14. कारतूस – Short Questions answer

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1: कर्नल कालिंज का खेमा जंगल में क्यों लगा हुआ था? 
उत्तर:
 कर्नल कालिंज का खेमा जंगल में वजीर अली को गिरफ्तार करने के लिए लगा हुआ था।

प्रश्न 2: वज़ीर अली से सिपाही क्यों तंग आ चुके थे? 
उत्तर:
 वज़ीर अली से सिपाही इसलिए तंग आ चुके थे क्योंकि हफ्तों बीत जाने के बाद भी वजीर अली उनके हाथ नहीं आ पा रहा था।

प्रश्न 3: सआदत अली कौन था? कर्नल उसे अवध के तख्त पर क्यों बिठाना चाहता था?
उत्तर:  
सआदत अली अवध के नवाब आसिफउद्दौला का छोटा भाई तथा वजीर अली का चाचा था। कर्नल उसे अवध के तख्त पर बिठाकर अवध में अपना साम्राज्य स्थापित कर सम्पत्ति हड़पना चाहता था।

प्रश्न 4: सआदत अली को अवध के तख्त पर बिठाने के पीछे कर्नल का क्या मकसद था? 
अथवा
सआदत अली को अवध के तख्त पर बिठाने के पीछे कर्नल का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
 सआदत अली को अवध के तख्त पर बिठाने के पीछे कर्नल का यह उद्देश्य था कि वह अवध की धन-संपत्ति पर अधिकार करना चाहता था तथा अवध पर अपना आधिपत्य बनाए रखना चाहता था।

प्रश्न 5: कर्नल ने सवार पर नजर रखने के लिए क्यों कहा? 
उत्तर: 
कर्नल ने सवार पर नजर रखने के लिए इसलिए कहा क्योंकि वह जानना चाहता था कि सवार किस तरफ जा रहा है।

प्रश्न 6: सवार ने क्यों कहा कि वजीर अली की गिरफ्तारी बहुत मुश्किल है? 
उत्तर:
 ”वज़ीर अली की गिरफ्तारी बहुत मुश्किल है“-सवार ने यह इसलिए कहा क्योंकि सवार स्वयं जाँबाज सिपाही वज़ीर अली था।लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1: वज़ीर अली के अफसाने सुनकर कर्नल को राॅबिनहुड की याद क्यों आ जाती थी?
उत्तर: 
वज़ीर अली के अफसाने सुनकर कर्नल को राॅबिनहुड की याद इसलिए आ जाती थी, क्योंकि उसके कारनामों से सिपाही परेशान हो जाते थे, वह आदमी है या भूत, पकड़ में नहीं आता था और अंग्रेजों के खिलाफ उसके दिल में नफरत थी। वह ऐसे कारनामे करता था, जिन्हें सुनकर कर्नल को राॅबिनहुड की याद आ जाती थी।

प्रश्न 2: ‘कारतूस’ पाठ के आधार पर लिखिए कि सआदत अली कौन था ? उसने वज़ीर अली की पैदाइश को अपनी मौत क्यों समझा ? 
उत्तर:
 सआदत अली वज़ीर अली का चाचा और आसिफउद्दौला का भाई था, वह अंग्रेजों का समर्थक था। उसे अपना साम्राज्य छिनता नज़र आ रहा था इसलिए उसने वज़ीर अली की पैदाइश को अपनी मौत समझा।
व्याख्यात्मक हल:
सआदत अली अवध के नवाब आसिफउद्दौला का भाई था। आसिफउद्दौला के यहाँ लड़के की कोई उम्मीद नहीं थी। सआदत अली मन-ही-मन अपने को अवध का उत्तराधिकारी मान बैठा था। परंतु जब आसिफउद्दौला के यहाँ वजीर अली का जन्म हुआ तो उसे वह बात नागवार लगी। उसने वजीर अली की पैदाइश को अपनी मौत समझा।

प्रश्न 3: ‘सआदत अली’ अंग्रेजों का हिमायती क्यों था? ‘कारतूस’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
 जब सआदत अली को अवध के तख्त पर बिठाया गया, उससे अंग्रेजों को काफी आर्थिक लाभ भी हुआ और उनका प्रभाव भी बढ़ गया। वह अंग्रेजों का मित्र था और सआदत अली को अवध के तख्त पर बिठाने के पीछे कर्नल का यही मकसद था।

प्रश्न 4: वजीर अली ने कंपनी के वकील का कत्ल क्यों किया? 
उत्तर:
 अंग्रेजों ने वज़ीर अली को तख्त से हटाकर बनारस पहुँचा दिया और तीन लाख रुपए सालाना वजीफा मुकर्रर किया। कुछ महीने बाद गवर्नर जनरल ने उससे मिलने के लिए उसे कलकत्ता (कोलकाता) बुलवाया। वज़ीर अली ने इस बारे में कंपनी के वकील से शिकायत की। वकील ने वज़ीर अली की शिकायत की परवाह न करते हुए उसे बुरा-भला कहा। गुस्से और नफरत से भरे होने के कारण वज़ीर अली ने उसका कत्ल कर दिया।

प्रश्न 5: कम्पनी के वकील का कत्ल करने के बाद वज़ीर अली ने अपनी हिफाजत कैसे की?
उत्तर: 
कम्पनी के वकील का कत्ल करने के बाद वज़ीर अली ने अपनी हिफाजत इस प्रकार की-वह कत्ल करने के बाद अपने जानिसारों समेत आजमगढ़ की तरफ भाग गया। आजमगढ़ के बादशाह ने उन लोगों को हिफाजत से घाघरा (घागरा) तक पहुँचा दिया।

प्रश्न 6: जाँबाज सवार कौन था? ‘कारतूस’ पाठ के आधार पर उसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: वज़ीर अली एक जाँबाज सिपाही था, उसने अंग्रेजों की ब्रिटिश कम्पनी की सैनिक छावनी में निडरतापूर्वक प्रवेश किया और कर्नल से कारतूस प्राप्त किए। वह एक बलशाली, साहसी नौजवान था। उसने एक जाँबाज सिपाही की तरह अपने प्राणों की बाजी लगाकर कारतूस हासिल किए। उसके जाने के बाद कर्नल भी हक्का-बक्का रह गया और उसकी हिम्मत और बहादुरी से अचंभित रह गया जो उसकी जान बख्श कर चला गया।

प्रश्न 7: सवार के जाने के बाद कर्नल क्यों हक्का-बक्का रह गया? 
उत्तर:
 सवार के जाने के बाद कर्नल हक्का-बक्का इसलिए रह गया, क्योंकि उसे वज़ीर अली की हिम्मत और बहादुरी ने अचंभित कर दिया। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था, वह सवार के रूप में वज़ीर अली उसके खेमे (शिविर) में आकर कारतूस लेकर उसकी जान बख्श कर चला गया और वह कुछ भी नहीं कर सका।

प्रश्न 8: सवार ने कर्नल से कारतूस कैसे हासिल किए? 
उत्तर:
 सवार कर्नल के शिविर में जा पहुँचा उससे बातचीत कर जानकारी प्राप्त करने के बाद वज़ीर अली को गिरफ्तार करने के लिए कुछ कारतूस कर्नल से माँगे, कर्नल ने उसे दस कारतूस दे दिए। इस प्रकार सवार ने कर्नल से कारतूस हासिल किए।

13. पतझर में टूटी पत्तियाँ – Short Questions answer

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. शुद्ध सोना और गिन्नी के सोने में क्या अंतर है ? 
उत्तर: 
शुद्ध सोना बिना मिलावट वाला लचीला एवं कीमती होता है। गिन्नी के सोने में ताँबा मिला होता है साथ ही वह मजबूत, चमकीला व सस्ता होता है।

प्रश्न 2. समाज को पतन की ओर ले जाने वाले लोग कौन हैं ? 
उत्तर:  व्यवहारवादी लोग समाज को पतन की ओर ले जाने वाले होते हैं। ये लोग अक्सर केवल अपने बारे में सोचते हैं और स्वार्थी विचारों को प्राथमिकता देते हैं।

प्रश्न 3. शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है? 
अथवा
शुद्ध-सोना और गिन्नी का सोना अलग-अलग कैसे है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
 शुद्ध सोना बिना मिलावट वाला, लचीला और कीमती होता है। इसके विपरीत, गिन्नी का सोना में ताँबा मिला होता है। यह मजबूत, चमकीला और सस्ता भी होता है।

प्रश्न 4. पाठ के सन्दर्भ में शुद्ध आदर्श क्या हैं? 
उत्तर:
 पाठ के सन्दर्भ में शुद्ध आदर्श समाज के शाश्वत मूल्य हैं। ये मूल्य मानवता के लिए अनिवार्य हैं, क्योंकि ये हमें सही और गलत का बोध कराते हैं।

प्रश्न 5. जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं? 
उत्तर:
 जापानी में चाय पीने की विधि को चा-नो-यू कहते हैं।

प्रश्न 6. जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है? 
उत्तर: 
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की विशेषता यह है कि वहाँ का वातावरण इतना शांत था कि चायदानी के पानी का खदबदाना भी सुनाई दे रहा था।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. शुद्ध सोना मजबूत होता है या गिन्नी का सोना। तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
 शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना:दोनों में से गिन्नी का सोना ज़्यादा मजबूत होता है क्योंकि उसमें ताँबा मिलाया जाता है।

प्रश्न 2. ‘पतझड़ में टूटी पत्तियाँ’ पाठ के लेखक के अनुसार ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ कौन होते हैं?
अथवा

प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं? 
उत्तर: 
“प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट” उन लोगों को कहते हैं जो अपने आदर्शों को व्यावहारिक बनाकर जीवन में अपनाते हैं जो आदर्शों को व्यवहार के योग्य बनाते हैं।

प्रश्न 3. शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?
अथवा
गिन्नी का सोना पाठ में शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?
उत्तर:
 

  • शुद्ध आदर्श शुद्ध सोने की भाँति खरे और मूल्यवान होते हैं।
  • जिस प्रकार ताँबे के मेल से सोने की कीमत कम हो जाती है, उसी प्रकार व्यवहारवादी लोग समाज के आदर्शों को गिराते हैं। 

व्याख्यात्मक हल:
गिन्नी का सोना पाठ में शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से इसलिए की गई है क्योंकि शुद्ध आदर्श शुद्ध सोने की तरह खरे और मूल्यवान होते हैं। इनमें मिलावट नहीं होती और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से इसलिए की गई है क्योंकि ताँबे के मिश्रण से सोने में चमक और मजबूती तो आती है परन्तु सोने की कीमत कम हो जाती है। इसी प्रकार व्यवहारवादी लोग समाज के आदर्शों को गिरा देते हैं।

