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November 6, 2024Chapter Notes: रहीम के दोहे
परिचय
‘रहीम के दोहे’ हिंदी साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा हैं, जिनमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण संदेश दिए गए हैं। रहीम के दोहे संक्षिप्त और सारगर्भित होते हैं, जो गहरे अर्थ को कुछ ही शब्दों में व्यक्त करते हैं। रहीम, जिन्हें अब्दुर्रहीम खानखाना के नाम से भी जाना जाता है, एक महान कवि और संत थे। उनके दोहे न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि जीवन में नैतिकता और मूल्यों की शिक्षा भी देते हैं।
कहानी का सार
रहीम के दोहे हमें जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं।
1. रहीमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि।।
अनुवाद:
रहीम कहते हैं कि बड़े लोगों को देखकर छोटे लोगों को तुच्छ समझकर कभी नहीं छोड़ना चाहिए। जिस प्रकार सुई का काम तलवार नहीं कर सकती, उसी प्रकार छोटे कार्य भी अपने आप में महत्वपूर्ण होते हैं।
व्याख्या:
इस दोहे में रहीम यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि हमें किसी व्यक्ति या वस्तु की कद्र करनी चाहिए, चाहे वह छोटी हो या बड़ी। हर किसी का अपना महत्व होता है और समय आने पर वही छोटी चीज़ भी बहुत बड़े काम की हो सकती है। यह एक गहरी सीख है कि किसी को छोटा समझकर नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
2. तरुवर फल नहिं खात हैं सरवर पियहिं न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान।
अनुवाद:
रहीम कहते हैं कि पेड़ अपने फल नहीं खाते और नदियाँ अपना पानी नहीं पीतीं। इसी प्रकार समझदार व्यक्ति अपनी संपत्ति का उपयोग दूसरों के हित के लिए करते हैं।
व्याख्या:
इस दोहे में रहीम ने पेड़ों और नदियों का उदाहरण देकर यह समझाने की कोशिश की है कि जैसे पेड़ और नदी अपने फल और पानी का उपयोग दूसरों के लिए करते हैं, उसी प्रकार एक सच्चा और समझदार व्यक्ति अपनी संपत्ति को दूसरों की भलाई के लिए इस्तेमाल करता है। इस प्रकार की उदारता और परोपकार का जीवन में बहुत महत्व है।
3. रहीमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय॥
अनुवाद:
रहीम कहते हैं कि प्रेम का धागा कभी मत तोड़ो। अगर वह धागा एक बार टूट जाए, तो उसे फिर से जोड़ने पर गाँठ पड़ जाती है और वह पहले जैसा नहीं रहता।
व्याख्या:
इस दोहे में रहीम ने प्रेम को धागे के रूप में दर्शाया है। प्रेम एक नाजुक धागा है जो एक बार टूट जाने पर फिर से जुड़ तो सकता है, लेकिन उसमें गाँठ पड़ जाती है, जो उस रिश्ते की मिठास को हमेशा के लिए खत्म कर देती है। इसलिए रिश्तों को संजोकर रखना चाहिए और किसी भी प्रकार की कटुता से बचना चाहिए।
4. रहीमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून ।
अनुवाद:
रहीम कहते हैं कि पानी को बचाकर रखना चाहिए, क्योंकि इसके बिना सब कुछ सूना है। एक बार पानी चला जाए, तो मोती, मनुष्य और चूने का अस्तित्व नहीं बचता।
व्याख्या:
इस दोहे में रहीम ने पानी के महत्व को दर्शाया है। पानी जीवन के लिए अति आवश्यक है, और इसके बिना कुछ भी संभव नहीं है। मोती, मनुष्य और चूना तीनों का अस्तित्व पानी पर निर्भर करता है। यह दोहा जल संरक्षण के महत्व को बताता है और हमें सिखाता है कि जल का सही उपयोग और संरक्षण आवश्यक है।
5. रहीमन बिपदाहू भली, जो थोरे दिन होय।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय।
अनुवाद:
रहीम कहते हैं कि थोड़े समय के लिए आई विपत्ति भी अच्छी होती है, क्योंकि उसी से ही सच्चे और झूठे मित्रों की पहचान होती है।
व्याख्या:
इस दोहे में रहीम विपत्ति के महत्व को समझाते हैं। जब जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, तब ही हमें अपने असली मित्र और शत्रुओं का पता चलता है। विपत्ति हमें मजबूत बनाती है और हमें जीवन के सच्चे अर्थ और रिश्तों की गहराई का एहसास कराती है।
6. रहीमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग पताल।
आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल॥
अनुवाद:
रहीम कहते हैं कि जीभ बेकाबू है, जो कुछ भी कह देती है। यह जिह्वा तो अपनी जगह पर ही रहती है, पर इसके कहने से इंसान को स्वर्ग और नरक, दोनों का सामना करना पड़ता है। गलत बातें बोलने पर इसका परिणाम कपाल पर जूते खाने जैसा हो सकता है।
व्याख्या:
इस दोहे में रहीम जीभ के अनियंत्रित होने के परिणामों की चर्चा करते हैं। जीभ की कही गई बातें कभी-कभी इतनी गंभीर हो जाती हैं कि वे व्यक्ति को सम्मान और अपमान दोनों का सामना करवा सकती हैं। इसलिए हमें अपने शब्दों का बहुत ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि एक बार बोले गए शब्द वापस नहीं लिए जा सकते।
7. कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत॥
अनुवाद:
रहीम कहते हैं कि जब संपत्ति होती है, तो कई तरह के रिश्तेदार और मित्र बनते हैं। लेकिन जब विपत्ति आती है, तब ही असली मित्र और रिश्तेदार की पहचान होती है।
व्याख्या:
इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्रों और रिश्तेदारों की पहचान को उजागर किया है। जब हमारे पास धन-दौलत होती है, तब कई लोग हमारे करीब आते हैं, लेकिन जब हम मुश्किलों में होते हैं, तब ही असली दोस्तों और सगे-संबंधियों का पता चलता है। विपत्ति जीवन की कसौटी होती है, जो हमें सच्चे मित्रों की पहचान कराती है।
शब्दावली
लघु: छोटा
तलवारि: तलवार
सरवर: तालाब
काज: कार्य
संपति: संपत्ति
धागा: धागा
छिटकाय: टूटना
जिह्वा: जीभ
बावरी: पागल
सरग: स्वर्ग
पताल: पाताल
सगे: संबंधी
बिपति: विपत्ति
कसौटी: परीक्षा
साँचे: सच्चे
निष्कर्ष
रहीम के दोहे जीवन के गूढ़ और महत्वपूर्ण संदेशों को सरल और संक्षिप्त शब्दों में प्रस्तुत करते हैं। ये दोहे हमें नैतिकता, प्रेम, मित्रता और जीवन की सच्ची पहचान सिखाते हैं। रहीम का साहित्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उनके समय में था। इन दोहों से हमें जीवन के हर पहलू को समझने और उसे सही दिशा में जीने की प्रेरणा मिलती है।