो पपीहे, हैं ग्रीष्म ताप खोते”
‘ताप’ शब्द ग्रीष्म ऋतु से जुड़ा शब्द है। भारत में मुख्य रूप से छह ऋतुएँ क्रम से आती-जाती हैं। लोग इन ऋतुओं में कुछ विशेष शब्दों का उपयोग करते हैं। नीचे दिए गए शब्दों को पढ़कर कौन-सी ऋतु का स्मरण होता है? इन शब्दों को तालिका में उपयुक्त स्थान पर लिखिए—

उत्तर:

पाठ से आगे

आपकी बात

(क) वर्षा के समय आपके क्षेत्र में क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?
उत्तर: वर्षा के समय हमारे क्षेत्र में बहुत से परिवर्तन आते हैं। जैसे:

  • हरियाली: पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाते हैं, और खेतों में फसलें लहलहाने लगती हैं।
  • ठंडक: गर्मी कम हो जाती है, और मौसम सुहाना हो जाता है।
  • पानी: नदियाँ और तालाब भर जाते हैं, और पानी की कमी दूर होती है।
  • जीव-जंतु: मेंढक, मोर, और पक्षी सक्रिय हो जाते हैं।

(ख) बारिश के चलते स्कूल आने-जाने के समय के अनुभव बताइए। किसी रोचक घटना को भी साझा कीजिए।
उत्तर:

  • अनुभव: बारिश में स्कूल जाना मजेदार लेकिन मुश्किल होता है। छाता लेकर चलना पड़ता है, और सड़कों पर कीचड़ हो जाता है। बैग को गीला होने से बचाना मुश्किल होता है।
  • रोचक घटना: एक बार बारिश में स्कूल जाते समय मेरा छाता उलट गया, और मैं पूरी तरह भीग गया। मेरे दोस्त हँसने लगे, और हम सब मिलकर बारिश में नाचने लगे। यह बहुत मजेदार था!

(ग) वर्षा ऋतु में आपको क्या-क्या करना अच्छा लगता है और क्या-क्या नहीं कर पाते हैं?
उत्तर:
पसंद:

  • बारिश में भीगना और कागज की नाव बनाकर पानी में तैराना।
  • गरम चाय और पकौड़े खाना।
  • खिड़की से बारिश का दृश्य देखना।

नहीं कर पाते:

  • बाहर खेलना, क्योंकि मैदान गीला और फिसलन भरा होता है।
  • साइकिल चलाना, क्योंकि सड़कें गीली होती हैं।
  • कपड़े जल्दी सुखाना, क्योंकि धूप नहीं होती।

(घ) बारिश के मौसम में आपके आस-पड़ोस के पशु-पक्षी अपनी सुरक्षा कैसे करते हैं? उन्हें कौन-कौन सी समस्याएँ होती हैं?
उत्तर:
सुरक्षा:

  • पक्षी पेड़ों की घनी पत्तियों या छतों के नीचे छिपते हैं।
  • कुत्ते और बिल्लियाँ सूखी जगह जैसे घर के बरामदे में शरण लेते हैं।
  • चींटियाँ अपने बिलों को मजबूत करती हैं।

समस्याएँ:

  • भोजन की कमी, क्योंकि कीड़े और बीज पानी में बह जाते हैं।
  • ठंड लगना, खासकर छोटे पक्षियों और पशुओं को।
  • रहने की जगह का गीला होना, जिससे उनके बिल या घोंसले खराब हो जाते हैं।

(ङ) अपने समूह के साथ मिलकर वर्षा ऋतु पर आधारित एक कविता की रचना कीजिए। उसमें अपने घर और आस-पड़ोस से जुड़ी हुई बातें सम्मिलित कीजिए।
उत्तर:
कविता: बारिश की बहार
आए बादल काले-काले,
लाए ठंडक प्यारी-प्यारी।
खेतों में लहराए फसलें,
गाए कोयल गीत सुहानी।  

रिमझिम बूँदें गिरतीं नाचें,
बच्चे कागज की नाव चलाएँ।
गली में मेंढक टर्र-टर्र गाएँ,
मम्मी पकौड़े गरम बनाएँ।  

पेड़-पौधे हरे-हरे लहरे,
गुलाब की खुशबू मन भाए।
हम सब मिलकर गीत गाएँ,
बारिश की बहार मनाएँ।  

साक्षात्कार

“गाते हैं गीत कैसे, लेते किसान मनहर।”
मान लीजिए कि आप अपने विद्यालय की पत्रिका के पत्रकार हैं। आप एक किसान का साक्षात्कार कर रहे हैं जो वर्षा के आने पर अपने खेतों में गीत गा रहा है।

(क) अपने समूह के साथ मिलकर उस किसान के साक्षात्कार के लिए कुछ प्रश्न लिखिए।
उत्तर: किसान के साक्षात्कार के लिए प्रश्न:

  1. आपका नाम क्या है, और आप कितने समय से खेती कर रहे हैं?
  2. वर्षा के आने पर आपको कैसा लगता है?
  3. आप खेतों में काम करते समय गीत क्यों गाते हैं?
  4. इस बार की वर्षा से आपकी फसलों को क्या लाभ हुआ?
  5. क्या बारिश कभी आपके लिए मुश्किलें भी लाती है?

(ख) अपने समूह के साथ मिलकर इस साक्षात्कार को अभिनय द्वारा प्रस्तुत कीजिए। आपके समूह का कोई सदस्य किसान की भूमिका निभा सकता है। अन्य सदस्य पत्रकारों की भूमिका निभा सकते हैं।
उत्तर: साक्षात्कार का अभिनय प्रस्तुति के लिए सुझावः

  • समूह के एक सदस्य किसान की भूमिका निभाएगा, जो अपने खेतों में काम करते हुए गीत गा रहा होगा।
  • अन्य सदस्य पत्रकारों की भूमिका निभाएंगे, जो किसान से ऊपर दिए गए प्रश्न पूछेंगे।
  • अभिनय में किसान अपने अनुभव और भावनाएँ खुले दिल से बताएगा।
  • पत्रकार ध्यान से सुनेंगे और उत्सुकता से प्रश्न पूछेंगे।
  • यह अभिनय कक्षा में जीवन्तता और व्यावहारिकता लाने के लिए किया जा सकता है।

वर्षा के दृश्य

(क) वर्षा के उन दृश्यों की सूची बनाइए जिनका उल्लेख इस कविता में नहीं किया गया है। जैसे आकाश में इंद्रधनुष।
उत्तर: वर्षा के उन दृश्यों की सूची जिनका उल्लेख कविता में नहीं है:

  • आकाश में इंद्रधनुष का सुंदर रंगीन चक्र।
  • बारिश के बाद धरती पर गीली मिट्टी की खुशबू।
  • बारिश में बच्चों का नाच-गाना और खेलना।
  • पानी में कूदते हुए मछलियाँ।
  • खेतों में पानी जमा होना और छोटे-छोटे तालाब बनना।
  • बारिश के कारण बनने वाले छोटे-छोटे नदी-नाले।
  • छतों और पेड़ों से टपकती बूंदें।
  • बारिश के बाद बादलों के हटने पर साफ नीला आसमान।

(ख) वर्षा के समय आकाश में बिजली पहले दिखाई देती है या बिजली कड़कने की ध्वनि पहले सुनाई देती है या दोनों साथ-साथ दिखाई-सुनाई देती है? क्यों? पता कीजिए।
उत्तर: आकाश में पहले बिजली चमकती है और बाद में उसकी आवाज़ यानी बिजली कड़कने की ध्वनि सुनाई देती है। इसका कारण यह है कि प्रकाश की गति ध्वनि की गति से बहुत तेज होती है, इसलिए हम पहले चमक देखते हैं और बाद में आवाज़ सुनते हैं। कभी-कभी दोनों साथ-साथ भी लग सकते हैं, जब बिजली बहुत पास से गिरती है।

(ग) आपने वर्षा से पहले और वर्षा के बाद किसी पेड़ या पौधे को ध्यान से अवश्य देखा होगा। आपको कौन-कौन से अंतर दिखाई दिए?
उत्तर: वर्षा से पहले और वर्षा के बाद पेड़ या पौधे में अंतरः
वर्षा से पहले:

  • पत्तियाँ सूखी और धूल भरी होती हैं।
  • पौधे मुरझाए हुए लगते हैं।
  • मिट्टी सूखी और सख्त होती है।

वर्षा के बाद:

  • पत्तियाँ चमकदार और साफ हो जाती हैं।
  • पौधे ताजे और हरे दिखते हैं।
  • मिट्टी गीली और नरम हो जाती है, और नए अंकुर निकलते हैं।

(घ) “चलते हैं हंस कहीं पर, बाँधे कतार सुंदर”
कविता में हंसों के कतार में अर्थात पंक्तिबद्ध रूप से चलने का वर्णन किया गया है। आपने किन-किन को और कब-कब पंक्तिबद्ध चलते हुए देखा है? (संकेत — चींटी, गाड़ियाँ, बच्चे आदि)
उत्तर: “चलते हैं हंस कहीं पर, बाँधे कतार सुंदर” – पंक्तिबद्ध रूप में चलने वाले अन्य दृश्य:

  • चींटियाँ: खाना ढोते समय कतार में चलती हैं।
  • बच्चे: स्कूल में प्रार्थना के लिए कतार में जाते हैं।
  • गाड़ियाँ: ट्रैफिक में पंक्तिबद्ध चलती हैं।
  • पक्षी: प्रवास के दौरान कतार में उड़ते हैं, जैसे बगुले।

वर्षा में ध्वनियाँ

(क) कविता में वर्षा के अनेक दृश्य दिए गए हैं। इन दृश्यों में कौन-कौन सी ध्वनियाँ सुनाई दे रही होंगी? अपनी कल्पना से उन ध्वनियों को कक्षा में सुनाइए।
उत्तर: कविता में वर्षा के दृश्य और उनमें सुनाई देने वाली ध्वनियाँ:

  • बूँदों की रिमझिम आवाज
  • बादलों की गड़गड़ाहट
  • मेंढकों की टर्र-टर्र
  • हवा के चलने की सरसराहट
  • पत्तियों पर पानी टपकने की आवाज
  • किसानों और मालिनों के गीत

(ख) “मेंढक लुभा रहे हैं, गाकर सुगीत प्यारे”
कविता में मेंढकों की टर्र-टर्र को भी प्यारा गीत कहा गया है। आपके विचार से बेसुरी ध्वनियाँ भी कब-कब अच्छी लगने लगती हैं?
उत्तर: बेसुरी ध्वनियाँ जैसे मेंढकों की टर्र-टर्र तब अच्छी लगती हैं जब:

  • वे प्रकृति के उत्सव का हिस्सा हों, जैसे वर्षा के समय।
  • वे खुशी और राहत का संकेत दें, जैसे गर्मी के बाद वर्षा।
  • वे परिचित हों, जैसे गाँव में तालाब के पास मेंढकों की आवाज।

सृजन

“बागों में खूब सुख से, आमोद छा रहा है”
‘आमोद’ या ‘मोद’ दोनों शब्दों का अर्थ होता है– आनंद, हर्ष, खुशी, प्रसन्नता। कविता में वर्षा ऋतु में ‘आमोद’ के दृश्यों का वर्णन किया गया है। कविता के इन दृश्यों को हम नीचे दिए गए उदाहरण की तरह अनुच्छेद में भी लिख सकते है-
“हवा की ठंडक थी, बारिश की रिमझिम बूँदें गिर रही थीं, मोर नृत्य कर रहे थे और मेंढक खुश होकर गाना गा रहे थे। ये सभी मिलकर वर्षा ऋतु को एक उत्सव जैसा बना रहे थे। बागों में गुलाब की खुशबू और आम के पेड़ों पर नए फल देखकर पक्षी और लोग, सभी प्रसन्न हो गए थे। किसान अपने खेतों में काम करते हुए इस प्राकृतिक आनंद के भागीदार बन रहे थे।”

अब नीचे दिए गए ‘आमोद’ से जुड़े विभिन्न दृश्यों का एक-एक अनुच्छेद में वर्णन कीजिए—

उत्तर:

  • बारिश के बाद उपवन में सैर: बारिश के बाद उपवन में सैर करना बहुत सुखद होता है। पेड़ों की पत्तियाँ पानी से धुलकर चमक रही होती हैं। गीली मिट्टी की सुगंध हवा में फैली होती है। पक्षी चहचहा रहे होते हैं, और रंग-बिरंगे फूल खिले होते हैं। ठंडी हवा चेहरे को छूती है, और मन में शांति और खुशी भर जाती है। यह ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने एक नया रंग बिखेर दिया हो।  
  • परिवार के किसी प्रिय सदस्य या मित्र से वर्षों बाद मिलना: वर्षों बाद किसी प्रिय मित्र से मिलना मन को आनंद से भर देता है। हम एक-दूसरे को गले लगाते हैं, और पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं। चाय की चुस्कियों के साथ हँसी-मजाक चलता है। बाहर बारिश की रिमझिम आवाज इस मुलाकात को और खास बनाती है। यह पल ऐसा होता है जैसे समय रुक गया हो, और केवल खुशी बाकी रह जाए।  
  • सर्दियों का पहला हिमपात: सर्दियों का पहला हिमपात देखना जादुई होता है। सफेद बर्फ धीरे-धीरे जमीन पर गिरती है, और चारों तरफ चाँदी जैसी चमक फैल जाती है। बच्चे बर्फ के गोले बनाकर खेलते हैं, और बड़ों के चेहरों पर मुस्कान आ जाती है। ठंडी हवा और बर्फ की नरमी मन को शांति देती है। यह दृश्य प्रकृति का एक अनोखा उपहार लगता है।  
  • कोई उत्सव: उत्सव का माहौल खुशी और उमंग से भरा होता है। लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं, और घरों में मिठाइयाँ बनती हैं। बच्चे पटाखे छुड़ाते हैं, और बड़ों के बीच हँसी-ठिठोली चलती है। बाहर बारिश की बूँदें इस उत्सव को और रंगीन बनाती हैं। नाच, गाना, और स्वादिष्ट भोजन मिलकर हर दिल में आनंद भर देते हैं।  
  • मित्रों संग खेलना: मित्रों के साथ खेलना हमेशा मजेदार होता है। बारिश के बाद जब मैदान हरा और गीला होता है, हम फुटबॉल खेलते हैं। कीचड़ में फिसलना और हँसना हमें और उत्साहित करता है। खेल के बाद हम सब मिलकर ठंडी हवा में कहानियाँ सुनाते हैं। यह समय दोस्ती और खुशी का अनमोल पल होता है।  
  • किसी प्रिय पुस्तक को पढ़ना: बारिश की रिमझिम के बीच अपनी पसंदीदा किताब पढ़ना बहुत सुकून देता है। खिड़की के पास बैठकर, गरम चाय की चुस्कियाँ लेते हुए, मैं कहानी की दुनिया में खो जाता हूँ। बारिश की आवाज और किताब की कहानी मिलकर मन को शांति और आनंद देती हैं। यह समय ऐसा होता है जैसे मैं अपने सपनों में जी रहा हूँ।  
  • किसी कार्य को पूरा करना या सफल प्रदर्शन करना: किसी कार्य को पूरा करने की खुशी अनमोल होती है। जैसे, स्कूल का प्रोजेक्ट खत्म करने के बाद जब शिक्षक तारीफ करते हैं, तो मन गर्व से भर जाता है। बाहर बारिश की बूँदें इस खुशी को और बढ़ा देती हैं। मैं अपने दोस्तों के साथ इस सफलता को मिठाई खाकर मनाता हूँ। यह पल मेहनत का फल लगता है।  
  • समुद्र के किनारे शांत सवेरा या शाम: समुद्र के किनारे सवेरा बहुत शांत और सुंदर होता है। लहरों की हल्की आवाज और ठंडी हवा मन को सुकून देती हैं। सूरज की किरणें पानी पर चमकती हैं, और आसमान में पक्षी उड़ते हैं। बारिश की हल्की बूँदें इस दृश्य को और खास बनाती हैं। यह पल प्रकृति के साथ एकता का एहसास कराता है।

वर्षा से जुड़े गीत

“बागों में गीत सुंदर, गाती हैं मालिनें अब”
“गाते हैं गीत कैसे, लेते किसान मनहर।”

प्रश्न: हमारे देश में वर्षा के आने पर अनेक गीत और लोकगीत गाए जाते हैं। अपने समूह के साथ मिलकर वर्षा से जुड़े गीत और लोकगीत खोजिए और लिखिए। इस कार्य के लिए आप अपने परिजनों, शिक्षकों, इंटरनेट और पुस्तकालय की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर: वर्षा से जुड़े गीत व लोकगीत
हिंदी लोकगीत:
“सावन की बौछारों में, मन मयूर नाचे,
मोर के पंख फैलाए, मीठी बांसुरी बजे।”
“आओ सखी, मचलें हम, बारिश में भीगने चलें,
रिमझिम बूँदें गिर रही हैं, चलो, हर खुशी गाने चलें।”

राजस्थानी लोकगीत:
“बरसात री राती, बेरा छाया सॉव,
मोर नाच रहे, बन्ना बधाई दे।”

गुजराती लोकगीत:
“आनंदे सावन वाळा, सागर री छटा भारी,
मोर पंखी छाले, आकाश मँझे बादल जारे।”

प्रश्नअपने समूह के साथ मिलकर वर्षा से जुड़े गीत और लोकगीत खोजिए और लिखिए। सभी समूहों द्वारा एकत्रित गीतों को संकलित करके ‘वर्षा-गीतों’ की एक पुस्तिका तैयार कीजिए।
उत्तर
पुस्तिका का शीर्षक: “वर्षा के गीत”
(i) गीत – “सावन आया”
सावन आया, बूँदें छाईं,
संग में मोर नाचे, खुशियाँ आईं।
रिमझिम बूँदें, गाती हैं ध्वनियाँ,
हरियाली छाई, बगिया में खुशियाँ।
(लोकगीत)
विशेष: यह गीत सावन की शुरुआत और वर्षा की बूँदों के गिरने के साथ आनंद की अनुभूति को व्यक्त करता है।

(ii) गीत – “मोर का नृत्य”
मोर का नृत्य, प्यारी बांसुरी की तान,
सावन की धारा में बहता प्यार का अभिवादन।
वर्षा की बूँदें, छनकती बंसी,
मोर नाचते जाएं, हवाओं में नयी झंकार।
(कृषक गीत)
विशेष: वर्षा में मोर के नृत्य को संजीवता और प्राकृतिक सौंदर्य के रूप में गाया गया है।

(iii) गीत – “बरखा आई”
बरखा आई, खुशी का संग लाई,
पानी में खिली क्यारी, बगिया महकाई।
हवा ने किया गीत, मिट्टी में रंग घोला,
बरखा की रिमझिम, जीवन में सुख लाया।
(लोकगीत)
विशेष: यह गीत वर्षा की रिमझिम बूँदों के गिरने से उत्पन्न होने वाले सुख और शांति की भावना को व्यक्त करता है।

(iv) गीत – “जल बूँदें”
जल बूँदें गिरने लगीं, बगियाँ महक उठीं,
आत्मा ने नए जीवन की शांति पाई।
चरणों में वर्षा की धारें बही,
आकाश में नये रंग, भूमि में बहार आई।
(राजस्थानी लोकगीत)
विशेष: यह गीत वर्षा के समय भूमि और आकाश के सौंदर्य का वर्णन करता है और उसके प्रभावों को दर्शाता है।

आज की पहेली

आपने वर्षा से जुड़ी एक कविता पढ़ी है। अब भारत की विभिन्न ऋतुओं से जुड़ी कुछ पहेलियाँ पढ़िए और उन्हें बूझिए—

1. “जाने कैसा मौसम आया,
सूरज ने सबको झुलसाया।
आम पके तो रस टपके,
समय कौन-सा ये झलके?”

उत्तर: ग्रीष्म ऋतु (गर्मी)

2. “पानी बरसे, बादल गरजे,
धरती का हर कोना हरे।
नदियाँ नाले भर दें और,
बूझो किसका है ये जोर?”

उत्तर: वर्षा ऋतु (बरसात)

3. “हवा में ठंडक बढ़ती जाए,
धूप सुहानी सबको भाए।
नई फसलें खेतों में लाए,
बूझो कौन-सा मौसम आए?”
उत्तर:
 शरद ऋतु 

4. “फूल खिलें, हर पक्षी गाए,
चारों ओर हरियाली छाए।
बागों में खुशबू छा जाए,
बूझो ऋतु ये क्या कहलाए?”
उत्तर:
 वसंत ऋतु

5. “बर्फ गिरे, सर्दी बढ़ जाए,
ऊनी कपड़े सबको भाए।
धुंध की चादर लाए रात,
बूझो किस ऋतु की बात?”
उत्तर:
 शिशिर या हेमंत ऋतु (सर्दी)

6. “पत्ता-पत्ता गिरता जाए,
सूनी डाली बहुत सताए।
पेड़ करें खुद को तैयार,
कौन-सी ऋतु का है ये सार?”
उत्तर:
 पतझड़

साझी समझ

अब इस कविता पर अपने साथियों के साथ विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर: विचार-विमर्श के बिंदु:

1. वर्षा ऋतु की सुंदरता का चित्रण

  • वर्षा ऋतु को कवि ने कितनी खूबसूरती से प्रकृति, पक्षियों, और मानव जीवन से जोड़ा है?
  • आपको कविता में वर्षा का कौन-सा दृश्य सबसे अधिक पसंद आया और क्यों?

2. प्रकृति का जीवन से संबंध

  • वर्षा से किस-किस को लाभ होता है?
  • कविता में किन प्राकृतिक और जीव-जंतुओं का वर्णन किया गया है?

3. मानव जीवन में वर्षा का प्रभाव

  • वर्षा ऋतु में किसान क्यों खुश होते हैं?
  • क्या आप कभी खेत में काम करते हुए किसी किसान को गीत गाते देखे हैं?

4. पशु-पक्षियों की प्रतिक्रियाएँ

  • मोर, मेंढक और पपीहे वर्षा में क्या करते हैं?
  • इन क्रियाओं से आपको क्या अनुभव होता है?

5. भावनात्मक जुड़ाव

  • वर्षा ऋतु आने पर आपके मन में क्या भाव आते हैं?
  • क्या आपने कभी तेज बारिश, बिजली और गरजते बादल का अनुभव किया है?

चर्चा का उद्देश्य: इस चर्चा का उद्देश्य यह है कि बच्चे कविता को केवल शब्दों में न पढ़ें, बल्कि उसके भाव और चित्रों को समझें और महसूस करें। यह भी समझें कि वर्षा ऋतु केवल एक मौसम नहीं है, बल्कि यह जीवन, आनंद और प्रकृति की पुनः जागृति का प्रतीक है।

खोजबीन के लिए

  • वर्षा ऋतु
    https://www.youtube.com/watch?v=T6VAVOcUbYU
  • आँधी पानी
    https://www.youtube.com/watch?v=v6D-QBeN2u8
  • वसंत
    https://www.youtube.com/watch?v=_P5z-V81Yc0
  • ऋतुएँ
    https://www.youtube.com/watch?v=iYVXaE2HHa8

उत्तर: ​विद्यार्थी स्वयं वीडियो देखे और इसकी खोजबीन करे।​​​

06. गिरिधर कविराय की कुंडलियो अध्याय समाधान 

पाठ सेमेरी समझ(क) पाठ के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) “बिना बिचारे” काम करने के क्या परिणाम होते हैं?

  • दूसरों से प्रशंसा मिलती है।  
  • मन में शांति बनी रहती है।  
  • अपना काम बिगड़ जाता है। (*) 
  • जग में होत हँसाय।

उत्तर: अपना काम बिगड़ जाता है।
विश्लेषण: पाठ में कहा गया है कि बिना सोचे-समझे काम करने से काम बिगड़ जाता है और लोग उसका मजाक उड़ाते हैं। इससे व्यक्ति को हँसी का पात्र बनना पड़ता है।

(2) “चित में चैन” न पा सकने का मुख्य कारण क्या है?

  • प्रयास करने पर भी टाला न जा सकने वाला दुख  
  • बिना सोचे-समझे किए गए कार्य की असफलता  (*) 
  • खान-पान, सन्मान और राग-रंग का अभाव 
  • दुनिया द्वारा की जाने वाली निंदा और उपहास

उत्तर: बिना सोचे-समझे किए गए कार्य की असफलता
विश्लेषण: पाठ के अनुसार, बिना विचार किए काम करने से मन में अशांति रहती है।

(3) “बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ” पंक्ति द्वारा कौन-सी सलाह दी गई है?

  • भविष्य की सफलता के लिए अतीत की गलतियों से सीखने की  
  • अतीत की असफलताओं को भूलकर भविष्य पर ध्यान देने की  (*) 
  • अतीत और भविष्य दोनों घटनाओं को समान रूप से याद रखने की  
  • अतीत और भविष्य दोनों को भूलकर केवल वर्तमान में जीने की

उत्तर: अतीत की असफलताओं को भूलकर भविष्य पर ध्यान देने की
विश्लेषण: यह पंक्ति सलाह देती है कि अतीत की असफलताओं को भूलकर भविष्य की योजनाओं पर ध्यान देना चाहिए।

(4) “जो बनि आवै सहज में ताही में चित देइ” पंक्ति का क्या अर्थ है?

  • हमें कठिनाइयों और चुनौतियों से बचना चाहिए।  
  • हमें आराम की तलाश करने में मन लगाना चाहिए।  
  • हमें असंभव और कठिन कार्यों पर ध्यान देना चाहिए।  
  • हमें सहज जीवन पर ध्यान देना चाहिए। (*) 

उत्तर: हमें सहज जीवन पर ध्यान देना चाहिए।
विश्लेषण: इस पंक्ति का अर्थ है कि हमें सहज और सरल तरीके से जीवन जीने पर ध्यान देना चाहिए, जो स्वाभाविक रूप से हमारे सामने आता है।

(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर: मैंने ये उत्तर इसलिए चुने क्योंकिः

  • कवि ने स्पष्ट रूप से बताया है कि बिना सोच-विचार के कार्य करने से पछताना पड़ता है, और मन को चैन नहीं मिलता।
  • उन्होंने यह भी कहा है कि बीती बातों को भूलकर भविष्य की चिंता करनी चाहिए।
  • साथ ही, यह भी सलाह दी है कि जो बात या काम सहजता से हो, उसी में ध्यान लगाना चाहिए ताकि दुर्जन हँसे नहीं और मन भी शांत रहे।

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनी गई कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।
(क) “बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय। 
काम बिगारे आपनो जग में होत हँसाय।”
उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि जो व्यक्ति बिना सोचे-समझे कोई काम करता है, उसे बाद में पछताना पड़ता है। उसका काम बिगड़ जाता है और लोग उसका मजाक उड़ाते हैं, जिससे वह हँसी का पात्र बन जाता है।
विश्लेषण: यह पंक्ति हमें सिखाती है कि कोई भी निर्णय लेने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार करना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर कोई बिना पढ़ाई की योजना बनाए परीक्षा देता है, तो वह असफल हो सकता है और लोग उसका मजाक उड़ा सकते हैं।

(ख) “बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ। 
जो बनि आवै सहज में ताही में चित देइ।”
उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि अतीत की गलतियों या असफलताओं को भूलकर भविष्य की योजनाओं पर ध्यान देना चाहिए। जो चीजें सहज और सरल तरीके से हमारे सामने आती हैं, उन पर मन लगाना चाहिए।
विश्लेषण: यह पंक्ति हमें प्रेरित करती है कि हमें पुरानी बातों में उलझने के बजाय भविष्य की ओर देखना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर कोई खेल में हार गया, तो उसे उस हार को भूलकर अगले खेल की तैयारी करनी चाहिए।

मिलकर करें मिलाननीचे स्तंभ 1 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं, उनसे संबंधित अर्थ वाली स्तंभ 2 की पंक्तियों से उनका मिलान कीजिए—
उत्तर

सोच-विचार के लिएपाठ को एक बार पुनः पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए।
(क) “बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय।” 
कविता में बिना विचार किए कार्य करने के क्या नुकसान बताए गए हैं?
उत्तर: कविता में बिना विचार किए किए गए कार्यों के परिणामस्वरूप पछतावा और निराशा का उल्लेख किया गया है। जब कोई व्यक्ति बिना सोचे-समझे काम करता है, तो उसे बाद में अपने किए पर पछताना पड़ता है, और उसका कार्य न केवल खुद के लिए बल्कि समाज में भी हंसी का कारण बनता है। इससे व्यक्ति का मन अशांत रहता है और वह दूसरों से सम्मान या खुशी नहीं प्राप्त कर पाता है। इस प्रकार, बिना विचार किए गए कार्यों से जीवन में परेशानियाँ आती हैं और व्यक्ति को पछताना पड़ता है।

(ख) “बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय।” 
कुंडलिया में जो बातें सैकड़ों साल पहले कही गई थीं, क्या वे आपके लिए भी उपयोगी हैं? कैसे? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर: हाँ, कुंडलिया में कही गई बातें आज भी उपयोगी हैं। यह सिखाती है कि कोई भी काम करने से पहले सोच-विचार करना जरूरी है। 
उदाहरण के लिए:

  • अगर कोई बिना सोचे ऑनलाइन लिंक पर क्लिक कर देता है, तो उसका बैंक खाता हैक हो सकता है।
  • अगर कोई बिना योजना के बिजनेस शुरू करता है, तो उसे नुकसान हो सकता है। ये बातें हमें सतर्क रहने और जल्दबाजी से बचने की सीख देती हैं।

(ग) “खान पान सन्मान राग रंग मनहि न भावै।” 
इस पंक्ति में रेखांकित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से देखकर लिखिए। प्रत्येक के लिए एक-एक उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर
सन्मान
अर्थ: 
सम्मान, आदर, या प्रतिष्ठा।
उदाहरण:

  • उसने हमेशा अपने वरिष्ठों का सन्मान किया।
  • हमें दूसरों के विचारों का सन्मान करना चाहिए।

मनहिं
अर्थ: मन में, मानसिक रूप से।
उदाहरण:

  • वह हमेशा अपने मनहिं सच का पालन करता है।
  • मनहिं शांति के लिए ध्यान करना आवश्यक है।

भावै
अर्थ: पसंद करना, आकर्षित होना।
उदाहरण:

  • उसे यह गाना बहुत भावा।
  • मुझे उन लोगों का स्वभाव बहुत भावता है जो ईमानदार होते हैं।

अनुमान और करना सेअपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए।
(क) आपने पढ़ा है कि “बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय…।” कल्पना कीजिए कि आपके एक मित्र ने बिना सोचे-समझे एक बड़ा निर्णय लिया है। वह निर्णय क्या था और उसका क्या प्रभाव पड़ा? इसके बारे में एक रोचक कहानी अपने साथियों के साथ मिलकर बनाइए और कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरकहानी का शीर्षक: जल्दबाजी का पछतावा  
मेरा मित्र राहुल बहुत उत्साही था। एक दिन उसे एक ऑनलाइन विज्ञापन दिखा, जिसमें लिखा था, “इस ऐप को डाउनलोड करें और ₹1000 का कैशबैक पाएँ।” राहुल ने बिना सोचे-समझे लिंक पर क्लिक किया और ऐप डाउनलोड कर लिया। उसने अपनी बैंक डिटेल्स भी दर्ज कर दीं। कुछ ही मिनटों में उसके खाते से ₹5000 कट गए। राहुल घबरा गया और मुझे फोन किया। हमने तुरंत बैंक में शिकायत की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।  
प्रभाव: राहुल को न केवल पैसों का नुकसान हुआ, बल्कि वह कई दिनों तक तनाव में रहा। उसने सीखा कि कोई भी ऑनलाइन लेन-देन करने से पहले उसकी सत्यता की जाँच करनी चाहिए।  
प्रस्तुति: हम कक्षा में इस कहानी को नाटक के रूप में प्रस्तुत करेंगे, जिसमें राहुल की जल्दबाजी और उसका पछतावा दिखाया जाएगा।

(ख) कल्पना कीजिए कि “बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ…।” कविता निम्नलिखित के लिए लिखी गई है—

  • आप
  • आपका कोई सहपाठी
  • आपका कोई परिजन
  • आपके कोई शिक्षक
  • कोई पक्षी
  • कोई पशु

इनकी कौन-कौन सी समस्याएँ होंगी? यह कविता उन्हें कैसे प्रेरित करेगी?
उत्तर:

  • आपसमस्या: आप शायद किसी परीक्षा में असफल हो गए हों और उसका दुख आपको परेशान कर रहा हो।
    प्रेरणा: यह कविता आपको सिखाएगी कि पुरानी असफलता को भूलकर अगली परीक्षा की तैयारी पर ध्यान देना चाहिए।  
  • सहपाठीसमस्या: आपका सहपाठी किसी दोस्त से झगड़े के कारण उदास है।
    प्रेरणा: कविता उसे प्रेरित करेगी कि वह पुराने झगड़े को भूलकर नए दोस्त बनाने और भविष्य पर ध्यान दे।  
  • परिजनसमस्या: आपके पिता को बिजनेस में नुकसान हुआ हो।
    प्रेरणा: कविता उन्हें प्रेरित करेगी कि वे पुराने नुकसान को भूलकर नई योजना बनाएँ।  
  • शिक्षकसमस्या: शिक्षक को किसी छात्र के खराब प्रदर्शन का दुख हो।
    प्रेरणा: कविता उन्हें प्रेरित करेगी कि वे पुरानी बातें भूलकर छात्रों को बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करें।  
  • पक्षीसमस्या: एक पक्षी का घोंसला टूट गया हो।
    प्रेरणा: कविता उसे प्रेरित करेगी कि वह पुराने घोंसले को भूलकर नया घोंसला बनाए।  
  • पशुसमस्या: एक कुत्ते को मालिक ने छोड़ दिया हो।
    प्रेरणा: कविता उसे प्रेरित करेगी कि वह पुराने मालिक को भूलकर नया घर खोजे।

(ग) कल्पना कीजिए कि आप एक ऐसे व्यक्ति से मिले हैं, जो हमेशा बीती बातों में खोया रहता है। आप उसे समझाने के लिए क्या-क्या कहेंगे?
उत्तर: मैं उस व्यक्ति से कहूँगाः “भाई! जो बीत गया, उसे अब बदला नहीं जा सकता। लेकिन अगर आप अतीत को भूलकर आज और कल पर ध्यान दें, तो ज़िंदगी फिर से हँसी-खुशी की ओर बढ़ सकती है। बीती बातों को मन पर मत हावी होने दो, क्योंकि आगे का रास्ता तुम्हारे हाथ में है।”

शब्द से जुड़े शब्दनीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘चित’ या ‘मन’ से जुड़े शब्द कुंडलियाँ में से चुनकर लिखिए—
उत्तर

कविता की रचना

इन पंक्तियों को लय के साथ बोलकर देखिए। इन्हें बोलते समय क्या अलग लगा था? आपने ध्यान दिया होगा कि इन पंक्तियों को बोलने में बराबर समय लगता है। इस कारण इन कुंडलियों की सुंदरता बढ़ गई है।
आप ध्यान देंगे तो इन कुंडलियों में आपको ऐसी अनेक विशेषताएँ दिखाई देंगी जैसे प्रत्येक कुंडलिया का पहला या दूसरा शब्द अक्सर समान पाया जाता है। ये दो पंक्तियाँ कहीं सीधे संवाद की तरह सुनाई पड़ती हैं। ऐसा लगता है मानो कोई हमें संवाद या बातों के रूप में उपदेश दे रहा हो। अतः कुछ विशेषताएँ आपको दोनों कुंडलियों में दिखाई देंगी, कुछ विशेषताएँ केवल इनमें से किसी एक में दिखाई देंगी।

(क) अब आप पाठ में दी गई दोनों कुंडलियाँ को ध्यान से देखिए और अपने-अपने समूह में मिलकर इनकी विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर: 


(ख) नीचे एक स्तंभ में कविता की पंक्तियों की कुछ विशेषताएँ दी गई हैं और उनसे संबंधित पंक्तियाँ दूसरे स्तंभ में दी गई हैं। कविता की विशेषताओं का सही पंक्तियों से मिलान कीजिए—
(संकेत – आप कविता की पंक्तियों में कुछ और विशेषताएँ भी खोज सकते हैं।)
उत्तर: 

काल से जुड़े शब्द“बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेहु।”
इस वाक्य में “बीती” शब्द अतीत यानी ‘भूतकाल’ के कार्यों को व्यक्त कर रहा है और “आगे” शब्द ‘भविष्य’ के कार्यों को व्यक्त कर रहा है। इसी प्रकार ‘वर्तमान’ समय में होने वाले कार्यों को ‘आज’ जैसे शब्दों से व्यक्त किया जा सकता है। रोचक बात यह है कि अनेक शब्दों का प्रयोग बीते हुए समय, आने वाले समय और वर्तमान समय को बताने वाले, तीनों प्रकार के वाक्यों में किया जा सकता है।

(क) नीचे कुछ शब्द दिए गए हैं। इनका प्रयोग करते हुए तीनों प्रकार के ‘काल’ व्यक्त करने वाले तीन-तीन वाक्य बनाइए—

उत्तर: 

(ख) आपने जो वाक्य बनाए हैं, उन्हें ध्यान से देखिए। पहचानिए कि इन वाक्यों में किन शब्दों से पता चल रहा है कि वाक्य में कार्य भूतकाल में हुआ, वर्तमान काल में हुआ है या भविष्य काल में होगा? वाक्यों में उन शब्दों को रेखांकित कीजिए।
उत्तर

पाठ से आगे
आपकी बात(क) “खटकत है जिय माहि कियो जो बिना बिचारे।” का अर्थ है ‘बिना सोचे किए गए कार्य मन में चुभते रहते हैं।’ क्या आपने कभी ऐसा अनुभव किया है? उस घटना को साझा कीजिए।
उत्तर: हाँ, मैंने ऐसा अनुभव किया है। एक बार मैंने जल्दबाजी में अपने दोस्त को गलत मैसेज भेज दिया, जिसमें कुछ ऐसी बातें थीं जो उसे नहीं बतानी थीं। बाद में मुझे बहुत पछतावा हुआ और वह बात मेरे मन में कई दिनों तक खटकती रही। इस घटना से मैंने सीखा कि कोई भी मैसेज भेजने से पहले उसे अच्छे से पढ़ लेना चाहिए।

(ख) “बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ।” का अर्थ है ‘अतीत को भूलना और भविष्य पर ध्यान देना चाहिए।’ क्या आप इस बात से सहमत हैं? क्यों? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर: हाँ, मैं इस बात से सहमत हूँ। अतीत की गलतियों में उलझने से समय और ऊर्जा बर्बाद होती है। उदाहरण के लिए, अगर मैं किसी खेल में हार गया, तो उस हार को बार-बार सोचने के बजाय मुझे अगले खेल की तैयारी करनी चाहिए। इससे मैं बेहतर प्रदर्शन कर सकता हूँ। यह कविता हमें सिखाती है कि भविष्य की योजनाएँ बनाकर हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।

(ग) पाठ में दी गई दोनों कुंडलियाँ के आधार पर आप अपने जीवन में कौन-कौन से बदलाव लाना चाहेंगे?
उत्तरमैं अपने जीवन में निम्नलिखित बदलाव लाना चाहूँगा:

  1. सोच-विचार करना: कोई भी निर्णय लेने से पहले मैं अच्छी तरह सोच-विचार करूँगा, जैसे कि ऑनलाइन खरीदारी करने से पहले वेबसाइट की सत्यता जाँच लूँगा।  
  2. अतीत को भूलना: पुरानी गलतियों को भूलकर भविष्य की योजनाओं पर ध्यान दूँगा, जैसे कि अगर मैं किसी परीक्षा में कम अंक लाया, तो उसे भूलकर अगली परीक्षा की तैयारी करूँगा।  
  3. सहज जीवन जीना: मैं सरल और सहज तरीके से जीवन जीने की कोशिश करूँगा, जैसे कि अनावश्यक चीजों पर ध्यान देने के बजाय अपनी पढ़ाई और स्वास्थ्य पर ध्यान दूँगा।

(घ) “खान पान सन्मान राग रंग मनहि न भावै।”
इस पंक्ति में खान-पान, सन्मान और राग-रंग अच्छा न लगने की बात की गई है। आप इसमें से किसे सबसे आवश्यक मानते हैं? अपने उत्तर के कारण भी बताइए।

उत्तर: मैं सन्मान को सबसे आवश्यक मानता हूँ।
कारण: सन्मान व्यक्ति के आत्मविश्वास और खुशी को बढ़ाता है। अगर किसी को सन्मान नहीं मिलता, तो वह कितना भी अच्छा खान-पान या राग-रंग प्राप्त कर ले, उसे सुख नहीं मिलेगा। उदाहरण के लिए, अगर स्कूल में शिक्षक मेरी मेहनत की प्रशंसा करते हैं, तो मुझे बहुत खुशी मिलती है और मैं और मेहनत करता हूँ। सन्मान व्यक्ति को प्रेरित करता है और समाज में उसकी पहचान बनाता है।

हँसी

“जग में होत हँसाय”

(क) कभी-कभी लोग दूसरों की गलतियों पर ही नहीं, उनके किसी भी कार्य पर हँस देते हैं। अपने समूह के साथ मिलकर ऐसी कुछ स्थितियों की सूची बनाइए, जब किसी को आप पर या आपको किसी पर हँसी आई हो।
उत्तर: ऐसी कुछ स्थितियाँ जब किसी को आप पर या आपको किसी पर हँसी आई हो सूची:

  • जब कोई दोस्त गलती से अपनी जूते की जगह उल्टे चप्पल पहन कर आ गया।
  • जब मैं खुद मंच पर कविता सुनाते समय अटक गया और शब्द भूल गया।
  • एक सहपाठी ने जल्दी में अपने स्कूल बैग में खाने का डिब्बा नहीं रखा और खाली टिफिन लेकर आ गया।
  • एक दिन एक लड़का दौड़ते-दौड़ते गिर गया लेकिन उठकर खुद भी हँसने लगा।
  • किसी ने ‘साधू बाबा’ की जगह ‘साबू बाबा’ बोल दिया और सब हँस पड़े।

(ख) ऐसी दोनों स्थितियों में आपको कैसा लगता है और दूसरों को कैसा लगता होगा?
उत्तर:ऐसी दोनों स्थितियों में कैसा लगता है मेरा और दूसरों का अनुभवः
जब कोई मुझ पर हँसाः

  • मुझे शर्मिंदगी और दुख महसूस हुआ।
  • लगा कि सब मेरा मज़ाक बना रहे हैं।
  • आत्मविश्वास कुछ देर के लिए कम हो गया।

जब मैंने किसी पर हँसी कीः

  • शुरुआत में मज़ा आया, लेकिन बाद में गलती का एहसास हुआ।
  • यह महसूस हुआ कि मेरी हँसी से सामने वाले को बुरा लग सकता है।

(ग) सोचिए कि कोई व्यक्ति आपकी किसी भूल पर हँस रहा है। ऐसे में आप क्या कहेंगे या क्या करेंगे ताकि उसे एहसास हो जाए कि इस बात पर हँसना ठीक नहीं है?
उत्तर: मैं निम्नलिखित कहूँगा या करूँगा:  

  1. विनम्रता से समझाना: “यार, गलती तो सबसे होती है, इस पर हँसने की बजाय मुझे सुधारने में मदद कर।”  
  2. उदाहरण देना: “अगर तुम्हारी ऐसी गलती हो और मैं हँसूँ, तो तुम्हें कैसा लगेगा?”  
  3. शांत रहना: अगर वह नहीं समझता, तो मैं शांत रहकर उसकी बात को अनदेखा कर दूँगा।

सोच-समझकर“बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय।”

(क) आज के समय में कुछ लोग जल्दी में कार्य कर देते हैं या जल्दी में निर्णय ले लेते हैं। कुछ ऐसी स्थितियाँ बताइए जहाँ जल्दबाजी में निर्णय लेना या कार्य करना हानिकारक हो सकता है।
उत्तर: ऐसी स्थितियाँ जहाँ जल्दबाजी में निर्णय लेना या कार्य करना हानिकारक हो सकता है:

  • ऑनलाइन खरीदारी: बिना जाँच किए किसी अनजान वेबसाइट से सामान खरीदना, जिससे धोखाधड़ी हो सकती है।  
  • परीक्षा में जल्दबाजी: प्रश्न को बिना पढ़े उत्तर लिख देना, जिससे गलत उत्तर हो सकता है।  
  • यातायात नियम तोड़ना: जल्दी में बिना हेलमेट के बाइक चलाना, जिससे चालान या दुर्घटना हो सकती है।

(ख) मान लीजिए कि आपको या आपके किसी परिजन को नीचे दिए गए संदेश मिलते हैं। ऐसे में आप क्या करेंगे?

* राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल- https://cybercrime.gov.in
उत्तर: संदेश और आप क्या करें: 
1. आपका बैंक खाता बंद होने वाला है। 
तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें। किसी लिंक पर क्लिक न करें। 
2. बधाई हो! आपने ₹10 लाख जीत लिए हैं। 
किसी भी लिंक पर क्लिक न करें। ऐसे मैसेज स्कैम होते हैं।
3. गलती से आपके नंबर पर ₹1000 भेज दिए गए हैं। कृपया वापस भेज दें।  
पैसा भेजने से पहले अपने बैंक खाते की जांच करें। भेजें नहीं। 
4. आपका सिम बंद होने वाला है, लिंक पर क्लिक करें। 
अपने मोबाइल सेवा प्रदाता से संपर्क करें। लिंक पर क्लिक न करें। 
5. आपके मोबाइल पर 70% छूट, लिंक पर क्लिक करें। 
ये फ़िशिंग लिंक हो सकता है। साइट पर न जाएं। 
6. खाता बंद हो जाएगा, तुरंत ₹5000 भेजें। 
घबराएं नहीं। अपने बैंक से पुष्टि करें। पुलिस को सूचित करें। 
7. एप डाउनलोड करें और ₹1000 जीतें। 
अनजान एप डाउनलोड न करें। यह डिवाइस को नुकसान पहुँचा सकता है। 
8. गिरफ्तारी का वारंट है, जुर्माना भरें।  
किसी अज्ञात व्यक्ति को पैसे न भेजें। पुलिस से संपर्क करें। 
9. गाड़ी जीतने का दावा कर ₹50,000 का टैक्स मांगा गया है। 
यह फ्रॉड है। किसी भी रकम को भेजने से बचें। 
10. लिंक क्लिक करें और ₹100 जीतें। 
छोटे ईनाम के लालच में लिंक न खोलें। यह धोखा हो सकता है। 
11. टी.वी. या अन्य समस्या का हल देने के लिए रिमोट एक्सेस दें।  
किसी को रिमोट एक्सेस न दें। वे आपकी निजी जानकारी चुरा सकते हैं। 
12. फोटो भेजें, वीडियो कॉल करें आदि।  
किसी अजनबी से ऐसा व्यवहार न करें। तुरंत पुलिस को सूचित करें।

(ग) नीचे कुछ स्थितियाँ दी गई हैं। इन स्थितियों में बिना सोचे-समझे कार्य करने या निर्णय लेने के क्या परिणाम हो सकते हैं—

  • सोशल मीडिया पर झूठा संदेश या असत्य समाचार पर भरोसा करके उसे सबको भेज दिया।  

उत्तर: परिणामः
1. लोगों में भय, भ्रम या अफ़वाह फैल सकती है।
2. आप पर झूठी जानकारी फैलाने का आरोप लग सकता है।
3. इससे समाज में अशांति या विवाद पैदा हो सकते हैं।
4. साइबर कानून के अनुसार, कानूनी कार्यवाही भी हो सकती है।

  • जल्दबाजी में बिना हेलमेट के बाइक चलाने पर पुलिस ने चालान काट दिया।  

उत्तर: परिणामः
1. आपकी और दूसरों की जान को खतरा हो सकता है।
2. पुलिस द्वारा चालान या जुर्माना लगाया जा सकता है।
3. सड़क दुर्घटना में गंभीर चोट या मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
4. यह कानूनी नियमों का उल्लंघन है।

  • बिना माता-पिता से पूछे ऑनलाइन गेम पर पैसे खर्च कर दिए।  

उत्तर: परिणामः
1. घर के वित्तीय नुकसान हो सकता है।
2. माता-पिता की नाराज़गी और डाँट सहनी पड़ सकती है।
3. आपका भविष्य का विश्वास और स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है।
4. यह आदत आगे चलकर लत (addiction) बन सकती है।

आज की पहेली

“खान पान सन्मान”
इस पंक्ति के तीनों शब्दों में केवल एक मात्रा का बार-बार उपयोग किया गया है। (आ की मात्रा)
ऐसे ही दो वाक्य नीचे दिए गए हैं जिसमें केवल एक मात्रा का उपयोग किया गया है—
नीली नदी धीमी थी
चींटी चीनी चाट गई

अब आप इसी प्रकार के वाक्य अलग-अलग मात्राओं के लिए बनाइए। ध्यान रहे, आपके वाक्यों का कोई न कोई अर्थ होना चाहिए। आप एक वाक्य में केवल एक मात्रा को बार-बार या बिना मात्रा वाले शब्दों का ही उपयोग कर सकते हैं।
उत्तर: 

खोजबीन के लिए

आपने इस पाठ में गिरिधर कविराय की कुंडलिया “बिना विचारे जो करै….।” को पढ़ा। अब आप नीचे दी गई इंटरनेट कड़ी का प्रयोग करके एक अन्य कहानी “बिना विचारे करो न काम” सुन सकते हैं-
बिना विचारे
https://www.youtube.com/watch?v=9zEP4YEP-rs

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं वीडियो देखे और इसकी खोजबीन करे।

05.  नहीं होना बीमार अध्याय समाधान 

पाठ से

मेरी समझ से(क) सही उत्तर चुनें और उसके सामने तारा (*) बनाएँ
1. बच्चे के विद्यालय न जाने का मुख्य कारण क्या था?

  • उसका विद्यालय जाने का मन नहीं था। (*)
  • उसने गृहकार्य नहीं किया था। (*)
  • उसका साबुदाने की खीर खाने का मन था।
  • उसे बुखार हो गया था।

उत्तर: उसका विद्यालय जाने का मन नहीं था।
उसने गृहकार्य नहीं किया था।
विश्लेषण: बच्चे ने स्कूल न जाने का फैसला इसलिए किया क्योंकि उसका मन स्कूल जाने का नहीं था और उसने होमवर्क भी नहीं किया था। वह बीमारी का बहाना बनाकर घर पर रहना चाहता था। साबुदाने की खीर और बुखार का कोई वास्तविक कारण नहीं था।

2. कहानी के अंत में बच्चे ने कहा, “इसके बाद स्कूल से छुट्टी मारने के लिए मैंने बीमारी का बहाना कभी नहीं बनाया।” बच्चे ने यह निर्णय लिया क्योंकि—

  • घर में रहने के बजाय विद्यालय जाना अधिक रोचक है।
  • बीमारी का बहाना बनाने से साबूदाने की खीर नहीं मिलती।
  • झूठ बोलने से झूठ के खुलने का डर हमेशा बना रहता है।
  • इस बहाने के कारण उसे दिनभर अकेले और भूखे रहना पड़ा। (*)

उत्तर: इस बहाने के कारण उसे दिनभर अकेले और भूखे रहना पड़ा। 
विश्लेषण: बच्चे को दिनभर भूखे और अकेले रहने का अनुभव हुआ, जिससे उसे स्कूल न जाने का पछतावा हुआ। 

3. “लेटे-लेटे पीठ दुखने लगी” इस बात से बच्चे के बारे में क्या पता चलता है?

  • उसे बिस्तर पर लेटे रहने के कारण ऊब हो गई थी। (*)
  • उसे अपनी बीमारी की कोई चिंता नहीं रह गई थी।
  • वह बिस्तर पर आराम करने का आनंद ले रहा था।
  • बीमारी के कारण उसकी पीठ में दर्द हो रहा था।

उत्तर: उसे बिस्तर पर लेटे रहने के कारण ऊब हो गई थी।
विश्लेषण: बच्चा बीमारी का बहाना बनाकर लेटा था, लेकिन लंबे समय तक लेटे रहने से उसे ऊब और असुविधा हुई, जिससे उसकी पीठ में दर्द शुरू हो गया। यह दर्द बीमारी के कारण नहीं, बल्कि ऊब और निष्क्रियता के कारण था।

4. “क्या ठाठ हैं बीमारों के भी!” बच्चे के मन में यह बात आई क्योंकि—

  • बीमार व्यक्ति को बहुत आराम करने को मिलता है। (*)
  • बीमार व्यक्ति को अच्छे खाने का आनंद मिलता है। (*)
  • बीमार व्यक्ति को विद्यालय नहीं जाना पड़ता है। (*)
  • बीमार व्यक्ति अस्पताल में शांति से लेटा रहता है।

उत्तर: बीमार व्यक्ति को बहुत आराम करने को मिलता है।, बीमार व्यक्ति को अच्छे खाने का आनंद मिलता है।, बीमार व्यक्ति को विद्यालय नहीं जाना पड़ता है।
विश्लेषण: बच्चे ने सुधाकर काका को अस्पताल में साफ-सुथरे बिस्तर पर लेटे और साबुदाने की खीर खाते देखा। इससे उसे लगा कि बीमार होने में आराम, अच्छा खाना, और स्कूल न जाने की छुट्टी जैसे “ठाठ” हैं।

(ख) अपने मित्रों के साथ चर्चा करें कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर: अपने मित्रों के साथ चर्चा करते समय मैंने ये उत्तर इसलिए चुने क्योंकि वे कहानी के घटनाक्रम और बच्चे की सोच से मेल खाते हैं। उदाहरण के लिए, बच्चे ने होमवर्क न करने और स्कूल न जाने की इच्छा के कारण बीमारी का बहाना बनाया, जो कहानी में स्पष्ट है। साथ ही, दिनभर भूखे और अकेले रहने के अनुभव ने उसे यह निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया कि वह फिर कभी ऐसा बहाना नहीं बनाएगा। मित्रों के अलग-अलग उत्तर हो सकते हैं, लेकिन कहानी के आधार पर सही उत्तर चुनना महत्वपूर्ण है।

मिलकर करें मिलानपाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में उन पर बात कीजिए और इनके सही अर्थ से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने परिजनों और शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर: नीचे दिए गए शब्दों को उनके सही अर्थों से मिलाया गया है:

पंक्तियों पर विचार

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इस पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समझ में साझा कीजिए और लिखिए—
(क) “मैंने सोचा बीमार पड़ने के लिए आज का दिन बिलकुल ठीक रहेगा। चलो बीमार पड़ जाते हैं।”
उत्तर: इस पंक्ति में बच्चे की नटखट और बचकानी सोच झलकती है। वह स्कूल जाने से बचने और होमवर्क न करने की सजा से बचने के लिए बीमारी का बहाना बनाने का फैसला करता है। यह दिखाता है कि बच्चा सोचता है कि बीमार होने से उसे आराम और अच्छा खाना (जैसे साबुदाने की खीर) मिलेगा।
मेरे विचार: यह पंक्ति मुझे बहुत रोचक लगी क्योंकि यह बच्चों की मासूम और शरारती सोच को दिखाती है। बच्चा बिना परिणाम सोचे जल्दबाजी में फैसला लेता है, जो बाद में उसे परेशानी में डाल देता है।

(ख) “देखो! उन्होंने एक बार भी आकर नहीं पूछा कि तू क्या खाएगा? पूछते तो मैं साबुदाने की खीर ही तो माँगता। कोई ताजमहल तो नहीं माँग लेता। लेकिन नहीं! भूखे रहो!! इससे सारे विकार निकल जाएँगे। विकार निकल जाएँ बस। चाहे इस चक्कर में तुम खुद शिकार हो जाओ।”
उत्तर: इस पंक्ति में बच्चे का गुस्सा, निराशा और भूख के कारण तंज भरा लहजा दिखता है। वह सोचता है कि नानीजी और नानाजी ने उसकी भूख की परवाह नहीं की और उसे भूखा रखा। वह मजाक में कहता है कि वह तो बस साबुदाने की खीर माँगता, कोई बड़ी चीज (जैसे ताजमहल) नहीं। वह नानाजी के “विकार निकल जाएँगे” वाले तर्क पर नाराज है, क्योंकि उसे लगता है कि इस चक्कर में वह खुद भूख से परेशान हो गया।
मेरे विचार: यह पंक्ति बहुत हास्यपूर्ण और भावुक है। बच्चे का गुस्सा और उसका अतिशयोक्ति भरा लहजा (ताजमहल की तुलना) पढ़कर हंसी आती है। साथ ही, यह दिखाता है कि बच्चा अपनी गलती के परिणाम को समझने लगा है।

सोच-विचार के लिएपाठ को एक बार फिर ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए I
(क) अस्पताल में बच्चे को कौन-कौन सी चीजें अच्छी लगीं और क्यों?
उत्तर:

  • बड़ी-बड़ी खिड़कियाँ और हरे-हरे पेड़: बच्चे को खिड़कियों के पास हरे पेड़ झूमते हुए अच्छे लगे क्योंकि वे सुंदर और शांतिपूर्ण थे।
  • शांति और साफ-सफाई: अस्पताल में ट्रैफिक का शोर, धूल, या मच्छर-मक्खियाँ नहीं थीं, जो बच्चे को बहुत अच्छा लगा। केवल लोगों की धीमी-धीमी बातचीत की आवाज थी, जिससे माहौल शांत और सुखद था।
  • साफ-सुथरे बिस्तर: बच्चे को साफ चादरों और लाल कंबल वाले बिस्तर अच्छे लगे क्योंकि वे आरामदायक और सुंदर थे।
  • चमकता हुआ फर्श और हरे परदे: ये चीजें अस्पताल को और आकर्षक बनाती थीं, जिससे बच्चे को माहौल बहुत पसंद आया।

क्यों अच्छा लगा?
ये चीजें बच्चे को इसलिए अच्छी लगीं क्योंकि वह पहली बार अस्पताल गया था, और वहाँ का शांत, साफ, और सुंदर माहौल उसके रोजमर्रा के शोर-शराबे वाले माहौल से अलग था।

(ख) कहानी के अंत में बच्चे को महसूस हुआ कि उसे स्कूल जाना चाहिए था। क्या आपको लगता है कि उसका निर्णय सही था? क्यों?
उत्तर: हाँ, बच्चे का यह निर्णय सही था। क्योंकि:

  1. अस्पताल का अनुभव: अस्पताल में जाकर बच्चे को समझ में आया कि बीमार होना कोई मज़े की बात नहीं होती।
  2. बीमार होने की तकलीफ: उसे यह भी महसूस हुआ कि डॉक्टर की सुई, दवाइयाँ और टेस्ट कराना आसान नहीं होता।
  3. स्कूल की अहमियत: उसने समझा कि स्कूल जाना और वहाँ पढ़ना, खेलना और दोस्तों के साथ समय बिताना कहीं ज़्यादा अच्छा और सुखद है।
  4. गलती का अहसास: उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसने झूठ बोलकर स्कूल से छुट्टी लेने की कोशिश की।

इसलिए, बच्चे ने जो सीखा और जो निर्णय लिया, वह बिल्कुल सही और समझदारी भरा था।

(ग) जब बच्चा बीमार पड़ने का बहाना बनाकर बिस्तर पर लेटा रहा तो उसके मन में कौन-कौन से भाव आ रहे थे?
(संकेत — मन में उत्पन्न होने वाले विकार या विचार को भाव कहते हैं, उदाहरण के लिए — क्रोध, दुख, भय, करुणा, प्रेम आदि)
उत्तर:

  • उम्मीद: शुरू में बच्चा यह सोचकर खुश था कि उसे साबुदाने की खीर मिलेगी और आराम करने को मिलेगा।
  • ऊब: लंबे समय तक बिस्तर पर लेटे रहने से उसकी पीठ दुखने लगी और वह ऊब गया।
  • भूख: बच्चे को भूख लगी, और वह खाने की चीजों (जैसे कचौड़ी, बर्फी, गोलगप्पे) के बारे में सोचने लगा।
  • निराशा: जब उसे खाना नहीं मिला और परिवार वालों ने उसकी परवाह नहीं की, तो वह निराश हुआ।
  • गुस्सा: मुनु को आम खाते देखकर और परिवार के खाना खाने की आवाज सुनकर उसे गुस्सा और जलन हुई।
  • पछतावा: अंत में उसे अपनी गलती पर पछतावा हुआ, और उसने स्कूल न जाने के फैसले को गलत माना।

(घ) कहानी में बच्चे ने सोचा था कि “ठाठ से साफ-सुथरे बिस्तर पर लेटे रहो और साबुदाने की खीर खाते रहो।” आपको क्या लगता है, असल में बीमार हो जाने और इस बच्चे की सोच में कौन-कौन सी समानताएँ और अंतर होंगे?
उत्तर
समानताएँ:

  • बीमार होने पर व्यक्ति को बिस्तर पर आराम करने और स्कूल या काम से छुट्टी मिलती है, जैसा बच्चा सोचता है।
  • बीमार व्यक्ति को हल्का और पौष्टिक खाना (जैसे साबुदाने की खीर) दिया जाता है, जैसा बच्चे ने देखा।

अंतर:

  • बच्चे की सोच: बच्चा सोचता है कि बीमारी में सिर्फ आराम और अच्छा खाना मिलता है, और यह मजेदार है।
    वास्तविकता: असल में बीमारी में दर्द, कमजोरी, और असुविधा होती है। दवाइयाँ लेनी पड़ती हैं, और खाना सीमित होता है।
  • बच्चे की सोच: बच्चे को लगता है कि बीमारी में सब उसका ध्यान रखेंगे। 
    वास्तविकता: बीमार व्यक्ति को कई बार अकेलापन और परेशानी महसूस होती है, जैसा बच्चे को बाद में हुआ।
  • बच्चे की सोच: बच्चे को बीमारी एक खेल जैसी लगती है।
    वास्तविकता: बीमारी गंभीर हो सकती है और ठीक होने में समय लगता है।

(ङ) नानीजी और नानाजी ने बच्चे को बीमारी की दवा दी और उसे आराम करने को कहा। बच्चे को खाना नहीं दिया गया। क्या आपको लगता है कि उन्होंने सही किया? आपको ऐसा क्यों लगता है?
उत्तर: हाँ, नानीजी और नानाजी ने सही किया।
क्यों:

  • नानाजी ने बच्चे की नब्ज और माथा छूकर उसकी हालत जाँची और उसे दवा दी, जो बीमारी के इलाज के लिए जरूरी थी।
  • उनका मानना था कि बीमारी में भूखे रहने से “विकार निकल जाते हैं,” जो उस समय की पारंपरिक सोच थी। इसलिए, उन्होंने बच्चे को खाना न देकर आराम करने की सलाह दी।
  • इससे बच्चे को उसकी गलती का सबक मिला, और उसने भविष्य में झूठ न बोलने का फैसला किया।

हालांकि: बच्चे को थोड़ा हल्का खाना (जैसे फल) दे सकते थे, क्योंकि वह वास्तव में बीमार नहीं था। लेकिन उनकी सख्ती ने बच्चे को अनुशासन सिखाया।

अनुमान और कल्पना से(क) कहानी के अंत में बच्चा नानाजी और नानीजी को सब कुछ सच-सच बताने का निर्णय कर लेता तो कहानी में आगे क्या होता?
(संकेत — उसका दिन कैसे बदल जाता? उसकी सोच और अनुभव कैसे होते?)
उत्तर:

  • बच्चा नानाजी और नानीजी को बता देता कि उसने बीमारी का बहाना बनाया था ताकि स्कूल न जाना पड़े।
  • नानाजी और नानीजी शुरू में नाराज हो सकते थे, लेकिन बच्चे की ईमानदारी देखकर उसे माफ कर देते।
  • वे बच्चे को समझाते कि झूठ बोलना गलत है और होमवर्क समय पर करना चाहिए।
  • बच्चे को हल्का खाना (जैसे साबुदाने की खीर या फल) मिल जाता, और वह खुश हो जाता।
  • बच्चा स्कूल न जाने के बजाय अगले दिन स्कूल जाता और अपने दोस्तों से होमवर्क की नोटबुक माँगकर काम पूरा करता।
  • उसका दिन भूखे और अकेले रहने के बजाय खुशी और सीख से भरा होता।

बदलाव: बच्चे की सोच में बदलाव आता, और वह झूठ बोलने के बजाय ईमानदारी को महत्व देने लगता। उसका अनुभव सकारात्मक और प्रेरणादायक होता।

(ख) कहानी में बच्चे की नानीजी के स्थान पर आप हैं। आप सारे नाटक को समझ गए हैं लेकिन चाहते हैं कि बच्चा सारी बात आपको स्वयं बता दे। अब आप क्या करेंगे?
(संकेत — इस सवाल में आपको नानीजी की जगह लेकर सोचना है और एक मनोरंजक योजना बनानी है जिससे बच्चा आपको स्वयं सारी बातें बता दे।)
उत्तर:

  • मैं बच्चे के पास जाऊँगा और प्यार से पूछूँगा, “बेटा, तुम्हें सचमुच बुखार है या कुछ और बात है? तुम मुझे सब सच बता सकते हो, मैं नाराज़ नहीं होऊँगा।”
  • मैं बच्चे को बताऊँगा कि स्कूल में आज कुछ मज़ेदार हुआ, जैसे “आज रिसेस में सभी बच्चे नमक-मिर्च वाले अमरूद खा रहे थे।” इससे बच्चे को स्कूल न जाने का पछतावा होगा।
  • मैं रसोई से साबुदाने की खीर की खुशबू आने का ज़िक्र करूँगा, जैसे “मैं खीर बना रही हूँ, जो बीमार नहीं है, उसे भी मिल सकती है, बशर्ते वह सच बोले।”
  • मैं बच्चे को कहानी सुनाऊँगा कि कैसे मैंने बचपन में एक बार झूठ बोला था और बाद में सच बोलकर अच्छा महसूस किया।
  • इससे बच्चा प्रेरित होकर सच बोल देगा, और मैं उसे गले लगाकर उसकी ईमानदारी की तारीफ करूँगा।

योजना का उद्देश्य: बच्चे को डराने के बजाय प्यार और प्रोत्साहन से सच बोलने के लिए प्रेरित करना।

(ग) कहानी में बच्चे के स्थान पर आप हैं और घर में अकेले हैं। अब आप ऊबने से बचने के लिए क्या-क्या करेंगे?
उत्तर: मैं घर में अकेले रहते हुए ऊब से बचने के लिए

  • किताब पढ़ना: मैं अपनी पसंदीदा कहानी की किताब या कॉमिक्स पढ़ूँगा।
  • चित्र बनाना: कागज और रंगों से अस्पताल या अपनी गली का चित्र बनाऊँगा।
  • खेल खेलना: अकेले ही कागज पर टिक-टैक-टो या पहेलियाँ सुलझाऊँगा।
  • सपने देखना: कल्पना करूँगा कि मैं एक सुपरहीरो हूँ और रोमांचक साहसिक यात्रा पर हूँ।
  • घर की खोज: घर में पुरानी चीजें (जैसे खिलौने या फोटो) ढूँढूँगा और उनकी कहानियाँ याद करूँगा।
  • हल्का व्यायाम: बिस्तर पर ही हल्की स्ट्रेचिंग या नाचने की कोशिश करूँगा।
  • रेडियो सुनना: अगर रेडियो हो, तो गाने या कहानियाँ सुनूँगा।

उद्देश्य: ये गतिविधियाँ मुझे व्यस्त और खुश रखेंगी, और ऊब से बचने में मदद करेंगी।

(घ) कहानी के अंत में बच्चे को लगा कि उसे स्कूल जाना चाहिए था। कल्पना कीजिए, अगर वह स्कूल जाता तो उसका दिन कैसा बीतता? अगला दिन जब वह स्कूल गया होगा तो उसे क्या-क्या अच्छा लगा होगा?
उत्तर: 
अगर बच्चा स्कूल जाता:

  • बच्चा सुबह जल्दी उठता, नहाता, और नाश्ता करके स्कूल के लिए तैयार होता।
  • स्कूल में अपने दोस्तों के साथ मस्ती करता और कक्षा में शिक्षक की बातें ध्यान से सुनता।
  • होमवर्क न करने की सजा से बचने के लिए शिक्षक से माफी माँगता और अगले दिन होमवर्क पूरा करने का वादा करता।
  • रिसेस में ठेले पर नमक-मिर्च वाले अमरूद खाता और दोस्तों के साथ खेलता।
  • दिन खुशी और सीख से भरा होता, और बच्चा घर लौटकर नानीजी को स्कूल की बातें बताता।

अगले दिन स्कूल में:

  • बच्चा समय पर होमवर्क पूरा करके स्कूल जाता।
  • अपने दोस्तों से नोटबुक माँगकर छूटी हुई पढ़ाई पूरी करता।
  • शिक्षक को होमवर्क दिखाता और उनकी तारीफ पाता।
  • रिसेस में दोस्तों के साथ गोलगप्पे या चाट खाता और खेल के मैदान में दौड़ लगाता।
  • घर लौटकर नानाजी और नानीजी को स्कूल के मजे की बातें बताता और कहता कि वह अब कभी झूठ नहीं बोलेगा।

(ङ) कहानी में नानाजी और नानीजी ने बच्चे की बीमारी ठीक करने के लिए उसे दवाई दी और खाने के लिए कुछ नहीं दिया। अगर आप नानीजी या नानाजी की जगह होते तो क्या-क्या करते?
उत्तर:

  • मैं बच्चे का माथा छूकर और नब्ज देखकर उसकी हालत जाँचता।
  • बच्चे को थर्मामीटर से बुखार नापने की कोशिश करता, और अगर बुखार न हो तो हल्का खाना (जैसे फल या दूध) देता।
  • बच्चे से प्यार से पूछता कि क्या वह सचमुच बीमार है या स्कूल जाने से डर रहा है।
  • बच्चे को कहानी सुनाकर या खेल खेलकर उसका मन बहलाता ताकि वह ऊब न जाए।
  • बच्चे को समझाता कि होमवर्क न करने की सजा से डरने की बजाय शिक्षक से माफी माँगना बेहतर है।
  • अगर बच्चा सच बोलता, तो उसे साबुदाने की खीर बनाकर खिलाता और उसकी ईमानदारी की तारीफ करता।
  • बच्चे को अगले दिन स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करता और होमवर्क पूरा करने में मदद करता।

उद्देश्य: बच्चे को सजा देने के बजाय प्यार और समझदारी से उसकी गलती सुधारना।

कहानी की रचना“अस्पताल का माहौल मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। बड़ी-बड़ी खिड़कियों के पास हरे-हरे पेड़ झूम रहे थे। न ट्रैफिक का शोरगुल, न धूल, न मच्छर-मक्खी…! सिर्फ लोगों के धीरे-धीरे बातचीत करने की धीमी-धीमी गुनगुनाहट। बाकी एकदम शांति।”
इन पंक्तियों पर ध्यान दीजिए। इन पंक्तियों में ऐसा लग रहा है मानो हमारी आँखों के सामने अस्पताल का चित्र-सा बन गया हो। लेखन में इसे ‘चित्रात्मक भाषा’ कहते हैं। अनेक लेखक अपनी रचना को रोचक और सरस बनाने के लिए उपयुक्त शब्दों एवं अनेक वस्तुओं, कार्यों, स्थानों आदि का विस्तार से वर्णन करते हैं।
लेखक ने इस कहानी को सरस और रोचक बनाने के लिए और भी अनेक तकनीकों का उपयोग किया है। उदाहरण के लिए, उन्होंने कहानी में ‘बच्चे द्वारा कल्पना करना’ का भी प्रयोग किया है (जब वह घर में अकेले लेटे-लेटे घर और बाहर के लोगों के बारे में सोच रहा था)। इस कहानी में ऐसी कई विशेषताएँ छिपी हैं।

(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने समूह में मिलकर इस पाठ की अन्य विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर

  • बीमार व्यक्ति की देखभाल हेतु समय निकालना, मिलने जाते समय कुछ पसंदीदा व उपयुक्त चीज़ ले जाना — ये संबंधी प्रसंग बच्चों के लिए प्रेरणादायी हैं।
  • पाठ को पढ़कर अस्पताल के शांत, स्वच्छ वातावरण और वहाँ के कर्मचारियों के प्रति एक सकारात्मक छवि उभरती है।
  • छोटे बच्चों के भोले विचारों का मनोविज्ञान जानकर मन में हास्य का भाव आता है, जब बच्चा बीमारी से होने वाले कष्टों को न समझकर केवल साबूदाने की खीर खाने की इच्छा के कारण स्वयं बीमार होने की कामना करता है।
    उदाहरण – “क्या ठाठ हैं बीमारी के भी। मैंने सोचा, ठाठ से साफ-सुथरे बिस्तर पर लेटे रहो और साबूदाने की खीर खाते रहो। काश! सुधाकर काका की जगह मैं होता! मैं कब बीमार पड़ूँगा?”
  • पहली बार अस्पताल जाने पर वहाँ के दृश्य देखकर सहज कौतूहल उत्पन्न होना, अनेक प्रश्नों का मन में उठना — ये स्वाभाविक दृश्य कहानी की गत्यात्मकता बनाए रखते हैं।
  • बाल-सुलभ चंचलता युक्त कहानी के दृश्य एवं गतिविधियाँ अत्यंत रोचक और विशिष्ट हैं।
  • बच्चे की उलझनें — जबरदस्ती लेटने का बंधन, स्कूल की दिनचर्या की याद, अपने बहाने पर पछतावा आदि — कहानी के रोचक तथ्य हैं।
  • बच्चे का झुँझलाहट भरा कथन उसकी मानसिक स्थिति और घर के वातावरण को चित्रित करने में सहायक है, जैसे – “वे खाना खा रहे हैं। चबाने की आवाजें आ रही हैं। देखो! उन्होंने एक बार भी आकर नहीं पूछा कि तू क्या खाएगा? पूछते तो मैं साबूदाने की खीर ही तो माँगता। कोई ताजमहल तो नहीं माँग लेता। लेकिन नहीं। भूखे रहो!! इससे सारे विकार निकल जाएँगे।”
  • सहज, सरल भाषा-शैली युक्त संपूर्ण कहानी बच्चों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उन्हें एक सबक भी देती प्रतीत होती है।

(ख) कहानी में से निम्नलिखित के लिए उदाहरण खोजकर लिखें I
उत्तर:

समस्या और समाधान

कहानी को एक बार पुनः पढ़कर पता लगाइए—
(क) बच्चे के सामने क्या समस्या थी? उसने उस समस्या का क्या समाधान निकाला?
उत्तर:

  • समस्या: बच्चे ने होमवर्क नहीं किया था और उसे स्कूल में सजा मिलने का डर था। साथ ही, उसका स्कूल जाने का मन नहीं था।
  • समाधान: बच्चे ने बीमारी का बहाना बनाकर स्कूल न जाने का फैसला किया। उसने रजाई में लेटे रहकर बीमार होने का नाटक किया।

(ख) नानीजी-नानाजी के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने उस समस्या का क्या समाधान निकाला?
उत्तर:

  • समस्याः नानीजी-नानाजी को संदेह था कि बच्चा वास्तव में बीमार नहीं है लेकिन वह झूठ बोलकर बीमारी का ढोंग कर रहा है।
  • समाधानः उन्होंने बच्चे को दवाई और काढ़ा देकर उसकी बीमारी का इलाज किया, लेकिन खाना नहीं दिया और उसे आराम करने को कहकर छोड़ दिया ताकि बच्चा झूठ बोलने के परिणाम को खुद समझे।

शब्द से जुड़े शब्दनीचे दिए गए स्थानों में ‘बीमार’ से जुड़े शब्द पाठ में से चुनकर लिखिए—
उत्तर:

खोजबीनकहानी में से वे वाक्य ढूँढकर लिखें जिनसे पता चलता है कि:
(क) कहानी में सर्दी के मौसम की घटनाएँ बताई गई हैं।
उत्तर: वाक्य:

  • “मैं रजाई से निकला ही नहीं।”
  • “मैं रजाई में पड़ा-पड़ा घर में चल रही गतिविधियों का अनुमान लगाता रहा।”

(ख) बच्चे को बहाना बनाने के परिणाम का आभास हो गया।
उत्तर: वाक्य:

  • “इसके बाद स्कूल से छुट्टी मारने के लिए मैंने बीमारी का बहाना कभी नहीं बनाया।”
  • “क्या मूसीबत है। पड़े रहो। आखिर कब तक कोई पड़ा रह सकता है?”

(ग) बच्चे को खाना-पीना बहुत प्रिय है।
उत्तर: वाक्य:

  • “गरमागरम खस्ता कचौड़ी… माव की बर्फी… बेसन की चक्की… गोलगप्पे। और सबसे ऊपर साबुदाने की खीर।”
  • “अरहर की दाल में हींग-जीरे का बघार और ऊपर से बारीक कटा हरा धनिया और आधा चम्मच देसी घी।”

(घ) बच्चे को स्कूल जाना अच्छा लगता है।
उत्तर: वाक्य:

  • “कितना मज़ा आता जब रिसेस में ठेले पर जाकर नमक-मिर्च लगे अमरूद खाते कटक-कटक।”
  • “सारे बच्चे हल्ला मचाते हुए आँगन में खेल रहे होंगे और मैं बिस्तर में पड़ा इख मार रहा हूँगा।”

शीर्षक

(क) आपने जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम ‘नहीं होना बीमार’ है। अपने समूह में चर्चा करके लिखें कि इस कहानी का यह नाम उपयुक्त है या नहीं। अपने उत्तर के कारण भी बताएँ।
उत्तर: हाँ, कहानी का नाम “नहीं होना बीमार” उपयुक्त है। 
कारण:

  • कहानी का मुख्य पाठ यह है कि बीमारी का बहाना बनाना गलत है, क्योंकि इससे परेशानी ही होती है।
  • बच्चे को बीमारी का बहाना बनाने के बाद भूख, अकेलापन, और पछतावा झेलना पड़ता है, जिससे वह कहता है कि वह फिर कभी ऐसा नहीं करेगा।
  • शीर्षक कहानी के संदेश को स्पष्ट करता है कि बीमार होने या बहाना बनाने से बचना चाहिए।

(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए |
उत्तर: 

  • नाम: “झूठ का सबक”
  • कारण: यह नाम कहानी के मुख्य संदेश को दर्शाता है कि झूठ बोलने से नुकसान होता है और इससे बच्चे को सबक मिलता है। बच्चे ने बीमारी का झूठ बोला, लेकिन अंत में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने सच बोलने का फैसला किया।

अभिनय

कहानी में से चुनकर कुछ संवाद नीचे दिए गए हैं। आपको इन्हें अभिनय के साथ बोलकर दिखाना है। प्रत्येक समूह से बारी-बारी से छात्र/छात्राएँ कक्षा में सामने आएँगे और एक संवाद अभिनय के साथ बोलकर दिखाएँगे—

1. “बुखार आ गया।” मैंने कराहते हुए कहा। 
उत्तर: अभिनय: माथे पर हाथ रखकर, चेहरा उदास बनाकर, धीमी और दर्द भरी आवाज में बोलना।

2. “आपको पता नहीं चल रहा। थर्मामीटर लगाकर देखिए।” मैंने कहा। 
उत्तर: अभिनय: थोड़ा गुस्से और जलन के साथ, उंगली दिखाते हुए, जोर देकर बोलना।

3. “मेरे सिर में दर्द हो रहा है। पेट भी दुख रहा है और मुझे बुखार भी है।” 
उत्तर: अभिनय: रजाई में लेटे हुए, कमजोर और शिकायती आवाज में, चेहरा दर्द से भरा हुआ दिखाना।

4. नानाजी आए। बोले, “अब कैसा है सिरदर्द?” 
उत्तर: अभिनय: गंभीर और चिंतित चेहरा, धीमी और देखभाल करने वाली आवाज में बोलना।

5. फिर नानाजी बोले, “आज इसे कुछ खाने को मत देना। आराम करने दो। शाम को देखेंगे।” 
उत्तर: अभिनय: सख्त लेकिन प्यार भरी आवाज, बच्चे की ओर देखते हुए, गंभीर चेहरा बनाकर बोलना।

चेहरों पर मुस्कान, मुँह में पानी

(क) इस कहानी में अनेक रोचक घटनाएँ हैं जिन्हें पढ़कर चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। इस कहानी में किन बातों को पढ़कर आपके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई थी? उन्हें रेखांकित कीजिए।
उत्तर: 1. “क्या ठाठ हैं बीमारों के भी। मैंने सोचा… ठाठ से साफ-सुथरे बिस्तर पर लेटे रहो और साबुदाने की खीर खाते रहो!”
(मुस्कान क्योंकि बच्चे की मासूम सोच बहुत मज़ेदार है।)
2. “पूछते तो मैं साबुदाने की खीर ही तो माँगता, कोई ताजमहल तो नहीं माँग लेता।”
(मुस्कान क्योंकि बच्चे का तंज और अतिशयोक्ति हास्यपूर्ण है।)
3. “मुनु एक बार भी मुझे देखने नहीं आया। आया भी होगा तो दबे पाँव आया होगा और मुझे सोता जान लौट गया होगा।”
(मुस्कान क्योंकि बच्चे की जलन और शिकायत भरी सोच मज़ेदार है।)

(ख) इस कहानी में किन वाक्यों को पढ़कर आपके मुँह में पानी आ गया था? उन्हें रेखांकित कीजिए।
उत्तर: 1. “गरमागरम खस्ता कचौड़ी… माव की बर्फी… बेसन की चक्की… गोलगप्पे। और सबसे ऊपर साबुदाने की खीर।”
(मुँह में पानी क्योंकि इन स्वादिष्ट खानों का वर्णन बहुत ललचाने वाला है।)
2. “अरहर की दाल में हींग-जीरे का बघार और ऊपर से बारीक कटा हरा धनिया और आधा चम्मच देसी घी।”
(मुँह में पानी क्योंकि दाल की खुशबू और स्वाद का वर्णन बहुत आकर्षक है।)
3. “तली हुई हरी मिर्च।”
(मुँह में पानी क्योंकि तली मिर्च का ज़िक्र चटपटे स्वाद की याद दिलाता है।)

लेखन के अनोखे तरीके

मैं बिना आवाज़ किए दरवाज़े तक गया और ऐसे झाँककर देखने लगा जिससे किसी को पता न चले कि मैं बिस्तर से उठ गया हूँ।
इस बात को कहानी में इस प्रकार विशेष रूप से लिखा गया है—

“दबे पाँव दरवाज़े तक गया और चुपके से झाँककर देखा।”
इस कहानी में अनेक स्थानों पर वाक्यों को विशेष ढंग से लिखा गया है। साधारण बातों को कुछ अलग तरह से लिखने से लेखन की सुंदरता बढ़ सकती है।

नीचे दिए गए वाक्यों को कहानी में कैसे लिखा गया है:

  1. ऐसा लगा मानो हमें देखकर सुधाकर काका खुश हो गए।
  2. खिड़कियाँ बहुत बड़ी थीं और उनके बाहर हरे पेड़ हवा से हिल रहे थे।
  3. वहाँ केवल लोगों के फुसफुसाने की आवाजें आ रही थीं।
  4. फुसफुसाने की आवाजों के सिवा वहाँ कोई आवाज नहीं थी।
  5. बीमार लोगों के बहुत मजे होते हैं।
  6. मैं झूठमूठ बीमार पड़ जाता हूँ ।

उत्तर:

  1. हमें देखकर सुधाकर काका जैसे खुश हो गए।
  2. बड़ी-बड़ी खिड़कियों के पास हरे-हरे पेड़ झूम रहे थे ।
  3. सिर्फ लोगों के धीरे-धीरे बात करके की धीमी-धीमी गुनगुन ।
  4. बाकी एकदम शांति ।
  5. क्या ठाठ हैं बीमारों के भी।
  6. मैंने सोचा बीमार पड़ने के लिए आज का दिन बिल्कुल ठीक रहेगा। चलो बीमार पड़ जाते हैं।

विराम चिह्न

‘देखें!’ नानाजी ने रजाई हटाकर मेरा माथा छुआ। पेट देखा और नब्ज़ देखने लगे।
इस बीच नानीजी भी आ गईं। ‘क्या हुआ?’, नानीजी ने पूछा।

पिछले प्रश्न पर दिए गए वाक्यों को ध्यान से देखिए। इन वाक्यों में आपको कुछ शब्दों से पहले या बाद में कुछ चिह्न दिखाई दे रहे हैं। इन्हें विराम चिह्न कहते हैं।
अपने समूह के साथ मिलकर नीचे दिए गए विराम चिह्नों को कहानी में ढूँढिए। ध्यानपूर्वक देखकर समझिए कि इनका प्रयोग वाक्यों में कहाँ-कहाँ किया जाता है। आपने जो पता किया, उसे नीचे लिखिए—

आवश्यकता हो तो इस प्रश्न का उत्तर पता करने के लिए आप अपने परिजनों, शिक्षकों, पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर: विराम चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है:

कैसी होगी गली

“मुझे बड़ी तेज़ इच्छा हुई कि इसी समय बाहर निकलकर दिन की रोशनी में अपनी गली की चहल-पहल देखूँ।”
आपने कहानी में बच्चे के घर के साथ वाली गली के बारे में बहुत-सी बातें पढ़ी हैं। उन बातों और अपनी कल्पना के आधार पर उस गली का एक चित्र बनाईए।

उत्तर: बच्चे की गली का दृश्यात्मक विवरणः

  • एक संकरी, लेकिन साफ़-सुथरी गली
  • एक ओर चंदभाई ड्राईक्लीनर की दुकान
  • दूसरी ओर तेजराम की चाय की दुकान, जहाँ ग्राहक बैठे बातें कर रहे हैं
  • महेश घी सेंटर से घी और मलाई की खुशबू आ रही है
  • गली में खेलते हुए बच्चे, कहीं कंचे तो कहीं पिट्टू खेल रहे हैं
  • ऊपर टेलीफोन के तारों पर चिड़ियाँ चहचहा रही हैं
  • एक कोने में फलवाला ठेला, जिसमें अमरूद, आम, केले
  • कुछ बच्चे आम चूसते हुए भाग रहे हैं
  • गली में से साइकिल, रिक्शा, और पैदल चलने वाले लोग जा रहे हैं
  • एक खिड़की से बच्चा चुपके से झाँक रहा है – कहानी का दृश्य

पाठ से आगे
आपकी बात

(क) बच्चे ने अस्पताल के वातावरण का विस्तार से सुंदर वर्णन किया है। इसी प्रकार आप अपनी कक्षा का वर्णन करें।
उत्तर: मेरी कक्षा बहुत सुंदर और जीवंत है। दीवारों पर रंग-बिरंगे चार्ट और बच्चों के बनाए चित्र लगे हैं। सामने बड़ा-सा ब्लैकबोर्ड है, जिस पर शिक्षक रंगीन चॉक्स से लिखते हैं। खिड़कियों से हल्की धूप और ताज़ी हवा आती है, जिससे माहौल तरोताज़ा रहता है। बेंच-डेस्क साफ-सुथरे हैं, और हर डेस्क पर किताबें और कॉपियाँ व्यवस्थित रहती हैं। कक्षा में बच्चों की हँसी और बातचीत की गुनगुन रहती है, लेकिन जब शिक्षक पढ़ाते हैं, तो सब शांत होकर ध्यान देते हैं। बाहर खिड़की से हरे पेड़ और खेल का मैदान दिखता है, जो मन को खुश करता है।

(ख) कहानी में बच्चे को घर में अकेले दिन भर लेटे रहना पड़ा था। क्या आप कभी कहीं अकेले रहे हैं? उस समय आपको कैसा लग रहा था? आपने क्या-क्या किया था?
उत्तर: हाँ, एक बार मैं घर पर अकेला था क्योंकि मम्मी-पापा को किसी काम से बाहर जाना पड़ा था।  

  • कैसा लगा: शुरू में मुझे मज़ा आया क्योंकि मैं टीवी देख सकता था, लेकिन कुछ देर बाद मुझे अकेलापन और ऊब महसूस हुई।  
  • क्या किया: मैंने अपनी पसंदीदा कार्टून फिल्म देखी, फिर कुछ बिस्किट खाए। मैंने अपनी पुरानी कॉमिक्स पढ़ीं और कागज पर एक सुपरहीरो का चित्र बनाया। बाद में मैंने मम्मी को फोन करके बात की, जिससे मुझे अच्छा लगा।

(ग) कहानी में आम खाने वाले मुनु को देखकर बच्चे को ईर्ष्या हुई थी। क्या आपको कभी किसी से या किसी को आपसे ईर्ष्या हुई है? आपने तब क्या किया था ताकि यह भावना दूर हो जाए?
उत्तर: हाँ, एक बार मेरे दोस्त को स्कूल में ड्राइंग प्रतियोगिता में पहला पुरस्कार मिला, और मुझे उससे थोड़ी ईर्ष्या हुई।  

  • क्या किया: मैंने अपने दोस्त को बधाई दी और उससे पूछा कि उसने इतना अच्छा चित्र कैसे बनाया। उसने मुझे कुछ टिप्स दिए। मैंने घर जाकर ड्राइंग की प्रैक्टिस की और अगली बार बेहतर करने की कोशिश की। इससे मेरी ईर्ष्या खुशी में बदल गई, और मैंने अपने दोस्त से कुछ नया सीखा।

बहाने(क) कहानी में बच्चे ने बीमारी का बहाना बनाया ताकि उसे स्कूल न जाना पड़े। क्या आपने कभी किसी कारण से बहाना बनाया है? यदि हाँ, तो उसके बारे में बताएँ। उस समय आपके मन में कौन-कौन से भाव आ-जा रहे थे? आप कैसा अनुभव कर रहे थे?
उत्तर: हाँ, एक बार मैंने मम्मी से कहा कि मेरा गला खराब है ताकि मुझे ट्यूशन न जाना पड़े।  