प्रश्न 4. गाँधी जी व्यावहारिकता का आदर्शों के साथ कैसे मिलान करते थे? 
उत्तर:
 गाँधी जी आदर्शवादी थे। अपने व्यवहार को आदर्श के समान ऊंचा बनाते थे। दूसरे शब्दों में वे ताँबे में, सोना मिलाते थे। वे अपने आदर्शों को व्यावहारिक बनाने के नाम पर उन्हें नीचे नहीं गिराते थे।

प्रश्न 5. आदर्शवादी लोगों ने समाज के लिए क्या किया है ? पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
 आदर्शवादी लोग समाज के शाश्वत मूल्यों की रक्षा करते हैं। उन्होंने समाज के अन्य लोगों की उन्नति में योगदान दिया है। ‘गिन्नी का सोना’ पाठ के आधार पर, गाँधी जी ने आदर्शों को व्यावहारिकता के स्तर पर उतरने नहीं दिया; बल्कि व्यावहारिकता को आदर्श के स्तर पर चढ़ाते रहे। तभी तो उन्होंने भारतीय जन-मानस का नेतृत्व किया।

प्रश्न 6. इस पाठ के अंश ‘गिन्नी का सोना’ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘आदर्शवादिता’ और ‘व्यावहारिकता’ इनमें से जीवन में किसका महत्त्व है? 
उत्तर:
 जीवन में आदर्शवाद का महत्त्व है। हर मनुष्य को चाहिए कि वह अपने आदर्शों से डिगे बिना अपने व्यवहार को मधुर बनाने की चेष्टा करे। आवश्यकता पड़ने पर, उसे अपने व्यवहार को लचीला अवश्य बनाना चाहिए, किंतु किसी भी सूरत में अपने आदर्शों को न छोड़े।

प्रश्न 7. जापानी लोगों में कौन-कौन-सी बीमारियाँ बढ़ रही हैं? इनके पीछे क्या कारण है?
उत्तर:
 जापानी लोगों में मानसिक बीमारियाँ बढ़ रही हैं, जिसका मुख्य कारण जीवन की रफ्तार का अत्यधिक बढ़ जाना है। वहाँ लोग चलते नहीं, बल्कि दौड़ते हैं। जीवन की तेज भाग-दौड़ के कारण लोगों को अकेलापन महसूस होता है। विकसित देशों से प्रतिस्पर्धा करने के कारण, एक महीने का काम एक दिन में करने की कोशिश की जाती है। इस स्थिति में, दिमाग हमेशा तनाव में रहता है और हजार गुना अधिक गति से दौड़ता है।

प्रश्न 8. ‘कोई बोलता नहीं, बकता है’-इन पंक्तियों में कोई किसके लिए आया है ? वह बकता क्यों है ? ‘झेन की देन’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
 ‘कोई’ शब्द जापान की आम जनता के लिए आया है। जापान देश का आम आदमी निरर्थक बोलता है क्योंकि वह काम की अधिकता के कारण तनावग्रस्त है।

प्रश्न 9. लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगाने की बात क्यों कही है?
अथवा
‘झेन की देन’ पाठ में लेखक ने जापानियों के दिमाग में स्पीड़ का इंजन लगाने की बात क्यों कही है?
उत्तर:
 

  • अमेरिका से प्रतिस्पर्धा की भावना।
  • एक महीने का काम एक दिन में करने की कोशिश।
  • जीवन में रफ्तार का बढ़ाना। 

व्याख्यात्मक हल:
लेखक ने जापानियों के दिमाग में स्पीड का इंजन लगाने की बात इसलिए कही है, क्योंकि उनमें अमेरिका से प्रतिस्पर्धा की भावना है। वे बहुत ही तेज़ गति से प्रगति करना चाहते हैं। वे एक ही दिन में एक महीने का काम निपटा देना चाहते हैं। इस कारण वे उनके जीवन में रफ्तार बढ़ाना चाहते हैं।

प्रश्न 10. चाजीन ने कौन-सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से पूरी कीं? 
उत्तर:
 लेखक और उसके मित्र को देखकर चाजीन खड़ा हुआ, कमर झुकाकर उसने प्रणाम किया। दो……….झो………(आइए, तशरीफ लाइए) कहकर स्वागत किया। बैठने की जगह दिखाई। चाय चढ़ाई, तौलिए से बरतन साफ किए। यह सभी क्रियाएँ उसने गरिमापूर्ण ढंग से पूरी कीं।

प्रश्न 11. ‘टी-सेरेमनी’ में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों?
उत्तर:
 ‘टी-सेरेमनी’ में केवल तीन आदमियों को प्रवेश दिया जाता है, क्योंकि इस सेरेमनी में शांति का बहुत महत्त्व होता है, इसलिए वहाँ अधिक लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाता।

प्रश्न 12. चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया?
उत्तर:
 चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में यह परिवर्तन महसूस किया कि उसके दिमाग की रफ्तार धीरे-धीरे धीमी पड़ती जा रही है और उसे ऐसा महसूस हुआ कि वह मानो अनंत काल में जी रहा हो उसे सन्नाटा भी सुनाई देने लगा।

प्रश्न 13. ‘टी-सेरेमनी’ से क्या-क्या लाभ हैं ?
उत्तर:
 यहाँ झेन की देन है। इससे मानसिक रोग का उपचार होता है, मानसिक सन्तुलन होता है तथा भूत-भविष्य की चिंता नहीं रहती।

प्रश्न 14. क्या आप ‘झेन की देन’ पाठ के इस विचार से सहमत हैं कि विज्ञान और तकनीकी में हुए आविष्कारों के कारण विकासशील देशों में ‘जीवन की’ रफ्तार बढ़ गई है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
 विज्ञान ने नए-नए आविष्कार किए हैं। नयी-नयी तकनीके हैं जिसमें मोबाइल, इंटरनेट, आदि हैं। सभी लोग आगे बढ़ने की होड़ में लगे हुए हैं और ज़्यादा पाने की लोगों में चाह है। विकासशील देशों में आपसी होड़ लगी है। विज्ञान के द्वारा सभी जगह ज्ञान का विस्फोट है।

12. अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले – Short Questions answer

अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे?
उत्तर: 
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्री जमीन को हथियाकर उस पर निरन्तर नई-नई इमारतें बनाकर समुद्र को पीछे धकेल रहे थे।

प्रश्न 2. लेखक का घर किस शहर में था?
उत्तर:
 लेखक का एक मकान ग्वालियर में था और आज मुम्बई शहर के वर्सोवा में भी एक घर है।

प्रश्न 3. जीवन कैसे घरों में सिमटने लगा है?
उत्तर:
 जीवन छोटे-छोटे डिब्बों जैसे घरों में सिमटने लगा है।

प्रश्न 4. कबूतर परेशानी में इधर-उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे ?
उत्तर: 
कबूतर परेशानी में इधर-उधर इसलिए फड़फड़ा रहे थे क्योंकि उनके घोंसले में से एक अंडा बिल्ली ने उचककर तोड़ दिया था और दूसरा अंडा लेखिका की माँ द्वारा बचाने की कोशिश में उसके हाथ से छूटकर टूट गया था।

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. शेख अयाज के पिता अपने बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए।
अथवा

‘शेख अयाज़ के पिता भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए ? इससे उनके व्यक्तित्व की किस विशेषता का पता चलता है ?
‘अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: अपने बाजू पर रेंगते हुए काले-च्योंटे को वापस उसके घर (कुएँ पर) छोड़ने के लिए उठ खड़े हुए। इस घटना से उनके जीवों के प्रति प्रेम व दया के भाव की विशेषता पता चलती है।
व्याख्यात्मक हल:
शेख अयाज के पिता बहुत ही दयालु तथा जीव-प्रेमी मनुष्य थे। उन्होंने भोजन करते समय देखा कि एक काला चींटा उनकी बाजू पर रेंग रहा है। उन्हें लगा कि यह चींटा कुएँ के पानी के साथ उन तक आ गया है। यह बेघर हो गया है। इसे वापस कुएँ के पास छोड़ देना चाहिए। इसी इच्छा से वे भोजन छोड़कर उठ खड़े हुए। उनके इस कार्य से उनकी जीव-जन्तुओं के प्रति दयालुता की भावना का पता चलता है।

प्रश्न 2. संसार की रचना भले ही कैसे भी हुई हो लेकिन धरती किसी एक की नहीं है। पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: धरती किसी एक की नहीं है लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि आज मनुष्य इस धरती को केवल अपनी ही सम्पत्ति समझता है, जबकि धरती पर तो पंछी, मानव, पशु, नदी, पर्वत, समंदर सभी का एकसमान अधिकार है अर्थात् सभी धरती के हिस्सेदार हैं।

प्रश्न 3. प्रकृति में आए असंतुलन का क्या परिणाम हुआ? 
उत्तर: प्रकृति में आए असंतुलन का परिणाम यह हुआ कि अब गरमी में ज्यादा गरमी, पड़ने लगी, बेवक्त की बरसातें होने लगी, जलजले, सैलाब और तूफान उठने लगे हैं। साथ ही नित नए-नए रोग उत्पन्न् होने लगे हैं।

प्रश्न 4. ‘अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ में समुद्र के गुस्से का क्या कारण था ? उसने अपना गुस्सा कैसे शांत किया ?
अथवा
समुद्र के गुस्से की क्या वजह थी? उसने अपना गुस्सा कैसे निकाला?
अथवा
‘अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ के आधार पर लिखिए कि समुद्र के गुस्से का क्या कारण था? उसने अपना गुस्सा कैसे व्यक्त किया?
उत्तर:
 

  • महानगरीकरण के कारण समुद्री जमीन को घेरकर इमारतों का निर्माण।
  • लहरों में तैरते तीन जहाजों को तीन अलग-अलग दिशाओं में फेंक दिया। 

व्याख्यात्मक हल:
समुद्र के गुस्से का कारण मानव द्वारा महानगरीकरण के लिए समुद्र की जमीन को घेरकर इमारतों का निर्माण करना था। उसने लहरों में तैरते तीन समुद्री जहाजों को तीन अलग-अलग दिशाओं में फेंककर अपना गुस्सा व्यक्त/शांत किया।

