(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (☆) बनाइए-
(1) “जैसे पौधे को भली-भांति सब भेद पता लग गया हो” पौधे को कौन-सा भेद पता लग गया?
उसे उलटा लटकाया गया था।
उसे किसी ने सजा दी थी।
बच्चे को गिला रखना नहीं आया।
प्रकाश ऊपर से आ रहा है।
उत्तर: उसे उलटा लटकाया गया था। (☆)
(2) पेड़-पौधे जीव-जंतुओं के जैसे कैसे हैं?
हमारे जैसे ही सांस लेते हैं।
हमारे जैसे ही भोजन ग्रहण करते हैं।
हवा को शुद्ध करके सहायता करते हैं।
धरती पर हमारे साथ ही जन्मे हैं।
उत्तर: हवा को शुद्ध करके सहायता करते हैं। (☆)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने? उत्तर: पौधे को गमले में औंधा लटकाया गया था। पौधे का सिर नीचे लटक रहा था और जड़े ऊपर की तरफ थीं। एक-दो दिन बाद पौधे को इन सबके भेद का पता चल गया। इस पृथ्वी पर ऐसे जहरीले गैस होते हैं, जिनकी वजह से इस पृथ्वी पर जो जीव-जंतु रहते हैं, वे नष्ट हो जाएंगे। लेकिन, ये जहरीले गैस पेड़-पौधों के लिए उपयोगी होते हैं। पेड़-पौधे इन गैसों का सेवन करके सबको ऑक्सिजन प्रदान करते हैं।पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
(क) “पेड़-पौधों के रेशे- रेशे में सूरज की किरणें आबद्ध हैं। ईंधन को जलाने पर जो प्रकाश व ताप बाहर प्रकट होता है, वह सूर्य की ही ऊर्जा है। उत्तर: चूँकि सूर्य की किरणों के स्पर्श से ही पेड़-पौधे पल्लवित और पुष्पित होते हैं, इसलिए पेड़-पौधों के रेशे-रेशे में सूर्य का प्रकाश व्याप्त होता है। स्पष्ट है कि जब ईंधन जलाया जाता है, तो जो ताप बाहर निकलता है, वह सूर्य द्वारा प्रदत्त प्रकाश ही है।
(ख) “मधुमक्खी व तितली के साथ वृक्ष की चिरकाल से घनिष्ठता है। वे दल-बल सहित फूल देखने आती हैं।’ उत्तर: मधुमक्खी और तितली के साथ पेड़-पौधों की घनिष्ठता दीर्घ काल से है। वृक्ष अपने फूलों में शहद का संचय करके रखते हैं, और मधुमक्खी और तितली बड़े चाव से मधुपान करती हैं। पौधों, मधुमक्खियों और तितलियों के बीच यह रिश्ता अनंत काल से चला आ रहा है। मधुमक्खी के आगमन से पौधों को भी लाभ होता है, क्योंकि मधुमक्खियाँ एक फूल के पराग कण दूसरे फूल पर ले जाती हैं, और पराग कण के बिना फूल पक नहीं सकता।
मिलकर करें मिलान
पाठ में से चुनकर कुछ वाक्यांश नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थ या संदर्भ से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं
सोच-विचार के लिए
पाठ को एक बार फिर से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-
(क) बीज के अंकुरित होने में किस-किस का सहयोग मिलता है? उत्तर: बीज के अंकुरित होने में सहयोग मिलता है-
मिट्टी में उपस्थित जल तथा द्रव्य पदार्थों का
सूर्य के प्रकाश का
मनुष्यों द्वारा छोड़ी गई अंगारक वायु (कार्बन डाईऑक्साइड का )
जड़ों द्वारा माटी से रसपान का ।
(ख) पौधे अपना भोजन कैसे प्राप्त करते हैं? उत्तर: हरी पत्तियों में उपस्थित क्लोरोफिल तथा सूर्य- के प्रकाश की सहायता से पौधे अपना भोजन बनाते हैं। हमारे प्रश्वास द्वारा छोड़ी गई अंगारक वायु यानी दूषित वायु ।लेख की रचना
इस लेख में एक के बाद एक विचार को लेखक ने सुसंगत रूप से प्रस्तुत किया है। गमले को औंधा लटकाना या मूली काटकर बोना जैसे उदाहरण देकर बात कहना इस लेख का एक तरीका है। अपने तथ्य को वास्तविकता या व्यावहारिकता से जोड़ना भी इस लेख की विशेषता है।
(क) जैसे लेखक ने ‘पेड़ की बात’ कही है वैसे ही अपने आस-पास की चीजें देखिए और किसी एक चीज़ पर लेख लिखिए, जैसे-गेहूँ की बात। उत्तर: गेहु की बुवाई अक्तूबर महीने में की जाती है। गेहु की फसल रबी फसल की एक प्रमुख फसल है। गेहु का सबसे ज्यादा उत्पादन पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली में लिया जाता है। अक्तूबर के समय से गेहु की बुवाई की जाती है। इसकी फसल को सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसके बाद गेहु के लिए कीटनाशकों की छिड़काई करना जरूरी होता है। खेत में कीड़े न फैलें, इसके लिए कीटनाशक का भी उपयोग करना जरूरी होता है। जब गेहु पक जाते हैं तो उसमें कितनी नमी है, इसकी जांच करना जरूरी होता है।
(ख) उसे कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए। उत्तर: यह गतिविधि विद्यार्थियों के बीच विचारों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने के लिए है।
अनुमान या कल्पना से
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए।
(क) “इस तरह संतान के लिए अपना जीवन न्योछावर करके वृक्ष समाप्त हो जाता है।” वृक्ष के समाप्त होने के बाद क्या होता है? उत्तर: वृक्ष समाप्त होने के बाद भी हमारे लिए बहुत कुछ करते हैं। पेड़ों की लकड़ी, ईंधन तथा फर्नीचर बनाने के काम आती है। धरती पर गिरे बीज मिट्टी से द्रव्य पदार्थ लेकर पुनः पौधे के रूप में उगने लगते हैं और फिर एक नया पेड़ बन जाता है। यही चक्र चलता रहता है।
(ख) पेड़-पौधों के बारे में लेखक की रुचि कैसे जागृत हुई होगी? उत्तर: पेड़-पौधों के प्रति लेखक की रुचि जागृत होने का सबसे बड़ा कारण था- वातावरण से जुड़ना। पेड़ों की हरियाली, ताज़ी हवा और उपवन के खिले रंग-बिरंगे फूलों को देखकर वह प्रसन्न होते थे। धीरे-धीरे लेखक के मन में यह विचार आया होगा कि ये पेड़ कितने होंगे। प्रवाह चार्ट
बीज से बीज तक की यात्रा का आरेख पूरा किजिये
शब्दों के रूप
नीचे दिए गए चित्र को देखिए यहाँ मिट्टी से जुड़े, कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं जो उसकी विशेषता बता रहे हैं। अब आप पेड़, सर्दी, सूर्य जैसे शब्दों की विशेषता बताने वाले शब्द बॉक्स बनाकर लिखिए-
उत्तर: (i) पेड की विशेषता बताने वाले शब्द-
(ii) सर्दी की विशेषता बताने वाले शब्द-
(iii) सूर्य की विशेषता बताने वाले शब्द – पाठ से आगेमेरे प्रिय
नीचे दी गई तालिका से प्रत्येक के लिए अपनी पसंद के तीन-तीन नाम लिखिए-
आज की पहेली
इस शब्द सीढ़ी में पाठ में आए शब्द हैं। उन्हें पूरा कीजिए और पाठ में रेखांकित कीजिए-
उत्तर:
1. रात 2. तमाम 3. ममता 4. ताप 5. पल्लव 6. वसंत 7. तना 8. नाम 9. मज़बूत 10. तरल 11. लटक 12. कथा
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए-
(1) हिरण समूह में क्यों खड़े थे?
भागने पर उन्हें सिंह के आक्रमण का डर था।
वे भाग चुके हिरणों के लौटने की प्रतीक्षा में थे।
वे बीच खड़े असावधान जिराफ की रक्षा कर रहे थे।
सिंह उनसे उदासीन थे अत: उन्हें कोई खतरा नहीं था।
उत्तर: भागने पर उन्हें सिंह के आक्रमण का डर था।(★)
(2) मॉरिशस छोटे पैमाने पर भारतवर्ष ही है। कैसे?
गन्ने की खेती अधिकांशतः भारतीयों द्वारा की जाती है।
अधिकांश जनसंख्या भारत से जाने वालों की है।
सभी भारतीय परली तालाब पर एकत्र होते हैं।
भारत की बहुत-सारी विशेषताएँ वहाँ दिखाई देती हैं।
उत्तर: भारत की बहुत-सी विशेषताएँ वहाँ दिखाई देती हैं।(★)
(ख) अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने? उत्तर: मैंने पहले प्रश्न का उत्तर इसलिए चुना कि हिरण समूह में खड़े थे ताकि वे सिंह के हमले से बच सकें। भागने पर उन पर सिंह का हमला होने का डर था, इसलिए वे स्थिर खड़े रहे। दूसरे प्रश्न का उत्तर मैंने इसलिए चुना क्योंकि मॉरिशस में भारत की कई विशेषताएँ पाई जाती हैं, जैसे वहाँ की जनसंख्या, भाषा, और संस्कृति में भारतीयता की झलक मिलती है, जिससे वह छोटे पैमाने पर भारत जैसा प्रतीत होता है।पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए। “भारत में बैठे-बैठे हम यह नहीं समझ पाते कि भारतीय संस्कृति कितनी प्राणवती और चिरायु है। किंतु, मॉरिशस जाकर हम अपनी संस्कृति की प्राणवत्ता का ज्ञान आसानी से प्राप्त कर लेते हैं।” उत्तर: इस पंक्ति का मतलब है कि भारत में रहते हुए, हम अपनी संस्कृति की ताकत और महत्व को पूरी तरह से नहीं समझ पाते हैं। लेकिन जब हम मॉरिशस जैसे विदेशों में जाते हैं, तो हमें अपनी संस्कृति की असली ताकत और जीवन्तता का एहसास होता है। वहाँ भारतीय संस्कृति को देखकर हमें समझ में आता है कि हमारी संस्कृति कितनी मजबूत और लंबे समय तक टिकने वाली है।सोच-विचार के लिए
इस यात्रा वृत्तांत को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए-
(क) “नैरोबी का नेशनल पार्क चिड़ियाघर नहीं है।” नेशनल पार्क और चिड़ियाघर में क्या अंतर है? उत्तर: “नैरोबी का नेशनल पार्क चिड़ियाघर नहीं है। ” नेशनल पार्क और चिड़ियाघर में अंतर- नेशनल पार्क एक बहुत बड़ा जंगल होता है जो शहर से बाहर होता है। इसमें घास अधिक होती है, लेकिन पेड़ कम होते हैं। यहां अच्छी सड़कें होती हैं जहां पर्यटक गाड़ियाँ चला सकते हैं। नेशनल पार्क में शेर और हिरण स्वतंत्र रूप से घूमते हैं। चिड़ियाघर में पशु-पक्षी तथा शेर, हिरण अन्य जानवर एक सीमित क्षेत्र में ही रहते हैं। जिसके लिए कुछ निर्धारित स्थान निवास के लिए बनाए जाते हैं जो कि एक सीमित दायरा होता है।
(ख) “हम लोग पेड़-पौधे और खरपात से भी बत बदतर समझे गए। वे कौन थे जिन्होंने लेखक और अन्य लोगों को पेड़-पौधों और खरपात से भी बदतर समझ लिया था? उन्होंने ऐसा क्यों समझ लिया था? उत्तर: “हम लोग पेड़-पौधे और खरपात से भी बदतर समझे गए।” लेखक और अन्य लोग जब दस-बीस मील के भीतर हर सड़क छान लेने के बाद उस स्थान पर पहुँचे जहाँ सात-आठ सिंह लेटे या सोए हुए थे, तो उन सिंहों को यह जानने की कोई इच्छा नहीं थी कि उन्हें देखने को आने वाले लोग कौन हैं। उन सिंहों ने कभी भी दृष्टिपात नहीं किया मानो ये लोग (लेखक और अन्य लोग) तुच्छातितुच्छ हो और उनकी नजर में आने के योग्य बिल्कुल नहीं है। एक सिंह ने उठकर जम्हाई ली दूसरे ने देह को ताना, मगर उनकी और नजर नहीं उठाई। तब उन लोगों को लगा कि- हम लोग पेड़-पौधे और खरपात से भी बदतर समझे गए।
(ग) “मॉरिशस की असली ताकत भारतीय लोग ही हैं।” पाठ में इस कथन के समर्थन में कौन-सा तर्क दिया गया है? उत्तर: “मॉरिशस की असली ताकत भारतीय लोग ही हैं। ” मॉरिशस वह देश है जहाँ की जनसंख्या के 67 प्रतिशत लोग भारतीय खानदान के हैं तथा जहाँ 53 प्रतिशत लोग हिंदू ही हैं। मॉरिशस में ऊख की खेती और उसके व्यवसाय को जो सफलता मिली है, भारतीयों के कारण मिली है। मॉरिशस की असली ताकत भारतीय लोग ही हैं।
(घ) “उस द्वीप को उन्होंने छोटा-सा हिंदुस्तान बना डाला।” भारत से गए लोगों ने मॉरिशस को हिंदुस्तान जैसा कैसे बना दिया है? उत्तर: “उस द्वीप को उन्होंने छोटा-सा हिंदुस्तान बना डाला ” मॉरिशस वह देश है जिसकी राजधानी पोर्टलुई की गलियों के नाम- कलकत्ता, मद्रास, हैदराबाद और बंबई हैं तथा जिसके एक मोहल्ले का नाम काशी है। मॉरिशस वह देश है, जहाँ बनारस भी है, गोकुल भी है और ब्रह्म स्थान भी है। मॉरिशस जाकर हम अपनी संस्कृति की प्राणवत्ता का ज्ञान आसानी से प्राप्त कर लेते हैं। मालिकों की इच्छा थी कि भारतीय लोग भी ईसाई बन जाएँ, लेकिन भारतीयों ने अत्याचार तो सहे, लेकिन ईसाई धर्म को ठुकरा दिया। वे अपने धर्म पर डटे रहे और जिस द्वीप में भगवान ने उन्हें भेज दिया था, उस द्वीप को उन्होंने छोटा-सा हिंदुस्तान बना डाला।
मिलकर करें मिलान
पाठ में से कुछ शब्द चुनकर स्तंभ 1 में दिए गए हैं। उनसे संबंधित वाक्य स्तंभ 2 में दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और रेखा खींचकर शब्दों का मिलान उपयुक्त वाक्यों से कीजिए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट, पुस्तकालय या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर:
यात्रा-वृत्तांत की रचना
“इतने में कोई मील-भर की दूरी पर हिरनों का एक झुंड दिखाई पड़ा। अब दो जवान सिंह उठे और दो ओर को चल दिए। एक तो थोड़ा-सा आगे बढ़कर एक जगह बैठ गया, लेकिन दूसरा घास के बीच छिपता हुआ मोर्चे पर आगे बढ़ने लगा।” इन वाक्यों को पढ़कर ऐसा लगता है मानो हम लेखक की आँखों से स्वयं वह दृश्य देख रहे हैं। मानो हम स्वयं भी उस स्थान की यात्रा कर रहे हैं, जहाँ का वर्णन लेखक ने किया है। यह इस यात्रा-वृत्तांत की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। यदि आप इस यात्रा-वृत्तांत को थोड़ा और ध्यान से पढ़ेंगे तो आपको और भी बहुत सी विशेषताए पता चलेंगी। इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और इसकी रचना पर ध्यान दीजिए। आपको जो विशेष बातें दिखाई दें, उन्हें आपस में साझा कीजिए और लिख लीजिए। जैसे- लेखक ने बताया है कि वह एक स्थान से दूसरे स्थान तक कैसे और कब पहुँचा । उत्तर: इस पाठ की कुछ प्रमुख रचनात्मक विशेषताएँ इस प्रकार हैं: (क) लेखक की सिंहों से मुलाकात का वर्णन। (ख) लेखक द्वारा सिंहों और हिरनों के झुंड की गतिविधियों का वर्णन। (ग) लेखक के द्वारा मॉरिशस की भौगोलिक स्थिति का वर्णन। (घ) लेखक के द्वारा शिवरात्रि का वर्णन।अनुमान या कल्पना से
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-
(क) “मॉरिशस वह देश है, जहाँ बनारस भी है, गोकुल भी है और ब्रह्मस्थान भी । ” मॉरिशस में लोगों ने गली-मोहल्लों के नाम इस तरह के क्यों रखे होंगे? उत्तर: मॉरिशस में लोगों ने गली-मोहल्लों के नाम जैसे “बनारस,” “गोकुल,” और “ब्रह्मस्थान” इसलिए रखे होंगे क्योंकि मॉरिशस में रहने वाले भारतीय मूल के लोग अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहना चाहते थे। इन नामों के माध्यम से उन्होंने अपनी भारतीय पहचान और धार्मिक आस्था को बनाए रखा है, जिससे वे अपने मूल देश की यादों और परंपराओं को संजोए रखते हैं।
(ख) “कोई सात-आठ सिंह लेटे या सोए हुए और उन्हें घेरकर आठ-दस मोटरें खड़ी थीं । ” आपने पढ़ा कि केन्या का राष्ट्रीय पार्क पर्यटकों से भरा रहता है। पर्यटक जंगली जानवरों को घेरे रहते हैं। क्या इसका उन पशुओं पर कोई प्रभाव पड़ता होगा ? अपने उत्तर के कारण भी बताइए । (संकेत- राष्ट्रीय पार्क के बंदरों, सिंहों का व्यवहार भी बदल गया है। ) उत्तर: पर्यटकों द्वारा जंगली जानवरों को घेरे रहने का उन पशुओं पर प्रभाव पड़ता है। जानवरों का स्वाभाविक व्यवहार बदल सकता है, जैसे कि बंदर और सिंह मानव उपस्थिति के कारण अधिक आक्रामक या उदासीन हो सकते हैं। लगातार मानव संपर्क से उनकी प्राकृतिक प्रवृत्तियाँ कमज़ोर हो सकती हैं, और वे अपनी प्राकृतिक जीवन शैली से दूर हो सकते हैं।
(ग) “हिरनों का एक झुंड दिखाई पड़ा, जिनके बीच एक जिराफ बिल्कुल बेवकूफ की तरह खड़ा था ।” सिंहों के आस-पास होने के बाद भी जिराफ क्यों खड़ा रहा होगा? उत्तर: जिराफ सिंहों के आसपास होने के बावजूद खड़ा रहा होगा क्योंकि जिराफ़ को अपनी ऊंचाई और ताकत पर भरोसा होता है। वह शायद समझ रहा था कि सिंहों का हमला उस पर नहीं, बल्कि हिरनों पर होगा। इसके अलावा, जिराफ का बड़ा आकार और लंबी गर्दन उसे अधिक सुरक्षित महसूस करा सकती है।
(घ) “मॉरिशस के मध्य में एक झील है, जिसका संबंध हिंदुओं ने परियों से बिठा दिया है और उस झील का नाम अब परी – तालाब हो गया है।” उस झील का नाम ‘परी – तालाब’ क्यों पड़ा होगा? उत्तर: उस झील का नाम ‘परी-तालाब’ इसलिए पड़ा होगा क्योंकि वहाँ के लोगों ने अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुसार उसे परियों से जोड़ दिया होगा। यह नामकरण उनकी आस्था और मान्यताओं का प्रतीक हो सकता है, जिससे उस स्थान को एक पवित्र और विशेष दर्जा मिला।
(ङ) आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि लगभग 50 साल पहले ‘परी – तालाब’ का नाम बदलकर ‘गंगा – तालाब’ कर दिया गया है। मॉरिशस के लोगों ने यह नाम क्यों रखा होगा? उत्तर: लगभग 50 साल पहले ‘परी-तालाब’ का नाम बदलकर ‘गंगा-तालाब’ इसलिए किया गया होगा क्योंकि मॉरिशस के हिंदू लोग गंगा नदी को बहुत पवित्र मानते हैं। गंगा-तालाब नाम रखने से वे उस तालाब को गंगा की पवित्रता और धार्मिक महत्व से जोड़ पाए, जिससे उनकी धार्मिक आस्था को और भी गहराई मिली।शब्दों की बात
नीचे शब्दों से जुड़ी कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। इन्हें करने के लिए आप शब्दकोश, पुस्तकालय, अपने शिक्षकों और साथियों की सहायता भी ले सकते हैं।संज्ञा के स्थान पर
(क) “ हिरनों ने ताड़ लिया कि उन पर सिंहों की नज़र पड़ रही है। अतएव वे चरना भूलकर चौकन्ने हो उठे।” इन पंक्तियों में रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। इन वाक्यों में ये शब्द किनके लिए उपयोग किए गए हैं? ये शब्द ‘हिरनों’ के लिए उपयोग में लाए गए हैं। आप जानते ही हैं कि ‘हिरन’ यहाँ एक संज्ञा शब्द है। जो शब्द संज्ञा शब्दों के स्थान पर उपयोग में लाए जाते हैं, उन्हें ‘सर्वनाम ‘ कहते हैं। अब नीचे दिए गए वाक्यों में सर्वनाम शब्दों को पहचानिए और उनके नीचे रेखा खींचिए –
1. “हाँ, बच्चे हाफ पैंट पहन सकते हैं, लेकिन गांधी टोपी उस दिन उन्हें भी पहननी पड़ती है।” सर्वनाम: उन्हें