  • भाव: मुझे डर था कि मम्मी को पता चल जाएगा। साथ ही, थोड़ा मज़ा भी आ रहा था कि मैं घर पर रहकर टीवी देख सकूँगा। लेकिन बाद में मुझे थोड़ा अपराधबोध हुआ।  
  • अनुभव: शुरू में अच्छा लगा, लेकिन जब मम्मी ने मुझे दवा दी और आराम करने को कहा, तो मैं ऊब गया और पछतावा हुआ कि मैंने झूठ बोला।

(ख) आमतौर पर बनाए जाने वाले बहानों की एक सूची बनाएँ।
उत्तरबहानों की सूची

  1. “मुझे बुखार है।” (स्कूल या ट्यूशन से बचने के लिए)
  2. “मेरा होमवर्क कॉपी घर पर भूल गया।” (होमवर्क न करने पर)
  3. “मुझे पेट में दर्द है।” (खेल या काम से बचने के लिए)
  4. “बस छूट गई।” (देर होने पर)
  5. “मेरा फोन खराब हो गया।” (कॉल न करने पर)
  6. “मुझे नींद आ रही है।” (पढ़ाई से बचने के लिए)
  7. “मुझे कुछ याद नहीं।” (परीक्षा में जवाब न जानने पर)

(ग) बहाने क्यों बनाने पड़ते हैं? बहाने न बनाने पड़ें, इसके लिए हम क्या-क्या कर सकते हैं?
उत्तर: बहाने अक्सर तब बनाए जाते हैं जब हम कोई काम नहीं करना चाहते, जैसे स्कूल न जाना, होमवर्क न करना या ज़िम्मेदारी से बचना। यह आलस्य, डर या मन न लगने के कारण हो सकता है।
बहाने न बनाने पड़ें, इसके लिए हम ये कर सकते हैं:

  • समय पर सभी काम पूरे करें।
  • ईमानदारी और जिम्मेदारी से व्यवहार करें।
  • अपने मन की बात घरवालों और शिक्षकों से खुलकर कहें।
  • पढ़ाई और अन्य ज़िम्मेदारियों को बोझ नहीं, अवसर की तरह देखें।
  • अगर कोई परेशानी हो, तो उससे भागने की बजाय समाधान ढूंढें।

अनुमान“मैं रजाई में पड़ा-पड़ा घर में चल रही गतिविधियों का अनुमान लगाता रहा।”
कहानी में बच्चे ने अनेक प्रकार के अनुमान लगाए हैं। क्या आपने कभी किसी अनदेखे व्यक्ति/वस्तु/घटना/पक्षी/स्थान आदि के विषय में अनुमान लगाए हैं? किसके बारे में? क्या? कब? विस्तार से बताइए।
(संकेत — जैसे पेड़ से आने वाली आवाज़ सुनकर किसी प्राणी का अनुमान लगाना; कहीं दूर रहने वाले किसी संबंधी/रिश्तेदार के विषय में सुनकर उसके संबंध में अनुमान लगाना।)

उत्तर: हाँ, एक बार मैं पार्क में पेड़ से अजीब सी आवाज़ सुन रहा था।  

  • कब: पिछले साल गर्मियों की छुट्टियों में।  
  • क्या अनुमान लगाया: मुझे लगा कि शायद कोई पक्षी या गिलहरी है जो अपनी टहनियों में छिपी है। मैंने यह भी सोचा कि शायद कोई बड़ा पक्षी, जैसे कोयल या तोता, गाना गा रहा है।  
  • वास्तव में क्या था: जब मैंने ध्यान से देखा, तो वह एक छोटी सी गिलहरी थी जो पेड़ की छाल को कुतर रही थी।  
  • अनुभव: मुझे बहुत मज़ा आया क्योंकि यह एक छोटा सा रहस्य सुलझाने जैसा था। मैंने गिलहरी को थोड़ी देर देखा और उसकी तेज़ चाल देखकर हँसी आई।

घर का सामान“बहुत ढूँढ़ा गया पर थर्मामीटर मिला ही नहीं। शायद कोई माँगकर ले गया था।”
कहानी में बच्चे के घर पर थर्मामीटर (तापमापी) खोजने पर वह मिल नहीं पाता। आमतौर पर हमारे घरों में कोई न कोई ऐसी वस्तु होती है जिसे खोजने पर भी वह नहीं मिलती, जिसे कोई माँगकर ले जाता है या हम जिसे किसी से माँगकर ले आते हैं। अपने घर को ध्यान में रखते हुए ऐसी वस्तुओं की सूची बनाईए—
आम तौर पर हमारे घरों में कोई न कोई ऐसी वस्तु होती है जो खोजने पर भी नहीं मिलती, जिसे कोई माँगकर ले जाता है, या हम जिसे किसी से माँगकर ले आते हैं। अपने घर को ध्यान में रखते हुए ऐसी वस्तुओं की सूची बनाएँ।
उत्तर: 
खान-पान और आप(क) कहानी में सुधाकर काका को बीमार होने पर साबुदाने की खीर दी गई थी। आपके घर में किसी के बीमार होने पर उसे क्या-क्या खिलाया जाता है?
उत्तर

  • खिचड़ी: हल्की और पचने में आसान।
  • दाल का पानी: पौष्टिक और हल्का।
  • फल: जैसे केला या सेब, जो ऊर्जा देते हैं।
  • काढ़ा: जड़ी-बूटियों से बना, सर्दी-जुकाम के लिए।
  • ग्लूकोज़ पानी: कमजोरी दूर करने के लिए।

(ख) कहानी में बच्चे को बहुत-सी चीजें खाने का मन है। आपका क्या-क्या खाने का बहुत मन करता है?
उत्तर:

  • पिज़्ज़ा: चीज़ और टॉपिंग्स की वजह से।
  • गोलगप्पे: खट्टा-मीठा स्वाद बहुत पसंद है।
  • चॉकलेट केक: मीठा और नरम, हमेशा ललचाता है।
  • आलू पराठा: मक्खन और अचार के साथ मज़ेदार।
  • आम: रसदार और मीठा, गर्मियों में सबसे अच्छा।

(ग) कहानी में बच्चा सोचता है कि साबुदाने की खीर सिर्फ बीमारी या उपवास में क्यों मिलती है। आपके घर में ऐसा क्या-क्या है, जो केवल विशेष अवसरों या त्योहारों पर ही बनता है
उत्तर:

  • हलवा: दीवाली या जन्मदिन पर।
  • खीर: पूजा या रक्षाबंधन पर।
  • गुजिया: होली के त्योहार पर।
  • लड्डू: गणेश चतुर्थी या शादी में।
  • पंजीरी: जन्माष्टमी पर।

(घ) कहानी में बच्चा सोचता है कि अगर वह स्कूल जाता तो उसे ठेले पर नमक-मिर्च वाले अमरूद खाने को मिलते। आप अपने विद्यालय में क्या-क्या खाते-पीते हैं? विद्यालय में आपका रुचिकर भोजन क्या है?
उत्तरक्या खाते-पीते हैं:

  • टिफिन में पराठा, सब्जी, या सैंडविच।
  • कैंटीन में समोसा, चाट, या जूस।
  • दोस्तों के साथ बिस्किट या चिप्स शेयर करते हैं।
  • रुचिकर भोजन: कैंटीन का चटपटा समोसा, क्योंकि उसका मसालेदार स्वाद और कुरकुरापन बहुत पसंद है।

(ङ) इस कहानी में भोजन से जुड़ी बच्चे की कई रोचक बातें बताई गई हैं। आपके बचपन की भोजन से जुड़ी कोई विशेष याद क्या है, जिसे आप अब भी याद करते हैं?
उत्तर: मुझे याद है जब मैं 5 साल का था, और दादी ने मेरे जन्मदिन पर मेरे लिए खास चॉकलेट केक बनाया था।  

  • क्यों खास: केक पर मेरे नाम की सजावट थी, और उसका स्वाद इतना मज़ेदार था कि मैंने दो बड़े टुकड़े खा लिए।  
  • क्या हुआ: दादी ने मुझे गले लगाया और कहा कि यह केक मेरे लिए प्यार से बनाया है।  
  • आज भी क्यों याद: वह पल मेरे लिए बहुत खुशी भरा था, और अब भी चॉकलेट केक खाने पर मुझे दादी की याद आती है।

(च) कहानी में बच्चा भोजन की सुगंध से रजाई फेंककर रसोई में झाँकने लगा। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि घर में किसी विशेष खाने की सुगंध से आप भी रसोई में जाकर तुरंत देखना चाहते हैं कि क्या पक रहा है? आपको किस-किस खाने की सुगंध सबसे अधिक पसंद है?
उत्तर: हाँ, मेरे साथ भी ऐसा कई बार हुआ है जब खाने की खुशबू ने मुझे रसोई की ओर खींच लिया है। एक बार माँ ने मेरे पसंदीदा आलू के पराठे बनाए थे। जैसे ही घी की खुशबू पूरे घर में फैली, मैं तुरंत रसोई में पहुँच गया कि पराठे कब मिलेंगे।
मुझे सबसे ज़्यादा पसंद है:

  • ताज़ा बने पूरी-आलू की सब्ज़ी की सुगंध
  • पाव भाजी की खुशबू, जिसमें मक्खन की महक होती है
  • गर्मा-गरम गुलाब जामुन या हलवे की मिठास भरी खुशबू
  • ऐसी सुगंधें भूख को बढ़ा देती हैं और मन करता है कि खाना जल्दी परोसा जाए।

आज की पहेलीकहानी में आपने खाने-पीने की अनेक वस्तुओं के बारे में पढ़ा है। अब हम आपके सामने खाने-पीने की वस्तुओं या व्यंजनों से जुड़ी कुछ पहेलियाँ लाए हैं। इन्हें पढ़िए और उत्तर लिखिए I

उत्तर: 

04. पानी रे पानी अध्याय समाधान 

पाठ सेमेरी समझ से(क) निम्नलिखित प्रश्नों का सही उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा  (*) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) हमारा भूजल भंडार निम्नलिखित में से किससे समृद्ध होता है?

  • नल सूख जाने से।
  • पानी बरसने से। (*)
  • तालाब और झीलों से। (*)
  • बाढ़ आने से।

उत्तर: पानी बरसने से।
तालाब और झीलों से।
विश्लेषण: भूजल भंडार वर्षा के पानी और तालाबों, झीलों जैसे जल स्रोतों से रिसकर समृद्ध होता है। नल सूखने या बाढ़ से भूजल भंडार पर सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता

(2) निम्नलिखित में से कौन-सी बात जल-चक्र से संबंधित है?

  • वर्षा जल का संग्रह करना।
  • समुद्र से उठी भाप का बादल बनकर बरसना। (*)
  • नदियों का समुद्र में जाकर मिलना। (*)
  • बरसात में चारों ओर पानी ही पानी दिखाई देना।

उत्तर: समुद्र से उठी भाप का बादल बनकर बरसना।
नदियों का समुद्र में जाकर मिलना।
विश्लेषण: जल-चक्र में समुद्र से भाप बनकर बादल बनना, वर्षा होना और नदियों का पानी वापस समुद्र में मिलना शामिल है। वर्षा जल संग्रहण जल-चक्र का हिस्सा नहीं, बल्कि मानवीय प्रयास है।

(3) “इस बड़ी गलती की सजा अब हम सबको मिल रही है।” यहाँ किस गलती की ओर संकेत किया गया है?

  • जल-चक्र की अवधारणा को न समझना।
  • आवश्यकता से अधिक पानी का उपयोग करना।
  • तालाबों को कचरे से पाटकर समाप्त करना। (*)
  • भूजल भंडारण के विषय में विचार न करना। (*)

उत्तर: तालाबों को कचरे से पाटकर समाप्त करना।
भूजल भंडारण के विषय में विचार न करना।
विश्लेषण: पाठ में स्पष्ट है कि तालाबों को कचरे से पाटकर मकान, बाजार आदि बनाने से भूजल भंडार कम हुआ, जिसके कारण सूखा और बाढ़ की समस्याएँ बढ़ीं।

(ख) अब अपने मित्रों के साथ संवाद कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर: मैंने ऊपर दिए गए उत्तर इसलिए चुने क्योंकि:

  • भूजल भंडार वर्षा और तालाबों, झीलों से रिसने वाले पानी से भरता है, जैसा कि पाठ में बताया गया है।
  • जल-चक्र की प्रक्रिया में भाप से बादल बनना और नदियों का समुद्र में मिलना मुख्य हिस्सा है, जो प्रकृति का चक्र है।
  • तालाबों को नष्ट करना पाठ में मुख्य गलती के रूप में बताया गया है, जिससे पानी की कमी और बाढ़ की समस्या बढ़ी।

मिलकर करें मिलानपाठ में से कुछ शब्द समूह या संदर्भ चुनकर स्तंभ 1 में दिए गए हैं और उनके अर्थ स्तंभ 2 में दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और रेखा खींचकर सही मिलान कीजिए।

उत्तर: 

पंक्तियों पर चर्चा

इस पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और अपने सहपाठियों से चर्चा कीजिए।

  • पानी आता भी है तो बेवक्त।”

उत्तर: यह पंक्ति बताती है कि पानी की कमी के कारण नल में पानी अनियमित समय पर आता है, जैसे देर रात या सुबह जल्दी, जिससे लोगों को परेशानी होती है।

  • “देश के कई हिस्सों में तो अकाल जैसे हालात बन जाते हैं।”

उत्तर: यह दर्शाता है कि गर्मियों में पानी की भारी कमी के कारण कई जगहों पर सूखे जैसे हालात हो जाते हैं।

  • “कुछ दिनों के लिए सब कुछ थम जाता है।”

उत्तर: बरसात में बाढ़ के कारण सड़कें, स्कूल, और अन्य गतिविधियाँ रुक जाती हैं, जिससे जीवन प्रभावित होता है।

  • “अकाल और बाढ़ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।”

उत्तर: यह पंक्ति कहती है कि पानी की कमी (अकाल) और अधिकता (बाढ़) दोनों एक ही समस्या के दो रूप हैं, जिन्हें जल-चक्र को समझकर हल किया जा सकता है।

सोच-विचार के लिए

लेख को एक बार पुनः पढ़िए और निम्नलिखित के विषय में पता लगाकर लिखिए।
(क) पाठ में धरती को एक बहुत बड़ी गुल्लक क्यों कहा गया है?

उत्तर: धरती को गुल्लक इसलिए कहा गया क्योंकि यह वर्षा के पानी को तालाबों, झीलों और नदियों में जमा करती है, जैसे हम गुल्लक में पैसे जमा करते हैं। यह जमा पानी भूजल भंडार को समृद्ध करता है, जिसे हम बाद में उपयोग कर सकते हैं।

(ख) जल-चक्र की प्रक्रिया कैसे पूरी होती है?
उत्तर: जल-चक्र की प्रक्रिया इस प्रकार पूरी होती है:

  • वाष्पीकरण: सूर्य की गर्मी से पानी समुद्र, झीलों और नदियों से वाष्प के रूप में उड़कर वायुमंडल में जाता है।
  • संघनन: यह वाष्प ठंडी हवा में ऊपर जाकर बादल बनाता है।
  • वृष्टि: बादल से पानी बरसकर पृथ्वी पर वापस आ जाता है, यह बारिश, बर्फ या ओले के रूप में हो सकता है।
  • संचरण: बारिश का पानी जमीन में समा जाता है और भूजल में बदल जाता है।

यह चक्र लगातार चलता रहता है, जिससे जल का संतुलन बनाए रखा जाता है।

(ग) यदि सारी नदियाँ, झीलें और तालाब सूख जाएँ तो क्या होगा?
उत्तर: यदि सारी नदियाँ, झीलें और तालाब सूख जाएँ तो धरती पर भयंकर जल संकट उत्पन्न हो जाएगा। पीने, सिंचाई और उद्योगों के लिए पानी उपलब्ध नहीं होगा। पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और मनुष्य सभी प्रभावित होंगे और जीवन संकट में पड़ जाएगा।

(घ) पाठ में पानी को रुपयों से भी कई गुना मूल्यवान क्यों बताया गया है?
उत्तर: पाठ में पानी को रुपयों से भी कई गुना मूल्यवान इसलिए बताया गया है क्योंकि पानी के बिना जीवन असंभव है, जबकि रुपयों से सब कुछ नहीं खरीदा जा सकता।

शीर्षक(क) इस पाठ का शीर्षक ‘पानी रे पानी’ दिया गया है। पाठ का यह नाम क्यों दिया गया होगा? अपने सहपाठियों के साथ चर्चा करके लिखिए। अपने उत्तर का कारण भी लिखिए।
उत्तर: इस पाठ का शीर्षक ‘पानी रे पानी’ इसलिए दिया गया है क्योंकि यह पाठ पानी की महत्ता, उसके संकट, और उसके संरक्षण की आवश्यकता को दर्शाता है। ‘रे’ शब्द एक पुकार की तरह प्रयोग हुआ है, जिससे यह दर्शाया गया है कि इंसान आज पानी के लिए पुकार रहा है। यह शीर्षक पाठ की विषयवस्तु से पूरी तरह मेल खाता है और भावनात्मक प्रभाव भी छोड़ता है।
कारण: यह नाम पाठ के भाव और संदेश को प्रभावी ढंग से प्रकट करता है कि पानी अब दुर्लभ हो गया है और हमें इसके संरक्षण के लिए गंभीरता से प्रयास करना चाहिए।

(ख) आप इस पाठ को क्या नाम देना चाहेंगे? इसका कारण लिखिए।
उत्तर: मैं इस पाठ का नाम ‘जल है तो जीवन है’ दूँगा।
कारण

  • यह नाम पानी के महत्व को स्पष्ट करता है और बताता है कि पानी के बिना जीवन संभव नहीं।  
  • यह लोगों को पानी संरक्षण के लिए प्रेरित करता है।

शब्दों की बातबात पर बल देना

  • “हमारी यह धरती भी इसी तरह की एक गुल्लक है।”  
  • “हमारी यह धरती इसी तरह की एक गुल्लक है।”

(क) इन दोनों वाक्यों को ध्यान से पढ़िए। दूसरे वाक्य में कौन-सा शब्द हटा दिया गया है? उस शब्द को हटा देने से वाक्य के अर्थ में क्या अंतर आया है, पहचान कर लिखिए।
उत्तर: हटाया गया शब्द और अर्थ में अंतर:  

  • दूसरे वाक्य में ‘भी’ शब्द हटा दिया गया है।  

अर्थ में अंतर:  

  • पहला वाक्य (“हमारी यह धरती भी…”) यह दर्शाता है कि धरती के अलावा और भी चीजें गुल्लक की तरह काम करती हैं, और धरती उनमें से एक है। ‘भी’ शब्द तुलना और जोर देता है।  
  • दूसरा वाक्य (“हमारी यह धरती…”) केवल धरती को गुल्लक बताता है, बिना किसी तुलना के, जिससे वाक्य का प्रभाव कम हो जाता है।

(ख) पाठ में ऐसे ही कुछ और शब्द भी आए हैं जो अपनी उपस्थिति से वाक्य में विशेष प्रभाव उत्पन्न करते हैं। पाठ को फिर से पढ़िए और इस तरह के शब्दों वाले वाक्यों को चुनकर लिखिए।
उत्तर: पाठ से प्रभाव पैदा करने वाले शब्दों वाले वाक्यः

1. “पानी आता भी है तो बेवक्त।”

  • “भी” शब्द यहाँ यह दर्शाता है कि पानी की उपस्थिति भी समस्या है, क्योंकि वह सही समय पर नहीं आता।

2. “कुछ दिनों के लिए सब कुछ थम जाता है।”

  • “सब कुछ” शब्द ज़्यादा व्यापक असर दर्शाने के लिए प्रयुक्त हुआ है।

3. “अकाल और बाढ़ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।”

  • “एक ही सिक्के के दो पहलू” एक मुहावरे के रूप में प्रयुक्त होकर अर्थ को प्रभावशाली बनाता है।

4. “पानी को रुपयों से भी कई गुना ज़्यादा मूल्यवान बताया गया है।”

  • “कई गुना ज़्यादा” शब्द यह दिखाते हैं कि पानी का मूल्य केवल आर्थिक दृष्टि से नहीं, जीवन के दृष्टिकोण से बहुत अधिक है।

समानार्थी शब्द

नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों के स्थान पर समान अर्थ देने वाले उपयुक्त शब्द लिखिए। इस कार्य के लिए आप बादल में से शब्द चुन सकते हैं।
(क) सूरज की किरणें पड़ते ही फूल खिल उठे।
(ख) समुद्र का पानी भाप बनकर ऊपर उठ जाता है। 
(ग) अचानक बादल गरजने लगे।?
(घ) जल-चक्र में हवा की भी बहुत बड़ी भूमिका है।
उत्तरः 
(क) सूर्य, भास्कर, दिवाकर, दिनकर
(ख) वाष्प, नीर
(ग) मेघ, जलद, वारिद समीर
(घ) वायु, पवन

उपसर्ग

“देश के कई हिस्सों में तो अकाल जैसे हालात बन जाते हैं”
उपयुक्त वाक्य में ‘अ’ और ‘काल’ शब्द में जुड़कर एक नया अर्थ दिया है। काल का अर्थ है—समय, मृत्यु जब अकाल का अर्थ है—कुसमय, सूखा। कुछ शब्दों में काल के आधार से जुकर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं या कोई विशेषता उत्पन्न कर देते हैं और इस प्रकार नए शब्दों का निर्माण करते हैं। इस तरह के शब्दों को ‘उपसर्ग’ कहते हैं।
आइए, कुछ और उपसर्गों की पहचान करते हैं—

अब आप भी उपसर्ग के प्रयोग से नए शब्द बनाकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए—

उत्तरनए शब्दों से बने वाक्य:

  • सुपात्र: ज्ञान सुपात्र को ही देना चाहिए।
  • आपात्र: आपात्र को ज्ञान देने से बचना चाहिए।
  • अज्ञान: ज्ञान अज्ञान को दूर करता है।
  • विज्ञान: विज्ञान हमें प्रकृति के रहस्य समझने में मदद करता है।

पाठ से आगे

आपकी बात​(क) धरती की गुल्लक में जलराशि की कमी न हो इसके लिए आप क्या-क्या प्रयास कर सकते हैं, अपने सहपाठियों के साथ चर्चा करके लिखिए।
उत्तर: धरती की गुल्लक में जलराशि की कमी न हो इसके लिए प्रयास:  

  • वर्षा जल संग्रहण प्रणाली को घरों और स्कूलों में लगाना।  
  • तालाबों और झीलों को साफ रखना और कचरा न फेंकना।  
  • पेड़-पौधे लगाना ताकि भूजल रिसाव बढ़े।  
  • पानी का कम उपयोग करना, जैसे नहाते समय बाल्टी का उपयोग करना।  
  • लोगों को पानी बचाने के लिए जागरूक करना।

(ख) इस पाठ में एक छोटे से खंड में जल-चक्र की प्रक्रिया को प्रस्तुत किया गया है। उस खंड की पहचान करें और जल-चक्र को चित्र के माध्यम से प्रस्तुत करें।
उत्तर: इस पाठ में जल-चक्र की प्रक्रिया इस खंड में दी गई है: “पानी सूरज की गरमी से वाष्प बनकर ऊपर उठता है… और वर्षा के रूप में वापस धरती पर आता है।”
[सूरज] [समुद्र से भाप बनना] [बादल बनना] [नदियाँ, तालाब, झीलें] [वर्षा होना] [भूजल भंडार] [समुद्र में वापस]
जल-चक्र का चित्र



(ग) अपने द्वारा बनाए गए जल-चक्र के चित्र का विवरण प्रस्तुत कीजिए।  
उत्तर: जल-चक्र के चित्र का विवरण:

  • वाष्पीकरण (Evaporation): सूर्य की गर्मी से नदियों, तालाबों और समुद्रों का पानी भाप बनकर ऊपर उठता है।
  • संघनन (Condensation): भाप ठंडी होकर बादलों में बदल जाती है।
  • वर्षा (Precipitation): बादल भारी होकर वर्षा के रूप में जल को वापस धरती पर गिराते हैं।
  • संचयन और बहाव (Collection and Run-off): वर्षा का जल नदियों, झीलों और समुद्रों में जाकर एकत्र होता है और जल-चक्र फिर से शुरू हो जाता है।

सृजन

(क) कल्पना कीजिए कि किसी दिन आपके घर में पानी नहीं आया। आपके विद्यालय जाना है। आपके घर में सभी को एक सार्वजनिक नल से अपनी बाल्टी अथवा लोटे वहाँ पहुँचते हैं और ठीक उसी समय आपके पड़ोसी भी पानी लेने पहुँच जाते हैं। अब दोनों ही अपनी-अपनी बाल्टी पहले भरना चाहते हैं। ऐसी परिस्थिति में आपसे में किसी प्रकार का विवाद (तु-तु मैं-मैं) न हो, यह ध्यान में रखते हुए पाँच संदेश वाक्य (स्लोगन) तैयार कीजिए।
उत्तर: पाँच संदेश वाक्य (स्लोगन):  

  1. “पानी है अनमोल, बारी-बारी से लो।”  
  2. “सबको मिले पानी, न करो तू-तू मैं-मैं।”  
  3. “पानी बचाओ, प्यार से बाँटो।”  
  4. “जल है जीवन, मिलकर करें सम्मान।”  
  5. “एकजुट होकर पानी लें, विवाद नहीं करें।

इन स्लोगनों से हम सबको यह सीखने को मिलता है कि थोड़ा धैर्य, सहयोग और समझदारी से किसी भी परिस्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जा सकता है।

(ख) “सूरज, समुद्र, बादल, हवा, धरती, फिर बरसात की बूँद और फिर बहती हुई एक नदी और उसके किनार वसता तुम्हारा, हमारा घर, गाँव या शहर!”
इस वाक्य को पढ़कर आपके सामने कोई एक चित्र उभर आया होगा, उस चित्र को बनाकर उसमें रंग भरिए।

उत्तर: 

पानी रे पानी

नीचे हम सबके दिनचर्या से जुड़ी कुछ गतिविधियों के चित्र हैं। इन चित्रों पर बातचीत कीजिए जो धरती पर पानी के संकट को कम करने में सहायक हैं और उन चित्रों पर भी बात करें जो पानी की गुल्लक को जल्दी खाली कर रहे हैं।

उत्तरपानी के संकट को कम करने वाली गतिविधियाँ:  

  • वर्षा जल संग्रहण टैंक में पानी जमा करना।  
  • तालाबों की सफाई और रखरखाव।  
  • पेड़ लगाना, जो भूजल रिसाव को बढ़ाता है।  
  • कम पानी से नहाना और बर्तन धोना।

पानी की गुल्लक को खाली करने वाली गतिविधियाँ:  

  • नल को खुला छोड़ना।  
  • तालाबों में कचरा फेंकना।  
  • अनावश्यक रूप से मोटर पंप का उपयोग करना।  
  • जंगल काटना, जिससे भूजल रिसाव कम हो।

सबका पानी

सभी को अपनी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त पानी कैसे मिले’ इस विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन करें। परिचर्चा के मुख्य बिंदुओं को आधार बनाते हुए रिपोर्ट तैयार करें।  
उत्तरपरिचर्चा की रिपोर्ट
विषय: सभी को अपनी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त पानी कैसे मिले
स्थानः कक्षा-7
तिथि: XX मई 2025
आयोजकः विज्ञान एवं पर्यावरण क्लब
मुख्य बिंदु:  

  1. वर्षा जल संग्रहण: हर घर और स्कूल में वर्षा जल संग्रहण प्रणाली लगाई जाए।  
  2. जल स्रोतों की रक्षा: तालाबों, नदियों और झीलों को कचरे से बचाना और उनकी सफाई करना।  
  3. पानी का समान वितरण: सार्वजनिक नलों पर पानी बारी-बारी से लिया जाए, ताकि सभी को मिले।  
  4. जागरूकता: लोगों को पानी बचाने के लिए जागरूक करना, जैसे कम पानी से काम करना।  
  5. सरकारी प्रयास: स्थानीय प्रशासन द्वारा भूजल स्तर बढ़ाने के लिए योजनाएँ शुरू करना।

निष्कर्ष: सभी को पानी मिले, इसके लिए सामूहिक प्रयास, जागरूकता और जल प्रबंधन जरूरी है।  

दैनिक कार्य में पानी(क) क्या आपने कभी यह जानने का प्रयास किया है कि आपके घर में एक दिन में औसतन कितना पानी खर्च होता है? अपने घर में पानी के उपयोग से जुड़ी एक तालिका बनाइए। इस तालिका के आधार पर पता लगाइए –

  • घर के कार्यों में एक दिन में लगभग कितना पानी खर्च होता है? (बालटी, घड़े या किसी अन्य बर्तन को मापक बना सकते हैं)
  • आपके माँ और पिता या घर के अन्य सदस्य पानी बचाने के लिए क्या-क्या उपाय करते हैं?