प्रश्न 5. ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ के अनुसार वनस्पति और जीव-जगत के बारे में लेखक की माँ के क्या विचार थे?
उत्तर
: 

  • सूरज ढले पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, पेड़ रोएँगे।
  • दीया-बत्ती के वक्त फूलों को तोड़ने पर वे बददुआ देते हैं।
  • दरिया पर जाओ तो उसे सलाम करो।
  • कबूतरों को मत सताया करो, ये हजरत मुहम्मद के अजीज हैं।
  • मुर्गे को परेशान नहीं किया करो, वह मुल्लाजी से पहले मोहल्ले को जगाता है।
    (किन्हीं दो बिन्दुओं का उल्लेख अपेक्षित) 

व्याख्यात्मक हल:
लेखक की माँ के विचार थे कि सूरज छिपने के बाद पेड़ से फूल-पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, क्योंकि पेड़ रोते हैं, दीया-बत्ती के वक्त फूलों को तोड़ने पर वे बददुआ देते हैं। दरिया पर जाकर उसे सलाम करो, कबूतरों को इसलिए नहीं सताना चाहिए, क्योंकि वे हजरत मुहम्मद के अजीज हैं। मुर्गे को परेशान इसलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि वह रोज सबेरे उठकर बाँग देता है और हम सबको प्रातः जगाने का काम करता है।

प्रश्न 6. ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख में दुःखी होने वाले’ पाठ के आधार पर लिखिए कि लेखक की माँ ने प्रायश्चित क्यों किया और कैसे किया?
अथवा
लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोजा क्यों रखा?
उत्तर:
 लेखक की माँ बहुत ही दयालु तथा धर्मभीरू स्त्री थीं। उनके हाथों से गलती से कबूतर का अंडा फूट गया। इस पछतावे के कारण उसने दिन-भर का रोजा रखा तथा खुदा से अपना गुनाह माफ करने की प्रार्थना की।

प्रश्न 7. लेखक ने ग्वालियर से मुम्बई तक किन बदलावों को अनुभव किया? ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
 लेखक ने ग्वालियर से मुंबई तक अनेक बदलाव देखे। उसने पाया कि जंगल कट गए। पशु-पक्षी शहर छोड़कर कहीं भाग गए। जो भाग नहीं सके, वे दुर्गति और उपेक्षा सहकर जी रहे हैं।

प्रश्न 8. सुलेमान, शेख अयाज और अपनी माँ आदि का उदाहरण देकर लेखक क्या स्पष्ट करना चाहता है? ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ के आधार पर लिखिए?
उत्तर: 
पक्षियों की जुबान को समझकर उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिलाने वाले तथा उनके दुःखों को अपना समझकर सारी रात नमाज में काटने वाले लोग आज नहीं हैं तथा अनजाने ही कबूतर का अंडा फूटने पर व्यथित होने वाली संवेदना को लेखक स्पष्ट करना चाहता है।

प्रश्न 9. डेरा डालने से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ‘डेरा डालने’ का आशय है-अपने रहने का स्थान बनाना। उसके लिए आवश्यक साजो-सामान जुटाना। कबूतरों के डेरा डालने का आशय है-अपने तथा बच्चों के लिए घोंसले बनाना। बच्चों के खाने-पीने के लिए सामग्री जुटाना।

प्रश्न 10. ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ में लेखक ने प्रेम और अपनत्व की भावना के अभाव के क्या कारण बताए हैं? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
 ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख में दुःखी होने वाले’ पाठ में लेखक ने प्रेम और अपनत्व की भावना के अभाव के निम्न कारण बताए हैं। मनुष्य जो कि ईश्वर की उत्कृष्ट कृति है, उसने धीरे-धीरे पूरी धरती को ही अपनी सम्पत्ति बना लिया है, और जीवधारियों को दर-बदर कर दिया है। उसे किसी के सुख-दुःख की परवाह नहीं है, उसे केवल अपने ही सुख की चिन्ता है क्योंकि स्वार्थ से घिरा मनुष्य मशीनों के बीच मशीन बनकर रह गया है। उसे केवल अपना ही स्वार्थ नजर आता है। उसे दूसरों के दुःख व पीड़ा की कोई परवाह नहीं।

प्रश्न 11. ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर:
 इस पाठ का प्रतिपाद्य है:सभी प्राणियों, पशुओं, पक्षियों और समुद्र, पहाड़ आदि के प्रति सम्मान का भाव पैदा करना। लेखक चाहता है कि मानव स्वयं को सर्वोत्कृष्ट प्राणी समझकर समुद्र, पहाड़, नदी आदि को केवल अपने भोग की ही सामग्री न माने। इनका भी प्रकृति की रचना में बराबर का योगदान है।

11. तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेन्द्र – Short Questions answer

प्रश्न 1: ‘तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेन्द्र’ पाठ में राजकपूर के सर्वोत्कृष्ट अभिनय का श्रेय किसे दिया गया और क्यों ?
उत्तर:
 ‘तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र’ पाठ में राजकपूर के सर्वोत्कृष्ट अभिनय का श्रेय फ़िल्म की पटकथा को दिया गया है । ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता है जिसमें एक मार्मिक कृति को पूरी तरह से रील पर उतार दिया गया था। स्वयं राजकपूर भी अपनी अपार प्रसिद्धि को पीछे छोड़ ‘हीरामन ‘ की आत्मा में उतर गए है जो अपने आप में उनकी अभिनय कला का चरमोत्कर्ष है।

प्रश्न 2: ‘तीसरी कसम’ के आलोक में कलाकार के दायित्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: 
शैलेंद्र के अनुसार, कलाकार का यह कर्तव्य है कि वह दर्शकों की रुचियों का परिष्कार करे, वह दर्शकों के ज्ञान की वृद्धि में सहायक हो । सच्चा कलाकार दर्शकों के मानसिक स्तर का विकास करता है। वह दर्शकों के मन में जागरूकता को जन्म देता है और दर्शकों में अच्छे-बुरे की समझ को बढ़ाता है। सच्चे कलाकार का दायित्व है कि वह उपभोक्ता की रुचियों में सुधार लाने का प्रयत्न करे। उसके मन में धन कमाने की ही लिप्सा न हो।

प्रश्न 3: शैलेंद्र द्वारा बनाई गई फ़िल्म चल रहीं, इसके कारण क्या थे?
उत्तर: 
तीसरी कसम संवेदनापूर्ण भाव- प्रणव फ़िल्म थी। संवेदना और भावों की यह समझ पैसा कमाने वालों की समझ से बाहर होती है। ऐसे लोगों का उद्देश्य अधिकाधिक लाभ कमाना होता है। तीसरी कसम फ़िल्म में रची-बसी करुणा अनुभूति की । चीज़ थी । ऐसी फ़िल्म के खरीददार और वितरक कम मिलने से यह फ़िल्म चले न सकी ।

प्रश्न 4: ‘शैलेंद्र के गीत भारतीय जनमानस की आवाज़ बन गए।’ इस कथन को पाठ ‘तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र’ के आधार पर सिद्ध कीजिए ।
उत्तर:
 ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के गीत सहज और भावपूर्ण थे। वे गीत कठिन या दुरूह नहीं थे। इन गीतों को शंकर-जयकिशन ने अपना संगीत देकर उसे लोकप्रिय बना दिया था। वे गीत अत्यंत कोमल थे। उन गीतों में सरलता व भावुकता का संगम था। उन गीतों की भाषा इतनी सरल थी कि उन्हें समझना सरल था। चलत मुसाफ़िर मोह लियो रे पिंजड़े वाली मुनियाँ और लाली लाली डोलिया में “गीत ने आम लोगों के दिलों को जीत लिया था।

प्रश्न 5: ‘रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी नयाँ’ इस पंक्ति के रेखांकित अंश पर किसे आपत्ति थी और क्यों?
उत्तर: 
रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पंक्ति के दसों दिशाओं पर संगीतकार शंकर जयकिशन को आपत्ति थी। उनका मानना था कि जन साधारण तो चार दिशाएँ ही जानता- समझता है, दस दिशाएँ नहीं । इसका असर फ़िल्म और गीत की लोकप्रियता पर पड़ने की आशंका से उन्होंने ऐसा किया।

प्रश्न 6: शैलेन्द्र के गीत भाव – प्रवण थे- दुरूह नहीं । आशय स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
 शैलेंद्र के गीतों में भावनाओं की प्रधानता होती है। इनके गीतों में प्रयुक्त शब्द सरल होते हैं, कठिन नहीं होते। ये शब्द हमारे दिलों को छू लेते हैं। अपनी भावप्रवणता के कारण ही वे गीत देश-विदेश में आज भी लोकप्रिय हैं। ‘प्यार हुआ, इकरार हुआ’ और ‘मेरा जूता है जापानी’ जैसे गीतों में भावप्रवणता और अर्थ की गंभीरता व सरलता देखते ही बनती है।

प्रश्न 7: दरअसल तीसरी कसम फ़िल्म की संवेदना दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है- कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: 
इस फ़िल्म में हर स्थिति को सहज रूप में प्रकट किया गया। किसी भी दृश्य को इस प्रकार ग्लोरीफाई नहीं किया गया जैसे व्यावसायिक वितरक चाहते थे । पैसा कमाने के लिए व्यावसायिक लोग दर्शकों की भावनाओं का शोषण करने से पीछे नहीं हटते। इस फ़िल्म को उनके विचारों से विपरीत कलात्मक एवम् संवेदनशील बनाया गया । अतः यह फ़िल्म दो से चार बनाने वालों की समझ से परे थी।

प्रश्न 8: ‘तीसरी कसम’ फिल्म नहीं सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी- इस कथन पर टिप्पणी कीजिए ।
उत्तर: 
‘सैल्यूलाइड’ का अर्थ है- फ़िल्म को कैमरे की रील में उतार चित्र प्रस्तुत करना । ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म की पटकथा फणीश्वर नाथ रेणु की अत्यंत मार्मिक साहित्यिक रचना को आधार बनाकर लिखी गई है। इस फ़िल्म में कविता की भाँति कोमल भावनाओं को बखूबी उकेरा गया है। भावनाओं की सटीक एवं ईमानदार अभिव्यक्ति के कारण इसे फ़िल्म न कहकर सैल्यूलाइड पर लिखी कविता कहा गया है।