2. “भारतीयों ने अत्याचार तो सहे, लेकिन प्रलोभनों को ठुकरा दिया। वे अपने धर्म पर डटे रहे और जिस द्वीप में भगवान ने उन्हें भेज दिया था, उस द्वीप को उन्होंने छोटा-सा हिंदुस्तान बना डाला ।” सर्वनाम: वे, उन्हें, उन्होंने
(ख) ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों को सर्वनाम की जगह संज्ञा शब्द लगाकर लिखिए: उत्तर: “हाँ, बच्चे हाफ पैंट पहन सकते हैं, लेकिन गांधी टोपी उस दिन बच्चों को भी पहननी पड़ती है।” “भारतीयों ने अत्याचार तो सहे, लेकिन प्रलोभनों को ठुकरा दिया। भारतीय अपने धर्म पर डटे रहे और जिस द्वीप में भगवान ने भारतीयों को भेज दिया था, उस द्वीप को भारतीयों ने छोटा-सा हिंदुस्तान बना डाला।”पहचान पाठ के आधार पर
आपने इस यात्रा-वृत्तांत में तीन देशों के नाम पढ़े हैं— भारत, केन्या और मॉरिशस। पुस्तकालय या कक्षा में उपलब्ध मानचित्र पर भारत को तो आप सरलता से पहचान ही लेंगे। पाठ में दी गई जानकारी के आधार पर बाकी दोनों देशों को पहचानिए। उत्तर:
केन्या: पूर्वी अफ्रीका में स्थित एक देश, जहाँ नैरोबी राजधानी है और वहाँ का नेशनल पार्क मशहूर है।
मॉरिशस: हिंद महासागर में स्थित एक छोटा-सा द्वीप देश, जो अपने भारतीय संस्कृति और गन्ने की खेती के लिए प्रसिद्ध है।
पाठ से आगेआपकी बात
(क) “वहाँ जो कुछ देखा, वह जन्मभर कभी नहीं भूलेगा।” क्या आपने कभी ऐसा कुछ देखा, सुना या पढ़ा है जिसके बारे मे आपको लगता है कि आप उसे कभी नहीं भूल सकेंगे? अपने समूह मे बताइये। उत्तर: हम सब परिवार के लोग एक बार कर्नाटक हुब्ली मे गए थे तब वह पर हमने पत्थरो मे बने मंदिर, घर देखे। उसमे भी अलग अलग कृतियों का निर्माण किया गया था। वो जगह हम कभी नहीं भूल पाएंगे।
(ख) “हमें अफ्रीका के शेरों से मुलाकात कर लेनी चाहिए।” ‘मुलाकात’ शब्द का अर्थ है ‘मिलना’। लेकिन यहाँ ‘मुलाकात’ शब्द का भाव है- शेरों को पास से देखना। इसके लिए ‘अपनी आँखों से देखना’, ‘सजीव देखना’ ‘भेंट करना’ आदि शब्दों का प्रयोग भी किया जाता है। अपनी बात को और अधिक सुंदर और अनोखा रूप देने के लिए शब्दों के इस प्रकार के प्रयोग किए जाते हैं। आपने अब तक किन किन पशु पक्षियो से मुलाक़ात की है? वह मुलाक़ात कहा हुई थी बयाइए। उत्तर: हमने एक चिड़ियाघर मे शेर, चीता, बाघ इनसे मुलाक़ात की थी।
(ग) “यह ऐसी सफलता की बात है, जिस पर सभी भारतीयों को गर्व होना चाहिए।” आपको किन किन बातों पर गर्व होता है बताइये। (संकेत- ये बातें आपके बारे में हो सकती हैं, आपके परिवार के बारे में हो सकती हैं और किसी अन्य व्यक्ति, वस्तु, स्थान, प्राणी आदि के बारे में भी हो सकती हैं।) उत्तर: जब हमे परीक्षा मे मनचाही सफलता मिलती है तब हमे गर्व होता है। कई लोग हमारा देश देखने के लिए दूर से आते है उन्हे हमारे रिरि परंपराए अच्छी लगती है तब भी हमे बहुत गर्व महसूस होता है।प्रशंसा या सराहना विभिन्न प्रकार से
“यह द्वीप हिंद महासागर का मोती है, भारत – समुद्र का सबसे खूबसूरत सितारा है।” इस पाठ में लेखक ने मॉरिशस की सराहना में यह वाक्य लिखा है | सराहना करने के लिए ‘दिनकर’ ने द्वीप की तुलना मोती और तारे से की है। किसी की सराहना अनेक प्रकार से की जा सकती है। आप आगे दी गई तालिका को पूरा कीजिए । पहले नाम लिखिए, फिर इनकी प्रशंसा में एक-एक वाक्य लिखिए। शर्त यह है कि प्रत्येक बार अलग तरह से प्रशंसा करनी है-
चित्रात्मक सूचना (इंफोग्राफिक्स)
नीचे दिए गए चित्र को देखिए। इसमें चित्रों के साथ-साथ बहुत कम शब्दों में कुछ जानकारी दी गई है । इसे ‘चित्रात्मक सूचना’ कहते हैं।
(क) इस ‘चित्रात्मक सूचना के आधार पर मॉरिशस के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए। (ख) अपनी पसंद के किसी विषय पर इसी प्रकार की ‘चित्रात्मक सूचना’ की रचना कीजिए, जैसे- आपका विद्यालय, कोई विशेष दिवस, आपके जीवन की कोई विशेष घटना आदि । (संकेत- यह कार्य आप अपने समूह में मिलकर कर सकते हैं। इसके लिए आप किसी कागज़ पर चित्र चिपका सकते हैं और सूचना को कलात्मक रूप से कम शब्दों में लिख सकते हैं। चित्र बनाए भी जा सकते हैं। आप यह कार्य कंप्यूटर या मोबाइल फोन की सहायता से भी कर सकते हैं।) उत्तर: सन १८३४ मे २ नवंबर को एटलस नाम का जहाज कई भारतीय मज़दूरोनो को एलआरकर मॉरीशस पहुंचा। ब्रिसतीश शासक उन्हे वह पर गन्ने की खेती करने के लिए लेकर गए थे। इस वजह से वह पर भारतीय लोगों की संख्या ज्यादा है। वाहे के भर्तियों पर धर्म बदलने के लिए अनेक जुल्म किए गए लेकिन उन्होने अपना धर्म नहीं बदला। इन लोगों मे ज्यादा तर लोग बिहारी थे। इसके साथ साथ तमिल, टेलगु और मराठी लोगों की सख्या भी बहुत थी। मोरिशस के पहले प्रधानमंत्री शिवसागर रामगुलाम यह भी मूल भारतीय निवासी थे। मॉरीशस मे भारतीय मूल लोगों की आबादी ६८% है। इसी वजह से मॉरीशस की संस्कृति मे भोजपुरी गीत और हिन्दी फिल्मों का योगदान है।
पत्र
यहाँ ‘दिनकर’ का लिखा एक पत्र दिया जा रहा है। इसे पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर लिखिए। पत्र पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर अपने समूह में मिलकर खोजिए –
(क) पत्र किसने लिखा है? उत्तर: पत्र रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने लिखा है।
(ख) पत्र किसे लिखा गया है? उत्तर: पत्र चतुर्वेदी जी को लिखा गया है।
(ग) पत्र किस तिथि को लिखा गया है? उत्तर: पत्र 8-7-67 को लिखा गया है।
(घ) पत्र किस स्थान से लिखा गया है ? उत्तर: पत्र सफ़दरजंग लेन, नई दिल्ली से लिखा गया है।
(ङ) पत्र पाने वाले के नाम से पहले किस शब्द का प्रयोग किया गया है? उत्तर: पत्र पाने वाले के नाम से पहले ‘मान्यवर’ शब्द का प्रयोग किया गया है।
(च) पत्र-लेखक ने अपने नाम से पहले अपने लिए क्या शब्द लिखा है? उत्तर: पत्र – लेखक ने अपने नाम से पहले अपने लिए ‘आपका’ शब्द लिखा है।
उलझन सुलझाओ
(क) “जहाज़ नैरोबी से चार बजे शाम को उड़ा और पाँच घंटों की निरंतर उड़ान के बाद जब वह मॉरिशस पहुँचा, तब वहाँ रात के लगभग दस बज रहे थे। ” जहाज़ नैरोबी से शाम 4 बजे उड़ा तो उसे 5 घंटों की उड़ान के बाद रात 9 बजे मॉरिशस पहुँचना चाहिए था। लेकिन वह पहुँचा लगभग दस बजे । क्यों? उत्तर: आप इसका कारण पता करने के लिए अपने शिक्षकों या इंटरनेट की सहायता ले सकते हैं। वस्तुतः नैरोबी और मॉरिशस के मानक समय में लगभग एक घंटे का अंतर है। जब नैरोबी में नौ बजते हैं तो मॉरिशस में 10 बजे होते हैं।
(ख) नीचे दो घड़ियों के चित्र दिए गए हैं। एक घड़ी भारत के समय को दिखा रही है। दूसरी घड़ी दिखा रही है कि उसी समय मॉरिशस में कितने घंटे और मिनट हुए हैं। इन घड़ियों के अनुसार नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
भारत में क्या समय हुआ है?
मॉरिशस में क्या समय हुआ है?
मॉरिशस और भारत के समय में कितने घंटे और मिनट का अंतर है?
सूर्योदय भारत में पहले होगा या मॉरिशस में?
जिस समय भारत में दोपहर के 12 बजे होंगे, उस समय मॉरिशस की घड़ियाँ कितना समय दिखा रही होंगी?
उत्तर:
भारत की घड़ी में 5:20 मिनट हुए हैं।
मॉरिशस की घड़ी में 3:50 मिनट हुए हैं।
मॉरिशस और भारत के समय में 1 घंटा 30 मिनट का अंतर है।
भारत में पहले सूर्योदय होगा ।
10:30 मिनट ।
आज की पहेली
आज हम आपके लिए एक अनोखी पहेली लाए हैं। यहाँ एक वाक्य दिया गया है। आपको पता करना है कि इसका क्या अर्थ है-
उत्तर: मेरा भारत मेरा गौरव
खोजबीन के लिए
नीचे दी गई रचनाओं को पुस्तक में दिए गए क्यू. आर. कोड की सहायता से पढ़ें, देखें व समझें-
चाँद का कुर्ता
मिर्च का मज़ा
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की जीवनी
हिमालय के पर्वतीय प्रदेश की मनोरम यात्रा
उत्तर: छात्र/छात्राएँ क्यू. आर. कोड (QR Code) की सहायता से स्वयं करें।
अब हम इस कविता पर विस्तार से चर्चा करेंगे। आगे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी। (क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए –
(1) चतेक शत्रुओं की सेना पर किस प्रकार टूट पड़ता था?
चेतक बादल की तरह शत्रु की सेना पर वज्रपात बनकर टूट पड़ता था।
चेतक शत्रु की सेना को चारों ओर से घेरकर उस पर टूट पड़ता था।
चेतक हाथियों के दल के समान बादल के रूप में शत्रु की सेना पर टूट पड़ता था।
चेतक नदी के उफान के समान शत्रु की सेना पर टूट पड़ता था।
उत्तर: चेतक बादल की तरह शत्रु की सेना पर वज्रपात बनकर टूट पड़ता था। (★)
(2) ‘लेकर सवार उड़ जाता था।’ इस पंक्ति में ‘सवार’ शब्द किसके लिए आया है?
चेतक
महाराणा प्रताप
कवि
शत्रु
उत्तर: महाराणा प्रताप (★)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ तर्कपूर्ण चर्चा कीजिए कि आपने ये ही उत्तर क्यों चुने? उत्तर: महाराणा प्रताप का घोड़ा बहुत होशियार था। महाराणा प्रताप ने उसे कभी कोड़े नहीं मारे, क्योंकि वह हर वार से महाराणा प्रताप को बचा लेता था। वह इतनी तेजी से अपने शत्रु पर टूट पड़ता, जैसे हाथियों का दल बादल की तरह सब पर टूट पड़ता हो। ‘सवार’ का अर्थ है किसी की सवारी करना, किसी को अपनी पीठ पर बैठाकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाना। इसी तरह चेतक महाराणा प्रताप को अपनी पीठ पर बैठाकर ले जाता था। पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें पढ़कर समझिए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? कक्षा मे अपने विचार साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका मे लिखीए।
(क) “निर्भीक गया वह ढालों में, सरपट दौड़ा करवालों में।” उत्तर: चेतक शत्रु सेना में बिना डरे चला जाता था। उसे किसी का भी डर नहीं लगता था। अनगिनत भालों के बीच भी वह चला जाता था। वह सर्प की तरह एक जगह से दूसरी जगह चला जाता था। शत्रु सेना से उसे बिल्कुल भी भय नहीं लगता था।
(ख) “भाला गिर गया, गिरा निषंग, हय-टापों से खन गया अंग।” उत्तर: जब महाराणा प्रताप के हाथ से भाला गिर गया, तो राणा प्रताप निशस्त्र हो गए। यह बात चेतक के समझ में आ गई, और फिर वह हवा की तरह दौड़ने लगा। शत्रु सेना भी यह नहीं समझ पा रही थी कि यह क्या हो रहा है। चेतक का एकमात्र उद्देश्य राणा प्रताप के प्राणों की रक्षा करना था। मिलकर करें मिलान
कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही भावार्थ से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
शीर्षक
यह कविता ‘हल्दीघाटी’ शीर्षक काव्य कृति का एक अंश है। यहाँ इसका शीर्षक ‘चेतक की वीरता’ दिया गया है। आप इसे क्या शीर्षक देना चाहेंगे और क्यों? उत्तर: हाँ! यह कविता ‘हल्दीघाटी’ काव्यकृति का एक अंश है और इसका शीर्षक ‘चेतक की वीरता’ बिल्कुल सटीक है, क्योंकि इसमें चेतक के शौर्य, फुर्तीलेपन और समझदारी का वर्णन किया गया है। फिर भी, यदि कोई और शीर्षक दिया जाए, तो वह चेतक के बिना अधूरा सा लगेगा। ‘महाराणा प्रताप और चेतक’ इस शीर्षक का स्थान ले सकता है।कविता की रचना
“चेतक बन गया निराला था।” “पड़ गया हवा को पाला था।” “राणा प्रताप का कोड़ा था । ” ” या आसमान पर घोड़ा था । ” रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। ये शब्द बोलने-लिखने में थोड़े मिलते-जुलते हैं। इस तरह की तुकांत शैली प्रायः कविता में आती है। कभी-कभी कविता अतुकांत भी होती है। इस कविता में आए तुकांत शब्दों की सूची बनाइए । उत्तर: उड़ / मुड़ चालों / भालों ढ़ालों / करवालों यहाँ / वहाँ जहाँ / कहाँ लहर / ठहर निषंग / अंग दंग / रंग ।शब्द के भीतर शब्द
“या आसमान का घोड़ा था । ” ‘आसमान’ शब्द के भीतर कौन-कौन से शब्द छिपे हैं- आस, समान, मान, सम, आन, नस आदि । अब इसी प्रकार कविता में से कोई पाँच शब्द चुनकर उनके भीतर के शब्द खोजिए। उत्तर:
चौकड़ी: चौक, कड़ी
बादल: बाद, दल
मस्तक: मस्त, तक
दिखलाया: दिख, लाया, आया
करवाल: कर, रव, आल
विकराल: कर, कराल
पाठ से आगेआपकी बात
“जो तनिक हवा से बाग हिली लेकर सवार उड़ जाता था।”
(क) ‘हवा से लगाम हिली और घोड़ा भाग चला’ कविता को प्रभावशाली बनाने में इस तरह के प्रयोग काम आते हैं। कविता में आए ऐसे प्रयोग खोजकर परस्पर बातचीत करें। उत्तर: ‘हवा से लगाम हिली और घोड़ा भाग चला’ जैसे प्रयोग कविता को और अधिक प्रभावशाली बनाते हैं। ये घोड़े की गति और शक्ति को दर्शाते हैं, जिससे कविता और भी जीवंत लगती है।
(ख) कहीं भी, किसी भी तरह का युद्ध नहीं होना चाहिए। इस पर आपस में बात कीजिए। उत्तर: “कहीं भी, किसी भी प्रकार का युद्ध नहीं होना चाहिए। कोई भी युद्ध, चाहे वह वाक्-युद्ध हो या बाण-युद्ध, केवल विनाश ही लाता है। इससे हानि केवल किसी एक पक्ष को ही नहीं होती, बल्कि दोनों ही पक्षों को नुकसान उठाना पड़ता है। हार हो या जीत, किसी को कम तो किसी को अधिक नुकसान अवश्य होता है। इससे संबंधों में कड़वाहट आ जाती है और समाज तथा देश बिखर जाते हैं। इसका लाभ नकारात्मक शक्तियों को मिलता है, जिससे विकास रुक जाता है। सामरिक युद्ध में प्रयुक्त होने वाले हथियार इतने विनाशकारी होते हैं कि उनका प्रयोग पूरी मानव जाति के लिए खतरा बन सकता है। मानव समाज के ताने-बाने को बचाने के लिए समस्याओं का समाधान आपसी बातचीत से करने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता।
“समानार्थी शब्द
कुछ शब्द समान अर्थ वाले होते हैं, जैसे— हय, अश्व और घोड़ा। इन्हें समानार्थी शब्द कहते हैं। मल्हार यहाँ पर दिए गए शब्दों से उस शब्द पर घेरा बनाइए जो समानार्थी न हों—
उत्तर:
आज की पहेली
बूझो तो जानें
तीन अक्षर का मेरा नाम, उल्टा सीधा एक समान । दिन में जगता, रात में सोता, यही मेरी पहचान।। उत्तर: जलज |
एक पक्षी ऐसा अलबेला, बिना पंख उड़ रहा अकेला। बाँध गले में लंबी डोर, पकड़ रहा अंबर का छोर । उत्तर: पतंग |
रात में हूँ दिन में नहीं, दीये के नीचे हूँ ऊपर नहीं बोलो बोलो – मैं हूँ कौन? उत्तर: अंधेरा |
मुझमें समाया फल, फूल और मिठाई सबके मुँह में आया पानी मेरे भाई। उत्तर: गुलाबजामुन ।
सड़क है पर गाड़ी नहीं, जंगल है पर पेड़ नहीं शहर है पर घर नहीं, समंदर है पर पानी नहीं। उत्तर: मानचित्र |खोजबीन के लिए
प्रश्न 1: महाराणा प्रताप कौन थे? उनके बारे में इंटरनेट या पुस्तकालय से जानकारी प्राप्त करके लिखिए । उत्तर: महाराणा प्रताप मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश के एक प्रसिद्ध राजा थे। उनका जन्म 9 मई 1540 को उदय सिंह द्वितीय और जयवंताबाई के घर हुआ था। उनके छोटे भाई शक्ति सिंह और जगमाल सिंह थे। महाराणा प्रताप का विवाह बिजोलिया की अजबदे पंवार से हुआ था। 1572 में उदय सिंह द्वितीय की मृत्यु के बाद मेवाड़ की गद्दी को लेकर कुछ समय तक विवाद चला। महाराणा प्रताप के अन्य सौतेले भाई भी गद्दी के दावेदार थे। हालांकि, उनके पिता के दरबार के वरिष्ठ रईस चाहते थे कि प्रताप ही राजगद्दी संभालें, क्योंकि वे उदय सिंह द्वितीय के सबसे बड़े पुत्र थे। इस प्रकार, 1 मार्च 1572 को, 32 वर्ष की आयु में, महाराणा प्रताप मेवाड़ के शासक बने। उदय सिंह द्वितीय के शासनकाल में मेवाड़ का उपजाऊ पूर्वी भाग मुगल साम्राज्य ने अपने अधीन कर लिया था, जबकि पश्चिमी भाग सिसोदिया राजपूतों के पास था। 1572 में ही मुगल सम्राट अकबर ने महाराणा प्रताप को मुगल साम्राज्य का जागीरदार बनाने के लिए कई प्रयास किए। उस क्षेत्र के अन्य राजपूत राजाओं ने मुगलों की अधीनता स्वीकार कर ली थी, लेकिन महाराणा प्रताप ने व्यक्तिगत रूप से अकबर के सामने समर्पण करने से इनकार कर दिया। इस कारण युद्ध अवश्यंभावी था। हल्दीघाटी के संकरे पहाड़ी दर्रे में हुए पहले युद्ध में हारकर महाराणा प्रताप को पीछे हटना पड़ा, लेकिन यह मुगलों के लिए पूर्ण विजय नहीं थी, क्योंकि वे प्रताप या उनके परिवार के किसी भी सदस्य को पकड़ नहीं पाए थे। 1582 में महाराणा प्रताप ने मुगलों पर हमला करके देवर की मुगल चौकी पर कब्जा कर लिया। इसके बाद उन्होंने उमलगढ़, उदयपुर और गोगुंदा को पुनः प्राप्त किया और चावंड को अपनी नई राजधानी बनाया। महाराणा प्रताप का निधन 19 जनवरी 1597 को 56 वर्ष की आयु में हुआ। उनका मुगल साम्राज्य के खिलाफ लगभग अकेले संघर्ष करना, बिना किसी अन्य राजपूत राज्य की सहायता के, राजपूत वीरता का एक अद्वितीय उदाहरण है। उनकी गुरिल्ला युद्ध रणनीति का अनुकरण बाद में छत्रपति शिवाजी ने भी किया।
प्रश्न 2: इस कविता में चेतक एक ‘घोड़ा’ है। पशु-पक्षियों पर आधारित पाँच रचनाओं को खोजिए और अपनी कक्षा की दीवार पत्रिका पर लगाइए । उत्तर: नीलकंठ, गौरा, गिल्लू, वह चिड़िया जो, चालाक लोमड़ी।
(क) आपकी समझ से नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है ? उसके सामने तारा (★) बनाइए-
(1) महाराज ने दीवान को ही उनका उत्तराधिकारी चुनने का कार्य उनके किस गुण के कारण सौंपा?
सादगी
बल
उदारता
नीति-कुशलता
उत्तर: नीति-कुशलता (★)
(2) दीवान साहब द्वारा नौकरी छोड़ने के निर्णय का क्या कारण था?