उत्तर: हाँ, मैंने यह जानने की कोशिश की है कि मेरे घर में एक दिन में औसतन कितना पानी खर्च होता है। नीचे एक तालिका दी गई है:

पानी बचाने के उपाय:  

  • मेरी माँ बर्तन धोते समय नल को बंद रखती हैं।
  • पिताजी गाड़ी धोने में बाल्टी का उपयोग करते हैं, पाइप नहीं।
  • मैं पौधों को नहाने के बाद बचे पानी से सींचता हूँ।

(ख) क्या पानी का उपयोग अनावश्यक रूप से किया जा रहा है? यदि हाँ, तो कहाँ और कैसे?
उत्तर: हाँ, हमारे घर में पानी नियमित रूप से आता है। नगर निगम की ओर से सुबह के समय नल में पानी आता है, लेकिन कभी-कभी गर्मियों में पानी की कमी हो जाती है।

(ग) आपके घर में दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पानी का संचयन कैसे और किन पात्रों में किया जाता है?
जन-सुविधा के रूप में जल
नीचे दिए गए चित्रों को ध्यान से देखिए-

इन चित्रों के आधार पर जल आपूर्ति की स्थिति के बारे में अपने साथियों से चर्चा कीजिए और उसका विवरण लिखिए।
उत्तर: हमारे घर में पानी का संग्रह बाल्टी, टंकी और मटकों में किया जाता है। टंकी की मदद से ऊपरी मंजिल पर भी पानी पहुँचता है।
जल आपूर्ति की स्थिति (चित्रों के आधार पर विवरण):

  • इन चित्रों से स्पष्ट होता है कि बहुत सारे लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं। कहीं लोग टैंकर से पानी भर रहे हैं, कहीं नदी या पोखर से, तो कहीं जल रेल द्वारा पानी पहुँचाया जा रहा है। यह स्थिति बताती है कि जल संकट बहुत गंभीर है और सब जगह पर्याप्त जल आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
  • हमें जल बचाने की आदत डालनी चाहिए और जल संरक्षण के उपाय अपनाने चाहिए, जैसे वर्षा जल संचयन, टपक सिंचाई, और रिसाव रोकना।

बिन पानी सब सून(क) पाठ में मूल स्तर से कम होने के कुछ कारण बताए गए हैं, जैसे— तालाबों में कचरा फेंककर भरना आदि। मूल स्तर कम होने के और क्या-क्या कारण हो सकते हैं? पता लगाइए और कक्षा में प्रस्तुत कीजिए। (इशारे लिए आप अपने सहपाठियों, शिक्षक और घर के सदस्यों की सहायता भी ले सकते हैं)
उत्तर: भूजल स्तर कम होने के अन्य कारण:  

  • जंगलों की कटाई, जिससे वर्षा कम होती है।  
  • अधिक खेती के लिए भूजल का अत्यधिक उपयोग।  
  • फैक्ट्रियों द्वारा पानी का दुरुपयोग।  
  • सीमेंट की सड़कों और इमारतों से पानी का रिसाव कम होना।

(ख) भूजल स्तर की कमी से हमें आजकल किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है?
उत्तर: कठिनाइयाँ:  

  • नलों में पानी की कमी, जिससे लोग रात को या सुबह जल्दी पानी भरते हैं।  
  • खेती के लिए पानी न मिलना, जिससे फसलें बर्बाद होती हैं।  
  • गर्मियों में सूखा और पानी के लिए लंबी लाइनें।  
  • पीने के पानी की कमी, जिससे स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ती हैं।

(ग) आपके विद्यालय, गाँव या शहर के स्थानीय प्रशासन द्वारा भूजल स्तर बढ़ाने के लिए क्या-क्या प्रयास किए जा रहे हैं, पता लगाकर लिखिए।  
उत्तर: प्रशासन के प्रयास:  

  • वर्षा जल संग्रहण के लिए स्कूलों और सरकारी भवनों में टैंक बनाए जा रहे हैं।  
  • तालाबों की सफाई और गहरा करने की योजनाएँ।  
  • पेड़ लगाने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं।  
  • भूजल उपयोग पर नियम बनाए गए हैं, जैसे अधिक गहरे बोरवेल पर रोक।

यह भी जानें

वर्षा-जल संग्रहण
वर्षा के जल को एकत्र करना और उसका भंडारण करके बाद में प्रयोग करना जल की उपलब्धता में वृद्धि करने का एक उपाय है। इस उपाय द्वारा वर्षा का जल एकत्र करने को ‘वर्षा जल संग्रहण’ कहते हैं। वर्षा जल संग्रहण का मूल उद्देश्य यही है कि “जल जहाँ गिरे वहीं एकत्र कीजिए।” वर्षा जल संग्रहण की एक तकनीक इस प्रकार है-
छत के ऊपर वर्षा-जल संग्रहण
इस प्रणाली में भवनों की छत पर एकत्रित वर्षा जल को पाइप द्वारा भंडारण टंकी में पहुँचाया जाता है। इस जल में छत पर उपस्थित मिट्टी के कण मिल जाते हैं। अतः इसका उपयोग करने से पहले इसे स्वच्छ करना आवश्यक होता है।
अपने घर या विद्यालय के आस-पास, मुहल्ले या गाँव में पता लगाइए कि वर्षा जल संग्रहण की कोई विधि अपनाई जा रही है या नहीं? यदि हाँ, तो कौन-सी विधि है? उसके विषय में लिखिए। यदि नहीं, तो अपने शिक्षक या परिजनों की सहायता से इस विषय में समाचार पत्र के संपादक को एक पत्र लिखिए।

उत्तर:  वर्षा जल संग्रहण पर उत्तर / पत्र का उदाहरण
मेरे गाँव/मुहल्ले/विद्यालय में वर्षा जल संग्रहण की एक विधि अपनाई जा रही है। हमारे यहाँ छतों पर वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था है। छत पर गिरे हुए पानी को पाइप के माध्यम से एक टंकी में एकत्र किया जाता है। इस पानी को उपयोग करने से पहले साफ़ किया जाता है ताकि इसमें छत की मिट्टी और गंदगी न रहे। इससे जल की बचत होती है और सूखे के समय पानी की उपलब्धता बनी रहती है।
यदि आपके गाँव/मुहल्ले में ऐसी व्यवस्था नहीं है, तो आप इस प्रकार का पत्र भी लिख सकते हैं:
समाचार पत्र के संपादक को पत्र (वर्षा जल संग्रहण के लिए)
प्रति,
संपादक महोदय,
[समाचार पत्र का नाम]
[स्थान]
विषय: वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता

महोदय,
वर्तमान समय में जल संकट एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। हमारे गाँव/मुहल्ले/विद्यालय में वर्षा जल संग्रहण की कोई व्यवस्था नहीं है। यदि हम वर्षा के जल को इकट्ठा करके सही तरीके से संग्रहीत करें, तो जल की उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है और सूखे के समय इसका लाभ उठाया जा सकता है। मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि इस विषय पर जागरूकता बढ़ाने के लिए समाचार पत्र में लेख प्रकाशित करें ताकि अधिक से अधिक लोग वर्षा जल संग्रहण के महत्व को समझें और इसे अपनाएँ।

धन्यवाद,
आपका विश्वासी,
[आपका नाम]
[स्थान]
[दिनांक]

आज की पहेली

जल के प्राकृतिक स्रोत हैं— वर्षा, नदी, झील और तालाब। दिए गए वर्ग में जल और इन प्राकृतिक स्रोतों के समानार्थी शब्द ढूँढिए और लिखिए।

उत्तर:  

  • वर्षा: बारिश, मेह
  • नदी: प्रवाहिनी, तटिनी, तरंगिणी
  • झील /तालाबा: जलाशय, सर, ताल, सरोवर
  • जल: नीर, अंबु, वारि, सलिल

खोजबीन के लिए

पानी से संबंधित गीत या कविताओं का संकलन कीजिए और इनमें से कुछ को अपनी कक्षा में प्रस्तुत कीजिए। इसके लिए आप अपने परिजनों एवं शिक्षक अथवा पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।
उत्तर
1. कविता: “पानी अमूल्य धन है”
लेखक: अज्ञात
पानी-पानी हर कोई पुकारे,
बिन पानी सब सूना है प्यारे।
बूँद-बूँद का मोल समझो,
पानी को यूँ मत बहाओ।
खेतों में जब न पानी होगा,
भूखा पेट फिर कैसे रोज़ा।
नहाना, धोना सब ठीक है,
पर जल बचाना और भी ठीक है।

2. कविता: “बचाओ-बचाओ पानी”
लेखक: कक्षा उपयोग के लिए सरल कविता
बूँद-बूँद है अनमोल,
इसे ना करो यूँ गोलमाल।
नल खुले ना छोड़ो कभी,
बरबादी की ना हो वजह अभी।
जल ही जीवन का है नाम,
इसे बचाना है काम तमाम।

3. कविता: “जल बचाओ, जीवन बचाओ”
लेखक: अज्ञात
जीवन है पानी से प्यारा,
इसका ना हो जाए किनारा।
पानी बचाकर रखो सदा,
ताकि रहे ये सबका भला।

साझी समझप्रश्न: ‘पानी रे पानी’ और ‘पाल के किनारे रखा इतिहास’ में आपको कौन-कौन सी बातें समान लगीं? उनके विषय में अपने सहपाठियों के साथ चर्चा कीजिए।  
उत्तरसमान बातें:  

  1. पानी की महत्ता: दोनों लेख पानी को जीवन का आधार बताते हैं। ‘पानी रे पानी’ में पानी को रुपये से अधिक कीमती कहा गया, और ‘पाल के किनारे…’ में तालाब बनाना अच्छा काम बताया गया।  
  2. तालाबों का महत्व: दोनों में तालाबों को धरती की गुल्लक के रूप में देखा गया, जो पानी जमा करते हैं।  
  3. समाज के लिए योगदान: ‘पानी रे पानी’ में जल संरक्षण और ‘पाल के किनारे…’ में तालाब बनाना समाज के लिए लाभकारी बताया गया।  
  4. प्रकृति और मानव का संबंध: दोनों लेख प्रकृति (पानी, तालाब) और मानव जीवन के बीच गहरा संबंध दर्शाते हैं।

चर्चा: दोनों लेख हमें पानी और तालाबों की रक्षा करने की प्रेरणा देते हैं, ताकि भविष्य में पानी की कमी न हो। 

03. फूल और काँटा अध्याय समाधान 

पाठ से
मेरी समझ से(क) कविता के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उनके सामने तारा (*) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) कविता में काँटे के बारे में कौन-सा वाक्य सत्य है?

  • काँटा अपने आस-पास की सुगंध को नष्ट करता है।
  • काँटा तितलियों और भौंरों को आकर्षित करता है।
  • काँटा उँगलियों को छेदता है और वस्त्र फाड़ देता है। (*)
  • काँटा पौधे को हानि पहुँचाता है।

उत्तर: काँटा उँगलियों को छेदता है और वस्त्र फाड़ देता है।
विश्लेषण: कविता में काँटे को नकारात्मक रूप में दिखाया गया है, जो उँगलियों को छेदता है (“छेद कर काँटा किसी की उँगलियाँ”) और कपड़े फाड़ देता है (“फाड़ देता है किसी का वर बसन”)। अन्य विकल्प कविता के आधार पर सही नहीं हैं, क्योंकि काँटा सुगंध नष्ट नहीं करता, तितलियों-भौंरों को आकर्षित नहीं करता, और पौधे को हानि नहीं पहुँचाता।

(2) कविता में फूल और काँटे में समानताओं और विभिन्नताओं का उल्लेख किया गया है। निम्नलिखित में से कौन-सा वाक्य इन्हें सही रूप में व्यक्त करता है?

  • फूल सुंदरता का प्रतीक है और काँटा कठोरता का। (*)
  • फूल और काँटे के बारे में लोगों के विचार समान होते हैं।
  • फूल और काँटे एक ही पौधे पर उगते हैं, लेकिन उनके स्वभाव भिन्न होते हैं। (*)
  • फूल और काँटे को समान देखभाल मिलती है फिर भी उनके रंग-ढंग अलग होते हैं। (*)

उत्तर: फूल सुंदरता का प्रतीक है और काँटा कठोरता का।
फूल और काँटे एक ही पौधे पर उगते हैं, लेकिन उनके स्वभाव भिन्न होते हैं।
फूल और काँटे को समान देखभाल मिलती है फिर भी उनके रंग-ढंग अलग होते हैं।
विश्लेषण: कविता में फूल को सुंदर, कोमल और आनंददायक दिखाया गया है, जबकि काँटा कठोर और पीड़ादायक है। दोनों एक ही पौधे पर उगते हैं (“हैं जनम लेते जगह में एक ही”) और उन्हें समान देखभाल मिलती है (“मेह उन पर है बरसता एक सा”), लेकिन उनके स्वभाव और प्रभाव अलग हैं। इसलिए तीन विकल्प सही हैं। दूसरा विकल्प गलत है, क्योंकि लोगों के विचार फूल और काँटे के लिए समान नहीं हैं।

(3) कविता के आधार पर कौन-सा निष्कर्ष उपयुक्त है

  • व्यक्ति का कुल ही उसके सम्मान का आधार होता है।
  • व्यक्ति के कार्यों के कारण ही लोग उसका सम्मान करते हैं। (*)
  • कुल की प्रतिष्ठा हमेशा व्यक्ति के गुणों से बड़ी होती है।
  • यदि व्यक्ति अच्छे कार्य करता है तो उसके कुल को प्रसिद्धि मिलती है। (*)

उत्तर: व्यक्ति के कार्यों के कारण ही लोग उसका सम्मान करते हैं।
यदि व्यक्ति अच्छे कार्य करता है तो उसके कुल को प्रसिद्धि मिलती है।
विश्लेषण: कविता कहती है कि व्यक्ति का बड़प्पन उसके गुणों और कार्यों से तय होता है, न कि केवल कुल से (“किस तरह कुल की बड़ाई काम दे, जो किसी में हो बड़प्पन की कसर”)। फूल जैसे अच्छे कार्य करने वाले व्यक्ति को सम्मान मिलता है, जिससे उसके कुल को भी प्रसिद्धि मिलती है। इसलिए दो विकल्प सही हैं।

(4) कविता के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सा कथन ‘बड़प्पन’ के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है?

  • धन-दौलत और ताकत से व्यक्ति के बड़प्पन का पता चलता है।
  • कुल के बड़प्पन की प्रशंसा व्यक्ति की कमियों को ढक देती है।
  • बड़प्पन व्यक्ति के गुणों, स्वभाव और कर्मों से पहचाना जाता है। (*)
  • कुल का नाम व्यक्ति में बड़प्पन की पहचान का मुख्य आधार है।

उत्तर: बड़प्पन व्यक्ति के गुणों, स्वभाव और कर्मों से पहचाना जाता है। 
विश्लेषण: कविता में बड़प्पन को व्यक्ति के गुणों, स्वभाव, और कर्मों से जोड़ा गया है (“किस तरह कुल की बड़ाई काम दे, जो किसी में हो बड़प्पन की कसर”)। फूल जैसे गुणों वाला व्यक्ति सम्मान पाता है, जबकि काँटे जैसे स्वभाव वाला नहीं। इसलिए तीसरा विकल्प सही है।

(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग या एक से अधिक उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें?
उत्तर: मैंने उपरोक्त उत्तर इसलिए चुने क्योंकि कविता में फूल और काँटे को प्रतीक के रूप में इस्तेमाल करके लोगों के स्वभाव और कर्मों के अंतर को दिखाया गया है। काँटे का उँगलियाँ छेदना और कपड़े फाड़ना इसकी कठोरता को दर्शाता है, जबकि फूल की सुगंध और रंग सुंदरता और आनंद का प्रतीक हैं। दोनों को एक ही पौधे पर समान देखभाल मिलती है, फिर भी उनके गुण अलग हैं। बड़प्पन के लिए कविता में गुणों और कर्मों को महत्व दिया गया है, न कि कुल या धन को। मेरे मित्रों के साथ चर्चा में मैं यह समझाऊँगा कि कविता का मुख्य संदेश व्यक्ति के कार्यों और स्वभाव से उसकी पहचान बनती है।

पंक्तियों पर चर्चानीचे दी गई पंक्तियों का अर्थ और विचार:
(क) “मेह उन पर है बरसता एक सा, 
एक सी उन पर हवायें हैं बही। 
पर सदा ही यह दिखाता है हमें, 
ढंग उनके एक से होते नहीं।”
उत्तर: अर्थ: इस पंक्ति में कहा गया है कि फूल और काँटे दोनों को एक जैसी बारिश (मेह) और हवा मिलती है, लेकिन फिर भी उनके स्वभाव और गुण अलग-अलग होते हैं।
विचार: यह पंक्ति हमें सिखाती है कि परिस्थितियाँ सबके लिए एक जैसी हो सकती हैं, लेकिन हर व्यक्ति का स्वभाव और व्यवहार उसकी अपनी खासियत के कारण अलग होता है। जैसे, एक ही परिवार के बच्चे एक जैसी परवरिश पाते हैं, फिर भी उनके गुण भिन्न हो सकते हैं।

(ख) “किस तरह कुल की बड़ाई काम दे, 
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर।”
उत्तर: अर्थ: इस पंक्ति का मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति में बड़प्पन (अच्छे गुण, स्वभाव, और कर्म) की कमी है, तो उसके कुल (परिवार) की प्रतिष्ठा या बड़ा नाम उसके लिए कोई काम नहीं आता।
विचार: यह पंक्ति मुझे प्रेरित करती है कि हमें अपने गुणों और कर्मों से अपनी पहचान बनानी चाहिए। कुल का नाम तभी सम्मान दिलाता है, जब हम स्वयं अच्छे कार्य करें।

मिलकर करें मिलानइस कविता में ‘फूल’ और ‘काँटा’ के उदाहरण द्वारा लोगों के स्वभावों के अंतर और समानताओं की ओर संकेत किया गया है। फूल और काँटा किस-किस के प्रतीक हो सकते हैं। इन्हें उपयुक्त प्रतीकों से जोड़िए:

उत्तर: 

विश्लेषण:  

  • फूल: फूल सुंदरता, कोमलता, सुगंध, और आनंद का प्रतीक है। यह दया, अच्छाई, सुख, परोपकार, प्रेम, और प्रसन्नता जैसे सकारात्मक गुणों को दर्शाता है।  
  • काँटा: काँटा कठोरता, पीड़ा, और नुकसान का प्रतीक है। यह स्वार्थ, बुराई, दुख, और कठोरता जैसे नकारात्मक गुणों को दर्शाता है।

सोच-विचार के लिए(क) कविता में ऐसी कौन-कौन सी समानताओं का उल्लेख किया गया है जो सभी पौधों पर समान रूप से लागू होती हैं?
उत्तर: कविता में फूल और काँटे के लिए निम्नलिखित समानताएँ बताई गई हैं:  

  • दोनों एक ही जगह पर जन्म लेते हैं (“हैं जनम लेते जगह में एक ही”)।  
  • दोनों को एक ही पौधा पालता है (“एक ही पौधा उन्हें है पालता”)।  
  • दोनों पर एक जैसी चाँदनी बरसती है (“रात में उन पर चमकता चाँद भी, एक ही सी चाँदनी है डालता”)।  
  • दोनों पर एक जैसी बारिश होती है (“मेह उन पर है बरसता एक सा”)।  
  • दोनों को एक जैसी हवाएँ मिलती हैं (“एक सी उन पर हवायें हैं बही”)।

(ख) आपको फूल और काँटे के स्वभाव में मुख्य रूप से कौन-सा अंतर दिखाई दिया?
उत्तर: फूल और काँटे के स्वभाव में मुख्य अंतर:  

  • फूल: फूल सुंदर, कोमल, और आनंददायक है। यह तितलियों को गोद में लेता है, भौंरों को रस पिलाता है, और अपनी सुगंध व रंगों से कली को खिलाता है (“फूल लेकर तितलियों को गोद में, भौंर को अपना अनूठा रस पिला”)। यह सकारात्मकता और प्रेम का प्रतीक है।  
  • काँटा: काँटा कठोर और पीड़ादायक है। यह उँगलियों को छेदता है और कपड़े फाड़ता है (“छेद कर काँटा किसी की उँगलियाँ, फाड़ देता है किसी का वर बसन”)। यह नकारात्मकता और कठोरता का प्रतीक है।

(ग) कविता में मुख्य रूप से कौन-सी बात कही गई है? उसे पहचानिए, समझिए और अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरमुख्य बात: कविता में फूल और काँटे के माध्यम से यह बताया गया है कि एक ही परिस्थिति में पलने वाले लोग या चीजें अपने स्वभाव और कर्मों के कारण अलग-अलग हो सकते हैं। व्यक्ति का बड़प्पन उसके गुणों, स्वभाव, और कार्यों से तय होता है, न कि केवल उसके कुल या परिस्थितियों से।
अपने शब्दों में: कविता कहती है कि फूल और काँटा एक ही पौधे पर उगते हैं और उन्हें एक जैसी देखभाल मिलती है, लेकिन फूल अपनी सुंदरता और सुगंध से सबको खुशी देता है, जबकि काँटा दुख देता है। इसी तरह, लोग चाहे एक ही परिवार या परिस्थिति से हों, उनके अच्छे या बुरे कर्म ही उनकी पहचान बनाते हैं।

(घ) “किस तरह कुल की बड़ाई काम दे, जो किसी में हो बड़प्पन की कसर।” उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तरअर्थ: इस पंक्ति का मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति में अच्छे गुण, स्वभाव, या कर्मों की कमी है, तो उसके परिवार या कुल का बड़ा नाम उसके लिए बेकार है।
उदाहरण: मान लीजिए एक अमीर और प्रसिद्ध परिवार का लड़का है। उसके परिवार का नाम बहुत बड़ा है, लेकिन वह झूठ बोलता है, दूसरों को धोखा देता है, और बुरा व्यवहार करता है। लोग उसका सम्मान नहीं करेंगे, क्योंकि उसमें बड़प्पन (अच्छे गुण) की कमी है। वहीं, एक साधारण परिवार का लड़का अगर ईमानदार, मेहनती, और दयालु है, तो लोग उसकी प्रशंसा करेंगे, भले ही उसका कुल प्रसिद्ध न हो।

(ङ) “है खटकता एक सब की आँख में, दूसरा है सोहता सूर शीश पर।” लोग कैसे स्वभाव के व्यक्तियों की प्रशंसा करते हैं और कैसे स्वभाव वाले व्यक्तियों से दूर रहना पसंद करते हैं?
उत्तर: इस पंक्ति में कहा गया है कि एक (काँटा) सबकी आँखों में खटकता है, यानी नापसंद किया जाता है, जबकि दूसरा (फूल) सिर पर सुशोभित होता है, यानी उसकी प्रशंसा होती है।  

  • प्रशंसा वाले व्यक्ति: लोग उन व्यक्तियों की प्रशंसा करते हैं जो फूल जैसे स्वभाव वाले होते हैं, यानी दयालु, कोमल, सुंदर व्यवहार करने वाले, और दूसरों को सुख देने वाले। उदाहरण के लिए, जो लोग दूसरों की मदद करते हैं, सच बोलते हैं, और प्यार से बात करते हैं, उनकी प्रशंसा होती है।  
  • दूर रहने वाले व्यक्ति: लोग उन व्यक्तियों से दूर रहना पसंद करते हैं जो काँटे जैसे स्वभाव वाले होते हैं, यानी कठोर, दूसरों को चोट पहुँचाने वाले, और बुरा व्यवहार करने वाले। उदाहरण के लिए, जो लोग झगड़ालू, स्वार्थी, या दूसरों को दुख देते हैं, उनसे लोग दूरी बनाते हैं।

अनुमान और कल्पना से(क) कल्पना कीजिए कि चाँदनी, हवा और मेघ केवल एक पौधे पर बरसते हैं। बाकी पौधे इन सबके बिना कैसे दिखेंगे और उनके जीवन पर इसका क्या प्रभाव होगा?
उत्तर: अगर हम कल्पना करें कि चाँदनी, हवा और मेघ (बारिश) केवल एक ही पौधे पर बरसते हैं और बाकी पौधों को ये सब नहीं मिलते, तो बाकी पौधे बहुत दुखी और कमज़ोर हो जाएंगे। उनके जीवन पर यह प्रभाव पड़ेगा:

  • बिना चाँदनी के: रात में वे अंधेरे में रहेंगे, जिससे उनका विकास प्रभावित होगा।
  • बिना हवा के: उन्हें ताज़ी हवा नहीं मिलेगी, जिससे वे साँस नहीं ले पाएँगे और मुरझा सकते हैं।
  • बिना पानी के: बारिश न मिलने से वे सूख जाएँगे और धीरे-धीरे मरने लगेंगे।

दिखावट में: वे पौधे पीले, मुरझाए हुए और निर्जीव दिखेंगे। उनके पत्ते सूखने लगेंगे और वे बढ़ नहीं पाएँगे।
प्रभाव: यह दिखाता है कि जैसे हर पौधे को जीने के लिए बराबर हवा, पानी और रोशनी की ज़रूरत होती है, वैसे ही हर इंसान को भी समान अवसर और प्यार मिलना चाहिए, तभी समाज सुंदर और स्वस्थ बन सकता है।
सीख: प्रकृति सबको समान रूप से देती है। अगर यह बराबरी न हो, तो जीवन अधूरा और दुखद हो जाता है।

(ख) यदि सभी पौधे एक जैसे होते तो दुनिया कैसी लगती?
उत्तरस्वरूप: अगर सभी पौधे एक जैसे होते, तो दुनिया में विविधता नहीं होती। हर जगह एक ही तरह के पौधे, फूल, और काँटे दिखते, जिससे प्रकृति एकरूप और बोरिंग लगती।  
प्रभाव:  

  • फूलों की सुंदरता और विविध रंगों का आनंद खत्म हो जाता।  
  • काँटों की कमी से पौधों की सुरक्षा कम हो सकती थी, क्योंकि काँटे जानवरों से रक्षा करते हैं।  
  • कीटों और पक्षियों को विभिन्न प्रकार के फूलों का रस और पराग नहीं मिलता, जिससे उनकी प्रजातियाँ प्रभावित होतीं।  
  • मानव जीवन भी प्रभावित होता, क्योंकि हम विभिन्न फूलों से इत्र, दवाइयाँ, और सजावट की चीजें बनाते हैं।

नैतिक दृष्टि: यह इंसानों की तरह है—अगर सभी लोग एक जैसे होते, तो जीवन में कोई नयापन या सीखने का अवसर नहीं होता।

(ग) यदि काँटे न होते और हर पौधा केवल फूलों से भरा होता तो क्या होता?
उत्तर: यदि काँटे न होते और हर पौधा केवल फूलों से भरा होता, तो देखने में दुनिया बहुत सुंदर और खुशबूदार लगती। चारों ओर रंग-बिरंगे फूल होते, जिनसे वातावरण मनमोहक हो जाता।
लेकिन इसके कुछ प्रभाव और बातें भी होतीं:

  • सौंदर्य तो होता, पर सुरक्षा नहीं होती: काँटे पौधों की रक्षा करते हैं। यदि काँटे न होते, तो जानवर और इंसान आसानी से फूलों को तोड़ लेते, जिससे पौधों का नुकसान होता।
  • प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाता: काँटे भी प्रकृति का हिस्सा हैं और कुछ जीव-जंतु उनसे अपना बचाव करते हैं या उनके साथ रहने के अभ्यस्त हैं।
  • सिर्फ फूल होने से मूल्य कम हो सकता था: जब कोई चीज़ बहुत ज़्यादा हो जाती है, तो उसकी अहमियत घट जाती है।
  • सिर्फ कोमलता जीवन में पर्याप्त नहीं होती: काँटे यह सिखाते हैं कि जीवन में केवल सुंदरता नहीं, बल्कि थोड़ी कठिनाई भी ज़रूरी है ताकि हम सावधान और संतुलित रह सकें।

(घ) कल्पना कीजिए कि एक तितली काँटे से मित्रता करना चाहती है, उनके बीच कैसा संवाद होगा?
उत्तरसंवाद रूप में:
तितली: नमस्ते, काँटे भाई! मैं तुमसे दोस्ती करना चाहती हूँ। तुम इतने मजबूत और नुकीले हो, मुझे तुम्हारा अंदाज पसंद है।
काँटा: अरे तितली, तुम तो फूलों की दोस्त हो! मेरे जैसे कठोर काँटे से दोस्ती करके क्या करोगी? मैं तो अपनी जगह पर खड़ा होकर बस रक्षा करता हूँ, पर लोग मुझे चुभने वाला समझते हैं।
तितलीनहीं-नहीं, तुम गलत समझ रहे हो। तुम पौधे की रक्षा करते हो, और यह बहुत बड़ा काम है। मैं फूलों से रस लेती हूँ, लेकिन तुम्हारी वजह से फूल सुरक्षित रहते हैं।
काँटा: हम्म, यह तो सही है। मैं फूलों को जानवरों से बचाता हूँ। लेकिन लोग मुझे पसंद नहीं करते, क्योंकि मैं चुभ जाता हूँ।
तितलीलोग फूलों को भी तोड़ लेते हैं, फिर भी हम उनकी परवाह नहीं करते। चलो, हम दोस्त बनें और साथ मिलकर पौधे को और खूबसूरत बनाएँ।
काँटा: ठीक है, तितली! मैं तुम्हारा साथ दूँगा। तुम अपनी रंग-बिरंगी पंखों से सुंदरता बढ़ाओ, और मैं सुरक्षा दूँगा।  
विश्लेषण: यह संवाद दिखाता है कि फूल और काँटा, भले ही अलग स्वभाव के हों, एक-दूसरे के पूरक हैं और साथ मिलकर प्रकृति को बेहतर बनाते हैं।

(ङ) कल्पना कीजिए कि आपको किसी काँटे, फूल या दोनों के गुणों के साथ जीवन जीने का अवसर मिलता है। आप किसके गुणों को अपनाना चाहेंगे? कारण सहित बताइए।
उत्तर: मैं दोनों के गुण (फूल और काँटे) अपनाना चाहूँगा।
कारण:  

  • फूल के गुण: फूल की तरह मैं दयालु, कोमल, और सकारात्मक बनना चाहूँगा। फूल की सुगंध और रंगों की तरह मैं अपने व्यवहार से दूसरों को खुशी देना चाहूँगा। इससे मेरे दोस्त और परिवार के साथ मेरे रिश्ते बेहतर होंगे।  
  • काँटे के गुण: काँटे की तरह मैं मजबूत और सावधान बनना चाहूँगा। काँटा अपने पौधे की रक्षा करता है; वैसे ही मैं अपने परिवार, दोस्तों, और अपने सिद्धांतों की रक्षा करना चाहूँगा। यह मुझे कठिन परिस्थितियों में दृढ़ रहने में मदद करेगा।  
  • दोनों का संतुलन: जीवन में सुख और चुनौतियाँ दोनों आती हैं। फूल के गुण मुझे सुख में दूसरों के साथ आनंद बाँटने में मदद करेंगे, और काँटे के गुण मुझे मुश्किलों का सामना करने की ताकत देंगे।