प्रश्न 9: ‘तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र’ पाठ के आधार पर लिखिए कि कलाकार के क्या कर्तव्य हैं ।
उत्तर: 
शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य है कि वह दर्शकों की रुचियों में परिष्कार करने का प्रयत्न करें। उनके मानसिक स्तर को ऊपर उठाए । वह लोगों में जागृति लाए और उनमें अच्छे-बुरे की समझ विकसित करें। वह दर्शकों पर उनकी रुचि आड़ में उथलापन न थोपे।

प्रश्न 10: ‘तीसरी कसम’ जैसी फ़िल्म बनाने के पीछे शैलेंद्र की मंशा क्या थी?
उत्तर: 
शैलेंद्र कवि हृदय रखने वाले गीतकार थे। तीसरी कसम बनाने के पीछे उनकी मंशा यश या धनलिप्सा न थी। आत्म संतुष्टि के लिए ही उन्होंने फ़िल्म बनाई।

प्रश्न 11: शैलेन्द्र का चेहरा कब और क्यों मुरझा गया था? पठित पाठ के आधार पर लिखिए ।
उत्तर: 
शैलेन्द्र का चेहरा तब मुरझा गया जब उनके अभिन्न मित्र राजकपूर ने उनकी फ़िल्म में काम करने के लिए अपना पारिश्रमिक माँगा और वह भी एडवांस । उन्हें लगा कि राजकपूर तो उनकी सही आर्थिक स्थिति के विषय में जानते ही हैं, तब भी उन्होंने ऐसी बात क्यों कही ? यह सोचकर उनका मुख मुरझा गया।

प्रश्न 12: संगम की सफलता से उत्साहित राजकपूर ने कन-सा कदम उठाया?
उत्तर: 
राजकपूर को संगम फ़िल्म से अद्भुत सफलता मिली। इससे उत्साहित होकर उन्होंने एक साथ चार फ़िल्मों के निर्माण की घोषणा की। ये फ़िल्में थीं- अजंता, मेरा नाम जोकर, मैं और मेरा दोस्त, सत्यम् शिवम् सुंदरम्।

प्रश्न 13: राजकपूर ने शैलेंद्र के साथ अपनी मित्रता ? निर्वाह कैसे किया?
उत्तर:
 राजकपूर ने अपने मित्र शैलेंद्र की फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में पूरी तन्मयता से काम किया। इस काम के बदले उन्होंने किसी प्रकार के पारिश्रमिक की अपेक्षा नहीं की। उन्होंने मात्र एक रुपया एडवांस लेकर काम किया और मित्रता का निर्वाह किया ।

प्रश्न 14: एक निर्माता के रूप में बड़े व्यावसायिक सा- युवा भी चकर क्यों खा जाते हैं?
उत्तर: 
एक निर्माता जब फ़िल्म बनाता है तो उसका लक्ष्य होता है फ़िल्म अधिकाधिक लोगों को पसंद आए और लोग उसे बार बार देखें, तभी उसे अच्छी आय होगी। इसके लिए वे हर तरह के हथकंडे अपनाते हैं फिर भी फ़िल्म नहीं चलती और वे चक्कर खा जाते हैं ।

प्रश्न 15: राजकपूर ने शैलेंद्र के साथ किस तरह यारउन्ना मस्ती की ?
उत्तर:
 गीतकार शैलेंद्र जब अपने मित्र राजकपूर के पास फ़िल्म में काम करने का अनुरोध करने गए तो राजकपूर ने हाँ कह दिया, परंतु साथ ही यह भी कह दिया कि ‘निकालो मेरा पूरा एडवांस ।’ फिर उन्होंने हँसते हुए एक रुपया एडवांस माँगा। एडवांस माँग कर राजकपूर ने शैलेंद्र के साथ याराना मस्ती की।

10. तताँरा–वामीरो कथा – Short Questions answer

अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. तताँरा वामीरो कहाँ की कथा है ?
उत्तर:
 तताँरा वामीरो की कथा अण्डमान (अडंमान) निकोबार द्वीप समूह पर स्थित पासी-लपाती गाँव की कथा है।

प्रश्न 2. वामीरो अपना गाना क्यों भूल गई ?
उत्तर: 
वामीरो अपना गाना इसलिए भूल गई क्योंकि उसे एक अजनबी युवक ने गाना-गाते समय देख लिया था और वह लहरों के कारण भीग गई थी।

प्रश्न 3. तताँरा ने वामीरो से क्या याचना की ?
उत्तर:
 तताँरा ने वामीरो से यह याचना की वाह “तुम्हारा कितना सुन्दर नाम है, कल भी आओगी न यहाँ ?”

प्रश्न 4. तताँरा और वामीरो के गाँव की क्या रीति थी ?
उत्तर: 
तताँरा और वामीरो के गाँव की यह रीति थी कि विवाह सम्बन्ध के लिए युवक-युवती दोनों को एक ही गाँव का होना आवश्यक था।

प्रश्न 5. क्रोध में तताँरा ने क्या किया ?
उत्तर:
 क्रोध में तताँरा ने अपनी जादुई लकड़ी की तलवार जमीन में घोंपना शुरू किया।

प्रश्न 6. धरती फाड़कर उसमें तताँरा के समा जाने के बाद वामीरो की दशा कैसी हो गई?
उत्तर:
 (क) वह पागल हो उठी, (ख) उसने खाना-पीना छोड़ दिया।
व्याख्यात्मक हल:
धरती फाड़कर उसमें तताँरा के समा जाने के बाद वामीरो की दशा पागलों जैसी हो गई और उसने खाना-पीना भी छोड़ दिया।

प्रश्न 7. तताँरा-वामीरो की मृत्यु को त्यागमयी क्यों कहा गया है?
उत्तर:
 क्योंकि उन्होंने प्रेम के लिए अपने प्राण-न्यौछावर कर दिए थे। उनका प्रेम सच्चा और गहरा था।
व्याख्यात्मक हल:
तताँरा-वामीरो की मृत्यु को त्यागमयी इसलिए कहा गया है क्योंकि उन्होंने सच्चे और गहरे प्रेम के लिए अपने प्राण-न्यौछावर कर दिए थे।

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. निकोबार द्वीप समूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का क्या विश्वास है ?
उत्तर: 
निकोबार द्वीप समूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का यह विश्वास है कि प्राचीन काल में ये दोनों द्वीप एक ही थे। इनके विभक्त होने की एक लोक कथा है जो आज भी दोहराई जाती है।

प्रश्न 2. तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का क्या मत था ?
उत्तर: 
तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का यह मत था कि, “वह तलवार लकड़ी की होने पर भी उस तलवार में अद्भुत दैवीय शक्ति थी। तताँरा अपनी तलवार को कभी अलग न होने देता। उसका दूसरों के सामने उपयोग भी नहीं करता। उसके चर्चित साहसिक कारनामों के कारण लोग-बाग तलवार में अद्भुत शक्ति का होना मानते थे। तताँरा की तलवार एक विलक्षण रहस्य थी।”

प्रश्न 3. निकोबार के लोग तताँरा को क्यों पसन्द करते थे ?
अथवा
तताँरा में ऐसी कौन-सी विशेषताएँ थीं, जिसके कारण निकोबारी उसे पसन्द करते थे ?
उत्तर: 
निकोबार के लोग तताँरा को इसलिए पसंद करते थे, क्योंकि वह सुन्दर, शक्तिशाली, नेक, मददगार व्यक्ति था। सदैव दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहता था। वह अपने गाँव वालों की ही नहीं अपितु सम्पूर्ण द्वीपवासियों की सेवा करना अपना परम कर्तव्य समझता था। उसके इस त्याग की वजह से वह चर्चित था और आदर का पात्र था और लोग उसे पसन्द करते थे।

प्रश्न 4. वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से क्या जवाब दिया ?
उत्तर:
 वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से यह जवाब दिया “पहले बताओ। तुम कौन हो, इस तरह मुझे घूरने और इस असंगत प्रश्न का कारण ? अपने गाँव के अलावा किसी और गाँव के युवक के प्रश्नों का उत्तर देने को मैं बाध्य नहीं। यह तुम भी जानते हो।”

प्रश्न 5. वामीरो और तताँरा परस्पर मिलने पर निःशब्द क्यों रह गए ?
उत्तर:
 वामीरो और तताँरा का प्रेम बहुत गहरा था, इसलिए अकथनीय था। उनके पास कोई ऐसा शब्द नहीं था जिससे वे अपने मन के भावों को प्रकट कर पाते। अतः वे मन की तरंगों को अपने भीतर आने-जाने की आज्ञा देते रहे। उनके दिलों ने ही एक-दूसरे को प्रेम की सच्चाई का विश्वास दिलाया।

प्रश्न 6. वामीरो कैसी युवती थी ? उसके कौन-कौन से गुण पाठक का मन मोह लेते हैं ?
उत्तर: 
वामीरो पाशा द्वीप की एक सुन्दर नवयुवती थी। उसकी गायन शैली, अपने रीति-रिवाजों के सम्मान करने की भावना, तताँरा के प्रति उसका अगाध प्रेम आदि ऐसे गुण हैं जो पाठक का मन मोह लेते हैं।
प्रश्न 7. ‘तताँरा वामीरो कथा’ का संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
 प्रस्तुत कहानी एक लोक-गाथा है। इसमें यह संदेश दिया गया है कि प्रेम को किसी बंधन तथा सीमाओं में बाँधना उचित नहीं है। यदि कोई गाँव, प्रदेश का क्षेत्र प्रेम को पनपने के लिए खुला अवसर नहीं देता तो इससे सर्वनाश होता है। धरती में भेदभाव बढ़ते हैं। पहले से बँटी हुई धरती और अधिक बँटती है। इससे मानवता का क्षय होता है। भावनाएँ एक होने की बजाय खंडित होती हैं। अतः गाँव, प्रदेश या अन्य संकीर्ण नियमों को तोड़कर हमें उदारता के साथ सबको अपनाना चाहिए।

प्रश्न 8. “तताँरा-वामीरो कथा एक सच्ची प्रेम-गाथा है”-सिद्ध कीजिए।
उत्तर: 
तताँरा वामीरो के मधुर गीत को सुनकर उस पर मुग्ध होता है। वामीरो की मधुर लय तताँरा के हृदय को वश में कर लेती है। वह वामीरो को चाहने लगता है। उसे वामीरो की धन-संपत्ति या मान-मर्यादा नहीं चाहिए। वह बस वामीरो का निश्छल हृदय चाहता है। इसीलिए वह उसे सामने पाकर निःशब्द निहारता रहता है। उसे वासना-पूर्ति का साधन भी नहीं बनाता। अतः हम कह सकते हैं कि यह सच्ची प्रेम-गाथा है।