परमात्मा की याद
बदनामी का भय
राज-काज संभालने योग्य शक्ति न रहना
चालीस वर्षों की नौकरी पूरा होना
उत्तर: राज-काज संभालने योग्य शक्ति न रहना (★)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने? उत्तर:
पाठ में उदारता के गुण को महत्त्व दिया गया है, और सुजानसिंह भी इसी गुण की तलाश कर रहे थे।
राज्य के दीवान सुजानसिंह बूढ़े होने के कारण अब वे राज-काज संभाल नहीं पा रहे थे।
शीर्षक
(क) आपने जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम प्रेमचंद ने ‘परीक्षा’ रखा है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए उत्तर: कि उन्होंने इस कहानी का यह नाम क्यों दिया होगा? अपने उत्तर के कारण भी लिखिए। चूँकि प्रेमचंद द्वारा लिखित ‘परीक्षा’ शीर्षक कहानी का केंद्रीय भाव एक रियासत के दीवान के पद हेतु हर दृष्टि से योग्य, उदार, दयालु तथा नीतिकुशल व्यक्ति का चयन है, अतः इन्हीं कारणों से प्रेमचंद ने इस कहानी का शीर्षक ‘परीक्षा’ रखा होगा।
(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए? उत्तर: यद्यपि इस कहानी का प्रेमचंद द्वारा दिया गया शीर्षक ‘परीक्षा’ सर्वथा उपयुक्त है, तथापि यदि मुझे इस कहानी का कोई अन्य नाम देना होता तो मैं इसका शीर्षक ‘परख’ देता। इसका कारण यह है कि सुजानसिंह ने एक जौहरी के रूप में दया, आत्मबल तथा नीतिकुशलता को धारण करने वाले एक व्यक्ति की परख की।
पंक्तियों पर चर्चा
कहानी में से चुनकर यहाँ कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए। “इस पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी, जिसके हृदय में दया हो और साथ-साथ आत्मबल। हृदय वह जो उदार हो, आत्मबल वह जो आपत्ति का वीरता के साथ सामना करे। ऐसे गुणवाले संसार में कम हैं और जो हैं, वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं।” इस पंक्ति का क्या अर्थ है? उत्तर: दीवान सुजानसिंह ने कहा कि दीवान पद के लिए एक ऐसे योग्य व्यक्ति की आवश्यकता थी जो परोपकारी हो, जिसके मन में दुखी व गरीब लोगों के लिए दया का भाव हो। उन्होंने कहा जो व्यक्ति अपने स्वयं के बल पर भरोसा रखता हो और जो हर परिस्थिति में अपनी वीरता से अपने गुणों का प्रमाण देता हो। वो संसार में यश कमाता है। उसकी सदैव प्रसिद्धि फैलती है और ऐसे गुणवान व्यक्ति संसार में बहुत कम होते हैं।
सोच-विचार के लिए
कहानी को एक बार फिर से पढ़िए, निम्नलिखित के बारे में पता लगाइए और लिखिए-
(क) नौकरी की चाह में आए लोगों ने नौकरी पाने के लिए कौन-कौन से प्रयास किए? उत्तर: नौकरी की चाह में आए लोगों ने नौकरी प्राप्त करने के लिए कई प्रकार के प्रयत्न किए। मिस्टर ‘अ’ जो नौ बजे दिन तक सोया करते थे, प्रातः काल में टहलने का उपक्रम करने लगे। मिस्टर ‘द’, ‘स’ और ‘ज’ से उनके घर के नौकर परेशान रहते थे, किंतु अब वे नौकरों से ‘आप’ और ‘जनाब’ संबोधन के साथ बातचीत कर रहे थे। मिस्टर ‘ल’ को किताब से घृणा थी, किंतु वे बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़ने में मशगूल थे। हर कोई अपने तरीके से स्वयं को योग्य सिद्ध करने की कोशिश कर रहा था।
(ख) “उसे किसान की सूरत देखते ही सब बातें ज्ञात हो गईं” खिलाड़ी को कौन-कौन सी बातें पता चल गईं? उत्तर: खिलाड़ी की निगाह किसान की गाड़ी पर पड़ी, जो नाले में फँसी हुई थी। उसे किसान की सूरत देखते ही इस बात का अंदाज़ा हो गया कि बहुत प्रयास करने के बाद भी गाड़ी को नाले के कीचड़ और गड्ढे से नहीं निकाल पाया है।
(ग) “मगर उन आँखों में सत्कार था, इन आँखों में ईर्ष्या ।’ किनकी आँखों में सत्कार था और किनकी आँखों में ईर्ष्या थी? क्यों? उत्तर: जब सरदार सुजानसिंह ने राजदरबार में दीवान के पद पर जानकीनाथ के चयन की घोषणा की, तो रियासत के कर्मचारियों और रईसों ने जानकीनाथ की तरफ़ देखा। उन आँखों में जानकीनाथ के प्रति आदर और सत्कार का भाव था। इसके ठीक विपरीत, दीवान के पद की प्राप्ति हेतु पधारे अन्य उम्मीदवारों की आँखों में जानकीनाथ के प्रति ईर्ष्या का भाव था ।
खोजबीन
कहानी में से वे वाक्य खोजकर लिखिए जिनसे पता चलता है कि-
(क) शायद युवक बूढ़े किसान की असलियत पहचान गया था। उत्तर: “युवक ने किसान की तरफ गौर से देखा। उसके मन में एक संदेह हुआ, क्या यह सुजानसिंह तो नहीं हैं? आवाज मिलती है, चेहरा-मोहरा भी वही।”
(ख) नौकरी के लिए आए लोग किसी तरह बस नौकरी पा लेना चाहते थे। उत्तर: “जिससे बात कीजिए, वह नम्रता और सदाचार का देवता बना मालूम देता था, लोग समझते थे कि एक महीने का झंझट है, किसी तरह काट लें, कहीं कार्य सिद्ध हो गया तो कौन पूछता है?”
कहानी की रचना
“लोग पसीने से तर हो गए खून की गर्मी आँख और चेहरे से झलक रही थी।” इस वाक्य को पढ़कर आँखों के सामने थकान से चूर खिलाड़ियों का चित्र दिखाई देने लगता है। यह चित्रात्मक भाषा है। ध्यान देंगे तो इस पाठ में ऐसी और भी अनेक चित्रात्मक बातें आपको दिखाई देंगी। कहानी को एक बार ध्यान से पढ़िए। आपको इस कहानी में और कौन-कौन सी विशेष बातें दिखाई देंगी? अपने समूह में मिलकर उनकी सूची बनाइए।
उत्तर: जब किसी पंक्ति को पढ़कर चित्र आँखों के आगे आने लगे तो वहाँ चित्रात्मकता होती है। पाठ में निम्न पंक्तियों में चित्रात्मकता प्रस्तुत होती है-
देवगढ़ में नए-नए और रंग-बिरंगे मनुष्य दिखाई देने लगे।
रंगीन एमामे, चोगे और नाना प्रकार के अंगरखे और कंटोप देवगढ़ में अपनी सज-धज दिखाने लगे।
वह कभी बैलों को ललकारता, कभी पहियों को हाथ से धकेलता।
गाड़ी ऊपर नहीं चढ़ती और अगर चढ़ती भी, तो कुछ दूर चढ़कर फिर खिसककर नीचे पहुँच जाती।
बेचारा इधर-उधर निराश होकर ताकता।
वह बार-बार झुंझलाकर बैलों को मारता।
किसान ने उनकी तरफ सहमी आँखों से देखा।
कीचड़ बहुत ज्यादा था। वह घुटने तक जमीन में गड़ गया।
उम्मीदवारों के कलेजे की धड़कन तेज हो रही थी।
उन आँखों में सत्कार था, इन आँखों में ईर्ष्या।
समस्यान और समाधान
इस कहानी में कुछ समस्याएँ हैं और उसके समाधान भी हैं। कहानी को एक बार फिर से पढ़कर बताइए कि –
(क) महाराज के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा ? उत्तर: महाराज के दीवान सुजानसिंह अपनी उम्र और परमात्मा की याद के कारण अपना पद छोड़ना चाहते थे। राजा सुजानसिंह जैसे अनुभवी और नीतिकुशल दीवान को छोड़ना नहीं चाहते थे, उन्होंने उन्हें बहुत समझाया, लेकिन वे नहीं माने। अंततः उन्होंने दीवान की बात मान ली, लेकिन शर्त यह लगा दी कि नया दीवान सुजानसिंह को ही खोजना होगा।
(ख) दीवान के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा? उत्तर: दीवान के सामने योग्य उम्मीदवार खोजने की समस्या थी। इस समस्या को हल करने के लिए उन्होंने एक विज्ञापन निकाला, जिसमें लिखा था कि शिक्षा नहीं, बल्कि आचार, व्यवहार और गुणों को एक महीने तक परखकर उम्मीदवार चुना जाएगा।
(ग) नौकरी के लिए आए लोगों के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा? उत्तर: नौकरी के लिए आए लोगों को अच्छा बनकर दिखाना था, इसके लिए उन्होंने झूठा दिखावा शुरू कर दिया। उन्होंने मीठा और नम्र व्यवहार अपनाया, प्रातःकाल उठकर पुस्तकें पढ़ना इत्यादि दिखावा करने लगे।
मन के भाव
“स्वार्थ था, मद था, मगर उदारता और वात्सल्य का नाम भी न था” इस वाक्य में कुछ शब्दों के नीचे रेखा खींची हुई है। ये सभी नाम हैं, लेकिन दिखाई देने वाली वस्तुओं, व्यक्तियों या जगहों के नाम नहीं हैं। ये सभी शब्द मन के भावों के नाम हैं। आप कहानी में से ऐसे ही अन्य नामों को खोजकर नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में लिखिए।
अभिनय
कहानी में युवक और किसान की बातचीत संवादों के रूप में दी गई है। यह भी बताया गया है कि इन दोनों ने वे बातें कैसे कही। अपने समूह के साथ मिलकर तैयारी कीजिए और कहानी के इस भाग को कक्षा में अभिनय के द्वारा प्रस्तुत कीजिए। उत्तर: किसान: (हाथ जोड़कर) महाराज, मेरी समस्या का समाधान कीजिए। युवक: (गंभीरता से) आपकी समस्या क्या है, बताइए। किसान: (दुःखी स्वर में) मेरी फसल बर्बाद हो गई है, और मेरे पास कुछ भी नहीं बचा है। युवक: (सहानुभूति से) हम आपकी मदद करेंगे, चिंता न करें।
विपरीतार्थक शब्द
“ विद्या का कम, परंतु कर्तव्य का अधिक विचार किया जाएगा।” ‘कम’ का विपरीत अर्थ देने वाला शब्द है ‘अधिक’। इसी प्रकार के कुछ विपरीतार्थक शब्द नीचे दिए गए हैं लेकिन वे आमने-सामने नहीं हैं। रेखाएँ खींचकर विपरीतार्थक शब्दों के सही जोड़े बनाइए-:
कहावत
“ गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है।” यह वाक्य एक कहावत है। इसका अर्थ है कि कोशिश करने पर ही सफलता मिलती है। ऐसी ही एक और कहावत है, ” जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ ” अर्थात परिश्रम का फल अवश्य मिलता है। कहावतें ऐसे वाक्य होते हैं जिन्हें लोग अपनी बात को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए प्रयोग करते हैं। आपके घर और पास-पड़ोस में भी लोग अनेक कहावतों का उपयोग करते होंगे। नीचे कुछ कहावतें और उनके भावार्थ दिए गए हैं। आप इन कहावतों को कहानी से जोड़कर अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए।
अधजल गगरी छलकत जाए जिसके पास थोड़ा ज्ञान होता है, वह उसका दिखावा करता है।
अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत – समय निकल जाने के बाद पछताना व्यर्थ होता ‘है।
एक अनार सौ बीमार कोई ऐसी एक चीज़ जिसको चाहने वाले अनेक हों।
जो गरजते हैं वे बरसते नहीं हैं-जो अधिक बढ़-चढ़कर बोलते हैं, वे काम नहीं करते हैं।
जहाँ चाह, वहाँ राह-जब किसी काम को करने की इच्छा होती है, तो उसका साधन भी मिल जाता है।
(संकेत – विज्ञापन में तो एक नौकरी की बात कही गई थी, लेकिन उम्मीदवार आ गए हजारों । इसे कहते हैं – एक अनार सौ बीमार ।) उत्तर:
ज्ञान में अधिक रुचि ना होने पर भी कुछ उम्मीदवार बड़े-बड़े ग्रंथों में डूबे रहते और अकड़कर चलते इसे कहते हैं – अधजल गगरी छलकत जाए।
जब पंडित जानकीनाथ का दीवान के लिए चुनाव हुआ तब अन्य उम्मीदवार सोचने लगे कि काश ! हमने उस समय किसान की मदद की होती तो आज हमारा चयन होता पर अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत।
देवगढ़ में आए सभी उम्मीदवार नम्रता की मूर्ति बने हुए थे। परंतु जब किसान पर दया की बात आई तब सब पीछे हट गए। इसीलिए कहते हैं जो गरजते हैं वे बरसते नहीं हैं।
युवक घायल था परंतु दूसरों की मदद करने की उसकी चाह के कारण वो किसान की गाड़ी नाले से बाहर निकाल पाया। इसे कहते हैं- जहाँ चाह वहाँ राह।
पाठ से आगे
अनुमान या कल्पना से
(क) “ दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला ” देश के प्रसिद्ध पत्रों में नौकरी का विज्ञापन किसने निकलवाया होगा? आपको ऐसा क्यों लगता है? उत्तर: देश के प्रसिद्ध पत्रों में दीवान सुजानसिंह जी ने विज्ञापन निकलवाया होगा, क्योंकि नए दीवान को चुनने की जिम्मेदारी उन्हीं पर थी और इसी उद्देश्य के लिए उन्होंने यह उपाय सोचा होगा।
(ख) “इस विज्ञापन ने सारे में मुल्क तहलका मचा दिया ”। विज्ञापन ने पूरे देश में तहलका क्यों मचा दिया होगा? उत्तर: विज्ञापन में रियासत के नए दीवान के चयन के बारे में लिखा था कि दीवान का चयन शिक्षा की डिग्री के आधार पर नहीं, बल्कि आचार-व्यवहार के आधार पर किया जाएगा। लोगों को इस ऊँचे पद में किसी प्रकार का बंधन नहीं दिखा, इसीलिए सबमें खुशी की लहर दौड़ गई।
आगे की कहानी
‘परीक्षा’ कहानी जहाँ समाप्त होती है, उसके आगे क्या हुआ होगा। आगे की कहानी अपनी कल्पना से बनाइए। उत्तर: कहानी का अंत इस पर हुआ कि सुजानसिंह ने पंडित जानकीनाथ को दीवान घोषित कर उनकी अच्छाई सबको बताई। इसके बाद सभी ने पंडित जानकीनाथ की जयकार शुरू कर दी। राजा ने उन्हें दीवान के पद पर नियुक्त किया और बहुत से उपहार दिए। सुजानसिंह का भव्य विदाई समारोह हुआ और प्रजा ने अपने प्रिय दीवान को नम आँखों से विदाई दी। साथ ही नए दीवान पंडित जानकीनाथ को भी स्वीकार किया। जानकीनाथ भी पहले दीवान की तरह प्रजा का ध्यान रखते हुए कार्य करने लगे।
आपकी बात
(क) यदि कहानी में दीवान साहब के स्थान पर आप होते तो योग्य व्यक्ति को कैसे चुनते ? उत्तर: यदि हम दीवान के स्थान पर होते तो हम उम्मीदवारों को कोई समस्या बताकर उसका हल ढूँढ़ने के लिए कहते, साथ ही उनके समक्ष न्याय के कुछ मुकदमे पेश करते और परखते कि वे कैसे न्याय करते हैं। साथ ही, हम ज्ञान के कुछ प्रश्न भी पूछ सकते थे।
(ख) यदि आपको कक्षा का मॉनिटर चुनने के लिए कहा जाए तो आप उसे कैसे चुनेंगे? उसमें किन-किन गुणों को देखेंगे? गुणों की परख के लिए क्या-क्या करेंगे? उत्तर: यदि मुझे कक्षा का मॉनिटर चुनने के लिए कहा जाए, तो मैं उस बच्चे का चुनाव करूँगा जो पढ़ाई में अच्छा हो, सबसे प्यार से बात करता हो, और पढ़ाई तथा काम पूरा करने में दूसरों की मदद करता हो। इसके लिए हम उसे कुछ दिन मॉनिटर का कार्य देकर परख सकते हैं।
नया – पुराना
“कोई नए फैशन का प्रेमी, कोई पुरानी सादगी पर मिटा हुआ।” हमारे आस-पास अनेक वस्तुएँ ऐसी हैं जिन्हें लोग नया फैशन या पुराना चलन कहकर दो भागों में बाँट देते हैं। जो वस्तु आपके माता- -पिता या दादा-दादी के लिए नई हो, हो सकता है वह आपके लिए पुरानी हो, या जो उनके लिए पुरानी हो, वह आपके लिए नई हो। अपने परिवार या परिजनों से चर्चा करके नीचे दी गई तालिका को पूरा कीजिए-
अच्छाई और दिखावा
“हर एक मनुष्य अपने जीवन को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे रूप में दिखाने की कोशिश करता था । ” अपने समूह में निम्नलिखित पर चर्चा कीजिए और चर्चा के बिंदु अपनी लेखन – पुस्तिका में लिख लीजिए-
(क) हर व्यक्ति अपनी बुद्धि के अनुसार स्वयं को अच्छा दिखाने की कोशिश करता है। स्वयं को अच्छा दिखाने के लिए लोग क्या-क्या करते हैं? ( संकेत – मेहनत करना, कसरत करना, साफ़-सुथरे रहना आदि) उत्तर: लोग अपने को अच्छा दिखाने के लिए नए फैशन के कपड़े पहनते हैं, सबसे मीठा बोलने का प्रयास करते हैं, कसरत करके अपने शरीर को हष्ट-ट-पुष्ट बनाते हैं, और मेहनत करके खूब धन कमाते हैं, ताकि समाज में अपनी पहचान बना सकें।
(ख) क्या ‘स्वयं को अच्छा दिखाने में और ‘स्वयं के अच्छा होने’ में कोई अंतर है? कैसे? उत्तर: हाँ, स्वयं को अच्छा दिखाने में और स्वयं अच्छा होने में बहुत अंतर है। कुछ लोग अपने धन, बल और चालाकी से अच्छा बनने का दिखावा करते हैं और समाज में अपना महत्व स्थापित करते हैं। जबकि जो स्वयं अच्छे होते हैं, वे हमेशा सामान्य व्यवहार करते हैं, जरूरत पड़ने पर दूसरों की मदद करते हैं और प्रेम से रहते हैं।
परिधान तरह-तरह के
“कोट उतार डाला ” ‘कोट’ एक परिधान का नाम है। कुछ अन्य परिधानों के नाम और चित्र नीचे दिए गए हैं। परिधानों के नामों को इनके सही चित्र के साथ मिलाइए। इन्हें आपके घर में क्या कहते हैं? ‘लिखिए-
उत्तर:
आपकी परीक्षाएँ
हम सभी अपने जीवन में अनेक प्रकार की परीक्षाएँ लेते और देते हैं। आप अपने अनुभवों के आधार पर कुछ परीक्षाओं के उदाहरण बताइए | यह भी बताइए कि किसने, कब, कैसे और क्यों वह परीक्षा ली। (संकेत- जैसे, किसी को विश्वास दिलाने के लिए उसके सामने साइकिल चलाकर दिखाना, स्कूल या घर पर कोई परीक्षा देना, किसी को किसी काम की चुनौती देना आदि। ) उत्तर: एक बार मैं पिकनिक पर गया। वहाँ रस्सी के सहारे सब नीचे उतर रहे थे और पहाड़ी पर चढ़ रहे थे। सबको पता था कि मैं ऊँचाई से डरता हूँ, लेकिन सभी को विश्वास दिलाने के लिए मैंने भी उस रस्सी के सहारे पहाड़ी पर चढ़ने का फैसला किया। यह मेरे लिए एक चुनौती थी, लेकिन मैंने हिम्मत से इसे पूरा किया। जब मैं पहाड़ी के ऊपर पहुँच गया, तो सबने मेरी तारीफ़ की। मैं हिम्मत की परीक्षा में पास हो गया।
आज की पहेली
आज आपकी एक रोचक परीक्षा है। यहाँ दिए गए चित्र एक जैसे हैं या भिन्न? इन चित्रों में कुछ अंतर हैं। देखते हैं आप कितने अंतर कितनी जल्दी खोज पाते हैं। उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।झरोखे से
पाठ में दिए गए क्यू.आर. कोड के माध्यम से आप एक और कहानी पढ़ेंगे। इस कहानी में भी कोई किसी की परीक्षा ले रहा है। यह कहानी हमारे देश के बहुत होनहार बालक और उसके गुरु चाणक्य के बारे में है। इसे हिंदी के प्रसिद्ध लेखक जयशंकर प्रसाद ने लिखा है। उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।खोजबीन के लिए
पुस्तक में दिए गए क्यू. आर. कोड की सहायता से आप प्रेमचंद के बारे में और जान-समझ सकते हैं, साथ ही उनकी अन्य कहानियों का आनंद भी उठा सकते हैं.—
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर न-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए-
(1) मैं माखन कैसे खा सकता हूँ? इसके लिए श्रीकृष्ण ने क्या तर्क दिया?
मुझे तुम पराया समझती हो।
मेरी माता, तुम बहुत भोली हो।
मुझे यह लाठी-कंबल नहीं चाहिए।
मेरे छोटे-छोटे हाथ छीके तक कैसे जा सकते हैं?
उत्तर: मेरे छोटे-छोटे हाथ छीके तक कैसे जा सकते हैं? (★)
(2) श्रीकृष्ण माँ के आने से पहले क्या कर रहे थे?