शब्द से जुड़े शब्द

नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘बड़प्पन’ से जुड़े शब्द:

उत्तर:
बड़प्पन‘बड़प्पन’ शब्द ‘बड़ा’ और ‘पन’ से मिलकर बना होता है। इसका अर्थ होता है – बड़ाई, श्रेष्ठ या बड़ा होने का भाव, महत्त्व, गरिमा इसका उपयोग मुख्य रूप से व्यक्तित्व, गुण और चारित्र की ऊँचाई या महानता बताने के लिए किया जाता है, जैसे – उनकी सादगी और बड़प्पन ने सबका मन जीत लिया।
नीचे कुछ शब्द दिए गए हैं जो किसी भाव को व्यक्त करते हैं। इनमें से जो शब्द ‘बड़प्पन’ के भाव व्यक्त करते हैं, उन पर एक गोला बनाइए, जो बड़प्पन का भाव व्यक्त नहीं करते हैं, उनकी नीचे रेखा खींचिए।

उत्तर:

कविता की रचना

“फूल लेकर तितलियों को गोद में, 
भौंर को अपना अनूठा रस पिला। 
निज सुगंधों  निराले रंग से, 
है सदा देता कली का जी खिला।”
इस पंक्ति में रेखांकित शब्द पर ध्यान दीजिए। क्या आपने इस शब्द को पहले कहीं पढ़ा है? यह शब्द है-‘और’। कविता में ‘र’ वर्ण नहीं लिखा गया है। कई बार बोलते हुए हम शब्द की अंतिम ध्वनि उच्चरित नहीं करते हैं। कवि भी कविता की लय के अनुसार ऐसा प्रयोग करते हैं। इस कविता में ऐसी अनेक विशेषताएँ छिपी हैं, जैसे- ‘प्यार में डूबी तितलियों’ के स्थान पर ‘प्यार-डूबी तितलियों’ का प्रयोग किया गया है। हर दूसरी पंक्ति का अंतिम शब्द मिलती-जुलती ध्वनि वाला यानी ‘तुकांत’ है आदि।

(क) अपने समूह के साथ मिलकर इन विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तरकविता की विशेषताएँ:  

  1. तुकबंदी: हर दूसरी पंक्ति का अंतिम शब्द मिलती-जुलती ध्वनि वाला है, जैसे “पालता” और “डालता”, “बही” और “नहीं”।  
  2. संक्षिप्त ध्वनि प्रयोग: कुछ शब्दों की अंतिम ध्वनि छोड़ी गई है, जैसे “और” को “औ” लिखा गया (“निज सुगंधों औ निराले रंग से”)।  
  3. प्राकृतिक चित्रण: फूल, काँटा, चाँद, हवा, और मेघ जैसे प्राकृतिक तत्वों का मानवीय रूप में वर्णन किया गया है।  
  4. विपरीत भाव: फूल और काँटे के विपरीत स्वभाव को दिखाया गया है, जैसे फूल का आनंद देना और काँटे का चुभना।  
  5. प्रश्नात्मक शैली: कविता में प्रश्न पूछा गया है, जैसे “किस तरह कुल की बड़ाई काम दे?”  
  6. समान ध्वनि वाले शब्द: एक ही पंक्ति में समान ध्वनि वाले शब्द हैं, जैसे “सुगंधों औ निराले”।

साझा करना: हम अपनी सूची कक्षा में पढ़ेंगे और बताएँगे कि ये विशेषताएँ कविता को रोचक और लयबद्ध बनाती हैं।

(ख) विशेषताओं का सही पंक्तियों से मिलान कीजिए।
उत्तर: 

कविता का सौंदर्य

(क) आगे कविता की कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। इनमें कुछ शब्द हटा दिए गए हैं और साथ में मिलते-जुलते अर्थ वाले शब्द भी दिए गए हैं। इनमें से प्रत्येक शब्द से वह पंक्ति पूरी करके देखिए जो शब्द उस पंक्ति में जँच रहे हैं, उन पर घेरा बनाइए।

उत्तर: 


(ख) अपने समूह में चर्चा करके पता लगाइए कि कौन-सा शब्द रिक्त स्थानों में सबसे अधिक साथियों को जँच रहा है और क्यों?
उत्तर: हमारे समूह ने चर्चा की और निम्नलिखित शब्द सबसे अधिक जँचे:  

  • रात और चाँद: ये शब्द सरल, काव्यात्मक, और रोजमर्रा की भाषा में प्रचलित हैं। “रात में चाँद” का चित्रण कविता की चाँदनी की कल्पना को जीवंत करता है।  
  • मेघ और हवायें: “मेघ” बारिश का प्रतीक है और कविता की लय के साथ मेल खाता है। “हवायें” बहुवचन में है, जो पंक्ति की संरचना के साथ सही बैठता है।

कारण: ये शब्द कविता की भावना, लय, और प्रकृति के चित्रण को बढ़ाते हैं।

विशेषण(क) नीचे दी गई पंक्तियों में विशेषण और विशेष्य शब्दों की पहचान करके लिखिए:

उत्तर: 


(ख) नीचे दिए गए विशेष्यों के लिए अपने मन से विशेषण सोचकर लिखिए:

   उत्तर:

पाठ से आगे
आपकी बात(क) यदि आपको फूल और काँटे में से किसी एक को चुनना हो तो आप किसे चुनेंगे और क्यों?
उत्तर: मैं फूल चुनूँगा। क्योंकि:

  • फूल सुंदरता, सुगंध, और आनंद का प्रतीक है। यह दूसरों को खुशी देता है और तितलियों-भौंरों को आकर्षित करता है।  
  • फूल की तरह मैं भी अपने व्यवहार से दूसरों के जीवन में सुख और प्रसन्नता लाना चाहता हूँ।  
  • फूल कोमलता और प्रेम का प्रतीक है, जो मेरे लिए महत्वपूर्ण है।

(ख) कविता में बताया गया है कि फूल अपनी सुगंध और व्यवहार से चारों ओर प्रसन्नता और आनंद फैलाता है। आप अपने मित्रों या परिवार के जीवन में प्रसन्नता और आनंद लाने के लिए क्या-क्या करते हैं और क्या-क्या कर सकते हैं?
उत्तरमैं जो करता हूँ:  

  • मैं अपने दोस्तों के साथ मजेदार कहानियाँ और चुटकुले साझा करता हूँ।  
  • परिवार में मैं छोटे-छोटे काम, जैसे माँ की मदद करना या भाई-बहन के साथ खेलना, करता हूँ।  
  • मैं सबके साथ प्यार से बात करता हूँ और उनकी परेशानियों को सुनता हूँ।

मैं जो कर सकता हूँ:  

  • मैं अपने दोस्तों के लिए छोटे-छोटे उपहार, जैसे हस्तनिर्मित कार्ड, बना सकता हूँ।  
  • परिवार के साथ समय बिताने के लिए पिकनिक या खेल की योजना बना सकता हूँ।  
  • स्कूल में किसी की मदद करके, जैसे नोट्स साझा करके, उनके चेहरे पर मुस्कान ला सकता हूँ।

(ग) ‘फूल’ और ‘काँटे’ एक-दूसरे से बिलकुल भिन्न हैं फिर भी साथ-साथ पाए जाते हैं। अपने आस-पास से ऐसे अन्य उदाहरण दीजिए।
(संकेत वस्तुएँ, जैसे- नमक और चीनी; स्वभाव, जैसे शांत और क्रोधी; स्वाद, जैसे-खट्टा-मीठा; रंग, जैसे- काला-सफेद; अनुभव, जैसे- सुख-दुख आदि)
उत्तर:  

  • वस्तुएँ: नमक और चीनी—नमक नमकीन होता है, चीनी मीठी। दोनों अलग स्वाद के हैं, लेकिन रसोई में साथ पाए जाते हैं।  
  • स्वभाव: शांत और क्रोधी—कुछ लोग शांत रहते हैं, कुछ जल्दी गुस्सा करते हैं, फिर भी एक ही परिवार में रहते हैं।  
  • स्वाद: खट्टा और मीठा—खट्टे नींबू और मीठे आम अलग स्वाद देते हैं, लेकिन दोनों फल एक ही बगीचे में उगते हैं।  
  • रंग: काला और सफेद—काला गहराई दिखाता है, सफेद शांति, लेकिन दोनों रंग एक चित्र में साथ दिखते हैं।  
  • अनुभव: सुख और दुख—सुख हमें खुशी देता है, दुख हमें सिखाता है, लेकिन दोनों जीवन का हिस्सा हैं।

(घ) “छेद कर काँटा किसी की उँगलियाँ, फाड़ देता है किसी का वर बसन।” आप अपने आस-पास की किसी समस्या का वर्णन कीजिए जिसे आप ‘काँटे’ के समान महसूस करते हैं। उस समस्या का समाधान भी सुझाइए।
उत्तर: समस्या: मेरे स्कूल के रास्ते में बहुत सारा कचरा बिखरा रहता है। यह ‘काँटे’ की तरह है, क्योंकि यह गंदगी फैलाता है, पैर में चुभ सकता है, और बीमारियाँ फैला सकता है।
समाधान:

  • मैं और मेरे दोस्त मिलकर एक सफाई अभियान शुरू कर सकते हैं।  
  • स्कूल में एक कचरा प्रबंधन समिति बना सकते हैं, जो नियमित सफाई कराए।  
  • लोगों को जागरूक करने के लिए पोस्टर बना सकते हैं, जिसमें कचरा न फैलाने की अपील हो।

सृजन(क) इस कविता के बारे में एक चित्र बनाइए। आप चित्र में जहाँ चाहें, अपने मनोनित रंग भर सकते हैं। आप किन रंगों या केवल उपलब्ध रंगों की सहायता से भी चित्र बना सकते हैं। चित्र बिल्कुल मौलिक होनी चाहिए। इसकी चिंता करने की भी आवश्यकता नहीं है। आप अपनी कल्पना को जैसे मन करे, वैसे साकार कर सकते हैं।
उत्तर: 

(ख) मान लीजिए कि फूल और कांटे के बीच बातचीत हो रही है। उनकी बातचीत या संवाद अपनी कल्पना से लिखिए।
संवाद का विषय निम्नलिखित हो सकता है—
उनके गुणों और विशेषताओं पर चर्चा
यह समझाना कि उनका जीवन में क्या योगदान है
उदाहरण:
फूल — मैं दूसरे के जीवन में सुगंध और सुख फैलाने आया हूँ।
कांटा — और मैं संबंधों की याद दिलाने और सुरक्षा देने के लिए हूँ।

उत्तर: संवाद:
फूल: नमस्ते, काँटे! देखो, मेरी सुगंध और रंगों से तितलियाँ कितनी खुश हैं। मैं सबके चेहरे पर मुस्कान लाता हूँ।
काँटा: हाँ, फूल, तुम तो बहुत सुंदर हो। लेकिन मैं भी कम नहीं। मैं तुम्हारी और पौधे की रक्षा करता हूँ, ताकि कोई जानवर हमें नुकसान न पहुँचाए।
फूल: सही कहते हो। तुम्हारी वजह से मैं सुरक्षित हूँ। लेकिन लोग तुमसे डरते हैं, क्योंकि तुम चुभ जाते हो।
काँटा: हा-हा, यह तो मेरा काम है! मैं कठोर हूँ, ताकि कोई हमें हल्के में न ले। तुम सुख बाँटते हो, और मैं चुनौतियों की याद दिलाता हूँ।
फूल: हम दोनों मिलकर इस पौधे को खास बनाते हैं, है ना? तुम मजबूती देते हो, और मैं सुंदरता।
काँटा: बिल्कुल! हम साथ-साथ हैं, जैसे सुख और दुख। चलो, मिलकर इस बगीचे को और खूबसूरत बनाएँ।

वाद-विवाद

विभिन्न समूह बनाकर कक्षा में एक वाद-विवाद गतिविधि का आयोजन कीजिए। इसके लिए विषय है-‘जीवन में फूल और कॉंटे, दोनों की आवश्यकता होती है’।
कक्षा में वाद-विवाद गतिविधि का आयोजन करने के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं-
1. आपकी कक्षा में पहले से सात-आठ समूह बने होंगे। आधे समूह ‘फूल’ के पक्ष में तर्क देंगे। आधे समूह ‘काँटे’ के पक्ष में तर्क देंगे।
2. एक समूह निर्णायक मंडल की भूमिका निभाएगा। निर्णायक मंडल का काम होगा-

  • तर्कों को ध्यान से सुनना।
  • प्रस्तुति शैली और तर्कों की गहराई के आधार पर अंकों का निर्धारण करना।

3. प्रत्येक समूह को तैयारी के लिए 15 मिनट का समय मिलेगा ताकि वे अपने तर्क तैयार कर सकें। सभी समूह अपने-अपने तर्क मिलकर सोचेंगे और लिखेंगे।
4. प्रत्येक समूह को अपने पक्ष में बोलने के लिए तीन-चार मिनट का समय मिलेगा। दूसरा समूह पहले समूह के तकों पर एक-दो मिनट में उत्तर देगा या उनसे प्रश्न पूछेगा।
5. सभी प्रतिभागियों को एक-दूसरे की बात ध्यान से सुननी होगी। बीच में टोकने की अनुमति किसी को नहीं होगी।
6. सभी समूहों का क्रम तय किया जाएगा। वाद-विवाद के लिए क्रम इस प्रकार हो सकता है-

  • समूह 1 (फूल के पक्ष में)
  • समूह 2 (काँटे के पक्ष में)
  • समूह 3 (फूल के पक्ष में)
  • समूह 4 (काँटे के पक्ष में)
    और इसी क्रम से आगे बढ़ें।

7. जो समूह निर्णायक मंडल का कार्य कर रहा है, वह वाद-विवाद के अंतराल में तर्क, भाषा कौशल और प्रस्तुति शैली के आधार पर अंकों का निर्धारण करेगा।
8. निर्णायक मंडल अंकों के आधार पर विजेता समूह का निर्णय करेगा।
9. समूहों के प्रयासों के लिए तालियाँ बजाएँ और उनकी प्रशंसा करें। संभव हो तो विजेता समूह को कोई पुरस्कार या प्रमाणपत्र दिया जा सकता है।
10. विद्यार्थी वाद-विवाद गतिविधि के अनुभवों पर एक अनुच्छेद भी लिख सकते हैं।

उत्तर: हम कक्षा में वाद-विवाद गतिविधि निम्नलिखित तरीके से आयोजित करेंगे:  

  1. समूह विभाजन: कक्षा के 8 समूहों में से 4 समूह फूल के पक्ष में और 4 समूह काँटे के पक्ष में तर्क देंगे।  
  2. निर्णायक मंडल: एक समूह (9वाँ, अगर हो) निर्णायक मंडल होगा, जो तर्कों, भाषा, और प्रस्तुति के आधार पर अंक देगा।  
  3. तैयारी: प्रत्येक समूह को 15 मिनट मिलेंगे।
    • फूल के पक्ष में तर्क:
      • फूल सुंदरता और सुख का प्रतीक है, जो जीवन को आनंदमय बनाता है।  
      • फूल पर्यावरण को सुंदर बनाते हैं और कीटों के लिए भोजन देते हैं।  
      • फूल की तरह दयालु और कोमल व्यवहार समाज को बेहतर बनाता है।
    • काँटे के पक्ष में तर्क:
      • काँटे सुरक्षा और मजबूती का प्रतीक हैं, जो पौधों को नुकसान से बचाते हैं।  
      • काँटे हमें सिखाते हैं कि जीवन में चुनौतियाँ भी जरूरी हैं।  
      • काँटे की तरह दृढ़ता और साहस हमें मुश्किलों से लड़ना सिखाते हैं।
  4. प्रस्तुति: प्रत्येक समूह 3-4 मिनट बोलेगा, और दूसरा समूह 1-2 मिनट में जवाब देगा।  
  5. नियम: कोई बीच में नहीं टोकेगा; सभी एक-दूसरे को ध्यान से सुनेंगे।  
  6. क्रम: समूह 1 (फूल), समूह 2 (काँटा), समूह 3 (फूल), समूह 4 (काँटा), और इसी तरह आगे।  
  7. निर्णयन: निर्णायक मंडल अंकों के आधार पर विजेता का चयन करेगा। 
  8. प्रशंसा: सभी समूहों के लिए तालियाँ और प्रशंसा होगी। विजेता को प्रमाणपत्र दिया जा सकता है।  
  9. अनुभवमैं एक अनुच्छेद लिखूँगा: “वाद-विवाद बहुत मजेदार और शिक्षाप्रद था। फूल के पक्ष में बोलने वाले समूह ने सुंदरता और सुख की बात की, जबकि काँटे के पक्ष ने मजबूती और सुरक्षा पर जोर दिया। मैंने सीखा कि जीवन में दोनों का संतुलन जरूरी है। मेरे समूह ने अच्छी तैयारी की, और हमारी प्रस्तुति को सराहा गया। यह अनुभव मुझे आत्मविश्वास और तर्क करने की कला सिखाने वाला था।”

आज की पहेली

नीचे कुछ ऐसे पेड़-पौधों के चित्र दिए गए हैं जिनमें फूल और काँटे साथ-साथ पाए जाते हैं। चित्रों को सही नामों के साथ रेखा खींचकर जोड़िए –
उत्तर: 
खोजबीन के लिएनीचे दिए गए लिंक का प्रयोग करके आप बहुत-सी अन्य लोककथाएँ देख-सुन सकते हैं-

  • रंग-बिरंगे फूलों से
    https://www.youtube.com/watch?v=rIXpoQy4sHc
  • फूलों की घाटी में — कविता
    https://www.youtube.com/watch?v=yyrbxCtbgWg

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं वीडियो देखे और इसकी खोजबीन करे।

02. तीन बुद्धिमान अध्याय समाधान 

पाठ से

मेरी समझ से

(क) लोककथा के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए।

(1) लोककथा में पिता ने अपने बेटों से ‘धन संचय करने’ को कहा। उनकी इस बात का क्या अर्थ हो सकता है?

  • खेती-बारी करना और धन इकट्ठा करना
  • पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि का विकास करना  (*) 
  • ऊँट का व्यापार करना
  • गाँव छोड़कर किसी नगर में जाकर बसना

उत्तर: पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि का विकास करना
विश्लेषण: पिता ने अपने बेटों को सलाह दी कि वे रुपये-पैसे और सोने-चाँदी के बजाय पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि को संचित करें। यह धन उन्हें कभी कमी नहीं महसूस होने देगा। इसलिए सही उत्तर “पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि का विकास करना” है।

(2) तीनों भाइयों ने अपने ज्ञान और बुद्धि का उपयोग करके ऊँट के बारे में बहुत कुछ बता दिया। इससे क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है?

  • बुद्धि का प्रयोग करके ऊँट के बारे में सब-कुछ बताया जा सकता है।
  • समस्या को सुलझाने के लिए ध्यान से निरीक्षण करना महत्वपूर्ण है।  (*) 
  • किसी व्यक्ति का ज्ञान, बुद्धि और धन ही सबसे बड़ी ताकत है।  (*) 
  • ऊँट के बारे में जानने के लिए दूसरों पर भरोसा करना चाहिए।

उत्तर: समस्या को सुलझाने के लिए ध्यान से निरीक्षण करना महत्वपूर्ण है।
समस्या को सुलझाने के लिए ध्यान से निरीक्षण करना महत्वपूर्ण है।  
विश्लेषण: भाइयों ने अपने अवलोकन और बुद्धि का उपयोग करके ऊँट के बारे में सटीक जानकारी दी। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि सावधानीपूर्वक निरीक्षण और बुद्धि किसी व्यक्ति की सबसे बड़ी ताकत होती है। इसलिए दो उत्तर सही हैं।

(3) राजा ने भाइयों की बुद्धिमत्ता पर विश्वास क्यों किया?

  • भाइयों ने अपनी बात को तर्क के साथ समझाया।  (*) 
  • राजा को ऊँट के स्वामी की बातों पर संदेह था।
  • राजा ने स्वयं ऊँट और पेटी की जाँच कर ली थी।  (*) 
  • भाइयों ने राजा को अपनी बात में उलझा लिया था।

उत्तर: भाइयों ने अपनी बात को तर्क के साथ समझाया।
राजा ने स्वयं ऊँट और पेटी की जाँच कर ली थी।
विश्लेषण: राजा ने भाइयों की बुद्धिमत्ता पर तब विश्वास किया जब उन्होंने तर्क के साथ ऊँट और पेटी के बारे में सही-सही बताया। साथ ही, राजा ने पेटी की जाँच करके उनकी बात की पुष्टि की। इसलिए दो उत्तर सही हैं।

(4) लोककथा के पात्रों और घटनाओं के आधार पर, राजा के निर्णय के पीछे कौन-सा मूल्य छिपा है?

  • दोषी को कड़ा से कड़ा दंड देना हर समस्या का सबसे बड़ा समाधान है।
  • अच्छी तरह जाँच किए बिना किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिए।  (*) 
  • राजा की प्रत्येक बात और निर्णय को सदा सही माना जाना चाहिए।
  • ऊँट की चोरी के निर्णय के लिए सेवक की बुद्धि का उपयोग करना चाहिए।

उत्तर: अच्छी तरह जाँच किए बिना किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिए।
विश्लेषण: राजा ने भाइयों को दोषी ठहराने से पहले उनकी बुद्धिमत्ता की जाँच की और सही निर्णय लिया। इससे यह मूल्य सामने आता है कि बिना जाँच के किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिए।

(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने भिन्न-भिन्न उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें।
उत्तर: मैंने उपरोक्त उत्तर इसलिए चुने क्योंकि लोककथा में स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि भाइयों की पैनी दृष्टि और बुद्धि ही उनकी सबसे बड़ी ताकत थी। उनके पिता ने उन्हें यही सलाह दी थी, और उन्होंने उसी का उपयोग करके ऊँट और पेटी के बारे में सटीक जानकारी दी। राजा ने भी उनकी बातों को तर्क और जाँच के आधार पर सही माना। अपने मित्रों के साथ चर्चा में मैं यह समझाऊँगा कि कहानी का मुख्य संदेश बुद्धि और अवलोकन की शक्ति है, और यही कारण है कि मैंने ये उत्तर चुने।

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए-

(क) “रुपये-पैसे के स्थान पर तुम्हारे पास पैनी दृष्टि होगी और सोने-चाँदी के स्थान पर तीव्र बुद्धि होगी। ऐसा धन संचित कर लेने पर तुम्हें कभी किसी प्रकार की कमी न रहेगी और तुम दूसरों की तुलना में उन्नीस नहीं रहोगे।”
उत्तर: अर्थ: इस पंक्ति में पिता अपने बेटों को समझाते हैं कि सच्चा धन पैसा या सोना-चाँदी नहीं, बल्कि पैनी दृष्टि (सावधानी से देखने की क्षमता) और तीव्र बुद्धि (समझ और तर्क की शक्ति) है। यह धन कभी खत्म नहीं होता और जीवन में हर कमी को पूरा करता है। इससे व्यक्ति हमेशा दूसरों से बेहतर स्थिति में रहता है।
विचार: यह पंक्ति मुझे बहुत प्रेरणादायक लगती है क्योंकि यह बताती है कि ज्ञान और समझ ही सबसे मूल्यवान संपत्ति है। इससे हम किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं।

(ख) “हर वस्तु और स्थिति को पूर्णतः समझने और जानने का प्रयास करो। कुछ भी तुम्हारी दृष्टि से न बच पाए।”
उत्तर: अर्थ: इस पंक्ति में पिता बेटों को सलाह देते हैं कि वे अपने आसपास की हर चीज़ और परिस्थिति को ध्यानपूर्वक देखें और पूरी तरह समझने की कोशिश करें। कोई भी बात उनकी नजर से नहीं छूटनी चाहिए।
विचार: यह पंक्ति सिखाती है कि हमें हमेशा जागरूक और सतर्क रहना चाहिए। छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं और मुश्किल परिस्थितियों में सही निर्णय ले सकते हैं।

(ग) “हमने अपने परिवेश को पैनी दृष्टि से देखने और बुद्धि से सोचने के प्रयास में बहुत समय लगाया है।”
उत्तर: अर्थ: इस पंक्ति में भाइयों ने बताया कि उन्होंने बचपन से ही अपने आसपास की चीजों को ध्यानपूर्वक देखने और समझने की आदत डाली। इसके लिए उन्होंने काफी मेहनत और समय लगाया।
विचार: यह पंक्ति हमें सिखाती है कि किसी भी कौशल को विकसित करने के लिए समय और मेहनत की जरूरत होती है। भाइयों की तरह हमें भी अपने अवलोकन और सोच को बेहतर बनाने के लिए अभ्यास करना चाहिए।

मिलकर करें मिलान

स्तंभ 1 के वाक्यों को स्तंभ 2 के उपयुक्त वाक्यों से सुमेलित करें:
उत्तर: 

सोच-विचार के लिए

(क) तीनों भाइयों ने बिना ऊँट को देखे उसके विषय में कैसे बता दिया था?
उत्तरः
 उन्होंने रास्ते पर मिले चिन्हों, घास की दिशा, पैरों के निशानों, और पेटी की आवाज़ जैसे संकेतों का सूक्ष्म निरीक्षण किया। इसी तीव्र बुद्धि और अवलोकन शक्ति से उन्होंने ऊँट, सवारों और वस्तुओं के बारे में सही अनुमान लगाया।

(ख) आपके अनुसार इस लोककथा में सबसे अधिक महत्व किस बात को दिया गया है- तार्किक सोच, अवलोकन या सत्यवादिता? लोककथा के आधार पर समझाइए।
उत्तर: अवलोकन सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि पूरी कहानी में भाइयों ने हर घटना, वस्तु और निशान का गहराई से निरीक्षण किया और वहीं से निष्कर्ष निकाला। उन्होंने बिना देखे सब कुछ जान लिया, यह उनकी पैनी दृष्टि और अभ्यास का परिणाम था।

(ग) लोककथा में राजा ने पहले भाइयों पर संदेह किया लेकिन बाद में उन्हें निर्दोष माना। राजा की सोच क्यों बदल गई?
उत्तर: राजा की सोच इसलिए बदली क्योंकि:

  • भाइयों ने पेटी में कच्चे अनार के बारे में सही अनुमान लगाया, जिसे राजा ने जाँचकर सत्यापित किया।
  • भाइयों ने तर्क के साथ समझाया कि उन्होंने ऊँट के बारे में कैसे जाना, जैसे पैरों के निशान, घास की स्थिति, और जूतों के निशान।
  • उनकी बुद्धिमत्ता और सच्चाई ने राजा को प्रभावित किया, और उसने महसूस किया कि वे चोर नहीं, बल्कि असाधारण बुद्धिमान लोग हैं।

(घ) ऊँट के स्वामी ने भाइयों पर तुरंत संदेह क्यों किया? आपके विचार से उसे क्या करना चाहिए था जिससे उसे अपना ऊँट मिल जाता?
उत्तर:  
ऊँट के स्वामी ने भाइयों पर संदेह किया क्योकि:

  • भाइयों ने ऊँट के बारे में ऐसी सटीक जानकारी दी (जैसे उसका आकार, एक आँख से न देखना, और उस पर सवार महिला और बच्चा), जो बिना देखे कोई नहीं बता सकता था।
  • स्वामी को लगा कि इतनी जानकारी केवल चोर ही दे सकते हैं, क्योंकि उसने स्वयं इस बारे में कुछ नहीं बताया था।

हमें क्या करना चाहिए:

  • स्वामी को भाइयों पर संदेह करने के बजाय उनकी सलाह मानकर उस दिशा में जाना चाहिए था, जहाँ उन्होंने ऊँट के जाने की बात कही थी।
  • उसे भाइयों से और जानकारी माँगनी चाहिए थी, जैसे निशानों के आधार पर ऊँट कहाँ जा सकता है।
  • वह भाइयों की मदद ले सकता था, क्योंकि उनकी पैनी दृष्टि से ऊँट को खोजने में आसानी होती।

(ङ) पिता ने बेटों को “दूसरे प्रकार का धन” संचित करने की सलाह क्यों दी? इससे पिता के बारे में क्या-क्या पता चलता है?
उत्तर:
पिता ने यह सलाह दी क्योंकि:

  • पिता निर्धन थे और उनके पास रुपये-पैसे या धन-दौलत नहीं था। इसलिए उन्होंने बेटों को सलाह दी कि वे पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि को संचित करें, जो सच्चा और स्थायी धन है।
  • वे चाहते थे कि उनके बेटे जीवन में किसी पर निर्भर न रहें और अपनी बुद्धि से हर समस्या का समाधान करें।

पिता के बारे में हमें यह पता चलता है कि:

  • बुद्धिमान: पिता को जीवन का गहरा ज्ञान था कि बुद्धि और अवलोकन ही सबसे बड़ा धन है।
  • दूरदर्शी: उन्होंने बेटों को भविष्य के लिए ऐसी सलाह दी जो उन्हें हमेशा काम आएगी।
  • प्रेरणादायक: उन्होंने निर्धनता के बावजूद अपने बेटों को आत्मविश्वास और मेहनत का पाठ पढ़ाया।
  • सकारात्मक: उन्होंने कमी को कमजोरी नहीं माना, बल्कि बेटों को भावनाओं की ओर मार्गदर्शन किया।

(च) राजा ने भाइयों की परीक्षा लेने के लिए पेटी का उपयोग किया। इस परीक्षा से राजा के व्यक्तित्व और निर्णय शैली के बारे में क्या-क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है?
उत्तर:
राजा के व्यक्तित्व और निर्णय शैली के निष्कर्ष:

  • निष्पक्ष: राजा ने भाइयों को तुरंत दोषी नहीं ठहराया, बल्कि उनकी बुद्धिमत्ता की जाँच की। यह दिखाता है कि वह निष्पक्ष निर्णय लेता था।
  • जिज्ञासु: वह भाइयों की असाधारण बुद्धि को परखना चाहता था, इसलिए उसने पेटी की परीक्षा आयोजित की।
  • तार्किक: राजा ने भाइयों के उत्तरों की तर्क और प्रमाण के आधार पर जाँच की, जैसे पेटी में कच्चा अनार देखकर उनकी बात की पुष्टि की।।
  • प्रशंसक: भाइयों की बुद्धिमत्ता से प्रभावित होकर उसने उनकी तारीफ की और उन्हें अपने दरबार में रख लिया।
  • निर्णय लेने में सावधान: उसने जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लिया, बल्कि पूरी जाँच के बाद फैसला किया।