9. डायरी का एक पन्ना – Short Questions answer

अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ‘डायरी का पन्ना’ में जुलूस और ध्वजारोहण को रोकने के लिए पुलिस ने क्या किया ?
उत्तर:
 पुलिस ने इस कार्यक्रम को रोकने के लिए शहर के प्रत्येक मोड़ पर गोरखे और सारजेंट तैनात कर दिए।

प्रश्न 2. पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों तथा मैदानों को क्यों घेर लिया था?
उत्तर:
 पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों तथा मैदानों को इसलिए घेर लिया था कि भारतीय जनता स्वतंत्रता का उत्सव न मना सके और झंडा फहराकर सभा न कर सके।

प्रश्न 3. विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर:
 विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर यह प्रतिक्रिया हुई उन्हें पुलिस ने पकड़ लिया और लोगों को मार कर हटा दिया।

प्रश्न 4. सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था ?
उत्तर:
 सुभाष बाबू के जुलूस का भार श्री पूर्णदास जी पर था।

प्रश्न 5. लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर किस बात का संकेत देना चाहते थे?
उत्तर:
 लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर इस बात संकेत देना चाहते थे कि मानो उन्हें स्वतंत्रता मिल गई हो।

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. 26 जनवरी, 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियाँ की गईं ?
उत्तर:
 26 जनवरी, 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए काफी तैयारियाँ की गईं, उनमें लोगों से चंदा वसूल करना, कार्य का भार अलग-अलग लोगों को सौंपा गया, कार्यकत्र्ता घर-घर जाकर प्रचार कर रहे थे और कार्यकत्र्ताओं को भी समझाया जा रहा था। मकानों, पार्कों की सजावट एवं कार्यक्रम सभा स्थल तय करने की तैयारियाँ की गई थीं।

प्रश्न 2. कलकत्तावासियों के लिए 26 जनवरी, 1931 का दिन क्यों महत्त्वपूर्ण था ?
उत्तर:
 कलकत्तावासियों के लिए 26 जनवरी, 1931 का दिन इसलिए महत्त्वपूर्ण था, क्योंकि इस दिन सारे हिंदुस्तान में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था, और इस वर्ष भी उसकी पुनरावृत्ति थी।

प्रश्न 3. अविनाश बाबू कौन थे? उनके झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई। बताइए।
उत्तर:
 अविनाश बाबू बंगाल प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री थे। उनके द्वारा झंडा गाड़ने पर पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया तथा अन्य लोगों को मार-पीट कर हटा दिया। 

प्रश्न 4. सुभाष बाबू ने कब और क्यों जुलूस निकाला ? लेखक ने इस दिन को अपूर्व क्यों कहा ?
उत्तर:
 सुभाष बाबू ने 26 जनवरी, 1931 को कोलकाता में भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के लिए तिरंगे झंडे को फहाराया था। अंग्रेज सरकार के तीव्र विरोध के बावजूद यह उत्सव उत्साहपूर्वक सम्पन्न हुआ था। लेखक ने इस दिन को इसीलिए अपूर्व कहा है।

प्रश्न 5. पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था ?
उत्तर:
 पुलिस कमिश्नर के नोटिस के अनुसार अमुक-अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती और कौंसिल के नोटिस के अनुसार मोनुमेंट के नीचे ठीक चार बजकर चैबीस मिनट पर झण्डा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। सर्व साधारण की उपस्थिति होनी चाहिए। अर्थात् कमिश्नर के अनुसार सभा नहीं हो सकती और कौंसिल के अनुसार सभा होगी। यही दोनों के नोटिस में अंतर था।

प्रश्न 6.‘आज जो बात थी वह निराली थी’-किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
 ‘आज जो बात थी वह निराली थी।’ बाजार, मकान, रास्ते ऐसे सजाए गए थे जैसे आज ही स्वतंत्रता मिल गई हो। रास्ते में जाते हुए मनुष्यों में उत्साह, नवीनता थी। इसी बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है। सभी लोग स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए उत्साह से युक्त थे सारा शहर सजाया गया था। स्थान-स्थान पर सुरक्षा की द्रष्टि से पुलिस के जवान तैनात थे। यह सब किसी निराली बात अथवा विशेष दिन का प्रतीक था।

प्रश्न 7. धर्म तल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया ?
उत्तर:
 धर्म तल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस इसलिए टूट गया, क्योंकि सुभाष बाबू को पकड़कर गाड़ी में बैठाकर लाॅकअप भेज दिया गया। स्त्रियाँ जुलूस बनाकर वहाँ से आगे चलीं तो बहुत भीड़ एकत्र हो गई थी पुलिस ने लाठी चार्ज शुरू कर दिया जिस कारण करीब 50.60 स्त्रियाँ वहीं मोड़ पर बैठ गईं और उन्हें पकड़कर पुलिस लाल बाजार ले गई थी।

प्रश्न 8. डाॅ. दास गुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख-रेख तो कर ही रहे थे, उनके फोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगों के फोटो खींचने की तुम्हारे विचार से क्या दो वजहें हो सकती थीं ?
उत्तर:
 डाॅ. दास गुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख-रेख तो कर ही रहे थे, उनके फोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगों के फोटो खींचने की हमारे विचार से दो वजह हो सकती थीं-
(1) वह फोटो इसलिए उतरवा रहे थे जिससे कि अंग्रेज सरकार के कारनामों को समाचार पत्र के माध्यम से देश के सामने ला सकें।
(2) वह अपने द्वारा मरीजों की देखभाल की फोटो खिंचवाकर स्मृति के रूप में रखना चाहते थे कि उन्होंने जुलूस में घायल लोगों की देख-रेख की थी।

प्रश्न 9. ‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ में क्या संदेश दिया गया है ?
उत्तर:
 ‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ को पढ़कर हमें यह संदेश मिलता है कि देश के सम्मान को सर्वोपरि समझना चाहिए। इसके लिए कष्ट सहने को भी तैयार रहना चाहिए। विदेशी शासन की क्रूरता से हमें घबराना नहीं चाहिए, हम जिस काम को करने का निश्चय कर लें उसे पूरा करके ही दम लेना चाहिए। यह पाठ हमें देश प्रेम और त्याग भावना का संदेश देता है।

प्रश्न 10. ‘डायरी का एक पन्ना’ आन्दोलनकारियों का ज्वलंत दस्तावेज है, कैसे ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
 26 जनवरी 1931 स्वतंत्रता दिवस में कोलकाता का योगदान बहुमूल्य था। पूरा कोलकाता आन्दोलन में सम्मिलित था। मकानों में राष्ट्रीय ध्वज फहराये गए। हर व्यक्ति घर जाकर झंडा फहराने और कानून तोड़ने का महत्त्व बताता। विद्यार्थी गण, महिलाएँ, व्यापारी, नेता सभी ने सभा स्थल पर कानून की परवाह किए बिना अहिंसक बनकर लाठियाँ झेलीं।

8. बड़े भाई साहब – Short Questions answer

प्रश्न 1: बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन-सी कक्षा में पढ़ते थे? 
उत्तर:
 बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में पाँच साल बड़े थे और वे नौवीं कक्षा में पढ़ते थे।

प्रश्न 2: बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे? 
उत्तर: 
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कापी, किताब के हाशियों पर जानवरों-पक्षियों के चित्र बनाया करते थे।


प्रश्न 3: कथानायक की रुचि किन कार्यों में थी? 
उत्तर: 
कथानायक की रुचि मैदान में कंकरियाँ उछालने, तितलियाँ उड़ाने और चारदीवारी पर चढ़कर नीचे कूदने आदि खेलों में थी।

प्रश्न 4: बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे? 
उत्तर:
 बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल यही पूछते थे – “कहाँ थे?”

प्रश्न 5: बड़े भाई ने पहले-पहल लेखक को किसलिए डाँटा?
उत्तर:
 बड़े भाई ने पहले-पहल लेखक को इसलिए डाँटा क्योंकि लेखक स्कूल से आकर सीधे मैदान में खेलने चला गया था और होमवर्क नहीं किया था। भाई साहब को यह देखकर बहुत बुरा लगा कि लेखक पढ़ाई की ओर ध्यान नहीं दे रहा है।

प्रश्न 6: बड़ा भाई लेखक को उम्र भर एक दरजे में पड़े रहने का डर क्यों दिखाता था? बड़े भाई साहब पाठ के आधार पर लिखिए। 
उत्तर:
 लेखक का बड़ा भाई अपने अज्ञान और अयोग्यता के कारण पढ़ाई से डरा हुआ है। उसे लगता है कि इतनी मेहनत के बाद भी जब वह फेल हो गया तो जरूर यह पढ़ाई बहुत कठिन है। इसी कारण वह लेखक को उम्र भर एक दरजे में पड़े रहने का डर दिखाता है।

प्रश्न 7: बड़े भाई साहब ने छोटे भाई पर रौब जमाने के लिए किस बात की दुहाई दी?
उत्तर:
 बड़े भाई साहब ने छोटे भाई पर रौब जमाने के लिए अपनी उम्र और अनुभव की दुहाई दी। उन्होंने कहा कि वे उससे पाँच साल बड़े हैं और अधिक अनुभव रखते हैं, इसलिए उनका कहना मानना चाहिए।

प्रश्न 8: बड़े भाई साहब उपदेश की कला में माहिर थे, पर छोटा भाई मेहनत से घबराता था, उसे क्या अच्छा लगता था?
उत्तर: 
बड़े भाई साहब जहाँ पढ़ाई और अनुशासन को जीवन का मुख्य आधार मानते थे, वहीं छोटा भाई मेहनत से घबराता था। वह मस्तमौला और निश्चिंत स्वभाव का था। उसे पढ़ाई से अधिक खेल-कूद, सैर-सपाटा, गप्पें लड़ाना और मटरगश्ती करना पसंद था। वह हर समय मौज-मस्ती में लगे रहना चाहता था।

प्रश्न 9: बड़े भाई साहब उपदेश देने की कला में निपुण थे, कैसे? 
उत्तर:
 बड़े भाई साहब उपदेश देने की कला में बहुत निपुण थे। वे छोटे भाई को समझाने के लिए तर्कों, अनुभवों और सूक्तियों का प्रभावशाली ढंग से प्रयोग करते थे। उनकी बातें इतनी गंभीर और लंबी होती थीं कि छोटा भाई उनका कोई उत्तर नहीं दे पाता था। उनके उपदेश सुनकर लेखक की हिम्मत टूट जाती थी और उसका पढ़ाई से मन हटने लगता था। उनकी डाँट और उपदेशों के डर से लेखक उनके पास जाने से भी कतराता था।