गाय चरा रहे थे।
माखन खा रहे थे।
मधबुन में भटक रहे थे।
मित्रों के संग खेल रहे थे।
उत्तर: माखन खा रहे थे। (★)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर:
माँ यशोदा जब कृष्ण के मुँह पर माखन लगा देखती हैं और उन्हें डाँटने लगती हैं, तो वे छींके तक हाथ न पहुँचने का बहाना बनाते हैं।
‘माखन खा रहे थे’ यह विकल्प सही है क्योंकि पद्यांश की शुरुआत ही इस पंक्ति से हुई है—‘मैया मैं नहिं माखन खायो’, अर्थात कृष्ण माँ से माखन न खाने की बात कर रहे हैं।
मिलकर करें मिलान
पाठ में से चुनकर यहाँ कुछ शब्द दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थ या संदर्भ से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपनी कक्षा में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
(क) ‘भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो ” उत्तर: यशोदा मैया से ग्वालिनों ने शिकायत की थी कि कान्हा रोज़ उनका माखन खा जाते हैं और ज़मीन पर भी गिराते हैं। श्रीकृष्ण हमेशा इनकार कर देते थे। आज कान्हा के मुँह पर माखन लगा हुआ था, तो माता यशोदा उनसे पूछती हैं कि उन्होंने माखन चुरा कर क्यों खाया। कान्हा इनकार कर देते हैं और अपनी बात के पक्ष में दलील देते हुए कहते हैं कि मुझे तो आप सुबह से ही गायों के पीछे, उनके साथ मधुबन में भेज देती हैं। मैं दिनभर वहीं रहता हूँ, तो फिर मैं यहाँ आकर माखन कैसे खा सकता हूँ?
(ख) ” सूरदास तब बिहँसि जसोदा, लै उर कंठ लगायो ” उत्तर: ग्वालिनों के शिकायत करने पर माँ यशोदा परेशान हो जाती हैं कि जब घर में इतना माखन होता है, तो फिर भी कान्हा माखन चुराकर क्यों खाते हैं। कान्हा के मुँह पर माखन लगा देखकर वे उनसे पूछती हैं कि उन्होंने माखन क्यों चुराया। कान्हा विभिन्न बहाने बनाकर इनकार कर देते हैं कि उन्होंने माखन नहीं खाया। वे कहते हैं, ‘तू बहुत भोली है, जो इनकी बातों में आ गई है। मुझे पराया जानकर तेरे मन में मेरे लिए भेदभाव उत्पन्न हो गया है।’ फिर नाराज़ होकर कहते हैं, ‘मैं अब गाय चराने नहीं जाऊँगा, तुम अपनी यह लकुटि कमरिया ले लो।’ सूरदास जी कहते हैं कि बाल कृष्ण की दलीलें और उनके भोलेपन को देखकर माता यशोदा को उन पर प्यार आ जाता है।
सोच-विचार के लिए
पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ढूँढ़कर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-
(क) पद में श्रीकृष्ण ने अपने बारे में क्या-क्या बताया है? उत्तर: इस पद में श्रीकृष्ण से माँ यशोदा पूछ रही हैं कि उन्होंने माखन चुराकर क्यों खाया। श्रीकृष्ण माखन चुराने की बात से साफ़ इनकार करते हुए कहते हैं—’माँ, मैंने माखन नहीं खाया है।’ वे कहते हैं, ‘मैं तो यहाँ था ही नहीं, मुझे तो प्रतिदिन सुबह ही आप गाय चराने के लिए मधुबन भेज देती हैं। पूरा दिन वहाँ रहकर मैं शाम को घर आता हूँ। मैं तो बहुत छोटा हूँ। ये ग्वाल-बाल झूठ बोल रहे हैं। इन्होंने ज़बरदस्ती यह माखन मेरे मुँह पर लगा दिया है।’ इस प्रकार, अपने विषय में तर्क देकर उन्होंने अपनी माँ को समझाने का प्रयास किया।
(ख) यशोदा माता ने श्रीकृष्ण को हँसते हुए गले से क्यों लगा लिया? उत्तर: सभी माताएँ अपने बच्चों से अटूट प्रेम करती हैं। बच्चों की भोली और प्यारी बातों पर माँ-बाप का स्नेह उमड़ पड़ता है। यहाँ भी बालक कृष्ण बड़ी-बड़ी बातें करते हुए कह रहे हैं, ‘माँ, तुम बहुत भोली हो, जो इनकी बातों में आ गई हो और मुझे पराया जानकर भेदभाव कर रही हो।’ नाराज़ होने का नाटक करते हुए, लकुटि-कमरिया वापस करते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं, ‘आपने मुझे अपनी बातों से बहुत तंग किया है।’ पुत्र-प्रेम से व्याकुल होकर, उनकी प्यारी-प्यारी बातें सुनकर यशोदा मैया उन्हें गले से लगा लेती हैं।
कविता की रचना
” भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो । चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो । । इन पंक्तियों के अंतिम शब्दों को ध्यान से देखिए । ‘पठायो’ और ‘आयो’ दोनों शब्दों की अंतिम ध्वनि एक जैसी है। इस विशेषता को ‘तुक’ कहते हैं। इस पूरे पद में प्रत्येक पंक्ति के अंतिम शब्द का तुक मिलता है । अनेक कवि अपनी रचना को प्रभावशाली बनाने के लिए तुक का उपयोग करते हैं।
(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस पाठ की विशेषताओं की सूची बनाइए, जैसे इस पद की अंतिम पंक्ति में अपना नाम भी दिया है आदि । उत्तर: इस पद की सभी पंक्तियों के अंतिम शब्द एक जैसी ध्वनि वाले हैं, यथा—खायो, पठायो, आयो, पायो, लपटायो, पतियायो, जायो, नचायो, लगायो। यह विशेषता ‘तुक’ कहलाती है। इससे पाठक व श्रोता को कविता प्रभावशाली लगती है। कवि सूरदास जी ने बहुत बारीकी से जाँच-परख कर बाल-सुलभ बातों को कविता का रूप दिया है। बालक अपनी बात को सिद्ध करने के लिए पहले वही तर्क देता है, जो उसकी आयु व कद के अनुरूप होते हैं। वह अपना दोष दूसरे पर डालने का प्रयास करता है। यदि फिर भी बात न बने, तो नाराज़गी दिखाता है। इन सब बातों का बखूबी वर्णन करते हुए, कवि ने अत्यंत सुंदरता से अंतिम पंक्ति में अपना नाम भी दे दिया है।
(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए। उत्तर: छात्र/छात्राएँ स्वयं करें।
अनुमान या कल्पना से
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-
(क) श्रीकृष्ण अपनी माँ यशोदा को तर्क क्यों दे रहे होंगे ? उत्तर: सभी बालक शरारती होते हैं। इन शरारतों में उनसे कुछ ऐसी गलतियाँ हो जाती हैं, जिनके कारण उन्हें डाँटा जाता है, और डाँटना आवश्यक भी होता है। छोटे बच्चों को सही-गलत का ज्ञान नहीं होता। सही और गलत का परिचय उन्हें परिवार के बड़े सदस्य ही कराते हैं। बच्चे नासमझ होते हुए भी इतने चतुर अवश्य होते हैं कि अपनी बात को तर्कसंगत साबित करने के लिए कई तरह के बहाने बना सकें। श्रीकृष्ण भी छोटे बालक ही हैं, अतः स्वयं को निर्दोष साबित करने के लिए वे अपनी माँ यशोदा को तर्क देते हैं।
(ख) जब माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को गले से लगा लिया, तब क्या हुआ होगा? उत्तर: जब माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को गले लगा लिया, तब माँ-बेटे प्रसन्नता से झूम उठे होंगे। यशोदा माता भी अपने पुत्र से नाराज़ नहीं रह सकती थीं। श्रीकृष्ण भी यह नहीं चाहते थे। वे भी माता यशोदा को हर्षित देखना चाहते थे । जिस बात को लेकर प्रश्न-उत्तर चल रहे थे, वह बात भी समाप्त हो गई होगी।
शब्दों के रूप
नीचे शब्दों से जुड़ी कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। इन्हें करने के लिए आप शब्दकोश, अपने शिक्षकों और साथियों की सहायता भी ले सकते हैं।
(क) ‘भोर भयो गैयन के पाछे” इस पंक्ति में ‘पाछे’ शब्द आया है। इसके लिए ‘पीछे’ शब्द का उपयोग भी किया जाता है। इस पद में ऐसे कुछ और शब्द हैं जिन्हें आप कुछ अलग रूप में लिखते और बोलते होंगे। नीचे ऐसे ही कुछ अन्य शब्द दिए गए हैं। इन्हें आप जिस रूप में बोलते लिखते हैं, उस प्रकार से लिखिए।
परे – _____________
कछु – _____________
छोटो – _____________
लै – _____________
बिधि – _____________
नहिं – _____________
भोरी – _____________
उत्तर:
परे – पड़े
कछु – कुछ
छोटो – छोटा
लै – लेना
बिधि – विधि, प्रकार
नहिं – नहीं
भोरी – भोली
(ख) पद में से कुछ शब्द चुनकर नीचे स्तंभ 1 में दिए गए हैं और स्तंभ 2 में उनके अर्थ दिए गए हैं। शब्दों का उनके सही अर्थों से मिलान कीजिए-
वर्ण – परिवर्तन
” तू माता मन की अति भोरी’ ‘भोरी’ का अर्थ है ‘भोली’। यहाँ ‘ल’ और ‘र’ वर्ण परस्पर बदल गए हैं। आपने ध्यान दिया होगा कि इस पद में कुछ और शब्दों में भी ‘ल’ या ‘ड़’ और ‘र’ में वर्ण- परिवर्तन हुआ है। ऐसे शब्द चुनकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए। उत्तर:
परे – पड़ना
भोरी – भोली
पंक्ति से पंक्ति
नीचे स्तंभ 1 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं और स्तंभ 2 में उनके भावार्थ दिए हैं। रेखा खींचकर सही मिलान कीजिए। उत्तर:
पाठ से आगे
आपकी बात
“मैया मैं नहिं माखन खायो ” यहाँ श्रीकृष्ण अपनी माँ के सामने सिद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं कि उन्होंने माखन महीं खाया है। कभी-कभी हमें दूसरों के सामने सिद्ध करना पड़ जाता है कि यह कार्य हमने नहीं किया। क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है? कब? किसके सामने? आपने अपनी बात सिद्ध करने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए? उस घटना के बारे में बताइए । उत्तर: हाँ, जीवन में कई बार ऐसी घटनाएँ घट जाती हैं जब हम सत्य कह रहे होते हैं तब भी लोग उस पर विश्वास नहीं कर पाते और यदि ऐसे में साक्ष्य न हो तो अच्छा-खासा सच भी झूठ की शंका के नीचे दबकर दम तोड़ देता है। इसके लिए काफी हद तक दोषी हम सभी हैं क्योंकि अधिकतर लोग अपनी आदत के कारण झूठ का सहारा लेते हैं। मैं विद्यालय अपनी साइकिल से जाता हूँ। आज मेरी वार्षिक परीक्षा थी। वर्षा हो रही थी । मैं घर से थोड़ी दूर ही गया था कि मैंने देखा कि एक वृद्ध व्यक्ति सड़क के किनारे दुर्घटनाग्रस्त पड़े हैं। उनके पाँव से खून बह रहा था। मैंने उन्हें अस्पताल पहुँचाने का निश्चय किया। मैंने उन्हें अपनी साइकिल पर बिठाया और सरकारी अस्पताल ले गया। अधिक खून बह जाने के कारण वे अर्ध-मूर्च्छित से हो रहे थे। उन्हें अस्पताल छोड़कर मैं विद्यालय आया । उस समय तक मैं आधा घंटा देर से विद्यालय पहुँचा था । देर से आने के कारण मुझे विद्यालय में प्रवेश करने से रोक दिया गया। मेरी बात पर स्कूल के गेट पर खड़े गार्ड ने विश्वास ही नहीं किया। उन्होंने कहा कि वे विद्यालय के नियम के विरुद्ध नहीं जा सकते। तभी वहाँ पर हमारे पी.टी. सर आ गए। उन्हें मेरी बात पर विश्वास हो गया। उन्होंने प्रधानाध्यापक से बात की। विद्यालय से जब अस्पताल फ़ोन करके पूछा गया तो मेरी बात सत्य सिद्ध हुई। मुझे मेरे काम की शाबासी देते हुए प्रधानाचार्य जी ने मुझे परीक्षा पूरी करने के लिए अतिरिक्त समय भी दिया और अगले दिन मेरे कार्य की प्रशंसा प्रात:कालीन प्रार्थना सभा में भी की गई।
घर की वस्तुएँ
“मैं बालक बहियन को छोटो, छीको केहि बिधि पायो।” ‘छीका’ घर की एक ऐसी वस्तु है जिसे सैकड़ों वर्ष से भारत में उपयोग में लाया जा रहा है। नीचे कुछ और घरेलू वस्तुओं के चित्र दिए गए हैं। इन्हें आपके घर में क्या कहते हैं? चित्रों के नीचे लिखिए। यदि किसी चित्र को पहचानने में कठिनाई हो तो आप अपने शिक्षक, परिजनों या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।
आप जानते ही हैं कि श्रीकृष्ण को मक्खन बहुत पसंद था। दूध से दही, मक्खन बनाया जाता है और मक्खन से घी बनाया जाता है। नीचे दूध घी बनाने की प्रक्रिया संबंधी कुछ चित्र दिए गए हैं। अपने परिवार के सदस्यों, शिक्षकों या इंटरनेट आदि की सहायता से दूध से घी बनाने की प्रक्रिया लिखिए ।
उत्तर: सर्वप्रथम दूध को जामन लगाकर दही बनाया जाता है। दही को मथने से माखन बनता है। माखन को हांड़ी या किसी बड़े बर्तन में डालकर गर्म किया जाता है। धीरे-धीरे वह घी में परिवर्तित होने लगता है। हांडी मैं बने घी को छान लिया जाता है और बची ‘करोनि’ को भी खा सकते हैं।
समय का माप
” चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो।।”
(क) ‘पहर’ और ‘साँझ’ शब्दों का प्रयोग समय बताने के लिए किया जाता है। समय बताने के लिए और कौन-कौन से शब्दों का प्रयोग किया जाता है? अपने समूह में मिलकर सूची बनाइए और कक्षा में साझा कीजिए । (संकेत- कल, ऋतु, वर्ष, अब पखवाड़ा, दशक, वेला अवधि आदि ) उत्तर: अभी, प्रात: सांय, दोपहर, रात, कल, आज, परसो, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक, छमाही वार्षिक आदि।
(ख) श्रीकृष्ण के अनुसार वे कितने घंटे गाय चराते थे? उत्तर: दस से बारह घंटे ।
(ग) मान लीजिए वे शाम को छह बजे गाय चराकर लौटे। वे सुबह कितने बजे गाय चराने के लिए घर से निकले होंगे? उत्तर: पाँच-छह बजे के बीच में।
(घ) ‘दोपहर’ का अर्थ है ‘दो पहर’ का समय। जब दूसरे पहर की समाप्ति होती है और तीसरे पहर का प्रारंभ होता है। यह लगभग 12 बजे का समय होता है, जब सूर्य सिर पर आ जाता है। बताइए दिन के पहले पहर का प्रारंभ लगभग कितने बजे होगा? उत्तर: सुबह के छह बजे से नौ बजे तक पहला पहर होता है।
हम सब विशेष हैं
(क) महाकवि सूरदास दृष्टिबाधित थे। उनकी विशेष क्षमता थी उनकी कल्पना शक्ति और कविता रचने की कुशलता । हम सभी में कुछ न कुछ ऐसा होता है जो हमें सबसे विशेष और सबसे भिन्न बनाता है। नीचे दिए गए व्यक्तियों की विशेष क्षमताएँ क्या हैं, विचार कीजिए और लिखिए- आपकी…………………………………………. आपके ………………………………….. आपके शिक्षक की ………………………. आपके मित्र की …………………….. उत्तर: आपकी– मुझे कहानियाँ और पुस्तकें पढ़ने-लिखने का शौक है। आपके किसी परिजन की- मेरे दादा जी एक कुशल व्यापारी हैं। वे अपने बल, बुद्धि और मेहनत के बूते एक सफल व्यापारी हैं। मेरे पापा और मेरे चाचा जी भी अब उनके साथ व्यापार में उनका सहयोग करते हैं। व्यापार में दादा जी से सीखकर अब वे दोनों भी कुशल व्यापारी बन गए हैं। आपके शिक्षक की- हमारे शिक्षक हमारे आदर्श हैं। वे हमारी पूरी कक्षा के आदर्श हैं। वे हम छात्रों को बहुत प्रेम से पढ़ाते हैं। अपने विषय पर उनका पूरा अधिकार है। वे हमें सरल और रोचक ढंग से पढ़ाते हैं। वे सभी छात्रों पर एक समान ध्यान देते हैं । यहाँ तक कि यदि हममें से किसी छात्र को कोई समस्या हो तो उस पर भी उनकी नज़र रहती है। आपके मित्र की- वैसे तो मेरे सारे सहपाठी मेरे मित्र हैं किंतु हम चार विद्यार्थियों का समूह अपनी मित्रता के लिए प्रसिद्ध हैं। हम चारों के परिवारिक संबंध भी बहुत अच्छे हैं। हम चारों हर समय एक-दूसरे की सहायता करने के लिए तत्पर रहते हैं।
(ख) एक विशेष क्षमता ऐसी भी है जो हम सबके पास होती है। वह क्षमता है सबकी सहायता करना, सबके भले के लिए सोचना । तो बताइए, इस क्षमता का उपयोग करके आप इनकी सहायता कैसे करेंगे-
एक सहपाठी पढ़ना जानता है और उसे एक पाठ समझ में नहीं आ रहा है।
एक सहपाठी को पढ़ना अच्छा लगता है और वह देख नहीं सकता।
एक सहपाठी बहुत जल्दी-जल्दी बोलता है और उसे कक्षा में भाषण देना है।
एक सहपाठी बहुत अटक अटक कर बोलता है और उसे कक्षा में भाषण देना है।
एक सहपाठी को चलने में कठिनाई है और वह सबके साथ दौड़ना चाहता है।
एक सहपाठी प्रतिदिन विद्यालय आता है और उसे सुनने में कठिनाई है।
उत्तर:
मेरा एक सहपाठी पढ़ना जानता है और उसे एक पाठ समझ में नहीं आ रहा। मेरे परिवार से मुझे एक-दूसरे की सहायता करने के संस्कार मिले हैं। इसलिए उस पाठ को पहले मैं दो बार पढूँगा ताकि अपने उस सहपाठी को भली-भाँति समझा सकूँ। इसके पश्चात मैं अपने उस सहपाठी को पाठ समझाऊँगा।
एक सहपाठी को पढ़ना अच्छा लगता है और वह देख नहीं सकता। अपने उस सहपाठी की पढ़ने में मदद करूँगा। उसे पढ़कर पाठ सुनाऊँगा और उसके लिए ब्रेल लिपि की पुस्तक लाऊँगा ।
एक सहपाठी बहुत जल्दी-जल्दी बोलता है और उसे कक्षा में भाषण देना है। इसके लिए हमें भरसक प्रयत्न करना है। उसे हम धीरे-धीरे बोलने का अभ्यास करवाकर कक्षा के भाषण को बोलने का भी अभ्यास करवाएँगे। बार-बार का अभ्यास उसे सफल बनाएगा और उसमें आत्मविश्वास की भावना बढ़ेगी और वह जीवन में सफलता की ओर अग्रसर होगा।
एक सहपाठी अटक–अटक कर बोलता है और उसे भाषण देना है। कहावत प्रसिद्ध है- ‘करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।’ उसे एक ही वाक्य बार-बार बोलने का अत्यधिक अभ्यास करवाया जाएगा ताकि उसकी यह कमी दूर हो जाए और वह भाषण देने में सफल हो जाए ।
एक अन्य सहपाठी को चलने में कठिनाई है और वह सबके साथ दौड़ना चाहता है। ऐसे सहपाठी को दौड़ने में कठिनाई तो बहुत होगी, किंतु बार-बार के अभ्यास से उसमें कुछ-न- कुछ सुधार अवश्य होगा।
एक सहपाठी प्रतिदिन विद्यालय आता है और उसे सुनने में कठिनाई है। हम उसे सुनने का उपकरण खरीदकर देकर उसकी सहायता कर सकते हैं।
आज की पहेली
दूध से मक्खन ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ बनाया जाता है। नीचे दूध से बनने वाली कुछ वस्तुओं के चित्र दिए गए हैं। दी गई शब्द पहेली में उनके नाम के पहले अक्षर दे दिए गए हैं। नाम पूरे कीजिए-
उत्तर:
खोजबीन के लिए
सूरदास द्वारा रचित कुछ अन्य रचनाएँ खोजें व पढ़ें। उत्तर: संकेत:
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए
(1) माँ एलेसेंड्रा के बारे में कौन-सा कथन सत्य है?
वे असम के जीवन के बारे में बहुत-कुछ जानती थीं।
उन्हें असम, बिहू और सत्रिया नृत्य से बहुत प्रेम था।
उन्होंने एंजेला को कुछ असमिया शब्द भी सिखाए।
वे अपने काम में सहायता के लिए बेटी को लाई थीं।
उत्तर: वे असम के जीवन के बारे में बहुत कुछ जानती थी। (★)
(2) “अनु और एंजेला ने तुरंत एक-दूसरे की तरफ देखा।” क्यों?
अनु के पास खिलौने थे।
दोनों की आयु एक समान थी।
दोनों को अंग्रेजी भाषा आती थी।
एंजेला अनु से असमिया भाषा सीखना चाहती थी।
उत्तर: दोनों की आयु एक समान थी। (★)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये ही उत्तर क्यों चुने?
