Chapter 01 maatrbhoomi notes
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November 6, 2024Chapter Notes: गोल
कविता का परिचय
यह पाठ मेजर ध्यानचंद की आत्मकथा से लिया गया है। मेजर ध्यानचंद, जिन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहा जाता है, भारतीय हॉकी के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक थे। इस पाठ में उन्होंने अपने खेल के दिनों के कुछ अनुभव साझा किए हैं, विशेष रूप से एक मैच के दौरान हुई घटना का वर्णन किया है। यह पाठ खेल भावना, धैर्य, और परिश्रम के महत्व को दर्शाता है।
विस्तृत सारांश
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पाठ का आरंभ खेल के मैदान में धक्का-मुक्की और नोंक-झोंक की सामान्य घटनाओं के वर्णन से होता है। मेजर ध्यानचंद 1933 के एक मैच की घटना का जिक्र करते हैं जिसमें वह ‘पंजाब रेजिमेंट’ की ओर से खेल रहे थे और उनका मुकाबला ‘स्पेस एंड माइनस टीम’ से था।
मैच के दौरान, एक खिलाड़ी ने ध्यानचंद के सिर पर हॉकी स्टिक से वार कर दिया जिससे उन्हें मैदान छोड़ना पड़ा।
पट्टी बांधकर वापस लौटने के बाद, ध्यानचंद ने उस खिलाड़ी को आश्वस्त किया कि वह बदला लेंगे, लेकिन उन्होंने बदला हिंसा से नहीं बल्कि शानदार खेल के द्वारा लिया।
उन्होंने छह गोल करके मैच जीता और अंत में उस खिलाड़ी को समझाया कि खेल में गुस्सा नहीं करना चाहिए।
इसके बाद, ध्यानचंद अपने जीवन की शुरुआत और हॉकी में उनकी दिलचस्पी कैसे बढ़ी, इसके बारे में बताते हैं। उनका जन्म 1904 में प्रयाग में हुआ और बाद में उनका परिवार झांसी में बस गया।
16 साल की उम्र में वह ‘ब्राह्मण रेजिमेंट’ में एक साधारण सिपाही के रूप में भर्ती हो गए। वहाँ, उनके सूबेदार ने उन्हें हॉकी खेलने के लिए प्रेरित किया।
धीरे-धीरे ध्यानचंद के खेल में निखार आया और उन्हें 1936 के बर्लिन ओलंपिक में टीम का कप्तान बनाया गया।
उनके खेल कौशल से प्रभावित होकर लोगों ने उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहना शुरू कर दिया।
ध्यानचंद की खेल भावना और टीम भावना की वजह से उन्होंने दुनियाभर में खेल प्रेमियों का दिल जीत लिया।
बर्लिन ओलंपिक में भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक जीता और ध्यानचंद का मानना था कि जीत पूरे देश की होती है, न कि सिर्फ एक व्यक्ति की।
शब्दार्थ
- धक्का-मुक्की – झगड़ा करना
- नोंक-झोंक – हल्की-फुल्की बहस
- साधारण – सामान्य
- मुकाबला – प्रतियोगिता
- कोजिि – प्रयास
- गुस्सा – क्रोध
- पट्टी – बैंडेज
- गद – गेंद
- झटपट – तुरंत
- दोसत – मित्र
- गुरु-मंत्र – महत्वपूर्ण सलाह
- हॉककी – हॉकी
- अभयास – अभ्यास
- जदलचसपी – रुचि
- नौजसजखया – नया व्यक्ति
- प्रभाजवत – प्रभावित
- प्रेरणा – प्रेरणादायक
- सववोचच – सर्वोच्च