प्रश्न 10: ‘बड़े भाई साहब’ कहानी में छोटा भाई अपने बड़े भाई से किस प्रकार डरता था?
उत्तर:
 ‘बड़े भाई साहब’ कहानी में छोटा भाई अपने बड़े भाई की डाँट और सख्त स्वभाव से बहुत डरता था। बड़े भाई को देखते ही उसके प्राण सूख जाते थे। उसे ऐसा लगता था जैसे उसके सिर पर कोई नंगी तलवार लटक रही हो। बड़े भाई की बातें सुनकर वह सहम जाता था और उनसे बचकर रहने की कोशिश करता था।


प्रश्न 11: बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है? 
उत्तर:
 बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की सच्ची समझ पुस्तकों से नहीं, बल्कि अनुभवों से आती है। दुनिया देखकर, जीवन के संघर्षों से गुजरकर ही व्यक्ति समझदार बनता है। उनके अनुसार, अधिक पढ़ाई से अधिक समझ नहीं आती, बल्कि उम्र और अनुभव से ही व्यक्ति में परिपक्वता आती है।

प्रश्न 12: छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फायदा उठाया?
उत्तर: 
जब बड़े भाई साहब ने डाँटना-फटकारना छोड़ दिया और प्यार से बात करने लगे, तो छोटे भाई को लगा कि अब वे उसे कुछ नहीं कहेंगे। इससे वह और भी लापरवाह हो गया। उसे लगा कि वह बिना पढ़े भी पास हो जाएगा। वह पढ़ाई छोड़कर दूसरों के साथ पतंग उड़ाने और खेलने में समय बर्बाद करने लगा।

प्रश्न 13: छोटे भाई के मन में कौन-सी कुटिल भावना उदित हुई और क्यों? 
उत्तर: छोटे भाई के मन में अपने बड़े भाई के अगले साल भी फेल हो जाने की कुटिल भावना उत्पन्न हुई, क्योंकि यदि बड़े भाई साहब फिर से फेल हो जाते, तो वे दोनों एक ही कक्षा में आ जाते। ऐसा होने पर बड़ा भाई बात-बात पर उसका अपमान नहीं कर पाता।

प्रश्न 14: आदर्श स्थिति बनाए रखने के लिए बड़े भाई साहब का बचपन कैसे तिरोहित हो जाता है?
उत्तर: 
आदर्शवादी बड़े भाई साहब में भी अन्य बच्चों की तरह खेलने और पतंग उड़ाने की स्वाभाविक इच्छा होती है, लेकिन छोटे भाई के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करने के लिए वे अपनी इच्छाओं को दबा देते हैं। वे सोचते हैं कि यदि वे खुद अनुशासन से भटकेंगे, तो छोटे भाई के लिए अच्छा उदाहरण नहीं बन पाएँगे। इस प्रकार उनका बचपन दबकर तिरोहित हो जाता है।

प्रश्न 15: बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं?
उत्तर:
 बड़े भाई साहब पर छोटे भाई की निगरानी का दायित्व था। वे अध्ययनशील थे, समय के पाबन्द थे, अहंकार रहित, अनुभवी और समझदार थे। छोटे भाई के हित के लिए उन्हें अपने मन की इच्छाएँ दबानी पड़ती थीं, क्योंकि यदि वे स्वयं गलत राह पर चलेंगे तो अपने छोटे भाई की रक्षा एवं देख-रेख कैसे कर सकेंगे, अपने छोटे भाई के भविष्य की चिन्ता एवं कर्तव्य के कारण उन्हें अपने मन की सारी इच्छाओं को दबाना पड़ता था।

प्रश्न 16: ‘बड़े भाई साहब’ नामक कहानी से आपको क्या प्रेरणा मिलती है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
अथवा

‘बड़े भाई साहब’ पाठ से हमें क्या संदेश मिलता है ?
उत्तर: प्रस्तुत कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें अपनी स्थिति, क्षमता और सीमाओं को पहचानकर ही व्यवहार करना चाहिए। यदि हम स्वयं योग्य नहीं हैं, तो किसी अन्य को उपदेश देने का अधिकार भी नहीं रखते। साथ ही, यह कहानी हमें यह संदेश देती है कि पढ़ाई को बोझ नहीं, बल्कि समझदारी से करने का कार्य मानें। रटने की बजाय विषय को समझने का प्रयास करें। इसके अतिरिक्त, खेलकूद भी पढ़ाई में सहायक हो सकते हैं, यदि समय का संतुलन बना रहे।

प्रश्न 17: ‘बड़े भाई साहब’ कहानी के लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है?
उत्तर: 
‘बड़े भाई साहब’ कहानी में लेखक ने उस पढ़ाई के तरीके पर मज़ाक उड़ाया है जिसमें बच्चे सिर्फ रटते हैं, समझते नहीं। बड़े भाई हर समय किताबें रटते रहते हैं, लेकिन वे समझकर नहीं पढ़ते। उन्हें यह भी नहीं आता कि जो उन्होंने पढ़ा है, उसे अपनी भाषा में कैसे समझाएँ। इसलिए वे दिन-रात पढ़ाई करने के बाद भी थक जाते हैं और परीक्षा में सफल नहीं हो पाते।

7. आत्मत्राण – Short Questions answer

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. आत्मत्राण कविता में कवि किससे क्या प्रार्थना करता है?
उत्तर: आत्मत्राण कविता में कवि ईश्वर से प्रार्थना करते हुए भयमुक्त होकर बाधाओं को दूर करने की शक्ति माँगता है और आत्मबल व पुरुषार्थ की कामना करता है।

प्रश्न 2. आत्मत्राण कविता के आधार पर कवि निर्भय होकर क्या वहन करना चाहता है?
उत्तर:
 आत्मत्राण कविता के आधार पर कवि निर्भय होकर अपने उत्तरदायित्व को वहन करना चाहता है।

प्रश्न 3. सुख के दिनों में कवि को क्या अपेक्षा है?
उत्तर:
 कवि को सुख के दिनों में अहंकार मुक्त होकर विनम्र रहने की अपेक्षा है।

प्रश्न 4. दुःख आने पर कवि क्या नहीं करना चाहता?
उत्तर:
 दुःख आने पर कवि ईश्वर पर कोई संशय नहीं करना चाहता।

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. कवि किससे और क्या प्रार्थना कर रहा है?
अथवा
‘आत्मत्राण’ कविता में विपत्ति आने पर ईश्वर से कवि क्या प्रार्थना करता है ?
अथवा
‘आत्मत्राण’ कविता में कवि ने करुणामय से क्या प्रार्थना की है?
उत्तर:
 ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने करुणामय ईश्वर से प्रार्थना की है कि हे करुणामय मुझे विपदाओं से बचाओ, संकट के समय मैं कभी भयभीत न होऊँ। दुःखों पर मैं विजय प्राप्त कर सकूँ, बल और पुरुषार्थ नहीं हिले, हानि उठाने की क्षमता प्रदान करो। दुःख आने पर भी मैं आप पर कोई संशय नहीं करूँ तथा सुखों में मेरा कल्याण करो।

प्रश्न 2. ‘विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं’-कवि इस पंक्ति के द्वारा क्या कहना चाहता है ?
उत्तर:
 इस पंक्ति द्वारा कवि यह कहना चाहता है कि हे प्रभु। मुझे आप मुसीबतों और कठिनाइयों से भले ही न बचाओ। जब मेरा चित्त मुसीबतों तथा दुःखों से बेचैन हो जाए तो भले सांत्वना भी मत दो। पर हे प्रभु! बस आप इतनी कृपा अवश्य करना कि मैं मुसीबत तथा दुःखों से घबराऊँ नहीं, बल्कि उनको सहर्ष सहन कर उनका मुकाबला करूँ।

प्रश्न 3. कवि कोई सहायक न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है ?
उत्तर: 
कवि कहता है कि यदि ऐसी परिस्थिति आ जाए कि कोई सहायक भी न मिले, अर्थात् कोई सहायता करने वाला भी न हो तो भी मेरा आत्मबल, हिम्मत, साहस और बल-पौरुष बना रहे। अर्थात् कवि ईश्वर से साहस माँग रहा है ताकि वह दुःखों का सामना कर सके।

प्रश्न 4. ‘आत्मत्राण’ कविता के आधार पर बताइए कि दुःख और कष्टों के आने पर कवि ईश्वर से क्या चाहता है ?
उत्तर:
 कवि ईश्वर से विपदाओं से बचने की प्रार्थना नहीं करता अथवा दुःख-संताप से परेशान हृदय को सांत्वना देने की प्रार्थना नहीं करता, वह केवल यह प्रार्थना करता है कि वह विपदाओं से विचलित और भयभीत न हो। वह निर्भीक होकर उनका सामना करने की शक्ति चाहता है।

प्रश्न 5. ‘आत्मत्राण’ कविता की पंक्ति ‘तव मुख पहचानूँ छिन:छिन में’ का भाव अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: 
‘आत्मत्राण’ कविता की पंक्ति में यह भाव है कि मैं अपना सिर झुकाकर सुख के दिन में सुख को पहचान कर समय को बिताते हुए दुःख और सुख के महत्त्व को समझूँ उसके लिए प्रभु आप मुझे धैर्य गुण प्रदान करना।

प्रश्न 6. ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि अंत में क्या अनुनय/प्रार्थना करता है?
उत्तर:
 अंत में कवि यह अनुनय करता है कि मैं सिर झुकाकर सुख और दुःख दोनों प्रकार के दिन पहचानते हुए अपना समय व्यतीत कर सकूँ। दुःखों का सामना पृथ्वी पर रात्रि के व्यतीत होने की तरह प्रतीक्षा करके कर सकूँ।

प्रश्न 7. ‘आत्मत्राण’ शीर्षक की सार्थकता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘आत्मत्राण’ शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
 आत्मत्राण का अर्थ है-स्वयं अपनी सुरक्षा करना। इस कविता में कवि ईश्वर से सहायता नहीं माँगता। वह ईश्वर को हर दुःख से बचाने के लिए नहीं पुकारता। वह स्वयं अपने दुःख से बचने और उसके योग्य बनना चाहता है। इसके लिए वह केवल स्वयं को समर्थ बनाना चाहता है। इसलिए यह शीर्षक विषय वस्तु के अनुरूप बिलकुल सही और सटीक है।