उत्तर: माँ एलेसेंड्रा और एंजेला जब भारत आ रहे थे तब माँ एलेसेंड्रा ने एंजेला को भारत के बारे में और असम के बारे में बहुत सारी जानकारी दी इन बातों से यह पता चलता है की माँ एलेसेंड्रा भारत की बारे में बहुत कुछ जानती थी। माँ एलेसेंड्रा और उसका परिवार मलंग इस गांव में घूमने के बाद दूसरे दिन उत्तरी असम की तरफ गए। तब उनकी मुलाकात असम की लेखिका रीना सेन से हुई। उनकी एक बेटी थी जो दस साल की थी। इस वजह से अनु और एंजेला ने तुरंत एक दूसरे की तरफ देखा। पाठ में से कुछ शब्द सुनकर स्तंभ में दिए गए हैं। उनसे संबंधित वाक्य स्तंभ 2 में दिए गए हैं। अपने समृड में इन पर चर्चा कीजिए और रेखा खींचकर शब्दों का मिलान उपयुक्त वाक्यांशों से कीजिए इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
मिलकर करें मिलान
Q1. पाठ में से कुछ शब्द चुनकर स्तंभ 1 में दिए गए हैं। उनसे संबंधित वाक्य स्तंभ 2 में दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और रेखा खींचकर शब्दों का मिलान उपयुक्त वाक्यों से कीजिए। उत्तर:
पंक्तियों पर चर्चापाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपनी कक्षा में साझा कीजिए और लिखिए।
(क) “असम, भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में है, जिसे अपने वन्य-जीवन, रेशम और चाय के बागानों के लिए जाना जाता है। इसके साथ असम में नृत्य की भी एक समृद्ध परंपरा है।” उत्तर: असम अपने प्राकृतिक सौंदर्य, वन्य-जीवन, रेशम और चाय के बागानों के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, असम में नृत्य और संगीत की भी एक समृद्ध परंपरा है जो इसे और अधिक महत्वपूर्ण बनाती है।
(ख) “पूरी दुनिया की संस्कृतियों में लोग नृत्य और संगीत के साथ अपने भावनाओं को व्यक्त करते हैं।” उत्तर: नृत्य और संगीत प्रत्येक संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिनके माध्यम से लोग अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त करते हैं और इनमें जुड़ाव महसूस करते हैं।
सोच-विचार के लिए
(क)“एंजेला के मन में कई तरह के विचार चल रहे थे।” उत्तर: जब एंजेला की मां ने उससे बिहू के बारे में पूछा, तब उसके मन में कई विचार थे, जैसे कि लोग हर उत्सव पर नृत्य और संगीत क्यों करते हैं और लड़कों के हाथ में कौन से वाद्य थे।
(ख) “बिहू एक कृषि आधारित त्योहार है।” कैसे?
उत्तर: असम का बिहू नृत्य ग्रामीण जनजीवन के साथ-साथ फसल लगाने से लेकर बसंत के आगमन तक से जुड़ा हुआ है। भारत में जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा किसानों का है। असम में बिहू साल में तीन बार मनाया जाता है। सबसे पहले किसान बीज बोते हैं, फिर जब वे धान रोपते हैं और फिर अनाज तैयार हो जाने पर बिहू उत्सव आनंद से मनाया जाता है।
(ग)ऐसा लगता है कि भारत से जाने के बाद भी एंजेला के मन में असम ही छाया हुआ था। पाठ से इस कथन के समर्थन के लिए कुछ उदाहरण खोजकर लिखिए। उत्तर: बिहू नृत्य देखने के बाद उसने यह तय किया कि जब वह अपने घर पर बसंत के आगमन पर ऐसे नृत्य करेगी। जब एंजेला की मां साक्षात्कार लेने मे व्यस्त थी तब वह कई सारी बातों पर गौर कर रही थी। युवा वैष्णव मठ में नृत्य कर रहे थे तब वह सोच रही थी के काश वो भी उन साधुओं की तरह गा सकती और नृत्य कर सकती। एक रात वह एंजेला सत्रिया नृत्य देखने गई थी। तब उसे वह सब दिलचस्प लगा।
(घ) समय के बदलने के साथ-साथ सत्रिया नृत्य की परंपरा में क्या बदलाव आया है? उत्तर: बीसवीं शताब्दी में कुछ साधुओं ने मठों से बाहर जाकर बाहरी महिला और पुरुषों को सत्रीया नृत्य सिखाना शुरू किया। पहले तो ऐसे साधुओं को मठों से बाहर निकाल दिया गया। लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे इस परंपरा में बदलाव हो गया। आधुनिक युग में तो महिलाएं भी मंच पर यह नृत्य कर सकती है।
निबंध की रचना
“गुवाहाटी के एक होटल में सामान्य होने के बाद वे उसी शाम पास के एक गाँव मेलांग में गए। गाँव पहुँचने पर मैंने एंजेला को बताया कि बिहू एक कृषि आधारित त्योहार है। असम में बिहू साल में तीन बार मनाया जाता है।“
इस वाक्य में बिहू और असम का ऐसा रोचक और सटीक वर्णन किया गया है कि लगता है मानो हम कोई कहानी पढ़ रह है।
इस निबंध में वस्तु, घटना, दृश्य आदि का वर्णन किया गया है। इसमें जो कुछ भी स्वयं देखा गया हो, उसका वर्णन किया गया है। इस प्रकार के निबंधों में घटनाओं का विवरण होता है। इनमें आप जीवन की घटनाओं से मिलते हैं। इनकी भाषा बहुत सरल होती है। उदाहरण के लिए होली, दीपावली आदि के बारे में बताना। इस पाठ को फिर से पढ़िए और इसका बनावट पर ध्यान दीजिए। इसके की विशेषताओं को पहचानिए। अपने कक्षा में साझा कीजिए और लिखिए। इस पूरे पाठ में लेखक ने यात्रा शुरू करने से लेकर असम और गुवाहाटी तक के अनुभवों का कैसे वर्णन किया गया है। उत्तर: निबंध की रचना में लेखक ने एंजेला और उसकी माँ की यात्रा का विवरण दिया है। इसमें निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:
वस्तु और दृश्य का वर्णन: लेखक ने असम के त्योहार और नृत्य का विस्तृत विवरण दिया है।
घटना का विवरण: लेखक ने एंजेला की यात्रा और उसके अनुभवों को कहानी के रूप में प्रस्तुत किया है।
भाषा की सरलता: निबंध की भाषा सरल और स्पष्ट है जिससे पाठक आसानी से समझ सकते हैं।
व्यक्तिगत अनुभव: लेखक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा किया है जिससे पाठक की निबंध में रूचि बढ़ती है।
इस प्रकार, निबंध की रचना में वस्तु, दृश्य और घटनाओं का सजीव वर्णन होता है जो पाठक को कहानी के साथ जोड़कर रखता है।
अनुमान या कल्पना से
(क)“बहू नृत्य और इसके उत्सव से अचंभित एंजेला और उसके परिवार ने इसके साथ-साथ लजीज पकवानों का पूरा आनंद लिया।” उत्तर: एंजेला बिहू नृत्य देखने गई थी। तब उसने देखा कि बरगद के पेड़ के नीचे एक मंच बनाया था। वह खुले आसमान के नीचे बैठी थी। उसे ऐसा लग रहा था की वह टाइम मशीन में बैठी हो। वह देख रही थी की लड़कों के हाथ में वाद्य यंत्र है और लड़कियो ने लाल और बादामी रंग की पोशाक पहनी है। यह सारा मौहोल देख वह अचंभित हो गई।
(ख) “जब तक एंजेला कुछ समझ पाती, तब तक वह लंदन से नई दिल्ली होते हुए गुवाहाटी की उड़ान पर थी।” एंजेला और उसकी माँ एलेसेंड्रा ने भारत की यात्रा से पहले कौन-कौन सी तैयारिया की होंगी? उत्तर: माँ एलेसेंड्रा के पास एक महीने का वक्त था। उन्होंने स्कूल प्रशासन को इसकी जानकारी दी होगी और एंजेला के स्कूल से उसकी छुट्टियों की अनुमति ली होगी। उन्होंने यात्रा के लिए जरूरी दस्तावेज़ संभाले होंगे। डॉक्यूमेंट्री से संबंधित उपकरणों और वस्तुओं को ध्यान से पैक किया होगा। इसके अलावा व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु सामान रखा होगा। माँ ने भारत के असम राज्य में रहने के स्थान और शूटिंग के समय और स्थान की भी उचित जानकारी इकट्ठा की होगी। इससे समय की बचत होती है और डॉक्यूमेंट्री निर्माण भी सुचारू रूप से होने में मदद मिली होगी।
(ग) “वहाँ एक बड़े से बरगद के पेड़ के नीचे मंच बनाया गया था।” बिहू नृत्य के लिए बरगद के पेड़ के नीचे वे मंच क्यों बनया गया होगा? उत्तर: हिंदू ग्रंथों में बरगद के पेड़ को पूजनीय माना जाता है। भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से बरगद के पेड़ को पूजा जाता है। यह विशाल वृक्ष होता है और फैलाव के कारण काफ़ी लोग इसके नीचे व आस-पास एकत्रित हो सकते हैं। बिहू नृत्य के लिए बरगद के पेड़ रूपी प्राकृतिक मंच से बेहतर और क्या हो सकता था। साथ ही इस पेड़ का सांस्कृतिक महत्त्व भी है।
शब्दों की बात
नीचे शब्दों से जुड़ी कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। इन्हे करने के लिए आप शब्दकोश, अपने शिक्षकों और मित्रों की सहायता भी ले सकते हैं।
असम से जुड़े शब्द इस पाठ में अनेक शब्द से हैं जो असम से विशेष रूप से जुड़े हैं। अपने समूह में मिलकर उन शब्दों की पहचान कीजिए। इसके बाद उन्हें नीचे दिए गए स्थान पर लिखिए- (संकेत- असम के नृत्य, त्योहार, भाषा आदि।)
उत्तर:
तीन बिहू
“असम में बिहू साल में तीन बार मनाया जाता है।”
(क) एंजेला और उसकी माँ एलेसेंड्रा कौन-से बिहू के अवसर पर भारत आए थे? लिखिए।
उत्तर: एंजेला और उसकी माँ एलेसेंड्रा अप्रैल में बसंत बिहू के अवसर पर भारत आए थे।
(ख) तीनों बिहू के लिए लिखिए कि उस समय किसान खेतों में क्या कर रहे होते हैं? उत्तर: पहली बिहू में किसान बीज बोते हैं। दूसरी में वे धन रोपते हैं और तीसरी मे वह अनाज तैयार हो जाता हैं।
पाठ से आगे आपकी बात
अपने समूह में चर्चा कीजिए- (क) रीना आंटी की एक बिटिया थी- अनु” ‘बिटिया’ का अर्थ है ‘बेटी’। बेटी को प्यार से बुलाने के लिए और स्नेह जताने के लिए ‘बिटिया’ शब्द का प्रयोग भी किया जाता है। ‘बिटिया’ जैसा ही एक अन्य शब्द ‘बिट्टो’ भी है। आपके घर में आपको प्यार से किन-किन नामों से पुकारा जाता है? उत्तर: हमे अपने घर में प्यार से बेटी, सोनचिरैया, गुड़िया इन नामों से पुकारा जाता हैं।
(ख) आपके नाम का क्या अर्थ है? आपका नाम किसने रखा? पता करके बताइए। उत्तर: मेरा नाम ऐश्वर्या है। यह नाम मेरे दादा ने रखा है। इसका अर्थ अधिपत्य या फिर ईश्वरीता होता है।
(ग) “वे एक साथ खेल रहे थे” आप कौन-कौन से खेल अपने मित्रों के साथ मिलकर खेलते हैं? बताइए। उत्तर: हम हमारे मित्रों के साथ पकड़म पकड़ाई, लुका छिपी, क्रिकेट, फुटबॉल, खो खो यह खेल खेलते है।
(घ) “असम में नृत्य की भी एक समृद्ध परंपरा है।” आपने इस पाठ में बिहू और सत्रिया नृत्यों के बारे में तो पढ़ा है। आपके प्रांत में कौन-कौन से नृत्य प्रसिद्ध हैं? आपको कौन-सा नृत्य करना पसंद हैं? उत्तर: असम में यह नृत्य कई सालों से त्योहारों में प्रदर्शित किया जाता हैं। यह लोग अपनी खुशी जताने के लिए, आनंद मनाने के लिए यह नृत्य करते हैं। हमारे प्रांत में कथकली, भरतनाट्यम यह नृत्य प्रसिद्ध है। हमे कथकली अच्छा लगता हैं।
पूर्वोत्तर की यात्रा
असम भारत के पूर्वोत्तर भाग में स्थित है। असम के अतिरिक्त पूर्वोत्तर भारत में सात अन्य राज्य भी हैं। आपको अवसर मिले तो इनमें से किसी राज्य की यात्रा कीजिए। आठ राज्यों के नाम हैं – अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड, मणिपुर और असम । उत्तर: यात्रा स्वयं करके अनुभव प्राप्त करें।
टाइम मशीन
“उसे ऐसा लग रहा था, जैसे वह आश्चर्यजनक रूप से किसी टाइम-मशीन में आकर बैठ गई हो!” क्या आपने पहले कभी ‘टाइम-मशीन’ का नाम सुना है? टाइम-मशीन ऐसी काल्पनिक मशीन है, जिसमें बैठकर बीते हुए या आने वाले समय की दुनिया में पहुँचा जा सकता है। ‘टाइम-मशीन’ को अभी तक बनाया नहीं जा सका है। लेकिन अनेक लेखकों ने ‘टाइम-मशीन’ के बारे में कहानियाँ लिखी हैं, अनेक फ़िल्मकारों ने इसके बारे में फ़िल्में बनाई हैं।
(क) यदि आपको टाइम-मशीन मिल जाए तो आप उसमें बैठकर कौन-से समय में और कौन-से स्थान पर जाना चाहेंगे? क्यों? उत्तर: अगर हमे टाइम-मशीन मिल जाए तो हम अपने बचपन में अपने नाना के गांव जाना चाहेंगे। क्योंकि बचपन में मेरा कई सारा वक्त उसी जगह पर गुजरा है।
(ख) आपको यदि कोई ऐसी वस्तु बनाने का अवसर मिले जो अभी तक नहीं बनाई आप क्या बनाएँगे? क्यों बनाएँगे? उत्तर: यदि हमे कोई ऐसी वस्तु बनाने का अवसर मिले जो अभी तक नहीं बनाई है तो हम ऐसी वस्तु बनाएंगे जिसमे बैठकर हम एक जगह से दूसरी जगह किसी भी वक्त चंद मिनटों में जा सके। क्योंकि मुझे मेरे नाना के घर जाने की बहुत इच्छा होती है लेकिन मेरे छोटी होने के कारण कोई मुझे नही भेजता।
(ग) क्या आपने कभी किसी संग्रहालय की यात्रा की है? संग्रहालय ऐसा स्थान होता है जहाँ विभिन्न कालों की प्राचीन वस्तुएँ देखने को मिलती हैं।कभी-कभी संग्रहालय की यात्रा भी ‘टाइम-मशीन’ की यात्रा जैसी लगती है। उत्तर: हाँ, मैंने पटना स्थित राज्य संग्रहालय की यात्रा की है, पर खुदाई से प्राप्त प्राचीन भारत के कई अवशेष संग्रहित हैं।
खिलौने विभिन्न प्रकार के
“एंजेला को अनु के खिलौने बहुत अच्छे लगे, जो थोड़े अलग तरह के थे।”
(क) अनु के खिलौने कैसे थे? लंदन में एंजेला के खिलौने कैसे रहे होंगे? उत्तर: अनु के पास गुड़िया, लकड़ियों के खिलौने और नारियल की जटा से बने खिलौने थे। यह उसके लिए अनोखे खिलौने थे। लंदन में एंजेला के पास शायद अलग तरह के खैलौने होंगे। जिसमे कई सारी वीडियो गेम्स, इलेक्ट्रिक कार शामिल होंगी।
(ख) आप घर पर कौन-कौन से खिलौनों से खेलते रहे हैं? उनके नाम बताइए। उत्तर: मेरे घर छोटे छोटे बर्तन है, इसके साथ साथ मिट्टी के और लकड़ी के भी खिलौने है। हम घर पर गाड़ियों के साथ, बरतनों के साथ, कभी कभी मिट्टी के साथ भी खेलते है।
(ग) भारत के प्रत्येक प्रांत में हाथ से बच्चों के अनोखे खिलौने बनाए जाते हैं। आपके यहाँ बच्चों के लिए हाथ से बने कौन-कौन से खिलौने मिलते हैं? उत्तर: हमारे यहाँ हाथ से मिट्टी और लकड़ियों के खिलौने बनाए जाते हैं।
(घ) भारत के बच्चे स्वयं भी अपने लिए अनोखे खिलौने बना लेते हैं। आप भी तो कागज़, मिट्टी आदि से कोई न कोई खिलौना बनाना जानते होंगे? आप अपने हाथों से बनाए किसी खिलौने को कक्षा में लाकर दिखाइए और उसे बनाने का तरीका सबको सिखाइए। उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
पत्र
(क) मान लीजिए आप एंजेला हैं। आप लंदन लौट चुकी हैं और आपको भारत की बहुत याद आ रही है। अपनी सखी अनु को पत्र लिखकर बताइए कि आपको कैसा अनुभव हो रहा है। उत्तर: एंजेला केंजिंग्टन, लंदन हाय अनु, कैसी हो..? मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही है। मैं उन दिनों को बहुत याद कर रही हूं। मुझे फिर से वही पर आना है। जब अगली छुट्टियां मिलेगी तब मैं वहाँ पर आउंगी। मुझे वहाँ का नृत्य सबसे ज्यादा पसंद आया है। वही नृत्य मै अब मेरे सभी दोस्तों को भी सिखाऊंगी। तुम भी कभी लंदन आ जाना। मैं तुम्हे सभी जगहों पर घुमाऊंगी। तुम्हारी दोस्त एंजेला
(ख) आप जानते होंगे कि पत्र लिखने के लिए आवश्यक सामग्री जैसे – पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय लिफाफे आदि डाकघर से खरीदे जा सकते हैं। संभव हो तो आप भी अपने घर के पास के डाकघर में जाइए और एक पोस्टकार्ड खरीदकर पत्र लिखने के लिए उसका उपयोग कीजिए।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
(ग) क्या आपने कभी डाक टिकट देखा है ?
संसार के सभी देश डाक टिकट जारी करते हैं। भारत का डाक विभाग भी समय-समय पर डाक टिकट जारी करता है। डाक-टिकट किसी देश की संस्कृति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी भी उपलब्ध कराते हैं। इसलिए अनेक लोग देश-विदेश के डाक टिकटों को एकत्रित करना पसंद करते हैं।
नीचे भारत के विभिन्न लेखकों के सम्मान में जारी किए गए कुछ डाक टिकटों के चित्र दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए – (डाक टिकटों के चित्र के लिए पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या 90 पर देखें।)
(क) आपको इनमें से कौन-सा डाक टिकट सबसे अच्छा लगा और क्यों?
उत्तर: मुझे इनमें से सुभद्रा कुमारी चौहान जी पर जारी एक डाक टिकट सबसे अच्छा लगा क्योंकि वे मेरी प्रिय कवयित्री हैं। मुझे उनकी रचनाएँ पढ़ना बहुत पसंद है।
(ख) डाक टिकटों पर लेखकों के बारे में कौन-कौन सी जानकारी दी गई है ?
उत्तर: डाक टिकटों पर लेखकों का छायाचित्र है तथा हिंदी और अंग्रेजी में उनका नाम लिखा हुआ है। इसके साथ ही टिकट जारी होने के वर्ष तथा लेखकों के जन्म और मृत्यु के वर्ष की जानकारी भी दी गई है।
आज की पहेली
आज हम आपके लिए लाए हैं, कुछ असमिया पहेलियाँ। इनमें कुछ पहेलियों को पढ़कर आपको लगे, अरे! ये पहेली तो मेरे घर पर भी बूझी जाती है ! तो कुछ पहेलियाँ आप पहली बार बूझेंगे। तो आइए, आनंद लेते हैं इन रंग-बिरंगी पहेलियों का-
उत्तर: विद्यार्थी पढ़कर स्वयं समझें ।
झरोखे से
“असम, भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में है, जिसे अपने वन्य-जीवन, रेशम और चाय के बागानों के लिए जाना जाता है।”
आपने पढ़ा है कि असम का रेशम (जिसे मूँगा सिल्क भी कहा जाता है) बहुत प्रसिद्ध है। क्या आप जानना चाहते हैं, यह क्या है, कैसे बनता है और क्यों प्रसिद्ध है? हाँ? तो पढ़िए आगे—
असम का सुप्रसिद्ध मूँगा सिल्क
कुछ वर्ष पूर्व मेरी नियुक्ति गुवाहाटी हवाई अड्डे पर हुई थी। वहाँ पर प्रायः मैं महिलाओं को एक विशेष प्रकार की आकर्षक साड़ी पहने देखता था। यह साड़ी सदैव भूरे-सुनहरे रंग की झिलमिली- सी होती थी। उस पर अधिकतर पारंपरिक ढंग से लाल या काली बार्डर तथा हरे, लाल अथवा पीले रंग से बूटों आदि की कढ़ाई रहती थी। कुछ समय पश्चात जब मैं असम के एक विवाह समारोह में गया, तो वहाँ भी अधिकतर महिलाएँ उसी प्रकार की अन्य चमकीली भूरी-सुनहरी साड़ियाँ पहन कर आई थीं। अनेक पुरुषों ने भी उसी प्रकार के भूरे-सुनहरे रंग के कुर्ते पहने हुए थे। बस केवल रंगों में हल्के या गहरे का अंतर था। मैंने अपने एक असमी मित्र से छ कि यह कैसा भूरा- I-चमकीला कपड़ा है।
मित्र ने बताया कि यह भूरा नहीं बल्कि सुनहरा है। यह असम का सुप्रसिद्ध मूँगा सिल्क है जो सभी प्रकार के रेशमों में सबसे महँगा होता है। मूँगा का असमिया भाषा में अर्थ है पीला या गहरा भूरा। और इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि सम्पूर्ण विश्व में यह केवल असम तथा देश के पूर्वोत्तर राज्यों में ही तैयार होता है। यह असम को प्रकृति द्वारा दिया गया अनमोल और अद्वितीय उपहार है।
मित्र ने यह भी बताया कि मूँगा सिल्क की साड़ियों की एक खूबी यह है कि अन्य रेशमी कपड़ों के विपरीत इनको ‘ड्राई क्लीन’ कराने की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि उन्हें घर पर ही धोया जा सकता है। हर धुलाई के बाद इनका निखार बढ़ता ही जाता है। एक साड़ी औसतन 50 वर्ष तक खराब नहीं होती है। ऐसा माना जाता है कि
मूँगा रेशम सभी प्रकार के प्राकृतिक रूप से तैयार किए जाने वाले कपड़ों में सबसे मज़बूत होता है। इसके अलावा इसे गर्मी या सर्दी किसी भी मौसम में पहना जा सकता है। असम के लोगों का मानना है कि मूँगा सिल्क के कपड़ों में अनेक औषधीय गुण भी होते हैं।
बिमल श्रीवास्तव, स्रोत पत्रिका, अप्रैल 2008
उत्तर: विद्यार्थी पढ़कर स्वयं समझें ।
साझी समझ
आपको इस लेख में दी गई कौन-सी जानकारी सबसे अच्छी लगी? क्यों? अपने समूह में बताइए ।
उत्तर: इस लेख में मूँगा सिल्क के संबंध में दी गई जानकारी ज्यादा अच्छी लगी। असम का मूँगा सिल्क सभी प्रकार के रेशमों से सबसे महँगा होता है और यह असम तथा देश के पूर्वोत्तर राज्यों में ही तैयार होता है। यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि इससे बनी साड़ी लगभग 50 वर्ष तक खराब नहीं होती और हर धुलाई के बाद इसका निखार बढ़ता ही जाता है। इसे सर्दी-गर्मी किसी भी मौसम में पहना जा सकता है।
खोजबीन के लिए
असम सहित पूर्वोत्तर भारत के बारे में आप और जान सकते हैं और भारत के पारंपरिक लोक संगीत का आनंद भी ले सकते है, जिन्हें इंटरनेट कड़ियों तथा क्यू. आर. कोड की सहायता से पढ़ें, देखें व समझें-
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए- (1) निम्नलिखित में से कौन-सी बात इस कविता में मुख्य रूप से कही गई है?