(छ) आप इस लोककथा के भाइयों की किस विशेषता को अपनाना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर: मैं भाइयों की पैनी दृष्टि और अवलोकन की विशेषता को अपनाना चाहूँगा।
क्योंकि:

  • अवलोकन की शक्ति से मैं अपने आसपास की छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान दे सकूँगा, जिससे मुझे समस्याओं को बेहतर तरीके से समझने और हल करने में मदद मिलेगी।
  • यह विशेषता मुझे तार्किक सोच और सही निर्णय लेने में सहायता देगी, जैसा कि भाइयों ने ऊँट और पेटी के बारे में किया।
  • इससे मैं अपने जीवन में अधिक जागरूक और आत्मविश्वास से भरा रहूँगा।

अनुमान और कल्पना से

(क) यदि राजा ने बिना जाँच के भाइयों को दोषी ठहरा दिया होता तो इस लोककथा का क्या परिणाम होता?
उत्तर: यदि राजा ने बिना जाँच के भाइयों को दोषी ठहरा दिया होता तो:

  • भाइयों को सजा मिलती, जैसे जेल या दंड, और उनकी बुद्धिमत्ता का कोई मूल्य नहीं रहता।
  • कहानी का संदेश बदल जाता, और यह दिखाया जाता कि बुद्धि और सच्चाई की जीत नहीं होती।
  • ऊँट का स्वामी भी अपना ऊँट नहीं खोज पाता, क्योंकि भाइयों की सलाह नहीं मिलती।
  • राजा की छवि एक अन्यायी शासक की बन जाती, और लोककथा का नैतिक मूल्य (निष्पक्षता और बुद्धि की शक्ति) खो जाता।

(ख) यदि भाइयों ने अनार के बारे में सही अनुमान न लगाया होता तो लोककथा का अंत किस प्रकार होता? अपने विचार व्यक्त करें।
उत्तर: यदि भाइयों ने अनार के बारे में सही अनुमान न लगाया होता तो:

  • राजा को भाइयों की बुद्धिमत्ता पर संदेह हो जाता, और वह उन्हें चोर मान लेता।
  • भाइयों को सजा मिल सकती थी या उन्हें अपनी सच्चाई साबित करने के लिए और परीक्षा देनी पड़ती।
  • कहानी का अंत दुखद हो सकता था, और भाइयों की बुद्धि की प्रशंसा नहीं होती।
  • ऊँट के स्वामी को भी उसकी संपत्ति नहीं मिलती, क्योंकि राजा भाइयों की सलाह पर भरोसा नहीं करता।

(ग) लोककथा में यदि तीनों भाई ऊँट को खोजने जाते तो उन्हें कौन-कौन सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता था?
उत्तर: लोककथा में यदि तीनों भाई ऊँट को खोजने जाते तो उन्हें निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता था:

  • भूख और थकान: भाइयों के पास पहले ही खाने-पीने का सामान खत्म हो चुका था और वे थके हुए थे। ऊँट की खोज में उन्हें और अधिक भूख और थकान झेलनी पड़ती।
  • रास्ते की कठिनाई: वे सुनसान घाटियों और ऊँचे पहाड़ों से गुजर चुके थे। खोज में उन्हें और मुश्किल रास्तों से गुजरना पड़ता।
  • खतरा: जंगल या सुनसान इलाकों में जंगली जानवरों या लुटेरों का खतरा हो सकता था।
  • स्वामी का संदेह: ऊँट का स्वामी उन पर और अधिक संदेह करता, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़तीं।
  • संसाधनों की कमी: उनके पास पैसे या अन्य साधन नहीं थे, जिससे खोज में परेशानी होती।

(घ) यदि राजा के स्थान पर आप होते तो भाइयों की परीक्षा लेने के लिए किस प्रकार के सवाल या गतिविधियाँ करते? अपनी कल्पना साझा करें।
उत्तर: यदि मैं राजा होता, तो भाइयों की परीक्षा के लिए मैं निम्नलिखित सवाल या गतिविधियाँ करता:

  • गुप्त वस्तु पहचान: मैं एक बंद कमरे में तीन अलग-अलग वस्तुएँ रखता, जैसे एक फल, एक कपड़ा, और एक गहना। भाइयों को बिना देखे, केवल कमरे के बाहर के निशानों जैसे गंध, आवाज़ या पैरों के निशान देखकर वस्तुओं का अनुमान लगाना होता।
  • कहानी पूरा करना: मैं एक अधूरी कहानी सुनाता, जिसमें कुछ हिस्से छूट जाते। भाइयों को अपनी समझ और तर्क से उस कहानी के छूटे हुए भाग को पूरा करना होता।
  • रहस्यमय निशान: मैं महल के बगीचे में कुछ नकली निशान बनवाता, जैसे टूटे पत्ते, मिट्टी पर पैरों के निशान, या बिखरे हुए फूल। भाइयों को इन निशानों से यह बताना होता कि वहाँ क्या हुआ था।

शब्द से जुड़े शब्द

नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘बुद्धि’ से जुड़े शब्द:

उत्तर:

लोककथा को सुनाना

लोककथा के लिखित रूप में आने से पहले कहानियों का प्रचलन मौखिक रूप में ही पीडी-दर-पीडी चलता था। इसमें कहानी सुनने-सुनाने और याद रखने की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी। कहानी कहने या सुनाने वाला इस तरह से कहानी सुनाता था कि सुनने वालों को रोचक लगे। इसमें कहानी सुनने वालों को आनंद तो आता ही था, कथा उन्हें याद भी हो जाती थी।
अब आप अपने समूह के साथ मिलकर इस लोककथा को रोचक ढंग से सुनाइए। लोककथा को प्रभावशाली और रोचक रूप में सुनाने के लिए नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं जो लोककथा को और भी आकर्षक बना सकते हैं-

उत्तर: हम अपने समूह के साथ मिलकर लोककथा को इस प्रकार रोचक ढंग से सुनाएँगे:

  • स्वर में उतार-चढ़ाव: जब भाइयों को ऊँट के स्वामी राजा के पास ले जाता है, तो आवाज़ में रहस्यमय और तनावपूर्ण बदलाव लाएँगे।
  • भावनाओं का प्रदर्शन: राजा के आश्चर्य को उत्साह और हैरानी के साथ व्यक्त करेंगे।
  • पात्रों के अलग-अलग स्वर: बड़े भाई के लिए गंभीर, मझले भाई के लिए आत्मविश्वासी, और छोटे भाई के लिए उत्साही स्वर अपनाएँगे।
  • शारीरिक अभिव्यक्ति: ऊँट के निशान बताते समय हाथों और शरीर की भाषा का इस्तेमाल करेंगे, जैसे जमीन की ओर इशारा।
  • हास्य: जब भाइयों ने पेटी में कच्चा अनार होने का अनुमान लगाया, तो हल्की मुस्कान और मज़ेदार अंदाज में प्रस्तुत करेंगे।
  • विवरणात्मक भाषा: बगीचे, सड़क, और महल का ऐसा चित्रण करेंगे कि श्रोता आँखें बंद करके भी वहाँ की कल्पना कर सकें।
  • रोचक मोड़: पेटी खोलने से पहले कुछ देर रुकर पूछेंगे, “क्या आप जानना चाहते हैं कि पेटी में क्या था?”
  • संवादों को स्पष्ट बनाना: भाइयों और राजा के संवादों को जीवंत और स्पष्ट तरीके से प्रस्तुत करेंगे।

कारक

नीचे दिए गए बाक्य को ध्यान से पढ़िए-
“भाइयों जवाब दिया।”
यह वाक्य कुछ अटपटा लग रहा है न? अब नीचे दिए गए वाक्य को पढ़िए-
“भाइयों ने जवाब दिया।”
इन दोनों वाक्यों में अंतर समझ में आया? बिलकुल सही पहचाना आपनेः दूसरे वाक्य में ‘ने’ शब्द ‘भाइयों और ‘जवाब दिया’ के बीच संबंध को जोड़ रहा है। संज्ञा या सर्वनाम के साथ प्रयुक्त होने वाले शब्दों के ऐसे रूपों को कारक या परसर्ग कहते हैं। कारक शब्दों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-

नीचे दिए गए वाक्यों में कारक लिखकर इन्हें पूरा कीजिए-

  1. “हमने तो तुम्हारे ऊँट ____ देखा तक नहीं”, भाइयों ____ परेशान होते हुए कहा।
  2. मैं अपने रेवड़ों ____ पहाड़ों ____ लिये जा रहा था”, उसने कहा, “और मेरी पत्नी मेरे छोटे-से बेटे ____ साथ एक बड़े-से ऊँट ____ मेरे पीछे-पीछे आ रही थी।”
  3. राजा ____ उसी समय अपने मंत्री  ____ बुलाया और उसके कान ____ कुछ फुसफुसाया।
  4. यह सुनकर राजा ____ पेटी  ____ पास लाने ____ आदेश दिया। सेवकों ____ तुरंत आदेश ____ पालन किया। राजा  ____ सेवकों  ____  पेटी खोलने  ____  कहा।

उत्तर: 

  1. “हमने तो तुम्हारे ऊँट को देखा तक नहीं”, भाइयों ने परेशान होते हुए कहा।
  2. मैं अपने रेवड़ों को पहाड़ों पर लिये जा रहा था”, उसने कहा, “और मेरी पत्नी मेरे छोटे-से बेटे के साथ एक बड़े-से ऊँट पर मेरे पीछे-पीछे आ रही थी।”
  3. राजा ने उसी समय अपने मंत्री को बुलाया और उसके कान में कुछ फुसफुसाया।
  4. यह सुनकर राजा ने पेटी को पास लाने का आदेश दिया। सेवकों ने तुरंत आदेश का पालन किया। राजा ने सेवकों से पेटी खोलने के लिए कहा।

सूचनापत्र

कल्पना कीजिए कि आप इस लोककथा के वह घुड़सवार हैं जिसका ऊँट खो गया है। आप अपने ऊँट को खोजने के लिए एक सूचना कागज पर लिखकर पूरे शहर में जगह-जगह चिपकाना चाहते हैं। अपनी कल्पना और लोककथा में दी गई जानकारी के आधार पर एक सूचनापत्र लिखिए।
उत्तर:
 
सूचनापत्र 
खोया हुआ ऊँट – सूचना
सभी नगरवासियों से विनम्र अनुरोध है कि मेरे खोए हुए ऊँट को खोजने में कृपया सहायता करें।
विवरण:

  • ऊँट का प्रकार: बहुत बड़ा ऊँट, भूरे रंग का।
  • विशेषता: एक आँख से नहीं देखता (दाईं आँख खराब)।
  • सवार: मेरी पत्नी और छोटा बेटा ऊँट पर सवार थे।
  • खोने का स्थान: नगर के निकट सुनसान रास्ते पर।
  • खोने का समय: कुछ दिन पहले।

संपर्क: यदि आपको ऊँट या मेरे परिवार के बारे में कोई जानकारी मिले, तो कृपया मुझे नगर के मुख्य चौक पर मिलें या राजा के महल में संदेश भेजें।
इनाम: जो भी मेरे ऊँट और परिवार को सुरक्षित लौटाने में मदद करेगा, उसे उचित इनाम दिया जाएगा।
धन्यवाद,
[आपका नाम]
घुड़सवार

पाठ से आगे आपकी बात

1. लोककथा में तीन भाइयों की पैनी दृष्टि की बात कही गई है। क्या आपने कभी अपनी पैनी दृष्टि का प्रयोग किसी समस्या को हल करने के लिए किया है? उस समस्या और आपके द्वारा दिए गए हल के विषय में लिखिए।
उत्तर: हाँ, मैंने एक बार अपनी पैनी दृष्टि का उपयोग किया। मेरे घर में टीवी अचानक बंद हो गया था। सबको लगा कि यह खराब हो गया है। लेकिन मैंने ध्यान से देखा कि टीवी का प्लग ढीला था और बिजली का कनेक्शन ठीक नहीं था। मैंने प्लग को ठीक किया, और टीवी फिर से चालू हो गया।

2. लोककथा में बताया गया है कि भाइयों ने “बचपन से हर वस्तु पर ध्यान देने की आदत डाली।” यदि आपने ऐसा किया है तो आपको अपने जीवन में इसके क्या-क्या लाभ मिलते हैं?
उत्तर: मैंने भी बचपन से छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने की आदत बनाई है। इसके कारण मुझे कई फायदे मिलते हैं:

  • बेहतर सीखना: स्कूल में मैं शिक्षक की हर बात ध्यान से सुनता हूँ, जिससे मुझे पढ़ाई अच्छे से समझ आती है और मैं अच्छे अंक प्राप्त करता हूँ।
  • समस्याओं का समाधान: जब भी कुछ खो जाता है, तो मैं ध्यान से सोचता हूँ कि आखिरी बार उसे कहाँ देखा था। इससे वह चीज़ जल्दी मिल जाती है।
  • जागरूकता: मैं अपने आस-पास की परिस्थितियों को बेहतर समझ पाता हूँ, जैसे मौसम में बदलाव या किसी के मन की भावनाएँ।
  • सावधानी: छोटी-छोटी बातों को समझकर मैं गलतियों से बच पाता हूँ और सही निर्णय ले पाता हूँ।

3. लोककथा में भाइयों को यात्रा करते समय अनेक कठिनाइयाँ आईं, जैसे- भूख, थकान और पैरों में छाले। आप अपने दैनिक जीवन में किन-किन कठिनाइयों का सामना करते हैं? लिखिए।
उत्तर: मेरे दैनिक जीवन में मुझे कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जैसे:

  • समय की कमी: स्कूल, होमवर्क, खेल-कूद और आराम के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता।
  • पढ़ाई का दबाव: कुछ विषय, जैसे गणित और विज्ञान, समझने में मुश्किल लगते हैं।
  • थकान: दिनभर की पढ़ाई और अन्य कामों के बाद मैं बहुत थक जाता हूँ।
  • छोटी-मोटी परेशानियाँ: जैसे बारिश में स्कूल जाना या बस के देर से आने पर इंतजार करना।

4. भाइयों ने बिना देखे ही ऊँट के बारे में सही-सही बातें बताई। क्या आपको लगता है कि अनुभव और की समझ से देखे बिना भी सही निर्णय लिया जा सकता है? क्या आपने भी कभी ऐसा किया है?
उत्तर: हाँ, मुझे लगता है कि अनुभव और समझ से बिना देखे भी सही निर्णय लिया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एक बार मेरी माँ ने मुझसे कहा कि मैंने उनका पर्स गलत जगह रख दिया। मैंने सोचा और याद किया कि मैंने उसे सोफे के पास देखा था। बिना दोबारा देखे मैंने उन्हें बताया, और पर्स वहीँ मिला।
विश्लेषण: अनुभव और याददाश्त से हम सही अनुमान लगा सकते हैं, जैसा कि भाइयों ने किया।

5. जब ऊँट के स्वामी ने भाइयों पर शंका की तो भाइयों ने बिना गुस्सा किए शांति से उत्तर दिया। क्या आपको लगता है कि कभी किसी को संदेह होने पर हमें भी शांत रहकर उत्तर देना चाहिए? क्या आपने कभी ऐसी स्थिति का सामना किया है? ऐसे में आपने क्या किया?

उत्तर: हाँ, मुझे लगता है कि जब किसी को संदेह हो तो हमें शांत रहकर समझदारी से उत्तर देना चाहिए। ऐसा करने से गलतफहमी खत्म होती है और बात साफ हो जाती है। एक बार मेरी सहेली ने मुझ पर गलतफहमी जताई थी कि मैंने उसका काम पूरा नहीं किया, लेकिन मैंने शांत रहकर पूरा सच समझाया। इससे वह मेरी बात मान गई और हमारा रिश्ता और मजबूत हो गया।

6. राजा ने भाइयों की बुद्धिमानी देखकर बहुत आश्चर्य व्यक्त किया। क्या आपको कभी किसी की सोच, समझ या किसी विशेष कौशल को देखकर आश्चर्य हुआ है? क्या आपने कभी किसी से कुछ ऐसा सीखा है जो आपके लिए बिलकुल नया और चौकाने वाला हो?
उत्तर: हाँ, मुझे अपने शिक्षक की गणित समझाने की कला देखकर बहुत आश्चर्य हुआ। उन्होंने एक जटिल सवाल को इतने आसान तरीके से समझाया कि मुझे तुरंत समझ आ गया। मैंने उनसे सीखा कि किसी भी मुश्किल चीज को आसान बनाने के लिए उसे छोटे-छोटे हिस्सों में तोड़ना चाहिए। यह मेरे लिए नया और उपयोगी था।

7. लोककथा में पिता ने अपने बेटों को यह सलाह दी कि वे समझ और ज्ञान जमा करें। क्या आपको कभी किसी बड़े व्यक्ति से ऐसी कोई सलाह मिली है जो आपके जीवन में उपयोगी रही हो? क्या आप भी अपने अनुभव से किसी को ऐसी सलाह देंगे?
उत्तर: मेरे दादाजी ने मुझे यह सलाह दी थी कि हमेशा मेहनत और ईमानदारी से काम करना चाहिए क्योंकि ये गुण जीवन में बहुत मदद करते हैं। यह सलाह मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित हुई, क्योंकि स्कूल में मेहनत करने से मेरे अंक बेहतर हुए और मैं अपनी पढ़ाई में सफल हुआ। मैं भी अपने छोटे भाई को यही सलाह देता हूँ कि वह पढ़ाई में पूरी मेहनत करे और हमेशा सच बोलें।

8. भाइयों ने अपने ऊपर लगे आरोपों के होते हुए भी सदा सच्चाई का साथ दिया। क्या आपको लगता है कि सदा सच बोलना महत्वपूर्ण है, भले ही स्थिति कठिन क्यों न हो? क्या आपको किसी समय ऐसा लगा है कि आपकी सच्चाई ने आपको समस्याओं से बाहर निकाला हो?
उत्तर: हाँ, मुझे लगता है कि सच्चाई हमेशा बोलनी चाहिए, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो। सच बोलने से लोगों का विश्वास बढ़ता है और समस्याएँ जल्दी हल हो जाती हैं। एक बार मैंने गलती से अपनी माँ का गिलास तोड़ दिया था। मैं डर गया था, लेकिन मैंने ईमानदारी से सच बता दिया। माँ ने मुझे डाँटा, लेकिन बाद में मेरी सच्चाई की तारीफ की और मुझे माफ कर दिया।

ध्यान से देखना-सुनना-अनुभव करना

अचपन से ही हमें ऐसी आदत पड़ गई है कि हम किसी वस्तु को अपनी दृष्टि से नहीं चूकने देते। हमने वस्तुओं को पैनी दृष्टि से देखने और बुद्धि से सोचने के प्रयास में बहुत समय लगाया है।”
इस लोककथा में तीनों भाई आसपास की प्रत्येक घटना, वस्तु आदि को ध्यान से देखते, सुनते, सूंघते और अनुभव करते हैं अर्थात् अपनी ज्ञानेंद्रियों और बुद्धि का पूरा उपयोग करते हैं। ज्ञानेंद्रियाँ पाँच होती हैं- आँख, कान, नाक, जीभ और त्वचा। आँख से देखकर, कान से सुनाकर, नाक से सूपकर, जीभ से चखकर और त्वचा से स्पर्श करके हम किसी वस्तु के विषय में ज्ञान प्राप्त करते हैं। आइए, अब एक खेल खेलते हैं जिसमें आपको अपनी ज्ञानेंद्रियों और बुद्धि का उपयोग करने के अवसर मिलेंगे।

(क) हाँ’ या ‘नहीं’ प्रश्न-उत्तर खेल
चरण-

  1. एक विद्यार्थी कक्षा से बाहर जाकर दिखाई देने वाली किसी एक वस्तु या स्थान का नाम चुनेगा। कक्षा के भीतर से भी कोई नाम चुना जा सकता है।
  2. विद्यार्थी वापस कक्षा में आएगा और उस नाम को एक कागज पर लिख लेगा। लेकिन ध्यान रहे, वह कागज पर लिखे नाम को किसी को न दिखाए।
  3. अन्य विद्यार्थी बारी-बारी से उस वस्तु का नाम पता करने के लिए प्रश्न पूछेंगे। 
  4. प्रत्येक प्रश्न का उत्तर केवल ‘हाँ’ या ‘नहीं’ में दिया जाएगा।
    उदाहरण के लिए-
    • क्या इस वस्तु का उपयोग कक्षा में होता है?
    • क्या यह खाने-पीने की चीज है?
    • क्या यह लकड़ी से बनी है?
    • ज्या यह बिजली से चलती है?
  5. सभी विद्यार्थी अधिकतम 20 प्रश्न ही पूछ सकते हैं। इसलिए उन्हें सोच-समझकर प्रश्न पूछने होंगे ताकि वे उस वस्तु का नाम पत्ता कर सकें।
  6. यदि 20 प्रश्नों के अंदर विद्यार्थी वस्तु का सही अनुमान लगा लेते हैं तो वे जीत जाएँगे।
  7. अब दूसरे विद्यार्थी को बाहर भेजकर गतिविधि दोहराएँगे।
  8. गतिविधि के अंत में सभी मिलकर इस खेल से जुड़े अपने अनुभवों के बारे में चर्चा करें।

उत्तर: हम इस खेल को निम्नलिखित तरीके से खेलेंगे:
चरण:

  1. वस्तु का चयन: एक विद्यार्थी कक्षा से बाहर जाएगा और एक वस्तु का नाम चुनेगा, जैसे “किताब”। वह कक्षा के अंदर की वस्तु, जैसे “बोर्ड” या “पंखा”, भी चुन सकता है। इससे खेल शुरू होता है और जिज्ञासा बढ़ती है।
  2. नाम लिखना: विद्यार्थी वापस कक्षा में आएगा और चुनी गई वस्तु, जैसे “किताब”, का नाम एक कागज पर लिखेगा। वह इस कागज को किसी को नहीं दिखाएगा ताकि रहस्य बना रहे।
  3. प्रश्न पूछना: अन्य विद्यार्थी बारी-बारी से वस्तु का नाम पता करने के लिए प्रश्न पूछेंगे। प्रत्येक प्रश्न का जवाब केवल “हाँ” या “नहीं” में होगा। उदाहरण: “क्या यह कक्षा में उपयोग होता है?” या “क्या यह कागज से बना है?”
  4. प्रश्नों का उदाहरण: विद्यार्थी ऐसे प्रश्न पूछेंगे जो वस्तु को पहचानने में मदद करें। जैसे:
    • क्या यह वस्तु कक्षा में उपयोग होती है? (हाँ)
    • क्या यह खाने-पीने की चीज है? (नहीं)
    • क्या यह कागज से बना है? (हाँ)
    • क्या यह पढ़ने के लिए है? (हाँ)
  5. प्रश्नों की सीमा: सभी विद्यार्थी अधिकतम 20 प्रश्न पूछ सकते हैं। उन्हें सोच-समझकर चतुर प्रश्न पूछने होंगे ताकि वे कम से कम प्रश्नों में वस्तु का नाम, जैसे “किताब”, पता कर सकें।
  6. जीत का नियम: यदि 20 प्रश्नों के अंदर विद्यार्थी सही अनुमान लगा लेते हैं, जैसे “किताब”, तो वे जीत जाएँगे। यह उनकी तार्किक सोच और अवलोकन कौशल को दर्शाता है।
  7. गतिविधि दोहराना: जीत के बाद, एक नया विद्यार्थी बाहर जाकर दूसरी वस्तु चुनेगा, और खेल फिर से शुरू होगा। इससे सभी को खेलने और सीखने का मौका मिलेगा।
  8. अनुभव पर चर्चा: गतिविधि के अंत में सभी विद्यार्थी मिलकर अपने अनुभव साझा करेंगे। हम चर्चा करेंगे कि कौन से प्रश्न सबसे उपयोगी थे, जैसे “क्या यह जीवित है?” जिसने वस्तु की श्रेणी स्पष्ट की। कुछ प्रश्न, जैसे “क्या यह नीले रंग का है?”, कम उपयोगी थे। यह खेल हमें सिखाता है कि सही प्रश्न पूछने से तेजी से जवाब मिलता है, जैसा कि लोककथा में भाइयों ने अपनी पैनी दृष्टि से किया।

(ख) गतिविधि- ‘स्पर्श, गंध और स्वाद से पहचानना’

  1. एक बैले या डिब्बे में (सावधानीपूर्वक एवं सुरक्षित) विभिन्न वस्तुएँ (जैसे- फल, फूल, मसाले, खिलौने, कपड़े, किताब, गुड आदि) रखें।
  2. विद्यार्थियों को आँखों पर पट्टी बाँधकर केवल स्पर्श, गंध या स्वाद का उपयोग करके वस्तु की पहचान करनी होगी और उसका नाम बताना होगा।
  3. बारी-बारी से प्रत्येक विद्यार्थी को बुलाकर उसकी आँखों पर पट्टी बाँध।
  4. उसे डिब्बे से एक वस्तु दी जाए। विद्यार्थी उसे छूकर, सुपकर, चखकर पहचानने का प्रयास करेंगे।
  5. सही पहचान करने के बाद विद्यार्थी बताएँगे कि उन्होंने उस बस्तु को कैसे पहचाना।
  6. एक-एक करके सभी विद्यार्थियों को अलग-अलग वस्तुओं को पहचानने का अवसर मिलेगा।
  7. अंत में सभी वस्तुओं को कक्षा में दिखाएँ और उनके बारे में चर्चा करें कि किस वस्तु को पहचानना आसान या कठिन लगा।

उत्तर:
हम इस गतिविधि को निम्नलिखित तरीके से करेंगे:

  1. वस्तुओं का चयन और तैयारी: हम एक डिब्बे में सावधानीपूर्वक और सुरक्षित वस्तुएँ रखेंगे, जैसे सेब (फल), गुलाब (फूल), इलाइची (मसाला), छोटा प्लास्टिक का खिलौना, सूती कपड़ा, किताब, और गुड़। ये वस्तुएँ ऐसी होंगी जिन्हें छूना, सूँघना, या चखना सुरक्षित हो।
  2. पट्टी बाँधकर पहचान: प्रत्येक विद्यार्थी को आँखों पर पट्टी बाँधकर केवल स्पर्श, गंध, या स्वाद का उपयोग करके डिब्बे से दी गई वस्तु की पहचान करनी होगी। उन्हें वस्तु का नाम बताना होगा, जैसे “यह सेब है”।
  3. बारी-बारी से भागीदारी: हम बारी-बारी से प्रत्येक विद्यार्थी को बुलाएँगे और उनकी आँखों पर पट्टी बाँधेंगे। इससे सभी को समान अवसर मिलेगा और गतिविधि रोचक बनी रहेगी।
  4. वस्तु देना और पहचानना: प्रत्येक विद्यार्थी को डिब्बे से एक वस्तु दी जाएगी। उदाहरण के लिए, अगर सेब दिया गया, तो विद्यार्थी उसे छूकर (गोल और चिकना), सूँघकर (हल्की मिठास), या चखकर।
  5. पहचान का तरीका बताना: सही पहचान करने के बाद विद्यार्थी बताएँगे कि उन्होंने वस्तु को कैसे पहचाना। उदाहरण के लिए, “मैंने सेब को उसके चिकने स्पर्श और हल्की मीठी गंध से पहचाना।” इससे हमें उनकी सोच और इंद्रियों के उपयोग को समझने में मदद मिलेगी।
  6. सभी को अवसर: एक-एक करके सभी विद्यार्थियों को अलग-अलग वस्तुओं को पहचानने का मौका मिलेगा। उदाहरण के लिए, एक को सेब, दूसरे को इलाइची, तीसरे को किताब, आदि। इससे सभी को विभिन्न अनुभव मिलेंगे।
  7. चर्चा और प्रदर्शन: अंत में, हम सभी वस्तुओं को कक्षा में दिखाएँगे और चर्चा करेंगे कि किस वस्तु को पहचानना आसान या कठिन था। उदाहरण के लिए, सेब और इलाइची को उनकी मजबूत गंध के कारण पहचानना आसान था, लेकिन खिलौना कठिन था क्योंकि उसकी कोई गंध नहीं थी। हम यह भी चर्चा करेंगे कि कौन सी इंद्रिय (स्पर्श, गंध, या स्वाद) सबसे उपयोगी थी।

अनुभव: यह गतिविधि बहुत मजेदार और शिक्षाप्रद थी। इसने हमें सिखाया कि हम अपनी इंद्रियों का उपयोग करके बिना देखे भी बहुत कुछ जान सकते हैं, जैसा कि लोककथा में भाइयों ने किया। सेब और गुड़ जैसी वस्तुओं को पहचानना आसान था क्योंकि उनकी गंध और स्वाद मजबूत थे, लेकिन किताब और कपड़े को पहचानना थोड़ा मुश्किल था क्योंकि उनकी गंध कम थी। इस गतिविधि ने हमें धैर्य, जागरूकता, और अपनी इंद्रियों पर भरोसा करना सिखाया।

आज की पहेली

आपने पढ़ा कि तीनों बुद्धिमान भाई किस प्रकार अपने अवलोकन से वे बातें भी जान जाते थे जो अन्य लोग नहीं जान पाते। अभआपके सामने कुछ पहेलियाँ प्रस्तुत हैं जहाँ आपको कुछ संकेत दिए जाएँगे। संकेतों के आधार पर आपको उत्तर खोजने हैं-

1. कौन है यह प्राणी?
संकेत:

  1. इसकी लंबी पूँछ होती है जो पेड़ों की शाखाओं के चारों ओर लिपटी रहती है।
  2. इसका मुख्य आहार कीट और छोटे जीव होते हैं जिन्हें यह चुपके से पकड़ता है।
  3. यह प्राणी अपने परिवेश में घुल-मिल जाता है और अपनी रंगत को बदल सकता है।
  4. इसके पास तेज आँखें होती हैं जो चारों दिशाओं में देख सकती हैं।

उत्तर: गिरगिट
विश्लेषण: गिरगिट की पूँछ लंबी और लिपटने वाली होती है, यह कीट खाता है, रंग बदल सकता है, और इसकी आँखें चारों ओर देख सकती हैं।

2. रंगीन डिब्बे
संकेत:

  1. लाल डिब्बा नीले डिब्बे के पास है।
  2. हरा डिब्बा पीले डिब्बे के पास नहीं है।
  3. पीला डिब्बा लाल डिब्बे के पास नहीं है।
  4. हरा डिब्बा लाल डिब्बे के पास है।

उत्तर: पीले डिब्बे के बराबर में नीला डिब्बा है।
विश्लेषण: चार डिब्बे एक सीध में हैं: स्थान 1, 2, 3, 4।

  • संकेत 1: लाल (R) नीले (B) के पास है।
  • संकेत 4: हरा (G) लाल (R) के पास है।
  • संकेत 3: पीला (Y) लाल (R) के पास नहीं है।
  • संकेत 2: हरा (G) पीले (Y) के पास नहीं है।
  • संभव क्रम: G, R, B, Y (स्थान 1: G, स्थान 2: R, स्थान 3: B, स्थान 4: Y)।
  • यहाँ पीला (Y) स्थान 4 पर है, और इसके बराबर नीला (B) स्थान 3 पर है।
  • सभी संकेत संतुष्ट होते हैं:
    • R और B पास-पास (2 और 3)।
    • G और R पास-पास (1 और 2)।
    • Y और R पास नहीं (4 और 2)।
    • G और Y पास नहीं (1 और 4)।

इसलिए, पीले डिब्बे के बराबर नीला डिब्बा है।

खोजबीन के लिए

नीचे दिए गए लिंक का प्रयोग करके आप बहुत-सी अन्य लोककथाएँ देख-सुन सकते हैं-

  • सुनो लोककथा 
    https://www.youtube.com/watch?v=JEti31XNpmA 
  • दुनिया की छत 
    https://www.youtube.com/watch?v=PehlQ71udFg 
  • भूल चूक लेनी देनी 
    https://www.youtube.com/watch?v=GjYW-CZIDEA

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं वीडियो देखे और इसकी खोजबीन करे। 

01. माँ, कह एक कहानी अध्याय समाधान 

पाठ से
मेरी समझ से(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सबसे सही उत्तर कौन-सा है? उनके सामने तारा (*) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।

(1) माँ अपने बेटे को करुणा और न्याय की कहानी क्यों सुनाती है?