प्रश्न 8. ‘आत्मत्राण’ कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर:
 यह कविता हमें प्रेरणा देती है कि हम भी संसार के दुःखों से न भागकर उन्हें निडर होकर सहन करें, उन पर विजय पाएँ और आस्थावान बने रहें हम परमात्मा से दुःख सहन करने की शक्ति माँगेंगे। हम सुख में भी परमात्मा को याद करना तथा उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करना न भूलें।

प्रश्न 9. ‘आत्मत्राण’ कविता का मुख्य संदेश क्या है ?
उत्तर:
 (1) हम-आत्मनिर्भर बनकर जीवन जिएँ।
(2) हम-अपने मन की शक्ति को पहचानकर विषम परिस्थितियों का सामना करें।
(3) हम-सुख-दुःख दोनों ही अवस्थाओं में एकसमान रहकर भगवान को याद करें।

प्रश्न 10. क्या कवि की यह प्रार्थना आपको अन्य प्रार्थना गीतों से अलग लगती है ? यदि हाँ, तो कैसे ?
अथवा
‘आत्मत्राण’ कविता की प्रार्थना अन्य प्रार्थना गीतों से भिन्न है, कैसे? सिद्ध कीजिए।
उत्तर: कवि की यह प्रार्थना अन्य अनेक प्रार्थनाओं से भिन्न है। अधिकांश प्रार्थनाओं में कष्ट हरने, इच्छा पूर्ति करने की याचना व ईश्वर आश्रय का अनुग्रह होता है। इसमें परमात्मा से आत्मविश्वास, मनोबल दृढ़ करने की कामना व कर्मठता, स्वावलम्बन की याचना की गई है।

प्रश्न 11. अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आप प्रार्थना के अतिरिक्त और क्या-क्या प्रयास करते हैं ? लिखिए।
उत्तर:
 अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए हम प्रार्थना के अतिरिक्त निम्न प्रयास करते हैं-
(1) अपने अभिभावकों से र्पूिर्त के लिए आग्रह करते हैं।
(2) स्वयं के परिश्रम एवं श्रम द्वारा इच्छाओं की पूर्ति करते हैं।
(3) जो इच्छाएँ सरलता से पूर्ण हो सकती हैं उनके लिए कोशिश करते हैं।

6. कर चले हम फ़िदा – Short Questions answer

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1: ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में धरती को दुल्हन क्यों कहा गया है ?
उत्तर:
 सैनिकों के रक्त से रंगी धरती लाल जोड़े में सजी दुल्हन की भाँति दिखाई दे रही है।

प्रश्न 2: ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में कवि ने ‘साथियो’ संबोधन किसके लिए किया है और क्यों ?
उत्तर: 
देशवासियों के लिए किया है।
देश की रक्षा के लिए सैनिकों का कारवाँ सदा आगे बढ़ाने की प्रेरणा देने के लिए।
व्याख्यात्मक हल:
कविता में कवि ने साथियो संबोधन देशवासियों के लिए किया है क्योंकि वे देश की रक्षा के लिए सैनिकों का कारवाँ सदा आगे बढ़ाने की प्रेरणा दे रहे हैं।

प्रश्न 3: ‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’ इस पंक्ति में हिमालय किस बात का प्रतीक है? 
उत्तर:
 इस पंक्ति में हिमालय सुरक्षा प्रहरी के रूप में भारतवर्ष की शान, स्वाभिमान तथा गर्व का प्रतीक है।

प्रश्न 4: ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में धरती को दुल्हन क्यों कहा गया है ?
उत्तर:
 सैनिकों के रक्त से रँगी धरती लाल जोड़े में सजी दुल्हन की भाँति दिखाई दे रही है।

प्रश्न 5: इस गीत में ‘सर पर कफ़न बाँधना’ किस ओर संकेत करता है। 
उत्तर:
 इस गीत में ‘सर पर कफ़न बाँधना’ भारतीय वीर सैनिकों की बलिदान भावना की ओर संकेत करता है।

प्रश्न 6: ‘कर चले हम फ़िदा’ गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या है?
उत्तर:
 भारत-चीन युद्ध
व्याख्यात्मक हल:
‘कर चले हम फ़िदा’ गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 1962 का भारत-चीन युद्ध है।लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1: कवि ने ‘साथियो’ सम्बोधन का प्रयोग किसके लिए किया है ?
उत्तर:
 कवि ने चीन के युद्ध में सीमाओं पर लड़ने वाले सैनिकों द्वारा साथियों शब्द भारत वर्ष के देशवासियों (युवा पीढ़ी) के लिए सम्बोधन के रूप में प्रयोग किया है।

प्रश्न 2: ‘कर चले हम फ़िदा’ गीत में कवि ने वीरों के प्राण छोड़ते समय का मार्मिक वर्णन किस प्रकार किया है? अपने शब्दों में लिखिए। 
उत्तर:
 प्राण छोड़ते समय वीर सैनिकों की साँसें थम रही थीं, नब्ज रुक रही थी लेकिन कदम बढ़ रहे थे। वे अपना सिर कटाकर भी देश का सिर ऊँचा रखना चाहते थे।
(छात्रों द्वारा दिया गया उपयुक्त वर्णन स्वीकार्य)
व्याख्यात्मक हल:
‘कर चले हम फ़िदा’ गीत में कवि ने वीरों के प्राण छोड़ते समय वीर सैनिकों की साँसे थम रही थीं, नब्ज़ रूक रही थी, लेकिन ऐसी स्थिति में वे अपने बढ़ते हुए कदमों को रुकने नहीं दे रहे थे। वे अपना सिर कटाकर भी देश के मुकुट ‘हिमालय’ को झुकने नहीं देना चाहते। वे इस देश की रक्षा, स्वाभिमान की सुरक्षा करेंगे।

प्रश्न 3: ‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’, इस पंक्ति में हिमालय किसका प्रतीक है और इससे कवि क्या कहना चाहता है ?
उत्तर:
 ‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’ इस पंक्ति में बताया गया है कि हिमालय पर्वत हमारा सुरक्षा प्रहरी है तथा स्वाभिमान, गर्व और भारतवर्ष की शान का प्रतीक है। कवि का आग्रह है कि हमारा सिर कट जाए परन्तु हम देश के मुकुट ष्हिमालयष् का सिर झुकने नहीं देंगे। हम बलिदान के लिए तैयार हैं और हमें अपने साथियों एवं भावी पीढ़ी पर गर्व है कि वे हमारे देश की रक्षा एवं स्वाभिमान की सुरक्षा करते रहेंगे।

प्रश्न 4: इस गीत में धरती को दुल्हन क्यों कहा गया है ?
उत्तर:
 इस गीत में धरती को दुल्हन इसलिए कहा गया है, क्योंकि धरती हमारी मातृ भूमि है और इसका प्राकृतिक स्वरूप एक दुल्हन के शृंगार की तरह है। जिस प्रकार दूल्हा, दुल्हन से विवाह करने के लिए जाता है, वैसे ही हमारे सैनिक भारत की भूमि की रक्षा हेतु बलिदान के मार्ग पर सर पर कफन बाँधकर जाते हैं। ऐसा लगता है कि वे दुल्हन से विवाह करने जा रहे हैं।

प्रश्न 5: कवि ने इस कविता में किस कापि़ळले को आगे बढ़ते रहने की बात कही है ?
उत्तर: 
कवि ने इस कविता में बलिदान के मार्ग पर आगे बढ़ने वाले वीरों, सैनिकों एवं युवकों के कापि़ळले को आगे बढ़ाते रहने की बात कही है।

प्रश्न 6: इस गीत में ‘सर पर कफ़न बाँधना’ किस ओर संकेत करता है ? यह कहकर कवि देश के सेवकों से क्या आशा करता है ?
उत्तर
: इस गीत में ष्सर पर कफ़न बाँधनाष् भारतीय वीर सैनिकों की बलिदान भावना की ओर संकेत करता है। वे मर-मिटने की भावना से विदेशी आक्रमण का मुकाबला करते हैं। कवि देश के युवकों से आशा करता है कि वे देश की सुरक्षा के लिए बलिदान देने को सदा तत्पर रहेंगे।

प्रश्न 7:. सीतारूपी भारत माता की रक्षा के लिए कवि देश के युवाओं से क्या अपेक्षाएँ रखता है और क्यों ?
उत्तर:
 कवि सीतारूपी भारतमाता की रक्षा के लिए देश के युवाओं से राम और लक्ष्मण बन रावण-समान शत्रुओं का नाश करने को कहता है। अर्थात् वह भारत की पवित्रता को कलंकित करने को उठे हाथों को जड़ से मिटाने को कहता है।

प्रश्न 8: क्या इस गीत की कोई ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है ?
अथवा
यह गीत किस पृष्ठभूमि में लिखा गया था? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
 यह गीत ‘हकीकत’ फिल्म के लिए लिखा गया था। यह फिल्म 1962 ई. में हुए भारत-चीन युद्ध की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित है। चीन ने तिब्बत की ओर से भारत पर आक्रमण किया। उस युद्ध में भारतीय वीरों ने बहुत कठिन परिस्थितियों में आक्रमण का मुकाबला किया तथा अपने को बलिदान कर दिया।

प्रश्न 9: सैनिक का जीवन कैसा होता है? ‘कर चले हम फ़िदा’ गीत के आधार पर बताइए।
उत्तर: 
सैनिक का जीवन साधारण लोगों के जीवन के विपरीत होता है। वह अपने लिए ही नहीं जीता, औरों के जीवन पर, जब उनकी आज़ादी पर आ बनती है तब मुकाबले के लिए अपना सीना तान कर खड़ा हो जाता है। यह जानते हुए भी कि उस मुकाबले में औरों की ज़िंदगी और आज़ादी भले ही बची रहे, उसकी अपनी मौत की संभावना सबसे अधिक होती है।

प्रश्न 10: गीत में ऐसी क्या खास बात होती है कि वे जीवन भर याद रह जाते हैं?
उत्तर: 
गीत में भावना की सच्चाई, मार्मिकता और गेयता ऐसे गुण होते हैं जिनके कारण कोई भी गीत सदा-सदा के लिए याद रहता है। यह गीत भी बलिदान भावना की मार्मिकता से ओत-प्रोत है। इसमें लय और संगीत का भी अद्भुत मेल है। इस कारण यह गीत भुलाए नहीं भूलता।