भलाई के कार्य करते रहना
दीवाली के दीपक जलाना
बल्ब आदि जलाकर अंधकार दूर करना
तिमिर तले तक दीप चलाते रहना
उत्तर: भलाई के कार्य करते रहना (★)
(2) “जला दीप पहला तुम्हीं ने तिमिर की, चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी” यह वाक्य किससे कहा गया है?
तिमिर से
युगों से
दीपकों से
दीवार से
उत्तर: मनुष्यों से (★)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण सहित बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने? उत्तर: (1) मैंने ‘भलाई के कार्य करते रहना’ उत्तर इसलिए चुना क्योंकि कविता का शीर्षक भी ‘जलाते चलो’ है। पूरी कविता में बुराई, अनाचार, पाप, लोभ आदि बुराइयों को मिटाकर भलाई के कार्य करने की प्रेरणा दी गयी है। (2) मैंने ‘मनुष्यों से’ उत्तर इसलिए चुना क्योंकि मानव नेही प्रेम रूपी प्रकाश का दीपक जलाकर ‘तिमिर’ अर्थात अंधकार, बुराइयों आदि की चुनौती को स्वीकार किया था।
मिलकर करें मिलान
कविता में से चुनकर कुछ शब्द यहाँ दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
पंक्तियों पर चर्चा
कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-
“दिये और तूफ़ान की यह कहानी चली आ रही और चलती रहेगी, जली जो प्रथम बार लौ दीप की स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी। रहेगा धरा पर दिया एक भी यदि कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा।” उत्तर: “दिये और तूफ़ान की यह कहानी चली आ रही और चलती रहेगी”: यह पंक्ति बताती है कि दिये और तूफ़ान की लड़ाई, जो प्रतीकात्मक रूप से संघर्ष और आत्मविपरीतता का प्रतिनिधित्व करती है, यह एक पुरानी कहानी है और यह भविष्य में भी चलती रहेगी। यह जीवन के संघर्षपूर्ण पहलुओं को दर्शाती है। “जली जो प्रथम बार लौ दीप की स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी”: यहाँ दीप की लौ की चमक को स्वर्ण के समान बताया गया है, जो पहली बार जलने के बाद भी स्थायी और उज्ज्वल रहती है। यह संकेत करता है कि एक बार स्थापित किए गए अच्छे कार्य या सच्चाई का प्रकाश समय के साथ भी कायम रहता है। “रहेगा धरा पर दिया एक भी यदि कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा”: इस पंक्ति का अर्थ है कि अगर धरती पर एक भी दीप जलता रहे, तो अंधेरे (रात) के समाप्त होने की संभावना बनी रहती है। यह आशा और उम्मीद की बात करती है कि एक छोटा सा प्रकाश भी अंधेरे को दूर कर सकता है और जीवन में उजाला ला सकता है।
सोच-विचार के लिए
कविता को एक बार फिर से पढ़िए, पता लगाइए और अपनी लेख पुस्तक में लिखिए—
(क) कविता में अंधेरे या तिमिर के लिए किस स्थिति के उदाहरण दिए गए हैं? उत्तर:
अमावस
निशा
तिमिर की सरिता
तिमिर की शिला
पवन
तूफ़ान
(ख) यह कविता आशा और उत्साह जगाने वाली कविता है। इसमें क्या आशा की गई है? यह आशा क्यों की गई है? उत्तर: यह कविता जीवनरूपी दीप में स्नेह व अपनापन रूपी तेल भरकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। निराशा के बीच ही आशा की एक किरण दिखाई देती है। मानव और विश्व कल्याण हेतु हमें महापुरुषों के पदचिह्नों पर चलना होगा। प्रेम, सद्भावना और मानवीय सौहार्द से यह जीवन खुशहाल बनता है। नई पीढ़ी इतिहास में हुए महान लोगों से प्रेरणा लेकर एक सुंदर भविष्य की नींव रखेगी। कविता मनुष्य के हृदय में विश्व बंधुत्व की आशा जाग्रत करती है।
(ग) कविता में किसे जलाने और किसे बुझाने की बात कही गई है? उत्तर: मनुष्य को आशा का दीपक जलाकर रखना चाहिए। स्नेह से भरे दीपक चारों ओर रोशनी फैलाएं, जबकि बिना स्नेह वाले विद्युत दीपक को बुझा देना चाहिए, क्योंकि कृत्रिम चीजें बाधाएं उत्पन्न करती हैं।
कविता की रचना
“जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर कभी तो धरा का अँधेरा मिटेगा ।” इन पंक्तियों को अपने शिक्षक के साथ मिलकर लय सहित गाने या बोलने का प्रयास कीजिए। आप हाथों से ताल भी दे सकते हैं। दोनों पंक्तियों को गाने या बोलने में समान समय लगा या अलग-अलग? आपने अवश्य ही अनुभव किया होगा कि इन पंक्तियों को बोलने या गाने में लगभग एक-समान समय लगता है। केवल इन दो पंक्तियों को ही नहीं, इस कविता की प्रत्येक पंक्ति को गाने में या बोलने में लगभग समान समय ही लगता है। इस विशेषता के कारण यह कविता और अधिक प्रभावशाली हो गई है। आप ध्यान देंगे तो इस कविता में आपको और भी अनेक विशेष बातें दिखाई देंगी। (क) इस कविता को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस कविता की विशेषताओं की सूची बनाइए, जैसे इस कविता की पंक्तियों को 2–4, 2-4 के क्रम में बाँटा गया है आदि। उत्तर: विद्यार्थी पढ़कर स्वयं कविता की विशेषतओं की सूची बनाएँ और उसे कक्षा में साझा करें।
(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए। उत्तर: विद्यार्थी पढ़कर स्वयं कविता की विशेषतओं की सूची बनाएँ और उसे कक्षा में साझा करें।
मिलान
स्तंभ 1 और स्तंभ 2 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। मिलते-जुलते भाव वाली पंक्तियों को रेखा खींचकर जोड़िए। उत्तर:
अनुमान या कल्पना से
(क) “दिये और तूफान की यह कहानी चली आ रही और चलती रहेगी” दीपक और तूफान की यह कौन-सी कहानी हो सकती है जो सदा से चली आ रही है? उत्तर: दिये और तूफ़ान की कहानी से अभिप्राय-अमीर-गरीब, सत्य-असत्य, हिंसा – अहिंसा, पाप-पुण्य आदि अच्छाई और बुराई से है। अच्छाइयों और बुराइयों का टकराव होना स्वाभाविक है। इनके टकराव की कहानी युगों-युगों से चली आ रही है और आगे भी ऐसे ही चलती रहेगी।
(ख) “जली जो प्रथम बार लौ दीप की स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी” दीपक की यह सोने जैसी लौ क्या हो सकती है जो अनगिनत सालों से जल रही है? उत्तर: दीपक की यह सोने जैसी लौ आशा और उम्मीद का प्रतीक है। यह लौ अनगिनत सालों से जल रही है। हमारा जीवन अच्छे भविष्य की आशा का सहारा लेकर ही चलता है। यदि किसी कारणवश किसी की आशा और उम्मीद समाप्त हो जाए तो वह व्यक्ति सकारात्मक विचारों को छोड़कर निराशावादी बन जाता है। ऐसा व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार हो जाता है। इसलिए सभी के जीवन में आशा और उम्मीद की लौ जलाना और जलना दोनों आवश्यक है चाहे वह लौ मंद-मंद ही जले।
शब्दों के रूप
“कि जिससे अमावस बने पूर्णिमा-सी” “अमावस” का अर्थ है “अमावस्या”। इन दोनों शब्दों का अर्थ तो समान है लेकिन इनके लिखने-बोलने में थोड़ा-सा अंतर है। ऐसे ही कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। इनमें मिलते-जुलते दूसरे शब्द खोजकर लिखिए। शब्द कविता से खोजकर लिखिए। ऐसे ही कुछ अन्य शब्द आपस में चर्चा करके खोजिए और लिखिए। 1. दिया ______ 2. उजेला ______ 3. अनगिन _____ 4. ______ 5. _____ 6. _______ उत्तर: 1. दिया – दीप 2. उजेला – उजाला 3. अनगिन – अनगिनत 4. दिन – दिवस 5. धरा – धरती 6. सिल – शिला
अर्थ की बात
(क) “जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर” इस पंक्ति में ‘चलो’ के स्थान पर ‘रहो’ शब्द रखकर पढ़िए। इस शब्द के बदलने से पंक्ति के अर्थ में क्या अंतर आ रहा है? अपने समूह में चर्चा कीजिए । उत्तर: “जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर” पंक्ति में ‘चलो’ के स्थान पर ‘रहो’ शब्द रखकर पढ़ने से पंक्ति के अर्थ में बदलाव आ जाता है। ‘जलाते चलो’ से अभिप्राय है कि आप जा रहे है। स्नेह भर-भर के दीपक जलाते चलो किंतु ‘ रहो’ शब्द का प्रयोग करने से कार्य की निरंतरता का बोध हो रहा है। अर्थात आप हमेशा ही स्नेह के दिये जलाते रहें। यह प्रक्रिया रुके नहीं, सतत चलती रहे। (ख) कविता में प्रत्येक शब्द का अपना विशेष महत्व होता है। यदि वे शब्द बदल दिए जाएँ तो कविता का अर्थ भी बदल सकता है और उसकी सुंदरता में भी अंतर आ सकता है।
नीचे कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। पंक्तियों के सामने लगभग समान अर्थ वाले कुछ शब्द दिए गए हैं। आप उनमें से वह शब्द चुनिए, जो उस पंक्ति में सबसे उपयुक्त रहेगा— 1. बहाते चलो ________ तुम वह निरंतर (नैया, नाव, नौका) कभी तो तिमिर का _____ मिलेगा। (तट, तीर, किनारा) उत्तर: नाव, किनारा
2.रहेगा _____ पर दिया एक भी यदि (धरा, धरती, भूमि) कभी तो निशा को ______ मिलेगा।। (प्रात:, सुबह, सवेरा) उत्तर: धरा, सवेरा
3. जला दीप पहला तुम्हीं ने _____ की (अंधकार, तिमिर, अँधेरे) चुनौती _____ बार स्वीकार की थी। (प्रथम, अव्वल, पहली) उत्तर: तिमिर, प्रथम
प्रतीक
(क) “कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा
निशा का अर्थ है — रात
सवेरा का अर्थ है — सुबह
आपने अनुभव किया होगा कि कविता में इन दोनों शब्दों का प्रयोग ‘रात’ और ‘सुबह’ के लिए नहीं किया गया है। अपने समूह में चर्चा करके पता लगाइए कि ‘निशा’ और ‘सवेरा’ का इस कविता में क्या-क्या अर्थ हो सकता है। (संकेत — निशा से जुड़ा है ‘अंधेरा’ और सवेरा से जुड़ा है ‘उजाला’) उत्तर: (क) निशा (अर्थात अँधेरा): यह जीवन में आने वाली कठिनाइयों, संघर्ष, और समस्याओं का प्रतीक हो सकता है। यह निराशा, दुख, या जीवन में आने वाली कठिन घड़ियों का भी प्रतिनिधित्व कर सकता है। सवेरा (अर्थात उजाला): यह उम्मीद, नई शुरुआत, और सकारात्मकता का प्रतीक हो सकता है। यह सफलता, समाधान, और जीवन में आने वाली खुशियों का भी संकेत कर सकता है।
(ख) कविता में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में मिलकर इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें उपयुक्त स्थान पर लिखिए।
उत्तर:
(ग) अपने समूह में मिलकर ‘निशा’ और ‘सवेरा’ के लिए कुछ और शब्द सोचिए और लिखिए।(संकेत – नीचे दिए गए चित्र देखिए और इन पर विचार कीजिए ।)
पंक्ति से पंक्ति
“जला दीप पहला तुम्हीं ने तिमिर की चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी” कविता की इस पंक्ति को वाक्य के रूप में इस प्रकार लिख सकते हैं- “तुम्हीं ने पहला दीप जला तिमिर की चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी । ” अब नीचे दी गई पंक्तियों को इसी प्रकार वाक्यों के रूप में लिखिए-
बहाते चलो नाव तुम वह निरंतर ।
जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर ।
बुझाओ इन्हें, यों न पथ मिल सकेगा।
मगर विश्व पर आज क्यों दिवस ही में घिरी आ रही है अमावस निशा-सी।
उत्तर:
तुम वह नाव निरंतर बहाते चलो।
तुम ये दिये स्नेह से भर-भरकर जलाते चलो।
इन्हें बुझाओ, नहीं तो इस प्रकार पथ नहीं मिल सकेगा।
मगर आज विश्व पर दिवस के समय ही अमावस की रात-सी क्यों घिरी आ रही है?
सा/सी/से का प्रयोग
“घिरी आ रही है अमावस निशा-सी स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी” इन पंक्तियों में कुछ शब्दों के नीचे रेखा खिंची है। इनमें ‘सी’ शब्द पर ध्यान दीजिए। यहाँ ‘सी’ शब्द समानता दिखाने के लिए प्रयोग किया गया है। ‘सा/सी/से’ का प्रयोग जब समानता दिखाने के लिए किया जाता है तो इनसे पहले योजक चिह्न (-) का प्रयोग किया जाता है। अब आप भी विभिन्न शब्दों के साथ ‘सा / सी / से’ का प्रयोग करते हुए अपनी कल्पना से पाँच वाक्य अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए। उत्तर:
वह बच्चा फूल-सा मासूम है।
उसका चेहरा चाँद-सा चमक रहा है।
उसकी आवाज़ शहद-सी मीठी है।
वह व्यक्ति पर्वत-सा अडिग है।
नदी का पानी आईना-सा साफ़ है।
पाठ से आगे
आपकी बात
(क) “रहेगा धरा पर दिया एक भी यदि कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा।” यदि हर व्यक्ति अपना कर्तव्य समझ ले और दूसरों की भलाई के लिए कार्य करे तो पूरी दुनिया सुंदर बन जाएगी। आप भी दूसरों के लिए प्रतिदिन बहुत-से अच्छे कार्य करते होंगे। अपने उन कार्यों के बारे में बताइए । उत्तर: मेरे द्वारा किए जाने वाले कुछ अच्छे कार्य-
मैं प्रातःकाल उठकर अपने घर के बड़ों के चरण-स्पर्श करता हूँ।
इसके पश्चात नहा-धोकर मैं घर के पौधों को पानी देता हूँ।
विद्यालय से आकर मैं अपना लंच बॉक्स और पानी की बोतल रसोई घर में रखता हूँ।
हमारे घर के पास एक वृद्ध आश्रम है। मेरी माँ और हम दोनों भाई-बहन वहाँ जाकर कुछ समय उन लोगों के साथ व्यतीत करते हैं।
शाम के समय मैं अपनी माँ के गृह कार्य में मदद करता हूँ। रात के समय सभी के कमरों में पानी रखकर आना मेरा काम है।
(ख) इस कविता में निरश न होने, चुनौतियों का सामना करने और सबके सुख के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित किया गया है। यदि आपको अपने किसी मित्र को निराश न होने के लिए प्रेरित करना हो तो आप क्या करेंगे? क्या कहेंगे? अपने समूह में बताइए । उत्तर: मेरी ही कक्षा में पढ़ने वाला मेरा मित्र अमित काफी समय से विद्यालय नहीं आ रहा था । अध्यापिका से पूछने पर पता चला कि उसके पापा काफ़ी समय से बीमार चल रहे थे। बीमारी के चलते वे अपने व्यापार पर ध्यान नहीं दे पाए और उनके व्यापार के साझीदार उनके मित्र ने ही उन्हें धोखा दे दिया। नया सत्र आरंभ हुए दो महीने हो गए थे। नए पाठ्यक्रम का अमित को कुछ पता नहीं था। वह काफी होनहार छात्र है। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका जी ने उसकी फ़ीस माफ़ कर दी। पुस्तकों व अन्य सामान हम सहपाठियों ने उसे लेकर दे दिए। अपने पिता की बीमारी के कारण वह जीवन से निराश हो गया था। हमारे अध्यापक मंडल व हम मित्रों ने उसका हौंसला बढ़ाया। जो पाठ्यक्रम हो चुका था, उसकी फोटो कॉपी करवा कर हमने उसे दी। वह मेरे घर के पास ही रहता है। मेरे पापा हम दोनों को विद्यालय छोड़कर आते हैं और लाते भी हैं। मेरे पापा ने मुझे कुछ पुस्तकें लाकर दी थीं, जिनमें संकट के समय हार न मानने की प्रेरणा दी गई है। मैं प्रतिदिन उन पुस्तकों की कुछ पंक्तियाँ अमित को समझाता हूँ और लिखकर भी देता हूँ। अब उसके पापा काफ़ी ठीक हो गए हैं। मेरे मित्र में भी हिम्मत का संचार हो रहा है।
(ग) क्या आपको कभी किसी ने कोई कार्य करने के लिए प्रेरित किया है? कब? कैसे? उस घटना के बारे में बताइए। उत्तर: मेरी मां ने हमेशा मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है। वह कहती हैं कि हमेशा आगे बढ़ना चाहिए। बीती हुई घटनाओं से कुछ सीखो और आगे बढ़ो। मुझे खेल की प्रतियोगिता में हिस्सा लेना था। लेकिन मुझे डर भी बहुत लग रहा था। तब मेरी मां ही है जिसने मुझे प्रोत्साहित किया। उसने कहा की निराश मत होना हार, जीत तो चलता ही रहता है। लेकिन डर की वजह से खेल में शामिल ही ना होना यह गलत बात है। तुम हिस्सा लो और आज से खेल की तैयारी करनी शुरू करो।
अमावस्या और पूर्णिमा
(क) “भले शक्ति विज्ञान में है निहित वह कि जिससे अमावस बने पूर्णिमा-सी” आप अमावस्या और पूर्णिमा के बारे में पहले ही पढ़ चुके हैं। क्या आप जानते हैं कि अमावस्या और पूर्णिमा के होने का क्या कारण है? आप आकाश में रात को चंद्रमा अवश्य देखते होंगे। क्या चंद्रमा प्रतिदिन एक-सा दिखाई देता है? नहीं। चंद्रमा घटता-बढ़ता दिखाई देता है। आइए जानते हैं कि ऐसा कैसे होता है। आप जानते ही हैं कि चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है जबकि पृथ्वी सूर्य की । आप यह भी जानते हैं कि चंद्रमा का अपना कोई प्रकाश नहीं होता। वह सूर्य के प्रकाश से ही चमकता है। लेकिन पृथ्वी के कारण सूर्य के कुछ प्रकाश को चंद्रमा तक जाने में रुकावट आ जाती है। इससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जो प्रतिदिन घटती-बढ़ती रहती है। सूरज का जो प्रकाश बिना रुकावट चंद्रमा तक पहुँच जाता है, उसी से चंद्रमा चमकदार दिखता है। इसी छाया और उजले भाग की आकृति में आने वाले परिवर्तन को चंद्रमा की कला कहते हैं। चंद्रमा की कला धीरे-धीरे बढ़ती रहती है और पूर्णिमा की रात चंद्रमा पूरा ‘दिखने लगता है। इसके बाद कला धीरे-धीरे घटती रहती है और अमावस्या वाली रात चाँद दिखाई नहीं देता। चंद्रमा की कलाओं के घटने के दिनों को ‘कृष्ण पक्ष’ को कहते हैं। ‘कृष्ण’ शब्द का एक अर्थ काला भी है। इसी प्रकार चंद्रमा की कलाओं के बढ़ने के दिनों को ‘शुक्ल पक्ष’ कहते हैं। ‘शुक्ल’ शब्द का एक अर्थ ‘उजला’ भी है।
उत्तर: अमावस्या और पूर्णिमा चंद्रमा के दो महत्वपूर्ण चरण हैं। अमावस्या वह समय है जब चंद्रमा का कोई भाग दिखाई नहीं देता, और पूर्णिमा वह समय है जब चंद्रमा पूरी तरह से प्रकाशित होता है। इन दोनों स्थितियों के बीच कई चरण होते हैं, जो प्रकृति के अद्भुत चक्र का हिस्सा हैं। इसका यह अर्थ है कि जीवन में अंधकार (अमावस्या) और प्रकाश (पूर्णिमा) दोनों का होना स्वाभाविक है। अमावस्या हमें जीवन में संघर्ष और धैर्य का महत्व सिखाती है, जबकि पूर्णिमा यह सिखाती है कि हर कठिनाई के बाद उजाला आता है। यह चंद्रमा की सुंदरता और जीवन के संघर्षों को दर्शाता है।
(ख) अब नीचे दिए गए चित्र में अमावस्या, पूर्णिमा, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को पहचानिए और ये नाम उपयुक्त स्थानों पर लिखिए— (यदि पहचानने में कठिनाई हो तो आप अपने शिक्षक, परिजनों या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।)
उत्तर:
अमावस्या: यह वह चरण है जब चंद्रमा बिल्कुल दिखाई नहीं देता।
पूर्णिमा: यह वह चरण है जब चंद्रमा पूरा और चमकीला दिखता है।
कृष्ण पक्ष: यह चंद्रमा का वह चरण है जब पूर्णिमा के बाद चंद्रमा धीरे-धीरे घटने लगता है।
शुक्ल पक्ष: यह चंद्रमा का वह चरण है जब अमावस्या के बाद चंद्रमा धीरे-धीरे बढ़ने लगता है।
चित्र में पहचान:
सबसे काले चरण को अमावस्या कहेंगे।
सबसे चमकीले पूर्ण चंद्रमा को पूर्णिमा कहेंगे।
अमावस्या से पूर्णिमा के बीच वाले चरण शुक्ल पक्ष कहलाते हैं।
पूर्णिमा से अमावस्या के बीच वाले चरण कृष्ण पक्ष कहलाते हैं।
वर्त्तमान पत्र
(क) दिए गए महीने में कुल कितने दिन हैं? उत्तर:इस महीने में कुल 31 दिन हैं।
(ख)पूर्णिमा और अमावस्या किस तारीख और वार को पड़ रही है? उत्तर:पूर्णिमा 6 तारीख को और अमावस्या 21 तारीख को पड़ रही है।
(ग) कृष्ण पक्ष की सप्तमी और शुक्ल पक्ष की सप्तमी में कितने दिनों का अंतर है? उत्तर:कृष्ण पक्ष की सप्तमी 14 तारीख को और शुक्ल पक्ष की सप्तमी 28 तारीख को है। दोनों में 14 दिनों का अंतर है।
(घ) इस महीने में कृष्ण पक्ष में कुल कितने दिन हैं? उत्तर:कृष्ण पक्ष में कुल 15 दिन हैं।
(ङ)‘बसंत पंचमी’ की तारीख बताइए। उत्तर:बसंत पंचमी 26 तारीख को है।
आज की पहेली
“समय साक्षी है कि जलते हुए दीप अनगिन तम्हारे पवन ने बुझाए ।” ‘पवन’ शब्द का अर्थ है हवा । नीचे एक अक्षर – जाल दिया गया है। इसमें ‘पवन’ के लिए उपयोग किए जाने वाले अलग-अलग नाम या शब्द छिपे हैं। आपको उन्हें खोजकर उन पर घेरा बनाना है, जैसा एक हमने पहले से बना दिया है। देखते हैं, आप कितने सही नाम या शब्द खोज पाते हैं।
उत्तर:
पवन, मारुत, बयार, समीर, हवा, वायु, वात, अनिल ।
खोजबीन के लिए
कविता संबंधित कुछ रचनाएँ दी गई हैं, इन्हें पुस्तक में दिए गए क्यू. आर. कोड की सहायता से पढ़ें, देखें व समझें।
हम सब सुमन एक उपवन के
बढ़े चलो
रोज़ बदलता कैसे चाँद भाग 1
रोज़ बदलता कैसे चाँद भाग 2
उत्तर: यह पंक्ति हमें एकता और समरसता का संदेश देती है। इसमें यह बताया गया है कि हम सभी एक बगीचे के फूलों की तरह हैं, जो एक साथ मिलकर अपनी सुंदरता और सुगंध से दुनिया को बेहतर बनाते हैं। यह कविताएं चाँद के बदलते रूपों का वर्णन करती हैं। इनमें बताया गया है कि चंद्रमा अमावस्या से पूर्णिमा तक और फिर पूर्णिमा से अमावस्या तक अपने विभिन्न रूपों को दिखाता है। यह प्रकृति की अनोखी प्रक्रिया का परिचय कराती हैं, जो हमारे जीवन के उतार-चढ़ाव को दर्शाती है।
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए—
(1) “किन्तु यह इच्छा पूर्ण होती नहीं दिखाई देती।” बिस्मिल को अपनी किस इच्छा के पूर्ण न होने की आशंका थी?
