Chapter 10 pareeksha notes
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November 6, 2024Chapter Notes: चेतक की वीरता
परिचय
‘चेतक की वीरता’ कविता, श्यामनारायण पाण्डेय की सर्वाधिक लोकप्रिय काव्यकृति ‘हल्दीघाटी’ का एक अंश है। यह कविता महाराणा प्रताप के वीर घोड़े चेतक की बहादुरी और वीरता का वर्णन करती है। यह कविता वीर रस में रची गई है और इसमें चेतक के अदम्य साहस और रणभूमि में उसके अद्वितीय कौशल का उल्लेख है।
कविता का सार
‘चेतक की वीरता’ कविता में कवि ने चेतक की वीरता और उसकी अद्वितीय क्षमता का वर्णन किया है। रणभूमि में चेतक अपनी चौकड़ी भरते हुए निराले रूप में दिखता है। ऐसा प्रतीत होता है कि चेतक हवा से भी तेज दौड़ता है। राणा प्रताप का कोड़ा कभी चेतक के शरीर पर नहीं गिरता क्योंकि वह इतनी तेजी से दौड़ता है कि किसी भी वार को टाल देता है। चेतक का यह कौशल और उसकी चालें देख राणा प्रताप की पुतलियाँ तक नहीं हिलतीं और वह भयंकर भालों और ढालों के बीच भी निर्भीक होकर दौड़ता रहता है।
चेतक की गति और उसकी चालों को देखकर ऐसा लगता है मानो वह किसी नदी की लहर की तरह बढ़ता और ठहरता है। वह वज्र-मय बादल की तरह अरि की सेना पर टूट पड़ता है, भाले और निषंग गिरते हैं और उसकी हय-टापों की ध्वनि से रणभूमि गूंज उठती है। वैरी समाज चेतक के रंग और उसके साहस को देखकर दंग रह जाता है।
कविता की मुख्य घटनाएं:
चेतक की अद्वितीय चौकड़ी और निराला रूप।
हवा से तेज दौड़ने की क्षमता।
राणा प्रताप का कोड़ा चेतक पर कभी न गिरना।
चेतक का निर्भीक होकर भालों और ढालों में दौड़ना।
अरि की सेना पर वज्र-मय बादल की तरह टूट पड़ना।
वैरी समाज का चेतक के साहस से दंग रह जाना।
कविता से शिक्षा
‘चेतक की वीरता’ कविता हमें अदम्य साहस, वीरता और निर्भीकता की शिक्षा देती है। यह कविता यह भी सिखाती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी हमें हार नहीं माननी चाहिए और अपने कौशल और साहस के बल पर विजय प्राप्त करनी चाहिए।
शब्दावली
- चौकड़ी – तेज गति से दौड़ना
- अरि – शत्रु
- मस्तक – सिर
- कौशल – निपुणता
- भाला – एक प्रकार का हथियार
- निषंग – तलवार की म्यान
- हय-टाप – घोड़े के खुर की आवाज़
- वीरता – बहादुरी
- विकराल – भयानक
निष्कर्ष
‘चेतक की वीरता’ कविता वीरता, साहस और अदम्य आत्मविश्वास का प्रतीक है। यह कविता न केवल चेतक के अद्वितीय गुणों का वर्णन करती है, बल्कि हमें यह भी सिखाती है कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में भी साहस और आत्मविश्वास के साथ विजय प्राप्त की जा सकती है। श्यामनारायण पाण्डेय की यह कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों में उत्साह और सांस्कृतिक एकता का संचार करने वाली है।