प्रश्न 11: ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है ? 
उत्तर:
 इस गीत को पढ़कर हमें देशहित, बलिदान और संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती है। जब देश पर कोई विदेशी आक्रमणकारी चढ़ आया हो, तब हमें जी जान लगाकर देश की रक्षा करनी चाहिए। युद्ध में चाहे कितने भी संकट आएँ, मौत सामने आ जाए, तो भी हमें बलिदान देने से पीछे नहीं हटना चाहिए। हमें एक के बाद एक बलिदानी काफिले तैयार करने हैं ताकि आखिरी दम तक हम देश की रक्षा में काम आ सकें।

प्रश्न 12: निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) साँस थमती गई नब्ज जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया।
(ख) खींच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर
इस तरफ आने पाए न रावण कोई।
(ग) छूने पाए न सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो। 

उत्तर: (क) भाव-बलिदान की राह पर अपने प्राणों का बलिदान करने के लिए तत्पर सैनिक कह रहा है, उसकी साँसें थम गई हैं, नब्ज जम गयी है, लेकिन वह अपने बढ़ते हुए कदमों को निरन्तर आगे बढ़ाते हुए शत्रु सैनिकों का सामना कर रहा है।
(ख) भाव-सैनिक बलिदान के मार्ग पर अपने प्राणों का त्याग करते हुए अपने साथियों से कह रहा है, तुम अपने रक्त से जमीन पर एक लकीर खींच दो जो सीमा रेखा के रूप में हो, तुम्हारे भय से सीमा पार देश से कोई शत्रु रूपी रावण यहाँ प्रवेश न कर सके।
(ग) भाव- इस पंक्ति में कवि सैनिक के द्वारा हमें सम्बोधित करते हुए कह रहा है, हे साथियो! शत्रु देश का कोई भी सैनिक हमारी मातृभूमि में प्रवेश करके हमारी सीता रूपी भारतमाता को अपमानित न कर सके। तुम ही राम हो, तुम ही लक्ष्मण हो।

5. तोप – Short Questions answer

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1: 1857 की तोप को साल में दो बार क्यों चमकाया जाता है ?
उत्तर: 
1857 की तोप को साल में दो बार इसलिए चमकाया जाता है क्योंकि इसे प्रदर्शन के लिए सदा तैयार रखा जाता है।

प्रश्न 2: ‘मुँह बन्द होना’ मुहावरा ‘तोप’ कविता में क्या लाक्षणिक अर्थ बताता है?
उत्तर: 
‘मुँह बन्द होना’ मुहावरा ‘तोप’ कविता में यह लाक्षणिक अर्थ बताता है कि तोप का आग उगलने वाला मुँह अब हमेशा के लिए बंद हो गया है।

प्रश्न 3: कम्पनी बाग में रखी तोप अपना परिचय किस प्रकार देती है-अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
 तोप सैलानियों को अपना परिचय इस प्रकार देती है:”मैं बड़ी जबरदस्त रही हूँ। अपने जमाने में मैं इतनी भयंकर थी कि मैंने न जाने कितने शूरवीरों की धज्जियाँ उड़ा डाली थी।“

प्रश्न 4: कम्पनी बाग और तोप को साल में दो बार क्यों सजाया जाता है ?
उत्तर: कम्पनी बाग और तोप को 15 अगस्त और 26 जनवरी को सजाया जाता है। ये दिन हमारे राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन अवसरों पर हम अपनी आजादी को याद करते हैं। इन दिनों, हम उन कारणों को भी स्मरण करते हैं जिनकी वजह से हम गुलाम हुए और उन लोगों को भी, जिनके माध्यम से हमने गुलामी पर विजय प्राप्त की।

प्रश्न 5: तोप किस समय की है और इसे कहाँ रखा गया है ?
उत्तर:
 तोप सन् 1857 की है और इसे कानपुर के कम्पनी बाग के मुहाने पर रखा गया है।

प्रश्न 6: तोप सैलानियों को किसकी याद दिलाती है ? 
उत्तर:
 तोप सैलानियों को अंग्रेजों के अत्याचार की याद दिलाती है।

प्रश्न 7: तोप को किन दो अवसरों पर चमकने की बात की गई है ? 
उत्तर:
 तोप को स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर चमकाने की बात कही गई है।

प्रश्न 8: तोप ने किन सूरमाओं के धज्जे उड़ा दिये थे ? 
उत्तर: 
तोप ने अंग्रेजों के विरूद्ध स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले सूरमाओं के धज्जे उड़ा दिए थे।

प्रश्न 9: ‘1857 की तोप’ से कवि का संकेत किस घटना की ओर है ? 
उत्तर: 
‘1857 की तोप’ से कवि का संकेत 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की ओर है।

प्रश्न 10: आज तोप की क्या स्थिति है ?
उत्तर:
 आज तोप पर छोटे लड़के घुड़सवारी करके आनंद लेते हैं चिड़िया उस पर बैठकर चहचहाती हैं क्योंकि उसका आतंक अब समाप्त हो चुका है।

प्रश्न 11: एक दिन किसका मुँह कैसे बंद हो जाता है ? 
उत्तर: बदलते समय के साथ प्रत्येक का मूल्य व शक्ति समाप्त हो जाती है अर्थात् उसका मुँह बंद हो जाता है।

प्रश्न 12: कम्पनी बाग में रखी तोप क्या सीख देती है ? 
उत्तर:
 कम्पनी बाग में रखी तोप हमें भविष्य में विदेशियों को अपने देश में प्रवेश न करने देने की सीख सिखाती है।

प्रश्न 13: कभी-कभी शैतानी में चिड़ियाँ क्या करती हैं ? 
उत्तर:
 कभी-कभी शैतानी में चिड़ियाँ तोप के पुराने कल-पुर्जों से छेड़खानी करती हैं।

प्रश्न 14: चिड़ियाँ तोप के सम्बन्ध में क्या बताने का प्रयास करती हैं ? 
उत्तर:
 चिड़ियाँ तोप के सम्बन्ध में यह बताने का प्रयास करती हैं कि तोप चाहे कितनी भी बड़ी या विकराल हो एक दिन उसकी शक्ति क्षीण हो जाती है।

प्रश्न 15: तोप और चिड़ियाँ किसके प्रतीक हैं? 
उत्तर: 
तोप युद्ध का और चिड़ियाँ मासूमियत का प्रतीक है।

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: ‘तोप’ कविता में सैलानी तोप के विषय में क्या जान पाते हैं?
उत्तर:
 ‘तोप’ कविता में सैलानी तोप के विषय में जान पाते हैं कि इस तोप से बड़े-बड़े सूरमा मारे गए थे। वे उस समय में उस तोप की शक्ति के विषय में भी जान पाते हैं।

प्रश्न 2: ‘अच्छे-अच्छे सूरमाओं के धज्जे’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है ? 
उत्तर:
 कवि अच्छे-अच्छे सूरमाओं के धज्जे के माध्यम से कहना चाहता है कि भारत के पहले स्वतन्त्रता संग्राम में बड़े-बड़े क्रान्तिकारियों ने अपनी जान की बाजी लगाई थी। कम्पनी बाग में रखी तोप ने ही उन्हें दबाने के लिए उन पर गोले चलाए थे जिससे उन वीरों की धज्जियाँ उड़ गई थीं।

प्रश्न 3: विरासत में मिली चीजों की बड़ी सँभाल क्यों होती है ? स्पष्ट कीजिए।
                                                अथवा

विरासत में मिली चीजों को सँभालकर रखने के पीछे क्या उद्देश्य है ?
उत्तर:
 विरासत में मिली चीजों की सुरक्षा बड़ी सँभालकर इसलिए होती है, क्योंकि वह हमें अपने पूर्वजों से प्राप्त होती हैं। उनका अपना महत्त्व और इतिहास होता है। उदाहरण के लिए 1857 की तोप जो कम्पनी बाग के प्रवेश द्वार पर स्थित है वह हमें अंग्रेजों द्वारा सौंपी गई थी, जिसकी सँभाल भी की जाती है।

प्रश्न 4: निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) उड़ा दिए थे मैंने
अच्छे-अच्छे सूरमाओं के धज्जे। 
(ख) वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप,
एक दिन तो होना ही है उसका मुँह बंद।
(ग) अब तो बहरहाल
छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फारिग हो
तो उसके ऊपर बैठकर
चिड़ियाँ ही अक्सर करती हैं गपशप।
उत्तर:
 (क) भाव- 1857 की तोप के इतिहास और उसके कार्यों का वर्णन करते हुए कहा गया है कि इस तोप ने अच्छे-अच्छे वीर योद्धाओं के चिथड़े-चिथड़े उड़ा दिए थे। ब्रिटिश काल में अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता के वीर सेनानियों को इस तोप से बाँधकर उड़ा दिया जाता था। यही इस तोप का इतिहास है जिसका वर्णन यहाँ प्रस्तुत पंक्तियों में किया गया है।
(ख) भाव- गौरेया चिड़िया तोप के अंदर प्रवेश करके यह बताती है कि शक्तिशाली व्यक्ति का समय बदलने पर उसकी स्थिति तोप जैसी हो जाती है। बड़ी से बड़ी तोप का भी मुँह एक दिन बंद होता है।
(ग) भाव- ‘तोप’ नामक कविता पाठ के माध्यम से बदलती हुई परिस्थिति में तोप की दशा का वर्णन करते हुए कवि श्री वीरेन डंगवाल कह रहे हैं-तोप का उपयोग वर्तमान हालात में छोटे बच्चों द्वारा घुड़सवारी के रूप में किया जाता है जब बच्चे इस खेल से निपट जाते हैं तब तोप के ऊपर चिड़ियाँ आकर हमेशा बातचीत करती हुई दिखाई देती हैं।

प्रश्न 5: कम्पनी बाग में रखी गई तोप क्या सीख देती है ? 
                                    अथवा

कम्पनी बाग में रखी तोप क्या संदेश देती है ?
उत्तर: कम्पनी बाग में रखी गई तोप यह सीख देती है कि जो वर्तमान है वह आगे चलकर भूतकाल में बदल जाएगा और वह कल एक इतिहास के रूप में कहलाएगा। शक्तिशाली कल के परिवर्तित होने पर कल कमजोर (निर्बल) हो जाएगा। जिस प्रकार शक्तिशाली तोप कमजोर रूप में कम्पनी बाग के प्रवेश द्वार पर आज बच्चों, पक्षियों के मनोरंजन का केंद्र बनी हुई है।