भारत माता के साथ रहने की
अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहने की
अपनी माँ की जीवनपर्यंत सेवा करने की
भोग विलास तथा ऐश्वर्य भोगने की
उत्तर: अपनी माँ की जीवनपर्यंत सेवा करने की (★)
(2) रामप्रसाद बिस्मिल की माँ का सबसे बड़ा आदेश क्या था?
देश की सेवा करें
कभी किसी के प्राण न लेना
कभी किसी से झूठ न बोलना
सदा सत्य बोलना
उत्तर: कभी किसी के प्राण न लेना (★)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ तर्कपूर्ण चर्चा कीजिए कि आपने ये ही उत्तर क्यों चुने? उत्तर: पहले प्रश्न का उत्तर पाठ में स्पष्ट रूप से दिया गया है जहाँ बिस्मिल कहते हैं कि उनकी इच्छा है कि वे अपनी माँ की सेवा कर सकें, लेकिन यह पूरी होती नहीं दिखाई देती। दूसरे प्रश्न का उत्तर भी पाठ में स्पष्ट है जहाँ लिखा है कि उनकी माँ का सबसे बड़ा आदेश था कि किसी की प्राणहानि न हो।
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें पढ़कर समझिए और इन पर विचार कीजिए । आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? कक्षा में अपने विचार साझा कीजिए और लिखिए।
(क) “यदि मुझे ऐसी माता न मिलतीं, तो मैं भी अति साधारण मनुष्यों की भाँति संसार-चक्र में फँसकर जीवन निर्वाह करता।” उत्तर: बिस्मिल की माँ के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा थी। क्रांतिकारी जीवन की प्रेरणा और सहयोग बिस्मिल को अपनी माँ से मिला। उन्होंने खुद को पूरी तरह से देश की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया।
(ख) “उनके इस आदेश की पूर्ति करने के लिए मुझे मज़बूरन दो-एक बार अपनी प्रतिज्ञा भंग भी करनी पड़ी थी।” उत्तर: बिस्मिल की माता जी ने उन्हें सबसे महत्वपूर्ण आदेश दिया था कि कभी किसी की जान न जाए। उन्होंने सिखाया था कि दुश्मन को भी मौत की सजा न मिले। बिस्मिल ने कुछ लोगों को मौत की सजा देने की प्रतिज्ञा ली थी, लेकिन उनकी माँ ने उनसे वादा लिया कि वे बदले में किसी की जान नहीं लेंगे।
मिलकर करें मिलान
पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थ या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट, पुस्तकालय या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
सोच-विचार के लिए
पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए। प्रश्न 1: बिस्मिल की माता जी जब ब्याह कर आईं तो उनकी ‘आयु काफ़ी कम थी।
(क) फिर भी उन्होंने स्वयं को अपने परिवार के अनुकूल कैसे ढाला? उत्तर: बिस्मिल की माँ का विवाह ग्यारह वर्ष की आयु में हुआ था, और ससुराल आते ही उन्होंने लगन से गृहकार्य सीख लिया और परिवार के काम-काज को कुशलतापूर्वक संभालने लगीं। बिस्मिल के जन्म के कुछ वर्षों बाद उन्होंने हिंदी पढ़ना सीखा और फिर बिस्मिल और उनकी बहनों को भी पढ़ाना शुरू कर दिया।
(ख) उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर स्वयं को कैसे शिक्षित किया? उत्तर: बिस्मिल की माँ की इच्छाशक्ति बहुत दृढ़ थी। विवाह के कुछ वर्षों बाद, उन्होंने घर पर ही शिक्षित सहेलियों के संपर्क में आकर देवनागरी की किताबें पढ़ना सीख लिया। माताजी बहुत परिश्रमी थीं और गृहकार्य के बाद बचे समय में पढ़ाई करती थीं। इस प्रकार उन्होंने प्रबल इच्छाशक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया।
प्रश्न 2: बिस्मिल को साहसी बनाने में उनकी माता जी ने कैसे सहयोग दिया? उत्तर: बिस्मिल के व्यक्तित्व को आकार देने में उनकी माँ की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। जीवन के हर मोड़ पर उन्होंने अपने पुत्र बिस्मिल को प्रेरित किया। कम उम्र में ही बिस्मिल ने अपनी माँ से प्रेरणा लेकर साहस, वीरता और देश सेवा का मार्ग चुना। अपनी जन्मभूमि के लिए समर्पित बेटे पर उनकी माँ को गर्व था। उन्होंने संकट के समय भी बिस्मिल को धैर्य बनाए रखने की सीख दी।
प्रश्न 3: आज से कई दशक पहले बिस्मिल की माँ शिक्षा के महत्व को समझती थीं, बताइए कैसे? उत्तर: बिस्मिल की माँ ने बचपन से ही उनमें प्रेम, साहस और दृढ़ता के गुण विकसित किए। अपने कम उम्र में विवाह के बावजूद, उन्होंने अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के साथ खुद को शिक्षित किया। बाद में, उन्होंने बिस्मिल और उनकी बहनों को भी पढ़ाया-लिखाया। अपनी शिक्षा और वाणी से उन्होंने बिस्मिल के जीवन में सकारात्मक मूल्यों का विकास किया। माँ के इस प्रोत्साहन के कारण ही रामप्रसाद धर्म के मार्ग पर चलकर अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सके।
प्रश्न 4: हम कैसे कह सकते हैं कि बिस्मिल की माँ स्वतंत्र और उदार विचारों वाली थीं? उत्तर: रामप्रसाद बिस्मिल की माँ स्वतंत्र और उदार विचारों वाली सशक्त महिला थीं। वे बिस्मिल को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती थीं। शिक्षा के अलावा, वे उन्हें देशसेवा के लिए विभिन्न सम्मेलनों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करती थीं। बिस्मिल की बहनों को भी उन्होंने छोटी उम्र में ही शिक्षा दी। अपनी माँ के स्वतंत्र और उदार विचारों के कारण ही बिस्मिल स्वाधीनता संग्राम की क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा ले सके और देश की आज़ादी के लिए संकल्पित हुए।
आत्मकथा की रचना यह पाठ रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की आत्मकथा का एक अंश है। आत्मकथा यानी अपनी कथा। दुनया में अनेक लोग अपनी आत्मकथा लिखते हैं, कभी अपने लिए, तो कभी दूसरों के पढ़ने के लिए।
(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस पाठ की ऐसी सूचियाँ बनाइए जिनसे पता लगे कि लेखक अपने बारे में क्या कह रहा है। उत्तर: आत्मकथा की रचना के लिए पाठ से पंक्तियाँ चुनना:
“मेरी माताजी देवी हैं।”
“मुझमें जो कुछ जीवन तथा साहस आया, वह मेरी माताजी तथा गुरुदेव श्री सोमदेव जी की कृपाओं का ही परिणाम है।”
“अपने जीवन में हमेशा सत्य का आचरण करता था, चाहे कुछ हो जाए, सत्य बात कह देता था।”
“लखनऊ कांग्रेस में जाने के लिए मेरी बड़ी इच्छा थी।”
(ख) अपने समूह की सूचियों को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए। उत्तर: अध्यापक की सहायता से विद्यार्थीगण इस गतिविधि को पूर्ण करेंगे।
शब्द-प्रयोग तरह-तरह के
(क) “माता जी उनसे अक्षर-बोध करतीं।” इस वाक्य में अक्षर-बोध का अर्थ है- अक्षर का बोध या ज्ञान। एक अन्य वाक्य देखिए— “जो कुछ समय मिल जाता, उसमें पढ़ना-लिखना करतीं।” इस वाक्य में पढ़ना-लिखना अर्थात पढ़ना और लिखना। हम लेखन में शब्दों को मिलाकर छोटा बना लेते हैं जिससे समय, स्याही, कागज़ आदि की बचत होती है। संक्षेपीकरण मानव का स्वभाव भी हैं। इस पाठ से ऐसे शब्द खोजकर सूची बनाइए। उत्तर:
डाँट-फटकार
काम-काज
उठना-बैठना
अंदर-बाहर
देश सेवा
पालन-पोषण
पाठ से आगे
आपकी बात
(क) रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ के मित्रों के नाम खोजिए और स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भागीदारी पर कक्षा में चर्चा कीजिए। उत्तर: रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ के कुछ प्रसिद्ध मित्र थे:
शफाकउल्ला खान – काकोरी षड्यंत्र में साथी, क्रांतिकारी गतिविधियों में सहयोगी
आप पुस्तकालय से रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की आत्मकथा खोजकर पढ़िए। देशभक्तों से संबंधित अन्य पुस्तकें, जैसे— उनके पत्र, आत्मकथा, जीवनी आदि पढ़िए और अपने मित्रों से साझा कीजिए। उत्तर: रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की आत्मकथा “निज जीवन की एक छटा” अन्य देशभक्तों की आत्मकथाएँ या जीवनियाँ, जैसे:
‘मेरे संस्मरण’ – भगत सिंह
‘आत्मकथा’ – जवाहरलाल नेहरू
‘सत्य के प्रयोग’ – महात्मा गाँधी
शब्दों की बात
आप अपनी माँ को क्या कहकर संबोधित करते हैं? अन्य भाषाओं में माँ के लिए प्रयुक्त संबोधन और माँ के लिए शब्द ढूँढ़िए। क्या उनमें कुछ समानता दिखती है? हाँ, तो क्या? उत्तर:
यहाँ दी गई वर्ग पहेली में पाठ से बारह विशेषण दिए गए हैं। उन्हें छाँटकर पाठ में रेखांकित कीजिए। उत्तर:
हिंदी: माँ
अंग्रेजी: Mother, Mom
संस्कृत: मातृ, जननी
बंगाली: मा
तमिल: आई
पंजाबी: माँ
गुजराती: बा
कश्मीरी: मोज
उड़िया: आई
तेलुगु: अम्मा
मलयालम: अम्मा
अधिकांश शब्दों में ‘म’ ध्वनि की समानता दिखाई देती है।
आज की पहेली
झरोखे से
ऐ मातृभूमि ! ऐ मातृभूमि! तेरी जय हो, सदा विजय हो । प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कांतिमय हो। अज्ञान की निशा में, दुख भरी दिशा में; संसार के हृदय में, तेरी प्रभा उदय हो। तेरा प्रकोप सारे जग का महाप्रलय हो। तेरी प्रसन्नता ही आनंद का विषय हो। वह भक्ति दे कि ‘बिस्मिल’ सुख में तुझे न भूले, वह शक्ति दे कि दुख में कायर न यह हृदय हो। – रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ व्याख्या: यह कविता देशभक्ति और मातृभूमि के प्रति समर्पण की भावना को व्यक्त करती है। कवि मातृभूमि की जय और विजय की कामना करता है। वह चाहता है कि मातृभूमि का प्रकाश अज्ञान और दुःख को दूर करें। कवि प्रार्थना करता है कि वह सुख में मातृभूमि को न भूलें और दुःख में कायर न हो।खोजबीन के लिए
माँ से संबंधित पाँच रचनाएँ पुस्तकालय से खोजें और अपनी पत्रिका बनाएँ। पाठ पर आधारित गतिविधियों को छात्र – छात्राएँ मिलकर अपने शिक्षकों की सहायता से पूर्ण करें। उत्तर: माँ से संबंधित पाँच रचनाएँ हैं, जैसे:
(क)नीचे दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए—
(1) सुल्तान के छीने जाने का बाबा भारती पर क्या प्रभाव हुआ?
बाबा भारती के मन से चोरी का डर समाप्त हो गया।
बाबा भारती ने गरीबों की सहायता करना बंद कर दिया।
बाबा भारती ने द्वार बंद करना छोड़ दिया।
बाबा भारती असावधान हो गए।
उत्तर: बाबा भारती असावधान हो गए। (★)
(2) “बाबा भारती भी मनुष्य ही थे।” इस कथन के समर्थन में लेखक ने कौन-सा तर्क दिया है?