  • राजाओं की कहानियों से उसका मनोरंजन करने के लिए।
  • उसमें सही और गलत की समझ विकसित करने के लिए। (*)
  • उसे परिवार की विरासत और पूर्वजों के बारे में बताने के लिए।
  • उसे प्रकृति और जानवरों के बारे में जानकारी देने के लिए।

उत्तर: उसमें सही और गलत की समझ विकसित करने के लिए।
विश्लेषण: माँ अपने बेटे राहुल को यह कहानी इसलिए सुनाती है ताकि वह करुणा, न्याय, और सही-गलत की समझ विकसित कर सके। कविता का मुख्य उद्देश्य नैतिक मूल्यों को सिखाना है, न कि केवल मनोरंजन या परिवार की विरासत बताना।

(2) कविता में घायल पक्षी की कहानी का उपयोग किस लिए किया गया है?

  • निर्दोष पक्षी के प्रति आखेटक की क्रूरता दिखाने के लिए। (*)
  • पिता की वीरता और साहस पर ध्यान दिलाने के लिए।
  • करुणा और हिंसा के बीच के संघर्ष को दिखाने के लिए। (*)
  • मित्रता और निष्ठा के महत्व को उजागर करने के लिए।

उत्तर: निर्दोष पक्षी के प्रति आखेटक की क्रूरता दिखाने के लिए।
करुणा और हिंसा के बीच के संघर्ष को दिखाने के लिए।
विश्लेषण: घायल पक्षी की कहानी आखेटक की क्रूरता और करुणा-हिंसा के बीच के संघर्ष को दर्शाती है। यह कहानी नैतिकता और दया के महत्व को उजागर करती है। पिता की वीरता या मित्रता का यहाँ कोई विशेष उल्लेख नहीं है।

(3) कविता के अंत तक पहुँचते-पहुँचते बच्चे को क्या समझ में आने लगता है?

  • न्याय सदैव करुणा के साथ होना चाहिए।(*)
  • निर्णय लेते समय सदैव निडर रहना चाहिए।
  • आखेटकों का सदैव विरोध करना चाहिए।
  • जानवरों की हर स्थिति में रक्षा करनी चाहिए।

उत्तर: न्याय सदैव करुणा के साथ होना चाहिए।
विश्लेषण: कविता के अंत में राहुल कहता है, “न्याय दया का दानी!” इससे पता चलता है कि उसे यह समझ आ गया है कि न्याय में करुणा का होना बहुत जरूरी है।

(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तरमैंने ऊपर दिए गए उत्तर इसलिए चुने क्योंकि कविता का मुख्य उद्देश्य राहुल को नैतिक मूल्य सिखाना है। माँ की कहानी करुणा और न्याय पर आधारित है, जो बच्चे में सही-गलत की समझ विकसित करती है। घायल पक्षी की कहानी क्रूरता और दया के बीच के संघर्ष को दिखाती है, और अंत में राहुल का जवाब दर्शाता है कि वह न्याय में करुणा के महत्व को समझ गया है। अपने मित्रों के साथ चर्चा करके मैं उनके दृष्टिकोण को समझ सकता हूँ, जैसे कि कुछ लोग मनोरंजन या प्रकृति के बारे में सोच सकते हैं, लेकिन कविता का मुख्य संदेश नैतिकता और करुणा है।

मिलकर करें मिलानइस पाठ में आपने माँ और पुत्र के बीच की बातचीत को एक कविता के रूप में पढ़ा है। इस कविता में माँ अपने पुत्र को उसके पिता की एक कहानी सुना रही हैं। क्या आप जानते हैं कि ये माँ, पुत्र और पिता कौन हैं? अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और उन्हें पहचानकर सूचीबद्ध कीजिए।

उत्तर

पंक्तियों पर चर्चापाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए—
(क) “कोई निरपराध को मारे, तो क्यों अन्य उसे न उबारे? रक्षक पर भक्षक को वारे, न्याय दया का दानी!”
उत्तर: इन पंक्तियों का अर्थ है कि अगर कोई निर्दोष को मारता है, तो दूसरों को उसकी रक्षा करनी चाहिए। जो रक्षक है, उसे भक्षक (हिंसक) पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। न्याय हमेशा दया के साथ होना चाहिए, अर्थात् न्याय करने वाला दयालु होना चाहिए। यह पंक्ति राहुल के विचार को दर्शाती है कि निर्दोष की रक्षा और दया के साथ न्याय करना सही है।

(ख) “हुआ विवाद सदय-निर्दय में, उभय आग्रही थे स्वविषय में, गई बात तब न्यायालय में, सुनी सभी ने जानी।”
उत्तर: इन पंक्तियों का अर्थ है कि दयालु (जो पक्षी को बचाना चाहता था) और निर्दयी (आखेटक) के बीच विवाद हो गया। दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़े थे। मामला न्यायालय में गया, जहाँ सभी ने कहानी सुनी और समझा। यह दर्शाता है कि जब दो पक्ष सहमत नहीं होते, तो न्यायालय में न्याय की माँग की जाती है।

सोच-विचार के लिएकविता को एक बार फिर से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए—
(क) आपके विचार से इस कविता में कौन-सी पंक्ति सबसे महत्वपूर्ण है? आप उसे ही सबसे महत्वपूर्ण क्यों मानते हैं?
उत्तर: मेरे विचार से सबसे महत्वपूर्ण पंक्ति है:
“न्याय दया का दानी!”
कारण: यह पंक्ति कविता का मुख्य संदेश देती है कि न्याय हमेशा करुणा के साथ होना चाहिए। राहुल इस पंक्ति में अपनी समझ व्यक्त करता है कि निर्दोष की रक्षा करना और दया के साथ न्याय करना सही है। यह कविता का निष्कर्ष और नैतिक संदेश है।

(ख) आखेटक और बच्चे के पिता के बीच तर्क-वितर्क क्यों हुआ था?
उत्तरआखेटक और बच्चे के पिता (सिद्धार्थ) के बीच तर्क-वितर्क इसलिए हुआ क्योंकि आखेटक ने एक निर्दोष हंस को तीर मारकर घायल कर दिया था। सिद्धार्थ ने हंस को बचाया और उसका इलाज किया। आखेटक ने घायल हंस को वापस माँगा, लेकिन सिद्धार्थ ने उसे देने से इनकार कर दिया, क्योंकि वे निर्दोष की रक्षा करना चाहते थे। दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़े थे, जिसके कारण विवाद हुआ।

(ग) माँ ने पुत्र से “राहुल, तू निर्णय कर इसका” क्यों कहा?
उत्तर: माँ ने राहुल से “राहुल, तू निर्णय कर इसका” इसलिए कहा ताकि वह स्वयं सोच-विचार करके सही और गलत का निर्णय ले सके। माँ चाहती थी कि राहुल कहानी से नैतिक शिक्षा ग्रहण करे और करुणा व न्याय के महत्व को समझे। यह प्रश्न राहुल की सोच को प्रोत्साहित करने और उसे स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने के लिए प्रेरित करने के लिए था।

(घ) यदि कहानी में आप उपवन में होते तो घायल हंस की सहायता के लिए क्या करते? आपके अनुसार न्याय कैसे किया जा सकता था?
उत्तर: अगर मैं उपवन में होता, तो मैं घायल हंस को उठाकर उसका इलाज करता, जैसे कि उसके घाव को साफ करके उसे सुरक्षित स्थान पर रखता। मैं आखेटक से कहता कि निर्दोष प्राणी को मारना गलत है और उसे ऐसा नहीं करना चाहिए।  
न्याय के लिए: मैं दोनों पक्षों (आखेटक और हंस को बचाने वाले) की बात सुनता। चूँकि हंस निर्दोष था, मैं हंस को बचाने वाले का पक्ष लेता और आखेटक को समझाता कि हिंसा गलत है। न्याय में दया को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, और हंस को आजाद करना सही होता

(ङ) कविता में माँ और बेटे के बीच बातचीत से उनके बारे में क्या-क्या पता चलता है?

उत्तर:  

  • माँ (यशोधरा): माँ बहुत दयालु, बुद्धिमान और शिक्षक की तरह है। वह अपने बेटे को कहानी के माध्यम से नैतिक मूल्य सिखाती है। वह राहुल को सोचने और निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करती है।  
  • बेटा (राहुल): राहुल जिज्ञासु और उत्सुक है। वह बार-बार वही कहानी सुनना चाहता है, जिससे उसका कहानी के प्रति प्रेम झलकता है। वह कहानी सुनकर नैतिकता और दया के बारे में सीखता है और अंत में अपनी समझ व्यक्त करता है।  
  • संबंध: माँ और बेटे के बीच प्रेमपूर्ण और शिक्षाप्रद संबंध है। माँ धैर्यपूर्वक राहुल के सवालों का जवाब देती है और उसे सही दिशा में ले जाती है।

अनुमान और कल्पना से

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए—
(क) माँ ने अपने बेटे को कहानी सुनाते समय अंत में कहानी को स्वयं पूरा नहीं किया, बल्कि उसी से निर्णय करने के लिए कहा। यदि आप किसी को यह कहानी सुना रहे होते तो कहानी को आगे कैसे बढ़ाते?
उत्तर: अगर मैं यह कहानी सुना रहा होता, तो मैं कहानी को इस तरह आगे बढ़ाता:
न्यायालय में सभी ने दोनों पक्षों की बात सुनी। दयालु व्यक्ति (सिद्धार्थ) ने कहा कि निर्दोष हंस को मारना गलत है और उसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। आखेटक ने कहा कि उसने हंस को शिकार के लिए मारा, जो उसका अधिकार है। न्यायाधीश ने दया और नैतिकता को प्राथमिकता दी और फैसला सुनाया कि हंस को आजाद किया जाए। आखेटक को समझाया गया कि हिंसा छोड़कर करुणा अपनाए। हंस ठीक होकर आकाश में उड़ गया, और सभी ने इस फैसले की प्रशंसा की।

(ख) मान लीजिए कि कहानी में हंस और तीर चलाने वाले के बीच बातचीत हो रही है। कल्पना से बताइए कि जब उसने हंस को तीर से घायल किया तो उसमें और हंस में क्या-क्या बातचीत हुई होगी? उन्होंने एक-दूसरे को क्या-क्या तर्क दिए होंगे?
उत्तरहंस: “हे आखेटक, तुमने मुझे क्यों मारा? मैं तो निर्दोष हूँ और केवल आकाश में उड़ रहा था।”
आखेटक: “मैं एक शिकारी हूँ, और शिकार करना मेरा काम है। तुम मेरे निशाने पर आ गए, इसलिए मैंने तीर चलाया।”
हंस: “पर मेरा क्या अपराध था? मैंने तुम्हारा कोई नुकसान नहीं किया। सभी प्राणियों को जीने का अधिकार है।”
आखेटक: “यह जंगल है, और यहाँ शिकार करना स्वाभाविक है। मुझे तुम्हारा मांस चाहिए।”
हंस: “क्या तुम्हें मेरी पीड़ा नहीं दिखती? दया करो और मुझे बचाओ, मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूँगा।”
आखेटक: “मुझे दया की नहीं, अपने शिकार की जरूरत है।”  
विश्लेषण: हंस करुणा और अपने जीने के अधिकार की बात करता है, जबकि आखेटक अपने शिकार को सही ठहराता है। यह बातचीत दया और हिंसा के बीच के संघर्ष को दर्शाती है।

(ग) मान लीजिए कि माँ ने जो कहानी सुनाई है, आप भी उसके एक पात्र हैं। आप कौन-सा पात्र बनना चाहेंगे? और क्यों?
उत्तर: मैं पक्षी को बचाने वाला व्यक्ति बनना चाहूँगा।
कारण: यह पात्र दयालु और नैतिक है, जो निर्दोष हंस की रक्षा करता है। मैं भी निर्दोष प्राणियों की मदद करना चाहता हूँ और हिंसा के खिलाफ खड़ा होना चाहता हूँ। यह पात्र करुणा और न्याय का प्रतीक है, जो मुझे प्रेरित करता है।

संवाद

इस कविता में एक माँ और उसके पुत्र का संवाद दिया गया है लेकिन कौन-सा कथन किसने कहा है, यह नहीं बताया गया है। आप कविता में दिए गए संवादों को पहचानिए कि कौन-सा कथन किसने कहा है और उसे दिए गए उचित स्थान पर लिखिए।

  • पुत्र द्वारा कहे गए कथन
  • माँ द्वारा कहे गए कथन 

उत्तर: पुत्र द्वारा कहे गए कथन:  

  • “माँ, कह एक कहानी।”  
  • “राजा था या रानी?”  
  • “लहराता था पानी?”  
  • “हुई पक्ष की हानी?”  
  • “लक्ष्य-सिद्धि का मानी?”  
  • “हठ करने की ठानी?”  
  • “सुनी सभी ने जानी?”  
  • “माँ, मेरी क्या बानी? मैं सुन रहा कहानी।”

माँ द्वारा कहे गए कथन:  

  • “बेटा, समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी?”  
  • “सुन, उपवन में बड़े सबेरे, तात भ्रमण करते थे तेरे,”  
  • “वर्ण वर्ण के फूल खिले थे, झलमल कर हिम-बिंदु क्षिले थे,”  
  • “गाते थे खग कल कल स्वर से, सहसा एक हंस ऊपर से,”  
  • “चाँक उन्होंने उसे उठाया, नया जन्म-सा उसने पाया।”  
  • “राहुल, तू निर्णय कर इसका– न्याय पक्ष लेता है किसका?”

विश्लेषण: पुत्र जिज्ञासु है और सवाल पूछता है, जबकि माँ कहानी सुनाती है और नैतिक शिक्षा देती है।

शब्द से जुड़े शब्दनीचे दिए गए रिक्त स्थानों में प्रकृति से जुड़े शब्द कविता में से चुनकर लिखिए—
उत्तर:  

विश्लेषण: ये सभी शब्द कविता में प्रकृति का वर्णन करते हैं, जैसे उपवन (बगीचा), फूल, हिम-बिंदु (ओस), आदि।

पंक्ति से पंक्तिनीचे स्तंभ 1 और स्तंभ 2 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। मिलती-जुलती पंक्तियों को रेखा खींचकर मिलाइए—
उत्तर:  

कविता की रचनाकविता की विशेषताओं की सूची बनाइए और विशेषताओं का सही पंक्तियों से मिलान कीजिए।
“राजा था या रानी?
राजा था या रानी?
माँ, कह एक कहानी!”
इन पंक्तियों पर ध्यान दीजिए! इन पंक्तियों की तरह इस पूरी कविता में अनेक स्थानों पर कुछ पंक्तियाँ बेरंग आई हैं! इस कारण कविता में माँ और बेटी की बातचीत पाठकों को बेहतर ढंग से समझ में आती है! इससे कविता के सौंदर्य में भी वृद्धि हुई है!
आप ध्यान दें तो इस कविता में आपको ऐसी अनेक विशेषताएँ दिखाई देंगी! उदाहरण के लिए, कविता में माँ-बेटी का संवाद है, जिसे ‘संवादात्मक शैली’ कहा जाता है! इसी प्रकार, इसमें प्रकृति और कार्यों का वर्णन है, जिसे ‘वर्णनात्मक शैली’ कहते हैं!

(क) इस कविता को एक बार पुनः पढ़िए और अपने समूह में मिलकर इस कविता की विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तरकविता की विशेषताएँ: 

  • संवादात्मक शैली: माँ और पुत्र के बीच बातचीत।  
  • प्रश्न-उत्तर शैली: पुत्र सवाल पूछता है, माँ जवाब देती है।  
  • प्रकृति का वर्णन: उपवन, फूल, हिम-बिंदु आदि का चित्रण।  
  • पुनरावृत्ति: कुछ पंक्तियाँ दोहराई गई हैं, जैसे “यही कहानी!”  
  • तुकबंदी: पंक्तियों के अंत में समान ध्वनियाँ।  
  • विपरीत शब्द: जैसे “सदय-निर्दय”, “कोमल-कठिन”।  
  • नैतिक शिक्षा: करुणा और न्याय का संदेश।  
  • सरल भाषा: बच्चों के लिए समझने योग्य।

(ख) नीचे इस कविता की कुछ विशेषताएँ और वे पंक्तियाँ दी गई हैं जिनमें ये विशेषताएँ दिखाई देती हैं। विशेषताओं का सही पंक्तियों से मिलान कीजिए।
उत्तर:  
रूप बदलकर

“सुन, उपवन में बड़े सबेरे, तात भ्रमण करते थे तेरे,”
कविता की इन पंक्तियों को निम्न प्रकार से बदलकर लिखा जा सकता है—
→ “सुनो! आपके पिता एक उपवन में बहुत सवेरे भ्रमण किया करते थे…”
अब आप भी पाठ के किसी एक पद को एक अनुच्छेद के रूप में लिखिए।

उत्तर: पंक्ति: “वर्ण वर्ण के फूल खिले थे, झलमल कर हिम-बिंदु क्षिले थे, हलके झोंके हिले-मिले थे, लहराता था पानी!”  
अनुच्छेद: सुबह के समय उपवन में रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे। ओस की बूँदें सूरज की रोशनी में चमक रही थीं। हल्की हवा के झोंके पेड़ों को हिला रहे थे, और पास में बहता पानी लहरा रहा था। यह दृश्य बहुत ही सुंदर और शांत था।

कविता में विराम चिह्न

“माँ, कह एक कहानी!”
इस प्रचलित में आपके अनेक विश्वास चिह्न दिखाए दे रहे हैं, जो—

  • अल्प विराम (,)
  • पूर्ण विराम (।)
  • उद्धरण चिह्न (” “)

इस कविता में विराम चिह्नों का बहुत अच्छा प्रयोग किया गया है और विराम चिह्नों इस कविता में अनेक कार्य कर रहे हैं, जैसे यह बताना कि—

  • कविता पाठ करने समय कहा ठहरना है (,), कहा अधिक ठहरना है (।)
  • कौन सी प्रचलित किसने कही है पूरे या माँ ने (” “)
  • कहा प्रश्न पूछा गया है (?)
  • कौन-सी बात आश्चर्य से बोली गई है (!)

(क) नीचे कविता का एक अंश बिना विराम चिह्नों के दिया गया है। इसमें उपयुक्त स्थानों पर विराम चिह्न लगाइए—
राहुल, तू निर्णय कर इसका
न्याय पक्ष लेता है किसका
कह दे निर्भय, जय हो जिसका
सुन लूँ तेरी बानी
माँ, मेरी क्या बानी
मैं सुन रहा कहानी
कोई निरपराध को मारे
तो क्यों अन्य उसे न उबारे
रक्षक पर भक्षक को वारे
न्याय दया का दानी
न्याय दया का दानी
तूने गुनी कहानी

उत्तर: राहुल, तू निर्णय कर इसका,
न्याय पक्ष लेता है किसका?
कह दे निर्भय, जय हो जिसका,
सुन लूँ तेरी बानी।
माँ, मेरी क्या बानी?
मैं सुन रहा कहानी।
कोई निरपराध को मारे,
तो क्यों अन्य उसे न उबारे?
रक्षक पर भक्षक को वारे,
न्याय दया का दानी!
न्याय दया का दानी!
तूने गुनी कहानी।  

(ख) अब विराम चिह्नों का ध्यान रखते हुए कविता को अपने समूह में सुनाइए।
उत्तर: यह कार्य समूह में करना है। आप ऊपर दिए गए विराम चिह्नों के साथ कविता को जोर-जोर से और भावपूर्ण तरीके से पढ़ सकते हैं। प्रत्येक पंक्ति में रुकावट और भाव पर ध्यान दें।

पाठ से आगे
आपकी बात

(क) “सुन, उपवन में बड़े सबेरे, 
तात भ्रमण करते थे तेरे,” 
​आप या आपके परिजन भ्रमण के लिए कहाँ-कहाँ जाते हैं? और क्यों?
उत्तर: मैं और मेरे परिजन सुबह पार्क या नजदीकी बगीचे में भ्रमण के लिए जाते हैं। हम ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि सुबह की ताजी हवा और प्रकृति का दृश्य हमें तरोताजा करता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है और मन को शांति देता है।

(ख) इस पाठ में एक माँ अपने पुत्र को कहानी सुना रही है। आप किस-किस से कहानी सुनते हैं या थे? आप किसको और कौन-सी कहानी सुनाते हैं?
उत्तर: मैं अपनी माँ, दादी, और कभी-कभी शिक्षकों से कहानियाँ सुनता हूँ। पहले मैं दादी से पंचतंत्र और रामायण की कहानियाँ सुनता था। मैं अपने छोटे भाई-बहनों को “चालाक खरगोश” या “शेर और चूहे” की कहानी सुनाता हूँ, क्योंकि ये कहानियाँ मजेदार और शिक्षाप्रद होती हैं।

(ग) माँ ने कहानी सुनाने के बीच में एक प्रश्न पूछ लिया था। क्या कहानी सुनाने के बीच में प्रश्न पूछना सही है? क्यों?
उत्तर: हाँ, कहानी सुनाने के बीच में प्रश्न पूछना सही है। इससे सुनने वाला अधिक ध्यान देता है और कहानी को गहराई से समझता है। माँ ने राहुल से प्रश्न पूछकर उसकी सोच को प्रोत्साहित किया और उसे कहानी का नैतिक संदेश समझने में मदद की।

(घ) कविता में बालक अपनी माँ से बार-बार ‘वही’ कहानी सुनने की हठ करता है। क्या आपका भी कभी कोई कहानी बार-बार सुनने का मन करता है? अगर हाँ, तो वह कौन-सी कहानी है और क्यों?
उत्तर: हाँ, मेरा भी मन “पंचतंत्र” की “शेर और चूहा” कहानी बार-बार सुनने का करता है। यह कहानी मुझे इसलिए पसंद है क्योंकि यह दोस्ती और मदद के महत्व को सिखाती है। यह छोटी लेकिन बहुत मजेदार और प्रेरणादायक है।

निर्णय करें“राहुल, तू निर्णय कर इसका–”
नीचे कुछ स्थितियाँ दी गई हैं। बताइए कि इन स्थितियों में आप क्या करेंगे?

(1) खेलते समय आप देखते हैं कि एक मित्र ने भूल से एक नियम तोड़ा है।
उत्तर: मैं अपने मित्र को प्यार से समझाऊँगा कि उसने नियम तोड़ा है और उसे सही तरीके से खेलने के लिए कहूँगा। अगर वह नहीं मानता, तो मैं खेल के नियमों के बारे में सभी को याद दिलाऊँगा।

(2) एक सहपाठी को कक्षा में दूसरों द्वारा चिढ़ाया जा रहा है।
उत्तर: मैं सहपाठी का साथ दूँगा और चिढ़ाने वालों को रोकूँगा। मैं शिक्षक को भी बता सकता हूँ ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो।

(3) एक समूह परियोजना के बीच एक सहपाठी अपने भाग का कार्य नहीं कर रहा है।
उत्तर: मैं सहपाठी से बात करूँगा और पूछूँगा कि उसे कोई समस्या तो नहीं है। मैं उसकी मदद करूँगा या समूह के साथ मिलकर कार्य को पूरा करने की योजना बनाऊँगा।

(4) आपके दो मित्रों के बीच एक छोटी-सी बात पर तर्क-वितर्क हो रहा है।
उत्तर: मैं दोनों की बात सुनूँगा और उन्हें शांत करने की कोशिश करूँगा। मैं उन्हें समझाऊँगा कि छोटी बात पर झगड़ा नहीं करना चाहिए और मिलकर सुलझाने का सुझाव दूँगा।

(5) एक सहपाठी को कुछ ऐसा करने के लिए अनुचित रूप से दंडित किया जा रहा है जिसे उसने नहीं किया।
उत्तर: मैं शिक्षक को सच बताऊँगा और सहपाठी का पक्ष लूँगा। मैं यह सुनिश्चित करूँगा कि उसे न्याय मिले।

(6) एक सहपाठी प्रतियोगिता में हार जाने पर उदास है।
उत्तर: मैं सहपाठी को ढांढस बंधाऊँगा और कहूँगा कि हार-जीत खेल का हिस्सा है। मैं उसे अगली बार बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करूँगा।

(7) कक्षा में चर्चा के बीच एक सहपाठी संकोच कर रहा है और बोलने का अवसर नहीं पा रहा है।
उत्तर: मैं सहपाठी को प्रोत्साहित करूँगा कि वह अपनी बात रखे। मैं उसे बोलने का मौका दूँगा और उसकी राय को महत्व दूँगा।

(8) सहपाठी किसी विषय में संघर्ष कर रहा है और आपसे सहायता माँगता है।
उत्तर: मैं सहपाठी की मदद करूँगा और उसे विषय समझाऊँगा। अगर मुझे कुछ समझ न आए, तो मैं शिक्षक की मदद लूँगा।

सुनी कहानी

अपने घर या आस-पास सुनी-सुनाई जाने वाली किसी लोककथा को लिखकर कक्षा में सुनाइए।
उत्तर: लोककथा: चालाक खरगोश
एक जंगल में एक शेर रहता था, जो रोज एक जानवर को मारकर खाता था। सभी जानवर डरते थे। एक दिन खरगोश की बारी आई। खरगोश ने सोचा कि वह चालाकी से शेर को सबक सिखाएगा। वह जान-बूझकर देर से शेर के पास पहुँचा। शेर ने गुस्से में पूछा, “तू इतनी देर से क्यों आया?” खरगोश ने कहा, “रास्ते में एक और शेर मिला, जो कह रहा था कि वह सबसे ताकतवर है।” शेर गुस्से में उस शेर को देखने गया। खरगोश उसे एक कुएँ के पास ले गया और कहा, “वह कुएँ में है।” शेर ने कुएँ में अपनी परछाई देखी और सोचा कि यह दूसरा शेर है। वह गुस्से में कुएँ में कूद गया और मर गया। इस तरह खरगोश की चालाकी से जंगल के जानवरों को शेर से छुटकारा मिल गया।  
नैतिक: चालाकी और बुद्धि से बड़ी-बड़ी समस्याओं का हल निकाला जा सकता है।

आज की पहेलीनीचे कुछ पहेलियाँ दी गई हैं। इनके उत्तर आपको कविता में से मिल जाएँगे। पहेलियाँ बूझिए—

पहेली 1
नानी की बेटी है कौन?
मामा की बहना है कौन?
भायार है पिता की कौन?
भाभी है चाचा की कौन?  

उत्तर: माँ (यशोधरा)

पहेली 2
आसमान में उड़-उड़ जाए,
तरह-तरह के गाने गाए,
पर फैलाकर करता सैर,
दो हैं जिसके पर और पैर।  

उत्तर: हंस

पहेली 3
बागों में जो सुगंध फैलाती,
फूल-फूल में बसती गाती,
हवा-हवा में घुल-मिल जाए,
कौन है जो यह नाम बताए?  

उत्तर: सुरभि

खोजबीन के लिएनीचे दिए गए लिंक का प्रयोग करके आप बहुत-सी अन्य लोककथाएँ देख-सुन सकते हैं-

  • माँ, कहे एक कहानी
    https://www.youtube.com/watch?v=nQUltEEDx4s&ab_channel=NCERTOFFICIAL
  • हंसी किसका
    https://www.youtube.com/watch?v=O6Jnj49jMGc
  • मैथिलीशरण गुप्त द्वारा एक कविता का पाठ
    https://www.youtube.com/watch?v=sIWB9ZasRNY&t=126s

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं वीडियो देखे और इसकी खोजबीन करे।