बाबा भारती ने डाकू को घमंड से घोड़ा दिखाया।
बाबा भारती घोड़े की प्रशंसा दूसरों से सुनने के लिए व्याकुल थे।
बाबा भारती को घोड़े से अत्यधिक लगाव और मोह था।
बाबा भारती हर पल घोड़े की रखवाली करते रहते थे।
उत्तर: बाबा भारती ने डाकू को घमंड से घोड़ा दिखाया। (★)
(ख)अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने? उत्तर: बाबा भारती ने घोड़े को खो दिया, तो अब उन्हें चोरी का डर नहीं रहा । प्रशंसा चाहना एक सामान्य मानवीय भावना है, जो यह दर्शाता है कि बाबा भारती भी सामान्य मनुष्यों की तरह भावनाओं से युक्त थे।
शीर्षक
(क) आपने अभी जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम सुदर्शन ने ‘हार की जीत’ रखा है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि उन्होंने इस कहानी को यह नाम क्यों दिया होगा? अपने उत्तर का कारण भी लिखिए। उत्तर: सुदर्शन ने इस कहानी को ‘हार की जीत’ इसलिए नाम दिया होगा क्योंकि बाबा भारती ने खड्गसिंह से घोड़ा खो दिया लेकिन उन्होंने खड्गसिंह को ऐसा संदेश दिया जिससे खड्गसिंह ने घोड़ा वापस कर दिया। यह वास्तव में बाबा भारती की नैतिक जीत थी, भले ही उन्होंने भौतिक रूप से हार मान ली थी।
(ख)यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए। उत्तर: मैं इस कहानी को “विश्वास की शक्ति” नाम दूंगा क्योंकि कहानी का मुख्य संदेश विश्वास की शक्ति और ईमानदारी के महत्व को दर्शाता है।
(ग) बाबा भारती ने डाकू खड्गसिंह से कौन-सा वचन लिया? उत्तर: बाबा भारती ने डाकू खड्गसिंह से यह वचन लिया कि वह इस घटना को किसी के सामने प्रकट नहीं करेगा ताकि लोगों का गरीबों पर से विश्वास न उठ जाए।
पंक्तियों पर चर्चा
कहानी में से चुनकर कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार लिखिए-
“भगवत भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता।”
“बाबा ने घोड़ा दिखाया घमंड से, खड्गसिंह ने घोड़ा देखा आश्चर्य से । “
“वह डाकू था और जो वस्तु उसे पसंद आ जाए उस पर अपना अधिकार समझता था।”
“बाबा भारती ने निकट जाकर उसकी ओर ऐसी आँखों से देखा जैसे बकरा कसाई की ओर देखता है और कहा, यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है।”
“उनके पाँव अस्तबल की ओर मुड़े। परंतु फाटक पर पहुँचकर उनको अपनी भूल प्रतीत हुई।”
उत्तर:
“भगवत-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता।”
अर्थ: यह पंक्ति बाबा भारती के घोड़े के प्रति गहरे लगाव को दर्शाती है। वे अपना अधिकांश समय भगवान की भक्ति में बिताते थे, और शेष समय पूरी तरह से घोड़े की देखभाल में।
“बाबा ने घोड़ा दिखाया घमंड से, खड्गसिंह ने घोड़ा देखा आश्चर्य से।”
अर्थ: यह वाक्य दोनों पात्रों की मनोदशा को दर्शाता है। बाबा को अपने घोड़े पर गर्व था, जबकि खड्गसिंह घोड़े की असाधारण सुंदरता से चकित था।
“वह डाकू था और जो वस्तु उसे पसंद आ जाए उस पर अपना अधिकार समझता था।”
अर्थ: यह वाक्य खड्गसिंह के चरित्र की मूल प्रवृत्ति को दर्शाता है। वह अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता था।
“बाबा भारती ने निकट जाकर उसकी ओर ऐसी आँखों से देखा जैसे बकरा कसाई की ओर देखता है और कहा, यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है।”
अर्थ: यह वाक्य बाबा भारती की असहायता और दुःख को व्यक्त करता है। वे जानते हैं कि वे खड्गसिंह को रोक नहीं सकते, इसलिए वे अपने प्रिय घोड़े को खोने की पीड़ा महसूस कर रहे हैं।
“उनके पाँव अस्तबल की ओर मुड़े। परंतु फाटक पर पहुँचकर उनको अपनी भूल प्रतीत हुई।”
अर्थ: यह वाक्य बाबा भारती की आदत और वर्तमान स्थिति के बीच के अंतर को दर्शाता है। वे अनजाने में घोड़े की देखभाल करने जा रहे थे, लेकिन फिर उन्हें याद आया कि घोड़ा अब उनके पास नहीं है।
सोच-विचार के लिए
कहानी को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित पंक्ति के विषय में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
“दोनों के आँसुओं का उस भूमि की मिट्टी पर परस्पर मेल हो गया।”
(क) किस-किस के आँसुओं का मिलन हो गया था? उत्तर: बाबा भारती और खड्गसिंह के आँसुओं का मिलन हो गया था।
(ख) दोनों के आँसुओं में क्या अंतर था? उत्तर: बाबा भारती के आँसू खुशी और राहत के थे क्योंकि उन्हें उनका घोड़ा वापस मिल गया था, जबकि खड्गसिंह के आँसू पश्चाताप और शर्मिंदगी के थे।
दिनचर्या
(क) कहानी पढ़कर आप बाबा भारती के जीवन के विषय में बहुत कुछ जान चुके हैं। अब आप कहानी के आधार पर बाबा भारती की दिनचर्या लिखिए। वे सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक क्या-क्या करते होंगे, लिखिए। इस काम में आप थोड़ा-बहुत अपनी कल्पना का सहारा भी ले सकते हैं। उत्तर: बाबा भारती की दिनचर्या कुछ इस प्रकार हो सकती है:
सुबह जल्दी उठकर ठंडे जल से स्नान करना।
भगवान का भजन करना और प्रार्थना करना।
घोड़े सुल्तान की देखभाल करना, उसे खाना खिलाना और उसके साथ समय बिताना।
दिन के समय गाँव के लोगों से मिलना और उनकी समस्याएँ सुनना।
शाम को सुल्तान के साथ घूमने जाना।
रात में भगवान का भजन करते हुए सोना।
(ख) अब आप अपनी दिनचर्या भी लिखिए। उत्तर:दिनचर्या: सुबह:
6:00 AM: उठकर ताजगी के लिए कुछ मिनट ध्यान और योग करता हूँ।
6:30 AM: नाश्ते के लिए फल और ओट्स या पोहा बनाता हूँ।
7:00 AM: ताजगी से नहाकर तैयार होता हूँ और दिनभर की योजनाओं को जांचता हूँ।
दोपहर:
12:00 PM: हल्का भोजन करता हूँ जिसमें दाल, चावल और सब्जियाँ शामिल होती हैं।
1:00 PM: थोड़ी देर आराम करता हूँ या पढ़ाई करता हूँ।
2:00 PM: काम या अध्ययन की गतिविधियों में व्यस्त रहता हूँ।
शाम:
5:00 PM: ताजगी के लिए हल्की चाय या स्नैक के साथ शाम की चहलकदमी करता हूँ।
6:00 PM: काम के परिणामों की समीक्षा करता हूँ और अगले दिन के लिए तैयारी करता हूँ।
रात:
8:00 PM: रात के खाने में परिवार के साथ बैठकर भोजन करता हूँ।
9:00 PM: आराम के लिए एक अच्छी किताब पढ़ता हूँ या टीवी देखता हूँ।
10:00 PM: सोने से पहले थोड़ा ध्यान करता हूँ और अगले दिन की योजनाओं को आखिरी बार देखता हूँ।
10:30 PM: सो जाता हूँ।
कहानी की रचना
(क) इस कहानी की कौन-कौन सी बातें आपको पसंद आई? आपस में चर्चा कीजिए। उत्तर: इस कहानी की कई बातें मुझे बहुत पसंद आईं:
बाबा भारती का करुणा और दया भाव: कहानी में बाबा भारती का गरीब और अपाहिज व्यक्ति की मदद करने का भाव दर्शाता है कि वे कितने दयालु और करुणावान थे। यह दिखाता है कि सच्ची मानवता क्या होती है।
खड्गसिंह का परिवर्तन: कहानी का वह भाग जहाँ खड्गसिंह अपने किए पर पछताता है और बाबा भारती का घोड़ा वापस कर देता है, बहुत प्रेरणादायक है। यह दिखाता है कि किसी की सच्चाई और ईमानदारी कैसे एक व्यक्ति को बदल सकती है।
घोड़े सुल्तान की भूमिका: सुल्तान घोड़े का वर्णन और उसकी विशेषताएँ कहानी में जान डाल देती हैं। यह कहानी के भावनात्मक पहलू को और भी मजबूत बनाता है।
नैतिक शिक्षा: कहानी में दी गई नैतिक शिक्षा कि सच्चाई और ईमानदारी हमेशा जीतती है, मुझे बहुत पसंद आई। यह हमें सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी हमें अपने सिद्धांतों पर अडिग रहना चाहिए।
लेखक की भाषा शैली: सुदर्शन की लेखन शैली और संवाद बहुत प्रभावी और सजीव हैं। यह कहानी को पढ़ने में अधिक रोचक बनाते हैं।
इन सभी बातों ने मिलकर इस कहानी को बहुत ही रोचक और प्रेरणादायक बना दिया है।
(ख) कोई भी कहानी पाठक को तभी पसंद आती है जब उसे अच्छी तरह लिखा गया हो। लेखक कहानी को अच्छी तरह लिखने के लिए अनेक बातों का ध्यान रखते हैं, जैसे— शब्द, वाक्य, संवाद आदि। इस कहानी में आए संवादों के विषय में अपने विचार लिखें। उत्तर: इस कहानी के संवाद सरल, प्रभावी और सजीव हैं। संवादों के माध्यम से पात्रों की भावनाएँ और विचार स्पष्ट रूप से व्यक्त होते हैं, जिससे कहानी में वास्तविकता का अनुभव होता है।
मुहावरे कहानी से
(क)कहानी से चुनकर कुछ महावरे नीचे दिए गए हैं— लट्टू होना, हृदय पर साँप लोटना, फूले न समाना, मुँह मोड़ लेना, मुख खिल जाना, न्योछावर कर देना। कहानी में इन्हें खोजकर इनका प्रयोग समझिए। उत्तर:
लट्टू होना: किसी चीज पर बहुत मोहित होना
हृदय पर साँप लोटना: अत्यधिक जलन या ईर्ष्या होना
फूले न समाना: अत्यधिक खुशी होना
मुँह मोड़ लेना: किसी से संबंध तोड़ लेना
मुख खिल जाना: खुशी से चेहरा चमक उठना
न्योछावर कर देना: समर्पित कर देना
(ख) अब इनका प्रयोग करते हुए अपने मन से नए वाक्य बनाइए। उत्तर:
वह नई कार देखकर लट्टू हो गया।
उसकी सफलता देखकर मेरे हृदय पर साँप लोट गया।
परीक्षा में अच्छे अंक पाकर वह फूले न समा रहा था।
उसने धोखा देने वाले मित्र से मुँह मोड़ लिया।
पुरस्कार मिलने पर उसका मुख खिल गया।
उसने अपनी सारी संपत्ति गरीबों पर न्योछावर कर दी।
कैसे-कैसे पात्र
इस कहानी में तीन मुख्य पात्र हैं— बाबा भारती, डाकू खड्गसिंह और सुल्तान घोड़ा। इनके गुणों को बताने वाले शब्दों से दिए गए शब्द-चित्रों को पूरा कीजिए।
उत्तर:
पाठ से आगे
सुलतान की कहानी
मान लीजिए, यह कहानी सुलतान सुना रहा है। तब कहानी कैसे आगे बढ़ती ? स्वयं को सुलतान के स्थान पर रखकर कहानी बनाइए । (संकेत- आप कहानी को इस प्रकार बढ़ा सकते हैं – मेरा नाम सुलतान है। मैं एक घोड़ा हूँ…..) उत्तर: मेरा नाम सुल्तान है। मैं एक घोड़ा हूँ और मेरे स्वामी बाबा भारती हैं। बाबा भारती मुझसे बहुत प्रेम करते हैं और मेरी देखभाल में कोई कमी नहीं छोड़ते। एक दिन, खड्गसिंह नाम का डाकू मुझे चुराने आया। उसने चालाकी से बाबा को धोखा देकर मुझे ले जाने की कोशिश की, लेकिन बाबा की ईमानदारी और विश्वास ने उसे बदल दिया। अंततः, खड्गसिंह ने मुझे वापस लौटा दिया। इस घटना ने मुझे सिखाया कि सच्चाई और ईमानदारी हमेशा जीतती है।
मन के भाव
(क) कहानी में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। बताइए, कहानी में कौन, कब, ऐसा अनुभव कर रहा था।
चकित
अधीर
डर
प्रसन्नता
करुणा
निराशा
उत्तर:
चकित: जब बाबा भारती ने देखा कि अपाहिज व्यक्ति घोड़े को लेकर भाग गया।
प्रसन्नता: जब बाबा भारती को उनका घोड़ा वापस मिल गया।
अधीर: जब बाबा भारती ने देखा कि उनका प्रिय घोड़ा सुल्तान गायब है।
करुणा: जब अपाहिज व्यक्ति ने बाबा भारती से मदद मांगी।
डर: जब बाबा भारती को लगा कि खड्गसिंह उनका घोड़ा चुरा ले जाएगा।
निराशा: जब बाबा भारती को लगा कि उनका घोड़ा चला गया है।
(ख) आप उपयुक्त भावों को कब-कब अनुभव करते हैं? लिखिए। उत्तर:
करुणा: जब मैं किसी गरीब व्यक्ति को देखता हूँ।
आश्चर्य: जब मुझे कोई अप्रत्याशित उपहार मिलता है।
डर: जब मैं अंधेरे में अकेला होता हूँ।
प्रसन्नता: जब मैं अपने दोस्तों के साथ खेलता हूँ।
निराशा: जब मैं परीक्षा में अच्छे अंक नहीं ला पाता हूँ।
झरोखे से
आप जानते ही हैं कि लेखक सुदर्शन ने अनेक कविताएँ भी लिखी हैं। आइए, उनकी लिखी एक कविता पढ़ते हैं— उत्तर:
वह चली हवा वह चली हवा, वह चली हवा | ना तू देखे ना मैं देखूँ पर पत्तों ने तो देख लिया वरना वे खुशी मनाते क्यों? वह चली हवा, वह चली हवा | – सुदर्शन
साझी समझ
आपको इस कविता में क्या अच्छा लगा ? आपस में चर्चा कीजिए और अपनी लेखन – पुस्तिका में लिखिए। उत्तर: कविता की अच्छाइयाँ:
सरलता और सुंदरता: कविता की भाषा सरल और प्रभावशाली है। “वह चली हवा, वह चली हवा” के दोहराव से कविता की लय और संगीतात्मकता को बढ़ावा मिलता है। यह सरलता कविता को हर किसी के समझने योग्य बनाती है।
प्राकृतिक दृश्य का चित्रण: हवा के गुजरने का दृश्य पत्तों की खुशी के माध्यम से व्यक्त किया गया है। यह प्राकृतिक दृश्य को एक नई दृष्टि से प्रस्तुत करता है, जहाँ हवा की उपस्थिति को उसकी निरंतरता और प्रभाव के साथ जोड़ा गया है।
भावनात्मक प्रभाव: कविता में “पर पत्तों ने तो देख लिया वरना वे खुशी मनाते क्यों?” यह पंक्ति पाठकों को सोचने पर मजबूर करती है कि चीजें भले ही हमें न दिखाई दें, लेकिन उनका प्रभाव स्पष्ट होता है। यह विचारशीलता और गहराई को जोड़ती है।
मूल्यांकन और प्रेरणा: कविता में छिपी हुई सच्चाई और संदेश यह है कि अक्सर हमें अपने आस-पास की चीजें ठीक से समझ में नहीं आतीं, लेकिन उनके प्रभाव को हम महसूस कर सकते हैं। यह सिखाती है कि सच्चाई और प्रभाव को समझने के लिए गहराई से देखने की आवश्यकता होती है।
खोजबीन के लिए
सुदर्शन की कुछ अन्य रचनाएँ पुस्तक में दिए गए क्यू.आर. कोड या इंटरनेट या पुस्तकालय की सहायता से पढ़ें, देखें व समझें। उत्तर: सुदर्शन की कविताएँ और अन्य रचनाएँ उनके साहित्यिक योगदान का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनकी रचनाएँ विविध विषयों और भावनाओं को छूने वाली होती हैं। यदि आप उनकी कुछ अन्य रचनाएँ पढ़ना और समझना चाहते हैं, तो निम्नलिखित संसाधनों की सहायता ले सकते हैं:
पुस्तक में दिए गए क्यू.आर. कोड: पुस्तक में दिए गए क्यू.आर. कोड को स्कैन करके आप सुदर्शन की अन्य रचनाओं को ऑनलाइन देख सकते हैं। ये कोड अक्सर सीधे लिंक या डिजिटल संग्रह की ओर ले जाते हैं जहाँ आप उनकी कविताएँ और लेख पढ़ सकते हैं।
इंटरनेट: सुदर्शन की रचनाओं को इंटरनेट पर खोजने के लिए आप विभिन्न साहित्यिक वेबसाइट्स और ब्लॉग्स का उपयोग कर सकते हैं। Google पर “सुदर्शन कविताएँ” या “सुदर्शन की रचनाएँ” सर्च करके आपको उनकी अन्य रचनाओं के बारे में जानकारी मिल सकती है।
पुस्तकालय: यदि आपके पास एक पुस्तकालय की सुविधा है, तो आप वहाँ सुदर्शन की रचनाओं की पुस्तकें खोज सकते हैं। पुस्तकालय में साहित्यिक संग्रह में अक्सर प्रसिद्ध लेखकों और कवियों की रचनाएँ होती हैं।
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए:
1. कविता में ‘नव-जीवन की ले अगँडाई’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
बादल
अंकुर
बूँद
पावस
उत्तर: अंकुर ★
2. ‘नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पतुली- से ये जलधर’ में ‘काली पतुली’ है—
बारिश की बूँदें
वृद्ध धरती
नगाड़ा
बादल
उत्तर: बारिश की बूँदें ★
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर क्यों चुने? उत्तर: “अंकुर फूट पड़ा धरती से, नव-जीवन की ले अँगड़ाई” – यह पंक्ति स्पष्ट रूप से अंकुर के बारे में बात करती है। “काली पुतली-से ये जलधर” – यहाँ जलधर का अर्थ बादल है, जो काली आँखों की पुतली के समान दिखते हैं।
मिलान करें
कविता की कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन पंक्तियों में कुछ शब्द रेखांकित हैं। दाहिनी ओर रेखांकित शब्दों के भावार्थ दिए गए हैं। इनका मिलान किजिये
पंक्तियों पर चर्चा
कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार कक्षा में अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तक में लिखिए:
“आसमान में उड़ता सागर, लगा बदलियों के स्वर्णिम पर, बजा नगाड़े जगा रहे हैं, बाली धरती की तरुणाई।” उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि आकाश में जल से भरे बादलों के बीच बिजली इस तरह चमक रही है जैसे सागर ने सुनहरे पंख लगाकर उड़ान भर ली हो। बादलों की गड़गड़ाहट नगाड़ों की तरह प्रतीत होती है, जो धरती की युवा शक्ति और सुंदरता को जाग्रत कर रही है।
“नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलधर। करुणा-द्रवित अश्रु बहाकर, धरती की जड़-प्यास बुझाई।” उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि नीला आकाश नीली आँखों जैसा दिखाई देता है और काले बादल उन आँखों की काली पुतलियों जैसे लगते हैं। ऐसा प्रतीत होता है मानो ये बादल धरती के दुःखों को देखकर द्रवित हो गए हों और करुणा के आँसू बनकर वर्षा के रूप में बह पड़े हों। इन आँसुओं ने धरती की सूखी और प्यासी जड़ों को तृप्त कर दिया।
सोच-विचार के लिए
कविता को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तक में लिखिए:
बारिश की पहली बूँद से धरती का हरित रूप कैसे प्रकट होता है? उत्तर: बारिश की पहली बूँद धरती पर गिरते ही, धरती हरी-भरी और नई-जीवन का प्रतीक बन जाती है। यह बूँदें धरती को तरोताजा कर देती हैं और उसमें नयी ऊर्जा भर देती हैं।
कविता में आकाश और बादलों को किनके समान बताया गया है? उत्तर: प्रस्तुत कविता के अनुसार, नीले आकाश को नीली आँखों के समान और काले बादल को उन नीली-नीली आँखों की काली पुतली के समान बताया गया है।
कविता की रचना
‘आसमान में उड़ता सागर, लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर कविता की इस पंक्ति का सामान्य अर्थ देखें तो समुद्र का आकाश में उड़ना असंभव होता है। लेकिन जब हम इस पंक्तिका भावार्थ समझते हैं तो अर्थ इस प्रकार निकलता है— समुद्र का जल बिजलियों के सुनहरे पंख लगाकर आकाश में उड़ रहा है। ऐसे प्रयोग न केवल कविता की सुंदरता बढ़ाते हैं बल्कि उसे आनंददायक भी बनाते हैं। इस कविता में ऐसे दृश्यों को पहचानें और उन पर चर्चा करें। उत्तर:‘अंकुर फूट पड़ा धरती से, नव-जीवन की ले अँगड़ाई” धरती से अंकुर का निकलना और उसे नव-जीवन की अंगड़ाई लेते हुए दिखाया गया है। यह दृश्य प्रकृति में नए जीवन के जन्म और विकास को मानवीय क्रियाओं के माध्यम से दर्शाता है। “हरी दूब पुलकी-मुसकाई” हरी घास को मुस्कुराते हुए दिखाया गया है। यह दृश्य प्रकृति के जीवंत होने और खुशी व्यक्त करने का भाव प्रस्तुत करता है। “नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलधर” आकाश को नीली आँखों के रूप में और बादलों को काली पुतलियों के रूप में चित्रित किया गया है। यह दृश्य प्राकृतिक तत्वों को मानवीय अंगों से जोड़कर एक अनूठा और कल्पनाशील चित्र प्रस्तुत करता है। “करुणा-विगलित ‘अश्रु बहाकर” बारिश की बूँदों को करुणा से भरे आँसुओं के रूप में दर्शाया गया है। यह दृश्य बारिश को एक भावनात्मक रूप देता है, जो धरती के प्रति सहानुभूति दर्शाता है। “बूढ़ी धरती शस्य-श्यामला बनने को फिर से ललचाई” धरती को एक बूढ़ी महिला के रूप में दर्शाया गया है जो फिर से युवा और हरी-भरी होने के लिए लालायित है। यह दृश्य प्रकृति के पुनर्जन्म और नवीनीकरण की प्रक्रिया को मानवीय इच्छाओं के रूप में प्रस्तुत करता है।
शब्द एक अर्थ अनेक
‘अंकुर फूट पड़ा धरती से, नव-जीवन की ले अँगड़ाई’ कविता की इस पंक्ति में ‘फूटने’ का अर्थ पौधे का अंकुरण है। ‘फूट’ का प्रयोग अलग-अलग अर्थों में किया जाता है, जैसे— फूट डालना, घड़ा फूटना आदि। अब फूट शब्द का प्रयोग ऐसे वाक्यों में कीजिए जहाँ इसके भिन्न-भिन्न अर्थ निकलते हों, जैसे— अंग्रेज़ों की नीति थी फूट डालो और राज करो। उत्तर:
दोस्तों में फूट पड़ गई।
उसका सिर फूट गया।
धरती से जल की धारा फूट पड़ी।
दीवार से टकराते ही उसकी एक आँख फूट गई।
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
‘नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली से ये जलधर’ कविता की इस पंक्ति में ‘जलधर’ शब्द आया है। ‘जलधर’ दो शब्दों से बना है, जल और धर इस प्रकार जलधर का शाब्दिक अर्थ हुआ जल को धारण करने वाला। बादल और समुद्र; दोनों ही जल धारण करते हैं। इसलिए दोनों जलधर हैं। वाक्य के संदर्भ या प्रयोग से हम जान सकेंगे कि जलधर का अर्थ समुद्र है या बादल। शब्दकोश या इंटरनेट की सहायता से ‘धर’ से मिलकर बने कुछ शब्द और उनके अर्थ ढूँढ़कर लिखिए। उत्तर:
शब्द पहेली
दिए गए शब्द-जाल में प्रश्नों के उत्तर खोजें
क. एक प्रकार का वाद्य यंत्र नगाड़ा
ख. आँख के लिए एक अन्य शब्द नयन
ग. जल को धारण करने वाला जलधर
घ. एक प्रकार की घास दूब
ङ. आँसू का समानार्थी अश्रु
च. आसमान का समानार्थी शब्द अंबर
पाठ से आगे
आपकी बात
(क) बारिश को लेकर हर व्यक्ति का अनुभव अलग होता है। बारिश आने पर आपको कैसा लगता है? बताइए। उत्तर: बारिश आने पर मुझे बहुत अच्छा लगता है। ठंडी-ठंडी बूँदों का स्पर्श बहुत सुखदायक होता है और मुझे यह समय बहुत आनंददायक लगता है।
(ख) आपको कौन-सी ऋतु सबसे अधिक प्रिय है और क्यों? बताइए। उत्तर: मुझे सर्दी की ऋतु सबसे अधिक प्रिय है क्योंकि इस समय मौसम ठंडा और सुहावना होता है। गर्म कपड़े पहनने का मजा आता है और कई प्रकार के गर्म व्यंजन खाने को मिलते हैं।
समाचार माध्यमों से
(क) प्रत्येक मौसम समाचार के विभिन्न माध्यमों (इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट या सोशल मीडिया) के प्रमुख समाचारों में रहता है। संवाददाता कभी बाढ़ तो कभी सूखे या भीषण ठंड के समाचार देते दिखाई देते हैं। आप भी बन सकते हैं संवाददाता या लिख सकते हैं समाचार।
अत्यधिक गर्मी, सर्दी या बारिश में आपने जो स्थिति देखी है उसका आँखों देखा हाल अपनी कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: अत्यधिक गर्मी के समय मैंने देखा कि लोग छाया की तलाश में रहते हैं और ठंडे पेय पदार्थों का सेवन करते हैं। सर्दी के समय लोग आग के पास बैठकर खुद को गर्म रखते हैं। बारिश के समय लोग छतरी लेकर चलते हैं और बारिश से बचने के लिए शेल्टर की तलाश करते हैं।
सृजन
नाम देना भी सृजन है। ऊपर दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए और इसे एक नाम दीजिए।
उत्तर: रेगिस्तानी लिली या मरुस्थल का जीवन
खोजबीन
आपके यहाँ उत्सवों में कौन-से वाद्ययंत्र बजाए जाते हैं? उनके बारे में जानकारी एकत्र करें और अपने समूह में उस पर चर्चा करें। उत्तर: ढोलक, नगाड़ा, डमरू, डफली, तबला, हारमोनियम, गिटार आदि।
आइए इंद्रधनुष बनाएँ
बारिश की बूँदें न केवल जीव-जंतुओं को राहत पहुँचाती हैं बल्कि धरती को हरा-भरा भी बनाती हैं। कभी-कभी ये बूँदें आकाश में बहुरंगी छटा बिखेरती हैं जिसे ‘इंद्रधनुष’ कहा जाता है। आप भी एक सुंदर इंद्रधनुष बनाइए और उस पर एक छोटी-सी कविता लिखिए | इसे कोई प्यारा सा नाम भी दीजिए। उत्तर:
कितना प्यारा है इंद्रधनुष
आशाओं का संचार करता है खुशियों का विस्तार करता है कितना प्यारा है इंद्रधनुष, जो प्रेम की पुकार बनता है।
वर्षा के बाद आकाश को सजाता है बचपन के किस्सों को फिर से दोहराता है रंग-बिरंगे रंगों से रंगकर सारा संसार, इंद्रधनुष समृद्धि के गीत गुनगुनाता है,
प्रकृति का महिमामंडन करता है निराशाओं का खंडन करता है कितना प्यारा है इंद्रधनुष, जो जीवन के हर पल का उत्सव बनाता है।
वीरता के किस्सों को सुनाता है प्रेम का उत्सव मनाता है कितना प्यारा है इंद्रधनुष जो हमें आशावादी रहना सिखाता है।